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. नमक-मिश्रित जल का आध्यात्मिक उपचार क्या है ?

अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इत्यादि) अपनी सूक्ष्म काली शक्ति से लोगों को प्रभावित कर उन्हें कष्ट पहुंचाती हैं । काली शक्ति से विविध प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे – निराशा, विचारों में अस्पष्टता, शरीर के किसी अवयव के विकार । इससे आगे चलकर क्रमशः व्यसनाधीनता, आर्थिक समस्याएं अथवा छाती में वेदना होती है ।

काली शक्ति : अनिष्ट शक्तियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला प्राथमिक अस्त्र है काली शक्ति । काली शक्ति, एक आध्यात्मिक शक्ति है, जिसमें पृथ्वी पर होनेवाली किसी भी घटना में हेर-फेर करने की क्षमता होती है । आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति कितनी बलिष्ट है, इस पर उसके दुष्प्रभाव का विस्तार निर्भर करता है ।

अनिष्ट शक्तियां जिन लोगों को अपना लक्ष्य बनाती हैं, उनके शरीर में अपनी काली शक्ति संचारित कर भारी मात्रा में उसका संग्रह करती हैं । इस काली शक्ति का निराकरण करना बहुत कठिन है । केवल सामान्य आध्यात्मिक उपाय जैसे साधना से अथवा विशिष्ट उपाय जैसे नमक-पानी के उपचार से ही इसका निराकरण संभव है ।

नमक-पानी का उपचार एक सरल; अपितु प्रभावशाली आध्यात्मिक उपाय है, जिससे हम घातक अदृश्य काली शक्ति का विरोध कर उसे अपने शरीर, मन एवं बुद्धि से निकाल सकते हैं । इससे काली शक्ति का विरोध करने में हमारी साधना खर्च नहीं होती । अपितु उसका उपयोग हमारी आध्यात्मिक उन्नति के लिए होता है ।

२. नमक-मिश्रित जल का उपचार कब करना चाहिए ?

प्रत्येक व्यक्ति कम अधिक मात्रा में अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित होता है । परिणामस्वरूप हम सभी के शरीर में कुछ मात्रा में यह काली शक्ति रहती ही है । प्रतिदिन नमक-पानी का उपचार करना, काली शक्ति निकालने में सहायक है ।

निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने पर विशेष रूप से नमक-पानी का उपचार करें :-

  • उदासीनता
  • तत्परता का अभाव
  • सोचने की असमर्थता
  • अत्यधिक विचार, विशेषतः नकारात्मक विचार
  • क्रोध अथवा अन्य तीव्र भावना
  • तनाव
  • किसी भी प्रकार का शारीरिक रोग

जब हम उपर्युक्त लक्षणों को अनुभव करते हैं, उस समय हम शारीरिक, मानसिक अथवा आध्यात्मिक रूप से दुर्बल होते हैं । इसी दुर्बल अवस्था में अनिष्ट शक्तियां हमपर आक्रमण करती हैं तथा अधिक मात्रा में काली शक्ति का संचार कर इन लक्षणों को बढा देती हैं ।

नीचे दिया गया चित्र सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित है । इसमें एक व्यक्ति में निराशा उत्पन्न करने वाली एक प्रकार की अनिष्ट शक्ति दर्शाई गई है ।

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पूरा प्रकरण पढने हेतु यहां क्लिक करें ।

अवश्य देखें – अनिष्ट शक्ति सम्बन्धी सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र के चारों ओर सुरक्षात्मक चौखट क्यों है ?

टिप्पणी : जब भी हम दुर्बल होते हैं (विशेषकर आध्यात्मिक दृष्टि से), तब अनिष्ट शक्तियां हमें सरलता से अपना लक्ष्य बना सकती हैं । इसी अवस्था में हम पर आक्रमण करने हेतु उनकी कम शक्ति खर्च होती है ।

तीव्र कष्ट के समय, उत्तम परिणामों के लिए नमक-पानी का उपचार दिन में २-३ बार, हर २-३ घण्टे के अन्तराल में करें ।

३. नमक-मिश्रित जल के उपचार के लिए आवश्यक वस्तुएं

  • एक बडी बालटी
  • उसी बालटी को आधा जल से भर दें, जिससे पैर डुबोने पर जल का स्तर टखनों के ऊपर हो ।
  • खडा नमक (rock salt)
    • खडा नमक (यदि खडा नमक उपलब्ध न हो, तो हम समुद्री नमक (salt crystals / table salt) का उपयोग कर सकते हैं; किन्तु ध्यान रहे कि इसकी प्रभावकारिता मात्र ३०% तक ही रह जाएगी ।
  • एक अंगोछा
  • पायदान

४. नमक-मिश्रित जल का उपचार कैसे किया जाता है ?

४.१ चरण-प्रति-चरण सूचनाएं

पूर्व-तैयारी :

  • उसी बालटी को आधा जल से भर दें, जिससे उसमें पैर डुबोने पर जल का स्तर टखनों के ऊपर हो । इसमें २ बडे चम्मच खडा नमक डालें ।
  • ईश्‍वर के चरणों में निष्ठा और श्रद्धा से अपने भीतर की काली शक्ति को निकालने की प्रार्थना करें । साथ ही हमें कष्ट देने वाली अनिष्ट शक्तियों की (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) काली शक्ति नष्ट होने हेतु विशेष प्रार्थना करें । प्रार्थना इस विधिका एक बहुत महत्त्वपूर्ण घटक है, जिससे इस उपचार की प्रभावकारिता बढ जाती है ।

उपचार :

  • अपने पैरों को नमक-पानी में डुबोकर सीधे बैठें । दोनों पैरों में २-३ से.मी. का अंतर रखें । इससे अधिकतम काली शक्ति निकल जाती है । पैर सटाने से काली शक्ति के निवारण में बाधा उत्पन्न होती है ।
  • पैरों को नमक-पानी में १०-१५ मिनट तक डुबोए रखें ।
  • जब तक पैर नमक-पानी में डुबोए हुए हैं, अपने पन्थ के अनुसार (देवता का) नामजप करें ।

पूर्ण होनेपर :

  • उपचार पूर्ण होने पर ईश्‍वर के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करें तथा अपने चारों ओर सुरक्षा-कवच निर्माण होने के लिए प्रार्थना करें ।
  • बालटी में बचे नमक-पानी को शौचालय में फेंक दें तथा बालटी को स्वच्छ जल से धो लें ।
  • अपने पन्थानुसार देवता का नामजप २-३ मिनट करें ।

४.२ नमक-मिश्रित जल के उपचार की विधि-सम्बन्धी वीडियो

वीडियो बनाते समय हुईं नकारात्मक (अनिष्ट शक्तियों के अस्तित्त्व से सम्बन्धित) अनुभूतियां

५. नमक-मिश्रित जल के उपचार की कार्यविधि क्या है ?

  1. हमारे विभिन्न अंगों में अनिष्ट शक्ति द्वारा उत्पन्न काली शक्ति के कण नामजप एवं प्रार्थना से विस्थापित एवं विघटित हो जाते हैं ।

  2. नमक-पानी में काली शक्ति को खींच निकालने की विशेषता है ।

  3. काली शक्ति के बाहर निकलने के कुछ लक्षण हैं, जैसे – उबासी, डकार, पैरों का सुन्न पड जाना, आंखों एवं कानों में उष्णता आदि । कभी-कभी नमक-पानी में डुबोए पैरों में चिपचिपाहट भी लग सकती है । यह काली शक्ति निकलने का लक्षण है । कभी-कभी ऐसा भी पाया गया है कि नमक-पानी के उपाय के उपरान्त, जल कुछ काला-सा हो जाता है, अथवा उसमें से दुर्गंध आने लगती है अथवा कभी कभी वह उष्ण हो जाता है । यह शरीर से निकलती काली तरंगों के सम्पर्क में आने के कारण होता है ।

  4. यह 70 प्रतिशत आपतत्व तथा 3प्रतिशत पृथ्वीतत्व के स्तर पर कार्य करता है ।

. उपचार से हुए लाभों के कुछ उदाहरण

६.१ नमक-मिश्रित जल के उपचार के समय सूक्ष्म स्तर पर वास्तव में क्या होता है ?

जब अनिष्ट शक्तियों से (भूत, प्रेत, पिशाच इत्यादि से) पीडित कोई व्यक्ति यह उपाय करता है, तब अनिष्ट शक्ति एवं उसकी काली शक्ति पर होने वाले प्रभाव को प्रगत छठवीं इंद्रिय से (अतिरिक्त संवेदी बोध क्षमता से, ई.एस.पी. से) सम्पन्न कु. मधुरा भोसले ने अनुभव किया ।

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.२ काली शक्ति निकलने के सन्दर्भ में सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र

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ऊपर दिए गए सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र में नमक-मिश्रित जल के उपचार का चुडैल की काली शक्ति पर हुआ प्रभाव दर्शाया गया है । यह चुडैल एक व्यक्ति के मन में अत्यधिक कामुक विचार उत्पन्न कर रही थी ।

पढें अत्यधिक कामुक विचारों के प्रकरण का अध्ययन

साथ ही पढें हम सुरक्षा-चौखटे का उपयोग क्यों करते हैं?