परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी - स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया के जनक

१. यह कैसे प्रारंभ हुआ ?

यह अनूठी प्रक्रिया SSRF प्रेरणास्रोत तथा अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ.आठवलेजी द्वारा विकसित की गई है । अपने पहले के व्यवसायिक जीवन में, परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी एक सम्मोहन विशेषज्ञ (हिप्नोथेरेपिस्ट) थे तथा इस क्षेत्र में सुदृढ शोध की पृष्ठभूमि से थे । इंग्लैंड में नैदानिक सम्मोहनशास्त्र के अभ्यास के साथ वे ७ वर्ष तक यह शोध करते रहे और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की । व्यक्तित्व विकास तथा नैदानिक सम्मोहन (Clinical Hypnotherapy) विषय पर उन्होंने अनेक शोधपत्र (जर्नल) लिखे तथा अनेक लेखों की समीक्षा में सहभागी हुए ।

कालांतर में जब वे अध्यात्म में आए तो अपने गुरु परम पूजनीय भक्तराज महाराज जी के मार्गदर्शन तथा आशीर्वाद से, उन्हें ज्ञात हुआ कि अध्यात्म एक गहन विज्ञान है तथा अपने नियमों तथा सिद्धातों के साथ ये किसी भी आधुनिक विज्ञान के समान तार्किक भी है । हमारे जीवन का आध्यात्मिक आयाम कैसे हमारे व्यक्तित्व को अत्यधिक प्रभावित करता है तथा हम परिस्थितियों को कैसी प्रतिक्रिया देते हैं, उन्होंने इस बात की खोज की । अगले ३० वर्षों में अनेक साधक उनसे जुडे । परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी ने आध्यात्मिक आयाम के संदर्भ में अद्भुत शोध कार्य किए तथा यह हमारी जीवन प्रणाली तथा मानव इतिहास को कैसे प्रभावित करता है इसके लिखित प्रमाण दिए ।

२. स्वभाव दोषों का व्यक्ति पर प्रभाव

आजकल स्त्रियों एवं पुरुषों के स्वभावदोषों तथा तीव्र अहं के कारण आध्यात्मिक आयाम की अनिष्ट शक्तियां, लोगों को अनेक भयानक कर्म करने के लिए उकसाती हैं । परिणामस्वरूप, व्यक्ति प्रकृति के साथ तथा अन्यों के साथ अशांति से रहता है । इसके फलस्वरूप, प्राकृतिक आपदाएं, दंगे, विद्रोह, युद्ध तथा जनसंहार जैसे कृत्य विश्वभर में तीव्रता के साथ हो रहे हैं । इन्हीं स्वभावदोषों के कारण वर्ष २०१६ में मानवता संकट में है तथा हम आनेवाले तृतीय विश्वयुद्ध के अधर में फंसे हुए हैं । जब तृतीय विश्वयुद्ध तथा उच्च स्तरीय प्राकृतिक आपदाओं से विश्व का विध्वंस हो जाएगा, तब विश्व के लोगों को भान होगा कि स्वभावदोषों के भयंकर परिणाम होते हैं, विशेष रूप से तब जब सांस्कृतिक एवं धार्मिक मापदंडों की आड ली जाए ।

ऐसी आपदाओं के सम्मुख मानवता स्वयं में अच्छे परिवर्तन लाना चाहेगी और इसलिए आध्यात्मिक रूप से उन्नत व्यक्तियों का मार्गदर्शन लेगी । परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी द्वारा रचित स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया समाज के रूपांतरण हेतु मार्ग प्रशस्त करने में सहायता करेगी । इतिहास इस बात का साक्षि होगा कि सुदृढ शोध कार्य से मानव मन तथा अध्यात्म को समझकर परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी ने व्यक्तिगत विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति हेतु मानवजाति का मार्गदर्शन कर एक नए युग का सूत्रपात करने में अद्वितीय येगदान किया ।

३. स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया का आध्यात्मिक विकास में प्रेरणादायक प्रभाव

१७ सितंबर २०१५ तक उनके मार्गदर्शन में ७४६ साधकों ने ६० प्रतिशत से उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया तथा ५८ साधक संतपद पर आसीन हुए । संसार के आध्यात्मिक इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ । साथ ही सहस्रों साधक इस तथ्य के साक्षी बने कि स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया तथा अहं निर्मूलन प्रक्रिया (उनकी साधना के रूप में)आमूलाग्र परिवर्तन ला सकती है । इन दोनों प्रक्रियाओं ने उन्हें दुर्बल करनेवाले स्वभावदोष जैसे भय, क्रोध तथा असुरक्षा की भावना पर विजय प्राप्त करने हेतु तीव्र गति से उनकी सहायता कर उनके स्वभाव में हुए अच्छे रूपांतरण को अनुभव करने का अवसर दिया ।

हम सभी को एक आनंददायी जीवन जीने तथा समाज को सकारात्मकता से प्रभावित करने के लिए इन ट्यूटोरियल (अनुवर्ग) को देखने हेतु आमंत्रित करते हैं ।