आध्यात्मिक उपचार से हाथ का पामा (एक्जीमा) ठीक होना

SSRF द्वारा प्रकाशित प्रकरण अध्ययनों का मूल उद्देश्य है, उन शारीरिक अथवा मानसिक समस्याओं के विषय में पाठकों का दिशादर्शन करना, जिनका मूल कारण आध्यात्मिक हो सकता है । यदि समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक हो, तो यह ध्यानमें आया है कि सामान्यतः आध्यात्मिक उपचारों का समावेश करने से सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं । SSRF शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं के लिए इन आध्यात्मिक उपचारों के साथ ही अन्य परंपरागत उपचारों को चालू रखने का परामर्श देता है । पाठकों के लिए सुझाव है कि वे स्वविवेक से किसी भी आध्यात्मिक उपचारी पद्धति का पालन करें ।

 सारांश

जॉन पिछले २३ वर्षों से पामा से ग्रसित था । भगवान दत्त का नाम जप करने से, पामा त्वरित ही कम होना आरंभ हो गया । ब्रह्मांड में भगवान दत्त के दायित्वों में से एक है पूर्वजों की सूक्ष्म देहों के कारण होनेवाले कष्टों को दूर करना । दो सप्ताह के भीतर ही हाथ पुनः स्वस्थ हो गया और उसमें पामा के कोई चिन्ह शेष नहीं थे ।

जॉन उसका वास्तविक नाम नहीं है तथा गोपनीयता के उद्देश्यों हेतु इसका प्रयोग किया गया है ।

१. जॉन के साथ साक्षात्कार

साक्षात्कारकर्ता : हमसे जुडने के लिए धन्यवाद जॉन । क्या आप अपने पामा का वृतांत संक्षेप में बता सकते हैं ?

जॉन : जब मैं १९ वर्ष का था तभी से मेरे हाथ में पामा हो गया I यह बिना किसी स्पष्ट के कारण के ही अकस्मात उत्पन्न हो गया । यह रोग बहुत हठी था तथा किसी भी प्रकार की औषधि का उस पर कोर्इ प्रभाव नहीं हो रहा था । ऑस्ट्रेलिया तथा विदेशों में मैं कम से कम ६ त्वचा रोग विशेषज्ञों से भेंट कर चुका था । कुछ समय के उपरांत, मैंने भी हार मान ली और इस समस्या के साथ जीवन जीना स्वीकार लिया । केवल कॉर्टिसोन मलहम का मैं समय-समय पर प्रयोग करता, जो कि बाह्य भाग पर लगाने के लिए थी । वह खुजली को दूर करने के लिए थी । पामा बाएं हाथ में अत्यधिक था, दाएं हाथ में थोडा तथा बाएं पैर में भी थोडा था ।

साक्षात्कारकर्ता : जॉन अभी आपकी आयु कितनी है ?
जॉन : ४२

साक्षात्कारकर्ता : अर्थात आपने इसके साथ २३ वर्षों तक संघर्ष किया ?
जॉन : जी हां ।

साक्षात्कारकर्ता : आप इसके संबंध में अंतिम बार त्वचा रोग विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक के पास कब गए ?

जॉन : तीन माह पूर्व क्योंकि वह बहुत बुरी अवस्था में था तथा मुझे निरंतर पीडा हो रही थी ।

साक्षात्कारकर्ता : त्वचा रोग विशेषज्ञ ने पामा के हठी होने के संदर्भ में क्या कहा ? उन्होंने इसके ठीक न होने का क्या कारण बताया ?

जॉन : इसमें सबके अलग-अलग विचार थे, किंतु किसी को भी इसका कारण ज्ञात नहीं था । । उनमें से कुछ ने कहा कि वह तनाव के कारण उत्पन्न हुआ तो कुछ ने इसे अनुवांशिक तथा मेरी जातीयता के कारण होना बताया । मैं मूलतः ग्रीस से हूं । उन्होंने मुझे बताया कि भूमध्यसागरीय देशों के लोगों में प्रायः यह समस्या होती है । उनके द्वारा मुझे दी गई सलाह उपचार की अपेक्षा त्वचा रोग के प्रबंधन के संदर्भ में अधिक थी । उन्होंने मुझे विभिन्न आहार संबंधी सुझाव दिए जो कि अधिकांशतः अव्यावहारिक थे ।

साक्षात्कारकर्त्ता : क्या आपको इन २३ वर्षों में कभी पामा से आराम मिला ?

जॉन : हां, एक बार जब मैं सन २००४ में ओलंपिक्स के लिए पुनः ग्रीस गया था । मेरे चाचाजी ने मेरे हाथ पर थोडा तीर्थ छिडका । तीर्थ से थोडा झाग आने लगा तथा लक्षणों से थोडा आराम मिला तथा त्वचा साफ होने लगी ।

साक्षात्कारकर्त्ता : मैं देख सकता हूं कि अब आपका हाथ बहुत ठीक हो चुका है । क्या आप हमें बता सकते हैं कि ये कैसे हुआ ?

जॉन : मेरे एक सहकर्मी शॉन जो कि ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में, आध्यात्मिक आयाम हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है के विषय में एक व्याख्यान दे रहे थे । मुझे इस विषय से बहुत कुतूहल उत्पन्न हुआ । उन्होंने बताया कि कई कारक ऐसे होते हैं जो जीवन में समस्याओं के लिए उत्तरदायी होते हैं । जब उन्होंने बताया कि जो समस्याएं दीर्घकालीन होती हैं तथा आधुनिक विज्ञान द्वारा दूर नहीं होती तो उनका कारण आध्यात्मिक आयाम में हो सकता है, उनका इस कथन से वास्तव में मुझमें रुचि उत्पन्न हुर्इ । व्याखान के त्वरित उपरांत मैंने शॉन से बात की तथा उन्हें अपने हाथ का पामा दिखाया ।

साक्षात्कारकर्त्ता : उन्होंने क्या सुझाव दिए ?

जॉन : उन्होंने मुझे मेरे जन्म के धर्म के अनुसार ईश्वर के नाम का जप करने की साधना आरंभ करने को कहा । चूंकि मैं र्इसार्इ हूं, मुझे भगवान जीसस का नामजप करने को बताया । इसके साथ ही मुझे प्रतिदिन डेढ घंटा “श्री गुरुदेव दत्त” का नाम जप करने के लिए कहा गया । उन्होंने बताया कि यह ईश्वर का एक रूप हैं जो पितृदोषों से हमारी रक्षा करता हैं । क्योंकि उसके (पामा के) आध्यात्मिक कारण होने की प्रबल संभावना थी, शॉन ने मुझसे मेरे उपचार आरंभ करने से पूर्व मेरे हाथ का छायाचित्र लेने का अनुरोध किया । यह ११ जुलाई २००६ को लिया गया हाथ का चित्र है । यह वास्तव में थोडी ठीक अवस्था में है क्योंकि मैंने स्टेरॉयड मलहम लगा रखी थी ।

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साक्षात्कारकर्त्ता : क्या आप आध्यत्मिक उपचार की अवधि बता सकते हैं ?

जॉन : छायाचित्र लेने के तुरंत उपरांत ही मैनें आध्यत्मिक उपचार करना आरंभ कर दिया । मैं दो काम करता; लगभग आधे घंटे के लिए भगवान दत्त का तथा आधे घंटे ईसा मसीह का नाम जप करता । शॉन द्वारा डेढ घंटे तक भगवन दत्त का नाम जप करना बताने पर भी मैं इससे अधिक नाम जप नहीं कर पाता । तब भी, मेरे हाथ में तुरंत परिवर्तन होने लगा तथा वह अगले ही दिन से ठीक होना आरंभ हो गया । खुजली तथा पीडा बंद हो गई । मैंने नाम जप आरंभ करने से पहले स्टेरॉयड क्रीम लगाना छोड दिया । मैंने ऐसा यह देखने के लिए किया कि क्या केवल नाम जप से ही इस समस्या पर प्रभाव पड जाएगा । प्रतिदिन उतना ही समय नाम जप करने के छः दिनों उपरांत के हाथ के छायाचित्र यहां दर्शाए गए हैं ।

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साक्षात्कारकर्ता : इसमें बहुत अधिक सुधार हुआ है । क्या कभी यह इतना अच्छा हुआ था ?

जॉन : नहीं, इसमें इतना सुधार कभी नहीं हुआ था ।

साक्षात्कारकर्ता : क्या कोई दुष्प्रभाव हुए ?

जॉन : नहीं, किंतु नाम जप करते समय मुझे बहुत थकान अनुभव होती तथा यह नाम जप करने के लिए युद्ध करने जैसा था ।

साक्षात्कारकर्ता : आप इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हैं कि नाम जप से रोग के लक्षणों में कमी हुई ?

जॉन : वास्तव में जैसे ही छायाचित्र लिया गया, मैंने सप्ताह भर के लिए नाम जप करना छोड दिया । लक्षण तुरंत उफन कर सामने आए । एक ईसाई होने के कारण यदा-कदा मुझे भगवान दत्त का नाम जप करना दोषपूर्ण लगता । शॉन द्वारा मुझे यह समझाने पर भी कि यह नाम जप विशेष रूप से पितृ दोषों पर विजय प्राप्त करने के लिए है तथा इसे भगवान ईसाह मसीह के नाम जप के साथ ही करना है, तब भी मुझे ऐसा लगता कि मैं अपने धर्म का द्रोही बन रहा हूं । कई बार जब भी मैं स्वयं को दोषी मानकर भगवन दत्त का नाम जप करना बंद करता तो लक्षण पुनः उत्पन्न हो जाते । और पुनः भगवान दत्त का नाम जप अर्थात ‘श्री गुरुदेव दत्त’ को आरंभ करने पर लक्षण तुरंत कम होने लगते । भगवान दत्त के नाम जप तथा लक्षणों के कम होने के बीच दृढ संबंध था I

साक्षात्कारकर्ता : क्या आपने कभी भगवान दत्त का नाम पहले सुना था ?

जॉन : नहीं ।

साक्षात्कारकर्ता : ऐसा प्रतीत होता है कि आपको उनमें थोडा भी विश्वास नहीं था, क्या यह सत्य है ?

जॉन : यह सत्य है । वास्तव में, मैं यह कहूंगा कि मुझे उनका नाम जप करना दोषपूर्ण लगता था क्योंकि मैं समझता था कि मैं अपने धर्म के साथ विश्वासघाती बन रहा हूं ।   

साक्षात्कारकर्ता : अपना समय देने के लिए धन्यवाद जॉन तथा आपकी साधना के लिए शुभकामनाएं ।

जॉन : धन्यवाद I

२. आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से सारस्वरूप टिप्पणियां

  • जॉन का प्रकरण एक अनोखी समस्या है जो मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों द्वारा उत्पन्न की जा सकती है । उनके द्वारा इसे उत्पन्न करने का कारण होता है, अपने वंशजों से अपने लिए सहायता मांगने के लिए संपर्क तथा प्रयास करना । दुर्भाग्य से हममें से अधिकतर के पास जागृत छठवीं इंद्रिय नहीं होती तथा जीवन में समस्याओं के आध्यात्मिक कारणों को हम अनदेखा कर देते हैं । परिणामस्वरूप, मृत्यु उपरांत जीवन में बाधाओं पर विजय प्राप्त करने में अपने पूर्वजों की सहायता करने हेतु उनके लिए कुछ धार्मिक कर्म कांड करने के लिए ‘हमारे पूर्वजों द्वारा सहायता के लिए पुकारे जाने’ के रूप में दी जा रही समस्या के मूल कारण को हम नहीं समझ पाते ।
  • कुछ लोग जिन्हें भगवान दत्त का नाम जप करने का परामर्श दिया जाता है वे इसे दोषपूर्ण अथवा अपने धर्म के साथ विश्वासघात करना समझते हैं । आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से इस धारणा का कारण पूर्णतया मानसिक तथा निराधार है । यह किसी रोग के उपचार हेतु किसी अन्य देश में निर्मित औषधि लेने के संदर्भ में स्वयं को दोषी समझने समान है ।
  • जॉन द्वारा थकान अनुभव करना सामान्य बात है । क्योंकि नाम जप से उत्पन्न सकारात्मक शक्ति आध्यात्मिक समस्या से युद्ध करती हैं । इसके कुछ अतिरिक्त प्रभाव पड सकते हैं, जैसे आलस्य, सिरदर्द अथवा थकान होना ।
  • आध्यात्मिक उपचार को कार्य करने के लिए श्रद्धा का होना आवश्यक आधार नहीं है । किंतु श्रद्धा उपचार होने की प्रक्रिया में गति अवश्य बढा देती है । आध्यात्मिक उपाय के कार्य करने की पद्धति ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार सिरदर्द से आराम पाने के लिए एस्पिरिन लेना । केवल अंतर इतना ही है कि आध्यात्मिक उपाय की स्थिति में उपचार की प्रक्रिया आध्यात्मिक स्तर पर होती है ।
  • पितृदोषों के कारण उत्पन्न होनेवाले त्वचा रोगों के प्रकरण में भगवान दत्त के नाम जप के साथ तीर्थ छिडकना, विभूति लगाना इत्यादि उपाय, कुछ प्रकरणों में उपचार की प्रक्रिया में गति ला सकते हैं ।