अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण का परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी एवं वायुमंडल तथा आक्रमण ग्रस्त वस्तुओं के दर्शक पर होनेवाला परिणाम

निर्जीव वस्तुओं पर होनेवाले अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण के अनेक प्रकरण अध्ययनों में हमने विशिष्ट आक्रमण का प्रभाव प्रतिशत की भाषा में प्रस्तुत किया है । हमारे द्वारा प्रस्तुत यह शास्त्र ३ मापदंडों से संबंधित है और वे हैं – आक्रमण का परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी, वायुमंडल पर तथा आक्रमण ग्रस्त वस्तुओं को देखनेवाले पर होनेवाला परिणाम ।

आगे दी गई सारणी में, हमने इन आक्रमणों के प्रभावशाली परिणामों का विस्तारपूर्वक विवेचन किया है ।

यदि अनिष्ट शक्तियों के आक्रमणों का परिणाम १०० प्रतिशत प्रभावी होगा, तो यह निम्न प्रकार से फलद्रूप होगा :

किस पर अथवा कैसा प्रभाव अनुभव हुआ १०० प्रतिशत परिणाम इस प्रकार फलद्रूप होगा
परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी उनकी मृत्यु *
वायुमंडल वायुमंडल का आध्यात्मिक स्तर पर कुल प्रदूषण, जहां रज-तम की मात्रा अत्यधिक होगी । वायुमंडल के इस प्रकार हुए प्रदूषण से ज्वालामुखी, भूकंप जैसी प्राकृतिक अथवा युद्ध, आतंकवादी आक्रमण जैसी अन्य आपदाएं उत्पन्न होती हैं । इनमें भारी मात्रा में जनहानि होती है (मनुष्य, अन्य प्राणी, वनस्पति इत्यादि)।**

[इस प्रकार के प्रदूषण से होनेवाले संपूर्ण, अर्थात १०० प्रतिशत विनाश को समझना संभव हो, इस हेतु यह उदाहरण देखें-वर्ष २००४ में दक्षिण एशिया में आई त्सुनामी में हुआ विनाश केवल २०-३० प्रतिशत था ।]

दर्शक (एक साधारण व्यक्ति , जो प्रभावित वस्तु को देखता अथवा उसका उपयोग करता है) तीनों स्तर पर व्यक्ति पर होनेवाला आक्रमण : शारीरिक (उदा.उसके शरीर के अंग का क्षतिग्रस्त होना), मनोवैज्ञानिक (उदा.मानसिक दृष्टि से अस्थिर होना), आध्यात्मिक (उदा.साधना में बाधाएं)। अंततः आक्रमण मृत्यु में परिवर्तित होता है । ***

* उच्च स्तर के संत की मृत्यु का कारण बनने के लिए अनिष्ट शक्ति को अपनी शक्ति प्रचंड मात्रा में व्यय करनी पडती है ।

** वायुमंडल पर तत्काल परिणाम (उदा.प्राकृतिक आपदा आदि तत्काल आना)होना, अथवा कुछ समय पश्चात होना आक्रमण करनेवाली शक्ति की क्षमता पर निर्भर करता है । यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि ईश्वरीय कृपा से यह आपदा टल भी सकती है, किंतु इसके लिए समष्टि भाव होना अत्यावश्यक है । किसी एक व्यक्ति के भाव से उसका टलना संभव नहीं । प्रत्येक में भाव होना आवश्यक है । यदि कुछ ही लोगों में भाव होगा, तो प्राकृतिक आपदा तो आएगी, परंतु लोगों का जीवन सुरक्षित रहेगा । (भाव के कारण प्राकृतिक आपदाओं तथा आतंकवादी आक्रमणों से साधकों के बचने के कई उदाहरण हैं ।)

*** प्रभावित वस्तु के चित्र के सर्व ओर हमारे द्वारा बनाए गए सूक्ष्म सुरक्षा कवच से दर्शक पर होनेवाले प्रभाव से बचा जा सकता है । तथापि इस सूक्ष्म सुरक्षा कवच से मिलनेवाले लाभ की मात्रा उनके आध्यात्मिक स्तर एवं भाव पर निर्भर होती है । भाव न होने पर अनिष्ट शक्तियों के लिए आक्रमण करना सहज संभव होता है;क्योंकि ऐसे व्यक्ति का सुरक्षा कवच दुर्बल एवं अस्थायी होता है । उच्च आध्यात्मिक स्तर का अच्छा साधक भाव तथा उसके सर्व ओर विद्यमान ईश्वरीय सुरक्षा कवच के कारण किंचित भी प्रभावित नहीं होता ।