परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी के लेमिनेटेड छायाचित्र पर दरारें पडना

सूक्ष्म विश्लेषण – परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी के लेमिनेटेड छायाचित्र पर दरारें उभरना

टिप्पणी : इस प्रकरण अध्ययन की पृष्ठभूमि समझने के लिए और ऐसी घटनाएं विशेष रूप से SSRF के संबंध में क्यों हो रही हैं,  कृपया पढें – असाधारण भयभीत करनेवाली घटनाओं का परिचय तथा अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित दरारों का आध्यात्मिक कारण क्या है ?

१. प्रस्तावना

इस प्रकरण अध्ययन में, हमने बताया है कि कैसे एक उच्च स्तर के संत परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी के छायाचित्र में दरारें उभर आर्इं और वह विकृत हो गया । यद्यपि समय के साथ छायाचित्र में दरार आ सकती है; परंतु इस घटना में परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी के छायाचित्र में बिना किसी बाहरी भौतिक कारण के न केवल दरारें उभरीं अपितु उसका रंग भी अपने आप ही फीका पड गया । क्योंकि क्षति होने का यह प्रकार अत्यंत विचित्र था, इसलिए कारण की जांच करना आवश्यक हो गया । इस लेख में हमने यह भी बताया है कि दरार पडे छायाचित्र के सूक्ष्म परीक्षण से क्या पता चला ।

यह छायाचित्र SSRF के आध्यात्मिक शोध केंद्र के संग्रहालय का एक भाग है । पिछले कई वर्षों से ऐसी वस्तुओं को एकत्रित किया गया है और यह विविध आध्यात्मिक घटनाओं को दर्शाता है । जिसका अध्ययन और प्रपत्र तैयार किया गया है । अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें आध्यात्मिक आयाम के ज्ञान का संरक्षण और समझें कि कैसे आप इस अद्वितीय कार्य में योगदान देकर अपनी भावी पीढी को लाभ पहुंचा सकते हैं ।

२. परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी के छायाचित्र पर पडे दरार का वर्णन

नीचे दिए गए स्लाईड शो में हमने परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी का वह छायाचित्र जो अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित नहीं है तथा जो प्रभावित हुआ है, उनके मध्य तुलना दिखाई है, जिसका अध्ययन हम इस लेख में कर रहे हैं ।

३. दरार का सूक्ष्म विश्लेषण

३.१ सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित छायाचित्र

SSRF के सूक्ष्म-विभाग की एक साधिका, पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी ने प्रभावित छायाचित्र का सूक्ष्म-परीक्षण किया ।

पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी को ज्ञात हुआ कि आक्रमण का कारण एक राक्षस था जिसका नियंत्रण तथा मार्गदर्शन पाचवें पाताल का एक सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक कर रहा था । उनको दिखा सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित छायाचित्र आगे दिया गया है ।

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पांचवे पाताल से मांत्रिक के निर्देशानुसार, राक्षस ने अपने तीक्ष्ण दांतों से परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र को चबाया तथा अपने हाथों से फाडकर उसके टुकडे कर दिए ।I

आक्रमणकारी अनिष्ट शक्ति के विषय में विस्तृत विवरण हेतु पढे I

३.२ आक्रमण करने का लक्ष्य तथा क्रियाविधि

पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा प्राप्त र्इश्वरीय ज्ञान के अनुसार,  प्रहार का उद्देश्य छायाचित्र में परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के आज्ञा चक्र से प्रक्षेपित हो रहे तेजोमय चैतन्य के लाभ से समाज को वंचित रखना तथा वातावरण को दूषित करना थाI ।

काली शक्ति: अनिष्ट शक्तियों का प्रमुख शस्त्र काली शक्ति होती है जो कि एक आध्यात्मिक शक्ति हैI ये धरातल पर किसी भी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने में समर्थ हैI इस हस्तक्षेप का विस्तार आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति के बल पर निर्भर करता हैI

सूक्ष्म-अस्थियों, खोपडियों तथा सूक्ष्म-यंत्रों को रखे जाने से आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति को काली शक्ति तीव्र गति से प्रक्षेपित करने में सफलता प्राप्त हुई जिसके फलस्वरूप परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के लेमिनेटेड छायाचित्र पर दरारें उभर आर्इं । इससे अनिष्ट शक्ति छायाचित्र के चारों ओर कष्टदायक तरंगों का क्षेत्र निर्माण कर अन्यों को कष्ट देने में भी सक्षम हो गईI । आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति की काली शक्ति का कुल प्रभाव २० प्रतिशत था ।

चित्र में विद्यमान चैतन्य के स्रोत से निकलनेवाले मारक स्पंदनों तथा सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक द्वारा मंत्रोच्चारण किए जाने से निर्मित काली आघातदायी तरंगों के आपस में टकराने से तीव्र उष्णता उत्पन्न हुईI । इसके फलस्वरूप सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक के चारों ओर बना सुरक्षा कवच नष्ट हो गया ।I

४. आक्रमण का प्रभाव

नीचे दिया गया रेखाचित्र पर हुए आक्रमण के प्रभाव को तीन विभिन्न स्तरों पर दर्शाता हैI

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लेख के चारों ओर चौखट (बॉर्डर) पर श्रीकृष्णजी के नामजप का मंडल बनाया गया है, जिससे पाठकों को छायाचित्र, सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित छायाचित्र देखते समय अथवा उपर्युक्त दी गर्इ जानकारी को पढते समय कष्ट न होI ।

चौखट(बॉर्डर) से होनेवाली सुरक्षा की क्रियाविधि का स्पष्टीकरण इस प्रकार हैI । श्रीकृष्णजी के नामजप के किनारे से प्रक्षेपित होने वाले स्वर्णिम कण सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक द्वारा प्रक्षेपित होनेवाली काली आधातदायी किरणों को विभाजित कर उन्हें नष्ट कर देते हैंI । अतः सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित छायाचित्र से वातावरण में प्रक्षेपित होनेवाले कष्टदायक स्पंदनों का प्रभाव नष्ट हो जाता हैI । इस प्रकार वातावरण में आघातदायी तरंगों से निर्मित दबाव अल्प हो जाता है तथा हल्कापन अनुभव होता हैI ।

वर्ष २००६ में जब राक्षस ने परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र पर आक्रमण किया, तब उसकी काली शक्ति २५ प्रतिशत थीI । आक्रमण करने में शक्ति के व्यय होने तथा छायाचित्र से चैतन्य प्रक्षेपित होने के कारण अब उसकी शक्ति ८-१० प्रतिशत तक क्षीण हो गई थीI । तथापि, राक्षस यह आक्रमण पांचवें पाताल के सूक्ष्म-स्तरीय मांत्रिक के आदेशानुसार कर रहा था,  इसलिए उसे काली शक्ति सूक्ष्म-स्तरीय मांत्रिक से प्राप्त हुई थीI । फलस्वरूप जनवरी २०१० में, दानव की शक्ति २० प्रतिशत थीI तथापि, उसकी शक्ति निरंतर क्षीण होती जाएगी ।I यह विशेष रूप से वर्तमान में अच्छाई एवं बुराई में चल रहे युद्ध को देखते हुए बताया गया हैI ।

५. सारांश

परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र में विद्यमान उच्च स्तरीय चैतन्य, उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियों को इस छायाचित्र पर आक्रमण करने के लिए आकर्षित करता हैI । यह विशेषकर ऐसे प्रसंगों में देखा गया है, जब छायाचित्र रखनेवाले साधक में छायाचित्र तथा परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के प्रति अनन्य भाव होता हैI ।

परम पूज्य डॉ. आठवलेजी जैसे संतों द्वारा समष्टि तथा सामूहिक आध्यात्मिक उत्थान के लिए र्इश्वरीय कार्य किए जाने के कारण, अनिष्ट शक्तियां भयभीत हो रही हैंI । संतों पर होनेवाले उनके आक्रमणों के कारण जो सूक्ष्म युद्ध हो रहा है वह अच्छाई एवं बुराई के मध्य चल रहे युद्ध का एक भाग हैI । एक बार यदि हम स्वयं को संतों के कार्य से जोड लें तथा उनके मार्गदर्शन के अनुसार चलें तो इन आक्रमणों हमारी से रक्षा होगीI ।