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यह लेख पढने से पूर्व हमारा सुझाव है कि आप निम्नलिखित लेखों से परिचित हो जाएं :

१. प्रस्तावना

वास्तु पर आधारित हमारे पूर्व के लेखों में, हमने पढा कि कैसे रिक्त स्थानों में तरंगें निर्मित होती हैं, और किस प्रकार वहां की तरंगें की हैं, ये जानकारी देती हैं कि वहां की भौतिक विशेषताएं एवं उस वास्तु में रहनेवाले लोगों कैसे हैं ।

इस लेख में हम वास्तु के कष्टदायक स्पंदनों को घटाने तथा सकारात्मक स्पंदनों को बढाने के उपाय के संदर्भ में पढेंगे । उदाहरण के लिए हममें से अधिकांश लोग अस्वच्छ वातावरण की तुलना में स्वच्छ वातावरण में अधिक अच्छा काम कर पाते हैं । यह अस्वच्छ वातावरण की तुलना में स्वच्छ वातावरण के आध्यात्मिक स्पंदनों के अधिक सकारात्मक होने का प्रत्यक्ष परिणाम है ।

यहां हम घर में सुखदायक तरंगों में संवर्धन हेतु अध्यात्मशास्त्र तथा वास्तुशास्त्र के सुझाव के अनुसार कुछ व्यवहारिक सूत्र दे रहे हैं :

२. घर में आध्यात्मिक स्पंदनों को सुधारने हेतु व्यवहारिक सुझाव

२.१ नकारात्मक स्पंदनों को आकर्षित करनेवाली तमप्रधान गतिविधियों से बचें

घर में नकारात्मक स्पंदनों को घटाने हेतु कुछ सूत्र निम्नलिखित हैं :

  • अनिष्ट शक्तियों को आकृष्ट करनेवाली धार्मिक विधियों तथा खेल में प्रयोग करना टालना अच्छा है/अनिष्ट शक्तियों को आकृष्ट करने वाले धार्मिक क्रियाकलापों अथवा क्रीडा से दूर रहना ही सर्वश्रेष्ठ है । अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारा लेख – अनिष्ट शक्तियों अथवा अपने मृत संबंधियों से किसी माध्यम अथवा औजा बोर्ड से संपर्क करना, का संदर्भ लें ।
  • आध्यात्मिक रूप से यही लाभदायक होगा कि घर में धूम्रपान अथवा मद्यपान न किया जाए । अधिकांशतः धूम्रपान मृत पूर्वजों की सूक्ष्म-देहों के कारण किया जाता है । इस कारण जब घर में धूम्रपान किया जाता है, तो वे आकर काली शक्ति प्रसारित कर सकते हैं । साथ ही धुंआ रज-तमप्रधान है और यह धुंआ पूरे घर में काली शक्ति फैलाता है । मद्य (शराब) भी रज-तमप्रधान है और उसका सेवन घर में करने से वह भी मृत पूर्वजों की सूक्ष्म-देहों तथा काली शक्ति को आकृष्ट करती है । साथ ही, मद्य स्वयं भी काली शक्ति को आकृष्ट करती है तथा जहां इसे रखा जाता है,आध्यात्मिक रूप से वह स्थान भी प्रदूषित हो जाता है । इसलिए, हमारा सुझाव है कि घर में मद्य बिल्कुल भी न रखें । कृपया संदर्भ हेतु हमारा लेख – विविध पेयों की आध्यात्मिक शुद्धता देखें ।
  • लंबे समयतक टेलीविजन को चालू न रखना सर्वाधिक अच्छा है । चूंकि यह पूरे घर में अनिष्ट शक्ति प्रसारित करता है । जब टेलीविजन बंद हो तब इसके स्क्रीन को किसी सात्त्विक कपडे से ढंक सकते हैं । क्योंकि टेलीविजन बंद होने पर भी स्क्रीन अनिष्ट स्पंदन प्रक्षेपित कर सकती है ।
  • वास्तु में उच्च स्वर में संगीत न सुनना भी वास्तु की शुद्धि में सहायक होता है । उच्च स्वर में संगीत, अनिष्ट शक्तियों को आकृष्ट कर पूरे वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा प्रसारित करता है । ये स्पंदन घर में लंबे समय तक रह सकते हैं ।
  • SSRF का सुझाव है कि घर में अपशब्द अथवा अश्लाध्य भाषा का प्रयोग तनिक भी न करें । इस प्रकार की भाषा अनिष्ट शक्तियों को आकृष्ट तथा प्रसारित करती है क्योंकि इनका प्रयोग अधिकतर नकारात्मक अर्थ में ही किया जाता है । व्यक्ति के विचार, उद्देश्य एवं शब्द भी वातावरण को आध्यात्मिक रूप से प्रदूषित करते हैं ।

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२.२ घर में सकारात्मकता संग्रहित करें

घर में और अधिक सकारात्मकता आए इसके लिए हम निम्नलिखित कुछ सूत्र अपना सकते हैं :

  • स्वच्छता तथा सुव्यवस्थितता रखना : एक कहावत है, “जहां स्वच्छता है वहां ईश्वर का वास होता है” अथवा “स्वच्छता पवित्रता के निकट है ।” (Cleanliness is next to Godliness) स्वच्छता तथा सुव्यवस्थितता ईश्वरीय गुण हैं । हमें अपना घर स्वच्छ रखना चाहिए क्योंकि अस्वच्छता रज-तम स्पंदनों को आमंत्रित करती है ।
  • द्वार(दरवाजे) एवं खिडकियां खुले रखना पंचतत्त्वों में ईश्वरीय चैतन्य होता है । वे पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश के माध्यम से स्थूल रूप में सक्रिय होते हैं, जिन्हें हम अपने सर्व ओर देखते हैं । द्वार(दरवाजे) एवं खिडकियां खुले रखने से पंचतत्त्व इन तत्त्वों के माध्यम से आध्यात्मिक उपाय करते हैं । इसलिए जहां तक संभव हो, द्वार एवं खिडकियां खुली रखें ।
  • परिसर में पौधे लगाना : जिस प्रकार भूमि का टुकडा अथवा वास्तु आध्यात्मिक स्पंदन प्रक्षेपित करता है, उसी प्रकार हमारे परिसर में लगे पौधे भी विविध प्रकार के आध्यात्मिक स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं । कुछ पौधे अन्य पौधों की तुलना में अधिक सात्त्विक स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं । इसलिए उन सात्त्विक पौधों को लगाने से परिसर आध्यात्मिक स्तर पर शुद्ध होता है । सात्त्विक पौधों के कुछ उदाहरण हैं, तुलसी, जास्वंद (chrysanthemum), उडहूल (hibiscus), केला इत्यादि । जब भी संभव हो, इन सात्त्विक पौधों को परिसर अथवा घर के भीतर उदाहरण के लिए बैठक कक्ष (लिविंग रूम) में रखने से लाभ होता है ।
  • पूजाघर (Altar) का पूर्व-पश्चिम दिशा में होना : यदि किसी के घर में पूजाघर हो तो उसे पूर्व-पश्चिम दिशा में रखना सर्वाधिक उचित है । सूर्य से ईश्वरीय तरंगें प्रक्षेपित होती हैं और ये प्रतिदिन आकाश से होकर जाती हैं । यदि पूजाघर पूर्व-पश्चिम दिशा में हों तो उनकी ओर ईश्वरीय तरंगें सर्वाधिक आकर्षित होती हैं ।

. साधना का महत्त्व :

नीचे दी गई सारणी वास्तु के आध्यात्मिक स्पंदनों को सुधारने हेतु घर में किए जानेवाले विभिन्न उपायों का तुलनात्मक महत्त्व दर्शाती है ।

वास्तु की आध्यात्मिक शुद्धि हेतु किए जानेवाले उपायों का तुलनात्मक महत्त्व

उपाय प्रतिशत महत्व
वास्तु में रहनेवाले निवासियों की साधना ३०%
वास्तु में रहनेवालों का सौम्य व्यक्तित्व ३०%
स्थान को शुद्ध करने की विधियां (rituals) १४%
संतों का आगमन १०%
द्वार-खिडकियां खुली रखना २%
वास्तु में विद्यमान दोषों अथवा त्रुटियों को दूर करना जिनके कारण स्थान में नकारात्मक तरंगें रहती हैं २%
शक्तियों के साथ प्रयोग न करना जैसे औजा बोर्ड का उपयोग न करना २%
अन्य (सात्त्विक पौधा जैसे तुलसी लगाना आदि) १०%
१००%

ऊपर दी गई सारणी से हम निम्न निष्कर्ष निकाल सकते हैं :

  • वास्तु के आध्यात्मिक स्पंदनों की शुद्धि हेतु किए जानेवाले उपाय जैसे द्वार एवं खिडकियों को खुला रखना, इसकी एक सीमा है । तथापि इसे कृत्य में लाना आवश्यक है ।
  • वास्तु में रहनेवालों का सौम्य व्यक्तित्व होना आवश्यक है । जहां ऐसा नहीं है, वहां स्वयं में सुधार लाने के लिए संघर्ष करना आवशयक है । इसके लिए साधना भी सहायक होती है ।
  • हमारी साधना सुसंगत तथा नियमित रूप से होनी चाहिए । यह आनंद प्रदान करने के अतिरिक्त हमारे घर की आध्यात्मिक स्पंदनों को भी प्रभावित करती है । जहां संत रहते हैं, वहां आह्लाददायक तरंगों की अधिकता होती है । यह उनकी साधना की तीव्रता अथवा उत्कटता के कारण होता है ।

४. सारांश – वास्तुशास्त्र एवं घर का अध्यात्मशास्त्र

वास्तुशास्त्र तथा अध्यात्मशास्त्र द्वारा अनुशंसित सूत्रों को अपनाने से हम अपने घर में नकारात्मक स्पंदनों का आगमन रोक सकते हैं तथा हमारा घर सकारात्मक आध्यात्मिक तरंगों को आकर्षित करे, यह भी सुनिश्चिति कर सकते हैं । इस लेख में दिए गए व्यावहारिक सूत्र न केवल घर के लिए अपितु किसी भी वास्तु जैसे कार्यालय, दुकान के लिए लाभदायक हैं ।

दूसरी ओर, साधना हमारे व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन लाकर, हमारे घर के आध्यात्मिक स्पंदनों को विशेष रूप से शुद्ध करती है । इसके अतिरिक्त, साधना वास्तु में आह्लाददायक तथा कष्टदायक तरंगों को पहचानने में तथा वहां हो रहे अनुभव के आध्यात्मिक कारणों को समझने में भी हमारी सहायता करती है ।