विषय सूची
१. आध्यात्मिक उपचार का परिचय
‘आध्यात्मिक उपचार’, इस शब्द से अधिकांश लोग परिचित हैं । अनेक लोगों के लिए इसके अनेक अर्थ हैं । प्रस्तुत लेख में हम ‘आध्यात्मिक उपचार’ शब्द की व्याख्या करेंगे और इसके अंतर्गत उपचारों के आधारभूत सिद्धांतों की विवेचना करेंगे ।
इस लेख का मूल ध्येय एवं परिप्रेक्ष्य जीवन के उद्देश्य , पर आधारित है, जिसमें एक है आध्यात्मिक प्रगति करना । केवल शारीरिक स्तर पर ही अन्यों की सहायता न कर प्रत्येक की आध्यात्मिक प्रगति पर भी ध्यान देना । आध्यात्मिक उपचार करते समय व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति के लिए हम जितनी अधिक सहायता करेंगे, उतनी ही, हमारी अपने जीवन के ध्येय से परे जाने की संभावना घट जाएगी ।
जीवन के इन उच्चतम उद्देश्यों को ध्यान में रख आध्यात्मिक उपचार करने से आध्यात्मिक उपचार करने की हमारी क्षमता के न्यून होने की संभावना अल्प होगी ।
२. आध्यात्मिक उपचार क्या है ?
आध्यात्मिक शोध द्वारा हमें ज्ञात हुआ है कि मनुष्य के जीवन की ८०% समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक स्तर पर है । आध्यात्मिक विश्व हमारे जीवन को किस प्रकार से प्रभावित करता है, इसके विविध अंगों का उहापोह हमारी समस्याओं के आध्यात्मिक कारण , इस विभाग में किया है ।
जब समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक आयाम में होता है, तब उससे लडने अथवा उपचार करने के लिए ऐसे पद्धतियों का उपयोग करने की आवश्यकता होती है जो आध्यात्मिक रूप से समस्या के कारण से अधिक क्षमतावान हो । इसे आध्यात्मिक उपचार कहा जाता है । इसमें समस्या के समाधान हेतु आध्यात्मिक शक्ति का उपयोग किया जाता है, जैसे – अनिष्ट शक्तियों के कारण हो रही पीडा दूर करना । अनिष्ट शक्ति की पीडा से रहित लोगों को जब आध्यात्मिक उपचारी शक्ति मिलती है, तब वे स्वभाविक रूप से अतिरिक्त सकारात्मक शक्ति से लाभान्वित होते हैं ।
२.१ बाह्य लक्षण और मूल कारण में अंतर
व्यक्ति के बाह्य (दिखार्इ देनेवाले) लक्षण और मूल कारण में विद्यमान अंतर पहचानना महत्त्वपूर्ण है । इसे हम एक उदाहरण द्वारा योग्य प्रकार से समझ पाएंगे ।
जब जेन कमरे में नहीं थी, उस समय जॉन ने जेन के कमरे की फर्श पर बाल्टीभर पानी फेंक दिया । जेन के लौटने के पश्चात उसकी प्रतिक्रियाओं को उत्साह से देखने के लिए जॉन छिप जाता है । कक्ष में प्रवेश करने के उपरांत जेन फर्श पर पानी क्यों है, इसका कारण ढूंढने के लिए आकाश-पाताल एक करती है, परंतु असहाय रहती है । फिर वह फर्श पोंछना आरंभ करती है । जेन की दुविधा को देखकर जॉन मन ही मन उपहास भरा स्मित हास्य करता है । अडचन का मूल कारण जो आैर कोर्इ नहीं स्वयं जॉन है, इस तथ्य से जेन की अनभिज्ञता पर वह प्रसन्न होता है ।
इसी प्रकार का एक उदाहरण है, जिसमें अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण (जॉन के रूप में दिखाया) जैसे आध्यात्मिक कारण से जीवन में हृदयरोग जैसी समस्या (जैसे उपरोक्त उदाहरण में फर्श पर पानी था) निर्माण होती है । हमारे पास छठवीं ज्ञानेंद्रिय द्वारा अनिष्ट शक्ति को देखने अथवा समझने की दृष्टि न होने से, छाती में हो रही वेदनाओं का कारण ढूंढने के हमारे प्रयत्न अपर्याप्त होते हैं । दुर्भाग्य से ये खाेज केवल शारीरिक अथवा मानसिक स्तर तक ही सीमित रहती है ।
२.२ आध्यात्मिक उपचार क्या ठीक करते हैं ?
उपरोक्त उदाहरण के आधार पर अब हम समझ सकते हैं कि ह्रदयरोग आध्यात्मिक कारणों से हो सकता है । आध्यात्मिक कारणों से होनेवाले रोग में चिकित्सकीय अथवा शल्यकर्म के उपायों से केवल आध्यात्मिक कारणों से उत्पन्न हानि अल्प हो सकती है । इस प्रकार ह्रदयरोग का चिकित्सकीय अथवा शल्यकर्म द्वारा उपचार कर, चिकित्साशास्त्र अधिक से अधिक मात्र लक्षणों को ही ठीक कर सकता है; तथापि रोग के मूल कारण की ओर (अर्थात अनिष्ट शक्ति की ओर) जो तब भी सक्रिय होती है, ध्यान न दिए जाने के कारण वह रोग पुनः उत्पन्न होता है ।
आध्यात्मिक उपचार समस्या के निदान करने और उसके आध्यात्मिक मूल कारण से संबंधित है । हमारे पहले उदाहरण को समझें तो, जॉन (अनिष्ट शक्ति) को ढूंढ निकालना उसे और पानी (ह्रदयरोग उत्पन्न करना) फेंकने से रोकना ही उपाय है । आध्यात्मिक उपचार का प्रयोग समस्या उत्पन्न होने से पहले भी किया जा सकता है ।
उच्चस्तरीय आध्यात्मिक उपचारों में स्थूल स्तर पर हुई हानि का उपशमन कर पूर्ववत करने की क्षमता होती है । तब भी अधिकांश प्रसंगों में स्थूल हानि को अल्प करने के लिए स्थूल स्तर के उपाय (उदाहरण के लिए चिकित्सकीय उपचार) करना ही उचित है । क्योंकि आध्यात्मिक शक्ति अनमोल है और किन्हीं स्थूल प्रयत्नों की तुलना में उसे प्राप्त करना अत्यंत कठिन है । आध्यात्मिक साधनों का उपयोग कर किसी रोग के उपचार हेतु अनमोल आध्यात्मिक शक्ति अत्यधिक मात्रा में व्यय करनी पडती है । जबकि समान परिणाम हम स्थूल स्तर पर अल्प श्रम में प्राप्त कर सकते हैं ।
इसी कारण से स्पिरिच्युअल सार्इन्स रिसर्च फाऊण्डेशन (SSRF) समस्या का उपचार करने के लिए शक्ति का उचित स्तर पर उपयोग करने पर बल देता है । उदा. यदि व्यक्ति को मूल आध्यात्मिक कारण से एक्जिमा (त्वचारोग) हुआ हो, तो उसे निम्नलिखित सभी तीन स्तरों पर ठीक करना आवश्यक है :
- स्थूल स्तर पर औषधियों से ठीक करना
- मानसिक स्तर पर – यदि एक्जिमा (त्वचारोग) के कारण निराशा आर्इ हो, तो उसे ठीक करना
- आध्यात्मिक स्तर पर – आध्यात्मिक मूल कारण को आध्यात्मिक उपचारों से ठीक करना आवश्यक है ।