स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

क्या आप जानते हैं कि स्वयं पर आया कष्टदायी शक्ति का आवरण दूर करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यत्मिक स्तर पर सहायता प्राप्त हो सकती है ? इससे शारीरिक एवं मानसिक रोग भी दूर हो सकते हैं ।

स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

विषय सूची

१. काला आवरण – प्रस्तावना

बचपन से ही हमारे माता पिता ने हमारे मन में दिन में न्यूनतम एक बार स्नान करने का संस्कार दृढ किया है । आवश्यकता पडने पर, कभी-कभी हम दिन में २ अथवा ३ बार भी स्नान करते हैं । इससे हमारी देह की शुद्धि होती है । इससे कुछ मात्रा में हमें आध्यात्मिक लाभ भी होता है । दुर्भाग्यवश, हममें से अधिकांश ने यह नहीं सीखा कि हमें प्रतिदिन आध्यात्मिक स्तर पर भी अपनी शुद्धि करना आवश्यक होता है । कष्टदायक शक्ति का आवरण प्रतिदिन हमारे चारों ओर निर्माण होता रहता है । हममें से अधिकांश इसे देख नहीं सकते क्योंकि यह सूक्ष्म होता है, किंतु यह हमें शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर प्रभावित करता है । इस लेख में हमने, किसी व्यक्ति पर कष्टदायक शक्ति का आवरण हो तो कैसे पहचानें तथा उसे कैसे दूर करें, इसकी कुछ व्यावहारिक युक्तियां (सूत्र) बताई है । यह प्रतिदिन स्नान करने जितना ही महत्वपूर्ण है । अथवा उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है ।

२. कष्टदायक शक्ति का आवरण आने के अनुभव एवं संकेत – यह कैसे जाने कि हमारे चारों ओर आवरण निर्माण हुआ है ?

कोई व्यक्ति कष्टदायक शक्ति के आवरण से प्रभावित है, इसे यथार्थ रूप से जानने हेतु छठवीं इंद्रिय की क्षमता होना आवश्यक है ।

यद्यपि, कष्टदायक शक्ति का आवरण होने के कुछ शारीरिक/मानसिक संकेत आगे दिए गए हैं ।

  • शरीर में भारीपन अनुभव होना
  • सुस्ती अनुभव होना
  • यदि संपूर्ण देह पर कष्टदायक शक्ति का आवरण निर्मित हो गया हो, तो हमें अपने चारों ओर किसी के होने का अस्तित्त्व अनुभव हो सकता है । हमें अपने चारों ओर किसी प्रकार का कोष भी अनुभव हो सकता है ।
  • यदि शरीर के किसी विशिष्ट स्थान पर कष्टदायक आवरण आया हो, तो उन स्थानों पर कष्टदायी लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं । उदाहरण के लिए  :
    • यदि किसी के सिर पर आवरण आया हो, तो उसे ऐसा लग सकता है कि जैसे कोई सिर को ऊपर से दबा रहा है अथवा उसे अपने सिर पर मुकुट अथवा टोपी जैसा अनुभव हो सकता है । इसके कारण व्यक्ति के भ्रमित होने के साथ ही उसके सोचने-समझने की एवं निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है ।
    • यदि आंखों पर आवरण हो, तो हमें आंखों के सामने एक सूक्ष्म आच्छादन (परदा) अथवा दृश्य धुंधला दिखाई दे सकता है ।
    • यदि छाती पर आवरण हो, तो हमें लग सकता है कि कोई हमारी श्वास प्रक्रिया में बाधा निर्माण करने का प्रयास कर रहा है अथवा छाती के आसपास असहजता अनुभव होती है ।

साधना से, कष्टदायक शक्ति का आवरण देखने की सूक्ष्म क्षमता प्राप्त होती है । साधना करनेवाला व्यक्ति जब  कष्टदायक शक्ति के आवरण से युक्त व्यक्ति को देखेगा, तब उसे उस व्यक्ति का मुख स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता । वह उन्हें धुंधला दिखाई देगा । काले आवरण से युक्त व्यक्ति के निकट होने पर, व्यक्ति को सूक्ष्म दबाव, जी मचलना एवं उस समय दुर्गंध आना भी अनुभव हो सकता है ।

३. वर्तमान में लोगों पर कष्टदायक शक्ति के आवरण कितना है ?

कष्टदायक शक्ति के आवरण की परिधि केवल अति जागृत छठवीं इंद्रिय के माध्यम से ही अचूक रूप से समझी जा सकती है । जिनके पास अति जागृत छठवीं इंद्रिय की क्षमता होगी, वे ही आवरण की मात्रा को दृश्य रूप में देखने में सक्षम होंगे । जो लोग सूक्ष्म स्पंदनों के प्रति संवेदनशील होते हैं, वे ही वास्तव में अपने सूक्ष्म प्रेरक अंगों के माध्यम से अपने हाथों से व्यक्ति पर छाए आवरण की मात्रा को अनुभव कर सकते हैं । कष्टदायक शक्ति के आवरण का परीक्षण लेने वाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर जितना अधिक होगा, उतना ही अधिक सटीक परिणाम प्राप्त होगा ।

नीचे दी गई सारणी में, हमने विभिन्न लोगों पर दिखाई देने वाले कष्टदायक शक्ति के आवरण का एक एक अनुमान बताया है ।

व्यक्ति का प्रकार औसत आवरण (सेमी अथवा मीटर में) अधिकतम आवरण (सेमी अथवा मीटर में)
वर्तमान काल में एक सामान्य व्यक्ति पर २० सेमी ३० सेमी
सामान्य व्यक्ति (जिसे तीव्र कष्ट है अथवा जो अनिष्ट शक्ति द्वारा आविष्ट है) १.५ मीटर ४ मीटर
साधक (जो समष्टि साधना करता है) ३ सेमी ५ सेमी
साधक (जो समष्टि साधना करता है तथा जिसे तीव्र कष्ट है अथवा जो अनिष्ट शक्ति द्वारा आविष्ट है) २ मी ५ मी

आंकडों का स्त्रोत : जून २०२० में भारत के गोवा स्थित महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा अति जागृत छठवीं इंद्रिय के माध्यम से किया गया आध्यात्मिक शोध

टिप्पणी :

१. विश्व की लगभग ५० प्रतिशत जनसंख्या कुछ न कुछ मात्रा में अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित है ।

२. विश्व की लगभग ३० प्रतिशत जनसंख्या अनिष्ट शक्तियों द्वारा आविष्ट अथवा नियंत्रित है ।

३. समष्टि साधना अर्थात समाज की आध्यात्मिक उन्नति होने में सहायता करने के लिए साधना करना ।  उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियां ऐसे साधकों को अध्यात्मप्रसार का कार्य करने और इस प्रकार समाज में सकारात्मकता लाने से रोकने हेतु उन पर आक्रमण करती हैं । भले ही ऐसे साधकों पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा आक्रमण होता हो, किंतु ऐसे साधकों को ईश्वर से दैवीय संरक्षण प्राप्त होता है ।

४. कुछ साधक अपनी साधना आरंभ करने के पूर्व से ही अनिष्ट शक्तियों द्वारा आविष्ट होते हैं । अनिष्ट  शक्तियां उन साधकों की साधना में बाधा निर्माण करने हेतु उन पर अधिकाधिक आक्रमण करती है । किंतु, निरंतर साधनारत रहने से,  उन पर अनिष्ट शक्तियों का नियंत्रण घटने लगता है । ऐसे साधकों को समष्टि साधना से समय रहते उनके कष्ट दूर होने हेतु ईश्वरकृपा प्राप्त करने में सहायक मिलती है ।

४. काले आवरण के प्रकार एवं लक्षण

कष्टदायक शक्ति का आवरण विविध रूपों में प्रकट हो सकता है और व्यक्ति में आगे बताए गए अनुसार लक्षण उत्पन्न कर सकता है ।

१. सिर के चारों ओर एक चक्राकार वलय/मुकुट का होना

२. हमारी आंखों के ऊपर एक पट्टी आना

३. शरीर के चारों ओर एक चादर जैसे लिपटे होने जैसा लगना

४. यह शरीर के केवल अग्रभाग पर अथवा केवल पीछे के भाग पर भी निर्माण हो सकता है । यह शरीर के ऊपर अथवा नीचे के आधे भाग पर भी निर्माण हो सकता है। कभी कभी, यह पूरे शरीर को ही ढंक सकता है ।

५. यह पतली परत में भी फैल सकता है तथा कभी कभी, इसकी बनावट रबड जैसी हो सकती है ।

. व्यक्ति के चारों ओर कष्टदायक शक्ति का आवरण का निर्माण कैसे होता है ?

 अनिष्ट शक्तियां किसी व्यक्ति के चारों ओर कष्टदायक शक्ति के आवरण का निर्माण उस व्यक्ति के सोचने की अथवा कार्य करने की क्षमता अथवा दोनों को प्रभावित करने, उस पर आक्रमण करने, नियंत्रित करने के उद्देश्य से करती है ।  इसका उपयोग व्यक्ति को बाहर से प्रभावित करने के लिए किया जाता है।  (दूसरी ओर, कष्टदायक शक्ति का केंद्र, व्यक्ति पर उच्च स्तर का नियंत्रण प्राप्त करने अथवा उसे आविष्ट करने के उद्देश्य से उसके शरीर के भीतर ही एक नियंत्रण बिंदु निर्माण करने हेतु स्थापित किया जाता है।)

कष्टदायक शक्तियां किस पर आक्रमण तथा काली शक्ति  का आवरण निर्मित कर सकती हैं ?

अनिष्ट शक्तियां प्रायः स्वयं के समान अथवा स्वयं से कम आध्यात्मिक बल (जो कि व्यक्ति के आध्यात्मिक स्तर से सम्बंधित है) के व्यक्ति पर आक्रमण करती हैं ।

इसलिए, एक सामान्य व्यक्ति (जिसका आध्यात्मिक स्तर २० प्रतिशत होता है) पर कनिष्ट स्तर की अनिष्ट शक्तियां सहजता से उसके चारों ओर काली शक्ति का आवरण निर्माण कर सकती है । किंतु, ५० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के व्यक्ति पर निम्न स्तरीय अनिष्ट शक्तियां आक्रमण नहीं कर सकती तथा उस पर केवल समान बल की अनिष्ट शक्ति ही आक्रमण कर सकती है ।

चूंकि साधक साधना करते हैं,  इसलिए उनके चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनने लगता है । जिससे अनिष्ट शक्तियों के लिए साधक के चारों ओर काली शक्ति का आवरण बनाए रखना अधिक कठिन हो जाता है ।

काली शक्ति का आवरण निर्माण करने के क्या कारण हैं ?

कष्टदायक शक्ति का आवरण प्रायः व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक अथवा आध्यात्मिक प्रक्रिया में बाधा डालने के एक अल्पकालिक उद्देश्य से उसके चारों ओर निर्मित किया जाता है ।

शारीरिक स्तर पर :

  • किसी शारीरिक कार्य की क्षमता को घटाना – उदहारण के लिए किसी के गले के चारों ओर कष्टदायक शक्ति का आवरण डालकर उसके गाने की क्षमता को बाधित कर देना ।
  • रोगग्रस्त अंग का रोग बढा देना
  • रोग का पता लगाने (निदान करने) की क्षमता में अवरोध लाना – उदाहरण के लिए, एक्स-रे में यदि कोई विशिष्ट असंगति (समस्या) दिखने वाली हो, तो अनिष्ट शक्ति कष्टदायक शक्ति का आवरण डालकर एक्स-रे जांच में आनेवाली उस विषमता को छुपा देती है, फलस्वरूप, चिकित्सक के लिए यह समझना कठिन हो जाता है कि रेागी को क्या हो रहा है । संदर्भ हेतु देखें लेख – रोग का निदान करते समय अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्माण की गयी बाधाएं
  • चिकित्सा अथवा उपचार प्रक्रिया के प्रभाव को घटा देना । वे औषधियों पर भी काली शक्ति का आवरण निर्माण कर सकती हैं ।

मानसिक एवं बौद्धिक स्तरों पर :

  • व्यक्ति के क्रोध, व्यसनी व्यवहार, भावनाएं, नकारात्मक विचार, इत्यादि जैसे स्वभावदोषों में वृद्धि करने के लिए
  • व्यक्ति के बौद्धिक सामर्थ्य एवं निर्णय लेने की क्षमता को न्यून करने के लिए

आध्यात्मिक स्तर पर :

  • व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति करने की इच्छा को न्यून करने के लिए
  • व्यक्ति को शारीरिक अथवा मानसिक स्तरों पर प्रभावित करके उसे अध्यात्म प्रसार करने से रोकने के लिए

अनिष्ट शक्तियां चारों ओर काली शक्ति का आवरण लाने हेतु क्या करती हैं ?

  • अनिष्ट शक्तियों के लिए, किसी व्यक्ति को शारीरिक स्तर पर प्रभावित करने का सबसे सरल मार्ग है उस व्यक्ति के अथवा उसके किसी विशिष्ट अंग के चारों ओर काली शक्ति का आवरण निर्माण करना । विशेषरूप से जब उसके किसी अंग में कोई रोग हो । काली शक्ति का आवरण रोग में वृद्धि कर सकता है अथवा उसे ठीक होने से रोक सकता है ।
  • वे मन में संस्कारों के चारों ओर काला आवरण निर्माण कर सकती है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति के क्रोध, नकारात्मक सोच, इत्यादि जैसे स्वभावदोष में वृद्धि कर देती हैं ।
  • वे व्यक्ति के चक्रों को प्रभावित करती हैं । ऐसा करने में, काली शक्ति का आवरण संबंधित अंगों में सूक्ष्म ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करती है । यद्यपि यह आक्रमण करना अधिक कठिन है, शरीर पर हुए आक्रमण की तुलना में चक्रों पर हुए आक्रमण को सरलता से नहीं समझा जा सकता । एक सामान्य व्यक्ति के लिए, प्रायः नीचे के तीन चक्रों (विशेषरूप से स्वाधिष्ठान चक्र अथवा मणिपुर चक्र) पर आक्रमण होते हैं । अनिष्ट शक्तियां इन चक्रों को काली शक्ति के आवरण से प्रभावित करके, व्यक्ति में संभोग करने, भोजन की तृष्णा बढना, इत्यादि जैसी इच्छाओं को अत्यधिक रूप से बढा सकती है । इस प्रकार वे व्यक्ति को प्रभावित अथवा त्रस्त कर सकती हैं । साधकों के संबंध में, उन्हें साधना करने से रोकने के लिए सामान्यतया ऊपर के ४ चक्रों पर आक्रमण किया जाता है । (ऐसा इसलिए क्योंकि ऊपर के ४ चक्र आध्यात्मिक उन्नति से संबंधित होते हैं, जबकि नीचे के ३ चक्र सांसारिक इच्छाओं से संबंधित होते हैं) ।

विभिन्न चक्रों के चारों ओर यदि काली शक्ति का आवरण निर्माण हो जाए, तब क्या हो सकता है, यह नीचे दी गई सारणी में दर्शाया गया है ।

चक्र के चारों ओर छाया काला आवरण प्रभाव
सहस्रार-चक्र आध्यात्मिक रूप से उन्नत व्यक्ति के लिए ईश्वर से जुडने में अवरोध निर्माण होता है ।
आज्ञा-चक्र उच्च बुद्धि के कार्य में अवरोध निर्माण होता है, जिसके प्रयोग व्यक्ति के, अन्य लोगों के तथा विश्व के परे के आध्यात्मिक लाभ के लिए किया जाता है ।
विशुद्ध-चक्र सांसारिक बुद्धि के कार्य में अवरोध उत्पन्न होता है ।
अनाहत-चक्र मन को अस्थिर बनाता है । भावनाशीलता में वृद्धि होती है ।
मणिपुर-चक्र भोजन तथा दूसरी सांसारिक इच्छाओं की तृष्णा निर्माण होती है ।
स्वाधिष्ठान-चक्र संभोग करने की अत्यधिक इच्छा निर्माण होती है ।

६. वर्तमान समय में काली शक्ति का आवरण कितनी बार दूर करना चाहिए ?

जैसा कि हम वर्तमान में आध्यात्मिक रूप से बहुत प्रतिकूल समय में हैं, जो वर्ष २०२३ तक रहेगा, इसलिए हमारा परामर्श है कि काली शक्ति के आवरण को दूर करने का प्रयास अधिक बार करें जाएं । हमें काली शक्ति का आवरण कितनी बार हटाना चाहिए, यह समझने के लिए हमने नीचे एक सारणी दी है ।

व्यक्ति के प्रकार व्यक्ति को अपनी कष्टदायक शक्ति का आवरण कितनी बार हटाना चाहिए
वर्तमान समय में सामान्य व्यक्ति दो बार (सुबह एवं शाम)
सामान्य व्यक्ति (जिसे तीव्र कष्ट है अथवा जो अनिष्ट शक्ति द्वारा आविष्ट है) छह बार (प्रत्येक कुछ घंटो में)
साधक (जो समष्टि साधना करता है) ४ बार
साधक (जो समष्टि साधना करता है तथा जिसे तीव्र कष्ट है अथवा जो अनिष्ट शक्ति द्वारा आविष्ट है) ८ बार

जो साधक समष्टि साधना, अर्थात समाज की आध्यात्मिक उन्नति होने में सहायता के लिए साधना करते हुए शीघ्र गति से आध्यात्मिक उन्नति करना, कर रहे हैं ऐसे साधकों को भी अनिष्ट शक्तियां अपना लक्ष्य बनाती है तथा उनके आध्यात्मिक पथ पर बाधाएं निर्माण करने का प्रयास करती हैं । इसीलिए उन्हें अधिक बार काली  शक्ति का आवरण हटाना चाहिए ।

. काली शक्ति का आवरण कैसे दूर हटाएं ?

 तैयारी करना

प्रत्येक आध्यात्मिक कार्य का प्रारंभ ईश्वर से प्रार्थना करके होना चाहिए । काली शक्ति का आवरण दूर करने के लिए आगे दी गई प्रार्थना कर सकते हैं ।

‘हे ईश्वर, आपकी कृपा से, मुझे योग्य प्रकार से अपनी देह पर आया कष्टदायी सूक्ष्म काली शक्ति का आवरण दूर करने में सक्षम बनाएं । मैं जो आवरण दूर करने जा रहा हूं उससे कोई भी प्रभावित न हो । अनिष्ट शक्तियों के द्वारा उत्पन्न जिस कष्ट से मैं पीडित हूं, उसे शीघ्र दूर होने दीजिए ।’

काली शक्ति का आवरण दूर करने के उपरांत कृतज्ञता अवश्य व्यक्त करें ।

.१ पद्धति १ : नामजप

भाव से ईश्वर का नामजप करनेसे सकारात्मक शक्ति आकर्षित/उत्पन्न होती है । ईश्वर के नामजप से उत्पन्न आध्यात्मिक शक्ति किसी भी काली शक्ति के आवरण को नष्ट कर सकती है । इस पद्धति का लाभ यह है कि इसे किसी भी समय किया जा सकता है

आध्यात्मिक शोध से हमें ज्ञात हुआ है कि काली शक्ति के आवरण को दूर करने के लिए ईश्वर के आगे दिए गए नामजप में से किसी एक का जप करके हम प्रारंभ कर सकते हैं ।

१. श्री गुरुदेव दत्त

२. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

३. श्री दुर्गादेव्यै नमः

हम ईश्वर के उपरोक्त नामजप में से प्रत्येक का १ माह तक जप करके प्रारंभ कर सकते हैं । यदि पहला नामजप जो कि श्री गुरुदेव दत्त है, का जप ४ सप्ताह करने पर भी राहत न मिले तो ४ सप्ताह के उपरांत ईश्वर के अगले नाम का जप करना चाहिए जो कि ॐ नमो भगवते वासुदेवाय है ।

हमारे द्वारा ३ नामजप बताए जाने का कारण उसी समान है जैसे एक चिकित्सक लक्षणों में होनेवाले परिवर्तन के आधार पर औषधि में परिवर्तन करते हैं । यदि किसी को उपरोक्त नामजप से ३ माह के उपरांत भी लाभ नहीं होता, तब उसे किसी आध्यात्मिक रूप से उन्नत व्यक्ति से परामर्श लेना चाहिए अथवा SSRF पर हमारी लाईव चाट (Live chat) की सुविधा के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।

कृपया ध्यान दें कि काली शक्ति का आवरण निकालने हेतु नीचे बताई गई किसी भी अन्य पद्धति के साथ ईश्वर का नामजप करना चाहिए ।

७.२ पद्धति २ : अपने हाथों से आवरण निकलना

अपने चारों ओर आए काली शक्ति का आवरण हटाने का एक तरीका है अपने हाथों से आवरण निकलना । इस पद्धति का लाभ यह है कि इसे किसी भी समय किया जा सकता है ।

स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

हाथों की सामान्य क्रिया : उपरोक्त चित्रों का संदर्भ लें । हाथों से काली शक्ति का आवरण हटाने के लिए, ठीक उसी प्रकार हाथों को सामान्य रूप से हिलाएं जैसे कि आप अपने चारों ओर व्याप्त कष्टदायक शक्ति को हाथों से पकडकर उसे दूर फेंक रहे हैं । अन्य पद्धति ऐसी है कि आप अपनी हथेलियों और उंगलियों का प्रयोग इस प्रकार कर सकते हैं जैसे कि आप अपने शरीर से कष्टदायक शक्ति का आवरण झाड रहे हों अथवा दूर धकेल रहे हों । हमारी उंगलियों एवं हथेलियों से निरंतर प्राणशक्ति प्रक्षेपित होती रहती है, जो हमें हमारे हाथों की गति द्वारा काली शक्ति का आवरण दूर करने में सहायता करती है ।

कहां से आरंभ करें : यदि आप काली शक्ति का आवरण (जिससे भारीपन अथवा कष्ट निर्माण हो रहा है) शरीर के किसी विशिष्ट भाग में अनुभव कर रहे हैं, तो उसी भाग से आरंभ करें । उदाहरण के लिए, यदि आपको मस्तक के चारों ओर भारीपन अनुभव हो रहा है, तो वहीं से आरंभ करें ।

यदि काली शक्ति का आवरण शरीर के केवल एक भाग पर ही आया हो, जैसे केवल छाती पर, तब हम उपरोक्त बताए अनुसार उसे हटा सकते है । किंतु, यदि आवरण शरीर के बडे भाग पर छाया हो जैसे सिर से छाती तक, तब हमें इसे चरण प्रति चरण (चरण दर चरण) नीचे से ऊपर तक हटाना चाहिए । उदाहरण के लिए, २-३ मिनट के लिए छाती से आवरण निकालें और उपरांत सिर की ओर जाएं ।

अनिष्ट शक्तियां आपके लिए समस्याएं निर्माण करने के लिए किस चक्र को प्रभावित कर सकती हैं, इसकी जानकारी हेतु खंड ५ में ऊपर दी गई सारणी का संदर्भ लें । ऊपर बताए अनुसार उस चक्र के आस पास काली शक्ति का आवरण हटाने का प्रयास करें ।

७.३ पद्दति ३ : उपचार करने में समर्थ ऐसे साहित्यों का प्रयोग करना

विशिष्ट आध्यात्मिक उपचार करनेवाले साहित्य जो सकारात्मकता उत्पन्न करते हैं और नकारात्मक स्पंदनों को नष्ट करते हैं, उनका उपयोग करके भी काली शक्ति का आवरण दूर किया जा सकता है ।

पद्धति ३ अ : बिना जली SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती का उपयोग करना

Removal of one’s black energy covering and spiritual healing with an unlit SSRF incense stick

हम बिना जली हुई SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती का उपयोग करके भी अपने चारों ओर आया काली शक्ति का आवरण ठीक उसी प्रकार दूर कर सकते हैं जैसे हाथों से किया जाता है । इसके लिए SSRF द्वारा निर्मित किसी भी सुगंध की अगरबत्ती का उपयोग किया जा सकता है; क्योंकि वे सभी विशेष रूप से आध्यात्मिक उपचार के उद्देश्य से बनाई गई हैं । यहां पर, काली शक्ति का आवरण निकालने हेतु, अगरबत्ती को शरीर पर ऊपर से नीचे (और पीछे) फिराया जा सकता है । जैसे ही अगरबत्ती को शरीर के चारों ओर फिराया जाता है, तब काली  शक्ति के आवरण का विघटन होने लगता है ।

यह उत्तम होगा कि एक ही अगरबत्ती का बहुत अधिक बार उपयोग न किया जाए; क्योंकि निरंतर उपयोग से उस पर भी काली शक्ति का आवरण निर्माण हो सकता है । अगरबत्ती को बहते जल में अनुष्ठानिक रूप से प्रवाहित करने अथवा उसे अनुष्ठानिक रूप से रखने से पूर्व निम्नलिखित उपयोग का सुझाव दिया जाता है ।

१. यदि आप इसका उपयोग दिन में एक बार करते हैं, तब आप SSRF द्वारा निर्मित उसी बिना जली हुई अगरबत्ती का उपयोग ३० दिनों तक अपने ऊपर आए काली  शक्ति का आवरण हटाने हेतु कर सकते हैं ।

२. यदि आप दिन में ५ से ७ बार उसका उपयोग करते हैं, तब आप अधिकतम १० दिनों तक उसका उपयोग कर सकते हैं ।

३. यदि आपको लगता है कि अगरबत्ती कार्य नहीं कर रही, तब आप नई अगरबत्ती का उपयोग करें ।

कृपया ध्यान दें कि इस उपचार पद्धति हेतु, हमारा परामर्श है कि केवल SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती का उपयोग करें, क्योंकि उन्हें विशेष रूप से अधिकतम आध्यात्मिक उपचार करने के लिए ही बनाया गया है । प्रभामंडल एवं ऊर्जा स्कैनरों से किए गए परीक्षण, SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्तियों की इन आध्यात्मिक उपचारक विशेषताओं की पुष्टि करते हैं । हम किसी अन्य अगरबत्तियों के बारे में नहीं बता सकते; क्योंकि हमने उन पर आध्यत्मिक शोध नहीं किया है । हमने देखा है कि बाजार में उपलब्ध कुछ अगरबत्तियों से नकारात्मक स्पंदन भी प्रक्षेपित हो सकते हैं, इसलिए उनसे आध्यात्मिक उपचार में कोई लाभ नहीं होता ।

पद्धति ३ आ : गोमूत्र का उपयोग करना स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

जब बात निर्जीव वस्तुओं से आध्यात्मिक उपचार करने की आती हो, तब गोमूत्र को सबसे शक्तिशाली आध्यात्मिक उपचार के साधनों में से एक माना जाता है । क्योंकि इसमें चैतन्य आकर्षित करने की क्षमता होती है, जो इसे आध्यात्मिक उपचार करने की क्षमता प्रदान करती है । स्नान के जल में गोमूत्र की कुछ बूंदें डालने से हमारे चारों ओर आए काली शक्ति का आवरण दूर होती है । कृपया गोमूत्र पर लेख देखें ।

पद्धति ३ इ : रिक्त बक्सों के उपचार करना

 रिक्त बक्से के उपचार पर हमारे लेख में, हमने बताया है कि कैसे साधारण रिक्त बक्सों से भी आध्यात्मिक उपचार किया जा सकता है।

स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

आध्यात्मिक शोध से हमें ज्ञात हुआ है कि चारों ओर रिक्त बक्से रखकर बैठना और साथ में ईश्वर का नामजप करना स्वयं के चारों ओर निर्मित काली शक्ति के आवरण को दूर करने का एक उपयोगी तरीका है । यह आध्यात्मिक उपचार सबसे शक्तिशाली ब्रह्मांडीय तत्त्व अर्थात आकाशतत्त्व के माध्यम से होता है, जो कि बक्से की रिक्ति में व्याप्त होता है । इस आध्यात्मिक उपचार को ईश्वर से यह प्रार्थना करके प्रारंभ करें कि हमारे चारों ओर आया काला आवरण बक्से की रिक्ति में खींचकर नष्ट हो जाए ।

इस आध्यात्मिक उपचार में उपयोग किए गए रिक्त बक्सों को धूप में रखकर अथवा बक्से के खुले भाग में एवं उसके आस पास ५-७ बार SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती फिराकर भारित करना चाहिए।

पद्धति ३ ई : नमक मिश्रित जल (नमक – पानी) द्वारा उपचार

नमक मिश्रित जल का उपचार १५ मिनट का एक साधारण किंतु शक्तिशाली उपचार है, जो शरीर से अनिष्ट शक्ति को दूर करने में सहायता करता है ।

नमक मिश्रित जल (नमक-पानी) द्वारा उपचार पर सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

पद्धति ३ उ : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित धार्मिक ग्रंथ का उपयोग करना

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के द्वारा संकलित धार्मिक ग्रंथों में ज्ञान शक्ति से संबंधित सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति अत्यधिक मात्रा में है । हमने इन धार्मिक ग्रंथों पर प्रभामंडल एवं ऊर्जा स्कैनरों की सहायता से अनेक प्रयोग किए । प्राप्त निष्कर्ष दर्शाते हैं कि ये धार्मिक ग्रंथ सकारात्मक शक्ति का भण्डार हैं ।

इसी कारण, हम अपने चारों ओर आए अनिष्ट शक्ति के आवरण को इन धार्मिक ग्रंथों के उपयोग से भी दूर कर सकते हैं । आप यह उपचार पद्धति ३ अ जिसमें एसएसआरएफ द्वारा निर्मित अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है, उसी पद्धति समान आप इन धार्मिक ग्रंथों का उपयोग कर सकते हैं ।

कभी कभी, अनिष्ट शक्तियां उच्च स्तरीय संत द्वारा रचित धार्मिक ग्रंथों के चारों ओर भी काली शक्ति का आवरण निर्मित कर सकती है । इसलिए धर्मिक ग्रंथों के उपयोग के पश्चात इनकी आध्यात्मिक शुद्धि करना चाहिए । यह शुद्धि निम्नलिखित विधियों द्वारा की जा सकती है :

१. SSRF द्वारा निर्मित एक प्रज्वलित अगरबती को उसके चारों ओर फिराना और ग्रंथ को अगरबत्ती के धुआं दिखाना ।

२. यदि SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती उपलब्ध नहीं है, तब आप इसे ३० मिनट धूप में रखकर भारित कर सकते हैं तथा ईश्वर से  प्रार्थना करें कि यदि उस धार्मिक ग्रंथ के चारों ओर कोई नकारात्मकता संचित हुई हो, तो उसे दूर करें ।

३. ३० दिनों के उपयोग के पश्चात, आप उस धार्मिक ग्रंथ को दूसरे धार्मिक ग्रंथों के साथ रख सकते हैं। अगले ३० दिनों के लिए, आप आध्यात्मिक उपचार के लिए दूसरा धार्मिक ग्रंथ का उपयोग कर सकते हैं । इस प्रकार आगे बदलते रहें ।

अध्यात्मविषयक ग्रंथ पर लेखक का प्रभाव कैसे पडता है , इस पर किया गया परीक्षण देखें ।

.४ पद्धति ४ : सूर्य चिकित्सा

 

स्वयं के चारों ओर आए अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काले आवरण की आध्यात्मिक शुद्धि करना

 

सूर्य से तेज तत्त्व प्रक्षेपित होता है, जिससे आध्यात्मिक स्तर पर शुद्धि होती है । जब हम धूप में बैठते हैं, हमें स्वतः ही तेजतत्त्व का लाभ प्राप्त होता है । धूप में बैठकर आध्यात्मिक उपचार होने के लिए, खंड ७.१ में बताए अनुसार ईश्वर का नामजप करना चाहिए । इसे करने का सबसे उत्तम समय है प्रातः १० बजे से पूर्व लगभग १५ से २० मिनट के लिए करना । हम पर सूर्य की किरणें आगे तथा पीछे दोनों तरफ पडनी चाहिए (इसके लिए हम समय विभाजित कर सकते हैं – सामने के भाग के लिए १० मिनट और पीठ करके १० मिनट, ऐसे बैठ सकते हैं ) ।

ऐसा इसलिए क्योंकि प्रातःकाल के समय, वातावरण अधिक सत्त्व प्रधान होता है और उसके उपरांत दोपहर में, वातावरण अधिक रज-सत्त्व प्रधान हो जाता है ।

८. काली शक्ति को दूर करने के लिए व्यावहारिक सुझाव

  • ऊपर बताए पद्धतियों से होने वाला आध्यात्मिक उपचार विविध ब्रह्मांडीय तत्त्वों के माध्यम से होता है । इसलिए, स्वयं के चारों ओर आया काला आवरण दूर करने के लिए इन पद्धतियों को मिलाकर उपयोग करना उत्तम होगा । जिस प्रकार एक चिकित्सक कभी-कभी लक्षणों के अनुसार औषधि बदल देता है, ठीक उसी प्रकार आध्यात्मिक उपचार के दृष्टिकोण से भी, हमें सतर्क रहना चाहिए कि हमें क्या अनुभव हो रहा है तथा कौनसी आध्यात्मिक उपचार पद्धति सबसे अधिक प्रभावी है ।
  • कभी-कभी हमारे चारों ओर काली शक्ति का आवरण एक हाथ की लम्बाई से भी अधिक होता है, तब केवल हाथों से इसे दूर करना कठिन हो सकता है । यदि आपके साथ ऐसा हो, तो न्यूनतम ५ दिनों के लिए प्रतिदिन कम से कम ३ घंटे भाव से ईश्वर का नामजप करें ।
  • आदर्श रूप से, काली शक्ति का आवरण हटाते समय अलग कक्ष में करना उत्तम होगा । जिससे अन्य लोग प्रभावित न हो । किंतु यदि ऐसे संभव न हो, तब काली शक्ति का आवरण हटाते समय अपने आस पास के लोगों से लगभग २ मीटर की सुरक्षित दूरी बनाने का प्रयास करें । स्वयं की एवं दूसरों की रक्षा के लिए निरंतर नामजप एवं प्रार्थना करने से जो काली शक्ति का आवरण दूर किया जा रहा है, उससे अन्यों के प्रभावित होने की संभावना न्यून हो जाती है ।

९. काली शक्ति का आवरण दूर करने के उपरांत आस पास के स्थान की शुद्धि कैसे करें ?

काली शक्ति का आवरण दूर करने के उपरांत, परिसर की आध्यात्मिक रूप से शुद्धि करनी चाहिए । इसकी निम्नलिखित पद्धतियां हैं।

१. घर में चारों ओर घडी की विपरीत दिशा में SSRF की एक प्रज्वलित अगरबत्ती फिरा सकते हैं । इस दिशा में अगरबत्ती फिराने से ईश्वर का मारक तत्त्व कार्यरत होता है जो अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करता है तथा उनके द्वारा किए गए आक्रमणों को निष्प्रभ करता है ।

२. परिसर में धीमे स्वर में नामजप (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) लगा सकते हैं (इतने धीमे स्वर में जिससे अन्यों कोई कष्ट न हो) । नामजप डाउनलोड करने हेतु यहां क्लिक करें

३. परम पूज्य भक्तराज महाराज द्वारा रचित एवं उनके द्वारा गाए भजनों को लगा सकते हैं ।

१०. स्मरण रखने हेतु प्रमुख बिंदु

१. अपने चारों ओर आए काली शक्ति के आवरण को प्रतिदिन हटाना चाहिए ।

२. ऐसा न करने से हम साधना के जो भी प्रयास करते हों, उसकी प्रभावशीलता बाधित होगी ।

३. ऊपर बताई गई आध्यात्मिक उपचार पद्धतियों को नियमित करने से हल्कापन लगना, स्पष्टता, उत्साह में वृद्धि होती है तथा साधना के प्रयास करने में सहायता प्रदान करती है ।

हम ईश्वर के चरणों में प्रार्थना करते हैं कि हमारे पाठक इन आध्यात्मिक उपचार पद्धतियों को अपनाकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में सक्षम बने ।