आध्यात्मिक उपचार के बारे में उपयुक्त दृष्टिकोण

. आध्यात्मिक उपचारक के लिए उपयुक्त दो महत्वपूर्ण सिद्धांत

आरंभ में हमें दो महत्त्वपूर्ण सिद्धांत समझने होंगे :

  • आध्यात्मिक उपचारों का सर्वश्रेष्ठ प्रकार है अपने लिए साधना करना । साधना से हम अपने आध्यात्मिक संसाधन बढाते हैं, जिससे आध्यात्मिक आयाम से हम पर होनेवाले आक्रमणों की आशंका न्यून (कम) होती है । नियमित साधना, किसी प्रकार की पद्धति द्वारा उपचार करवाने की तुलना में दीर्घ काल तक टिकनेवाला सुरक्षात्मक उपाय है । आध्यात्मिक उपचारकों को (उपचार करनेवालाें काे) उपचारों के साथ-साथ लोगों को साधना आरंभ करने और नियमितरूप से करने के लिए अधिकाधिक प्रोत्साहित करना चाहिए । आध्यात्मिक उपचारक के प्रयत्नों में साधना पूरक होती है ।
  • हमारे जीवन का उद्देश्य, इस लेख में हमने प्रतिपादित किया है कि ईश्वरप्राप्ति हेतु आध्यात्मिक विकास करना ही हमारे जीवन का प्रमुख उद्देश्य है । अतः हमारी सभी क्रियाएं, आध्यात्मिक उपचार अथवा अन्य कुछ भी हमारे तथा अन्यों की आध्यात्मिक प्रगति में सहायक हों, तो वह हमारे लिए सर्वाधिक लाभप्रद हाेगा ।

. आध्यात्मिक उपचारक को किसका उपचार करना चाहिए ?

उपर्युक्त उल्लेख के अनुसार, आध्यात्मिक उपचार करनेवाले व्यक्तियों के समय तथा शक्ति का सर्वाधिक फल तब मिलता है, जब वे साधना में बाधा बननेवाली आध्यात्मिक समस्याएं दूर करने में लोगों की सहायता करते हैं । ऐसा करने से वे लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने में सहायता करते हैं ।

शुद्ध आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो जिन लोगों का साधना करने का कोई उद्देश्य नहीं है, उन पर आध्यात्मिक उपचार करने के लिए शक्ति का व्यय करना व्यर्थ है । कोई व्यक्ति आध्यात्मिक उपचारों की फलोत्पत्ति (output) बढाने के लिए जबतक साधना नहीं करता, तबतक उस पर अधिकतर तात्कालिक उपचार ही होते हैं । परिणामस्वरूप प्रभावित व्यक्ति जीवन के किसी अन्य क्षेत्र में हानि कर सकता है अथवा दूसरों से बार-बार प्रभावित हो सकता है । उपचार करनेवाले व्यक्ति आध्यात्मिक स्तर के अनुपात में वैश्विक शक्तियों (universal energy) का उपयोग कर सकते हैं । इसके साथ आध्यात्मिक उन्नति के लिए लोगों की सहायता करने का दायित्व आता है, जो कि जीवन के उद्देश्य के अनुकूल है । ऐसा न होने से आध्यात्मिक उपचारक की प्रगति रूक जाती है और उसका आध्यात्मिक स्तर नीचे गिर जाता है । इसके कारण अनिष्ट शक्तियां उसे हरा सकती हैं और उसका अनुचित लाभ उठा सकती हैं ।

आध्यात्मिक उपचारकों से अनुरोध है कि केवल उपचार करने के लिए ही भावना में आकर अपनेआप को खो न बैठें । यदि कष्ट सहना व्यक्ति के प्रारब्ध का ही एक अंग हो, तो ऐसे में उसके कष्ट केवल कुछ समय के लिए घटाना ही हमारे बस में होता है । व्यक्ति को विशिष्ट मात्रा में कष्ट सहना ही पडता है । यदि व्यक्ति पर आध्यात्मिक उपचार करने का हमारा उद्देश्य रहे कि ‘आध्यात्मिक आयाम के अस्तित्व पर उसकी श्रद्धा निर्माण होकर उसे साधना आरंभ करने के लिए प्रेरणा मिले’, तो आध्यात्मिक दृष्टि से यह अधिक श्रेयस्कर हो सकता है ।

हमारे एक सदस्य प्राणिक हीलिंग विषय पर हुए एक व्याख्यान में सम्मिलित हुए थे । उस व्याख्यान में उदाहरण दिया गया था कि किस प्रकार ट्रक की पेट्रोल टंकी पर प्राणिक हीलिंग का प्रयोग करने पर एक व्यक्ति को अपने ट्रक से अधिक माइलेज मिली । एक वाहन से अधिक माइलेज प्राप्त करने जैसी किसी सांसारिक इच्छा की आपूर्ति के लिए आध्यात्मिक उपचार का उपयोग करने का यह एक अत्यंत अनुचित उदाहरण है । निम्नांकित आकृति दर्शाती है कि आध्यात्मिक शक्ति का उपयोग करने की क्षमता में वृद्धि आरंभ होने पर किसी उपचारक के पास कितने आध्यात्मिक विकल्प होते हैं ।

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. आध्यात्मिक उपचारों के माध्यम से दूसरे व्यक्ति की सहायता कब करनी चाहिए ?

कभी-कभी उच्च स्तर की अनिष्ट शक्तियां ईश्वरप्राप्ति करनेवाले साधकों की साधना में बाधा लाने के उद्देश्य से उन पर आक्रमण करती हैं । ऐसे आक्रमणों का प्रतिकार करने के लिए आवश्यक आध्यात्मिक शक्ति साधकों में नहीं होती । निम्नांकित प्रसंगों में इन साधकों की आध्यात्मिक शक्ति में आध्यात्मिक उपायों के माध्यम से वृद्धि करना आवश्यक हो जाता है ।

  • जब बाधा तीव्र स्वरूप की होती है और तत्काल हस्तक्षेप करना आवश्यक हो जाता है ।
  • जब अपनी मानसिक तथा आध्यात्मिक दुर्बलता के कारण वे अपने प्रयत्नों से इसे दूर नहीं कर पाते ।
  • जब कोई व्यक्ति अचेत होने के कारण शारीरिक दृष्टि से आध्यात्मिक उपाय नहीं कर सकता ।
  • जब व्यक्ति विशिष्ट उपाय से भली भांति परिचित नहीं होता ।

. सारांश – आध्यात्मिक उपचारक हेतु कुछ महत्वपूर्ण बातें

आध्यात्मिक उपचारों का प्रयोग पूरे विश्व में किया जा रहा है । किस पर और कब उपचार करने हैं, केवल इसके सिद्धांत और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को जानने से उपचारक के जीवन का उद्देश्य साध्य हो रहा है अथवा नहीं, यह हम सुनिश्चित कर सकते हैं । आध्यात्मिक उपचारकों के लिए नियमित साधना करना आवश्यक है । इससे आध्यात्मिक उपचारकों के लिए हानिकारक, बढता अहं रोकने में सहायता मिलती है। नियमित साधना से आध्यात्मिक उपचारकों की अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण से भी रक्षा होती है ।

अपने रोगी के लिए सबसे उत्तम आध्यात्मिक उपहार है, पीडित व्यक्ति की साधना आरंभ करने में सहायता करना, जिससे वह आध्यात्मिक स्तर पर अपनी सहायता करने में आत्मनिर्भर हो जाए । व्यक्ति को चम्मच से खिलाने और मछली पकडकर देने की तुलना में, यह उसे मछली पकडने का साधन देकर आत्मनिर्भर करने समान है ।

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