विषय सूची
१. आध्यात्मिक उपचारों के प्रकार अथवा पद्धतियां
उपचार के दो प्रकार अथवा पद्धतियां हैं, जिनमें शक्ति का कार्यान्वयन भिन्न प्रकार से होता है । उपचार निम्न प्रकार से किए जाते है :
१. पवित्र जल (तीर्थ) अथवा पवित्र रक्षा (विभूति) जैसी निर्जीव वस्तुओं का उपयोग
२. व्यक्ति के माध्यम से
- व्यक्ति के माध्यम से (व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर ५०% से अधिक होना तथा स्वयं उसे आध्यात्मिक कष्ट न होना आवश्यक)
- संत के माध्यम से, संत अर्थात ७०% से अधिक आध्यात्मिक स्तर का व्यक्ति
उपयोग की जानेवाली पद्धति पर, उपचार की प्रक्रिया, अर्थात शक्ति का कार्यान्वयन निर्भर होता है । इस लेख में हम आध्यात्मिक रूप से पूरित वस्तु अथवा साधन के माध्यम से की जानेवाली उपचार की पद्धति पर ध्यान देंगें ।
२. उपचार-पद्धति और तदनुसार उसकी कार्यपद्धति
यह सूत्र हम बल्ब प्रकाशित करने के एक सरल उदाहरण द्वारा स्पष्ट करेंगे ।
१. बटन – बल्ब प्रकाशित करने का पहला चरण होता है, उचित बटन दबाना । इसका अर्थ है आध्यात्मिक उपचार हेतु हम किस साधन अथवा वस्तु का चुनाव करते हैं ।
२. तार – तदुपरांत बिजली का प्रवाह तार से संक्रमित होता है और अंतिम परिणाम के रूप में दीपक प्रकाशित होता है । कौनसा दीपक प्रकाशित करना है, इस पर कौनसा बटन दबाना है, यह निर्भर होता है । इसी प्रकार आध्यात्मिक उपचारों में विविध उपचार-पद्धतियां विविध प्रकार के परिणाम विभिन्न स्तर की सकारात्मक शक्ति के माध्यम से दर्शाती हैं ।
३. बल्ब – सभी पद्धतियों में उपचारों के अंतिम परिणाम (अर्थात दीपक का प्रकाशित होना) ब्रह्मांड के ५ मूलभूत तत्त्वों (पंचतत्त्व) के माध्यम से ही दिखाई देते हैं ।
२.१ उपचार की पहली पद्धति की प्रक्रिया : निर्जीव वस्तुएं
ब्रह्मांड के जिस मूलभूत तत्त्व के माध्यम से निर्जीव वस्तुओं से परिणाम मिलते हैं, उसके अनुसार वस्तुओं के निम्न कुछ प्रकार हैं ।
उपचार के लिए प्रयुक्त वस्तु | औसत सकारात्मक शक्ति की प्रतिशत मात्रा१ | ब्रह्मांड का मूलभूत तत्त्व, जिसके माध्यम से यह कार्य होता है |
---|---|---|
प्राणिक हीलिंग में प्रयुक्त स्फटिक | ०.२५% | अग्नि |
ताबीज | २% | अग्नि |
पत्थर | २% | पृथ्वी |
स्फटिक | २% | अग्नि |
धार्मिक प्रतीक | २% | पृथ्वी |
विभूति | २% | अग्नि |
चमेली की लकडी | २% | वायु |
पवित्र जल (तीर्थ) (जल +विभूति) | २% | आप + अग्नि |
अगरबत्ती अथवा इत्र | २% | पृथ्वी |
रंग | २% | रंग के अनुसार परिवर्तित होता है |
यंत्र (विशिष्ट चित्र२ ) | ३% | अग्नि |
गाेमूत्र३ | ३% | आप |
संतों द्वारा दिया पवित्र प्रसाद३ | ४% | आप |
९०% स्तर के आगे के संतों के हस्तलिखित३ | ५% | अग्नि |
टिप्पणी :
१. सकारात्मक आध्यात्मिक शक्तियों के विविध स्तर हैं ।
२. आध्यात्मिक उपचारों से संबंधित ‘यंत्र’ एक चित्र होता है जिसका उद्देश्य सकारात्मक शक्तियों को संचारित करना है ।
३. ये तीन वस्तुएं जीवित प्राणियों से संबंधित हैं, जिससे वे चैतन्य को आकर्षित तथा प्रक्षेपित कर सकते हैं । चैतन्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है, ईश्वरीय चेतना । यह ईश्वरीय तत्त्व की सर्वशक्तिमानता और सर्वज्ञता है । ईश्वरीय चेतना, मूल सूक्ष्म सत्त्वगुण से अधिक सूक्ष्म और शक्तिमान होती है । इसलिए जब ईश्वरीय चेतना संक्रमित की जाती है, तब सात्त्विकता में वृद्धि होती है । टिपण्णी : १ से १०० तक के पैमाने पर (Scale) देखा जाए, तो सामान्यतया किसी भी निर्जीव वस्तु में ईश्वरीय चेतना ० (शून्य) होती है और निर्जीव वस्तु में अधिकतम ईश्वरीय चेतना ६ होती है, जो कि संतों की समाधि में हाेती है । देखें लेख : संत किन्हें समझा जाए ।
यहां भी हम आध्यात्मिक उपचारों के मूलभूत सिद्धांत के अनुसार, प्रभावित भाग की सात्त्विकता बढाकर अनिष्ट शक्ति की व्यक्ति को प्रभावित करने की क्षमता न्यून करते हैं । यह बढी हुर्इ सात्त्विकता ब्रह्मांड के किसी भी एक मूल तत्त्व की अथवा अनेक तत्त्वों से मिलकर उपचार की प्रक्रिया पूर्ण करती है ।
उपरोक्त सारणी पढने की पद्धति
पवित्र जल का उदाहरण देखते हैं । यदि अनिष्ट शक्तियों द्वारा हाथ पर हुए एक्जिमा के लिए कोई पवित्र जल (तीर्थ) का प्रयोग करता है, तब उस भाग की ईश्वरीय चेतना में २% वृद्धि के कारण उपचार होते हैं । उपचार ब्रह्मांड के मूल आप और तेजतत्त्व के माध्यम से ही होते हैं ।
स्पिरिच्युल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन (SSRF) आध्यात्मिक उपचार हेतु नमक-मिश्रित जल (नमक-पानी)द्वारा आध्यात्मिक उपाय करने का सुझाव देता है । यद्यपि उपरोक्त सारणी में हमने इसे सम्मिलित नहीं किया है चूंकि यह आध्यात्मिक उपाय ऊपर दिए गए उपायों से भिन्न है । विशेषतः उपरोक्त सारणी में सम्मिलित वस्तुएं सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति बढाने की क्षमता रखती हैं । जबकि नमक-मिश्रित जल (नमक-पानी) द्वारा किया जानेवाला आध्यात्मिक उपाय मात्र अनिष्ट शक्तियों को हटाने के लिए प्रयुक्त होता है । यह 70 प्रतिशत आपतत्व तथा 30 प्रतिशत पृथ्वीतत्व के स्तर पर कार्य करता है ।
३. सारांश
- आध्यात्मिक उपचारों के प्रत्येक साधन का उपयोग कैसे और कब करें, इसके संबंध में विस्तृत विवरण हमारे वस्तुओं के माध्यम से आध्यात्मिक उपचार अनुभाग में स्पष्टरूप से दिया है । कृपया संदर्भ हेतु ‘‘व्यक्ति के माध्यम से किए जानेवाले आध्यात्मिक उपचार पद्धति की प्रक्रिया’’ लेख भी पढें ।
- आध्यात्मिक उपचार हेतु ऊपर दी गर्इ सारणी में वस्तुओं के उपयोग से पहले, उपयोग के समय तथा उपयोग के उपरांत आर्त्तता से प्रार्थना तथा भाव वृद्धि के लिए प्रयास इन उपचारों की क्षमता को बढाती है ।
- नियमित साधना के साथ अपने कृत्य, विचार तथा वातावरण को सात्त्विक रखने से आध्यात्मिक उपचारों की क्षमता बढती है ।