अनिष्ट शक्ति द्वारा प्रभावित अथवा आविष्ट होने के लक्षणभूतावेश के स्तर तथा लक्षण

१. भूतावेश के स्तरों का परिचय

भूतावेश एक जटिल मुद्दा है, जिसमें दिखता कुछ और है तथा वास्तव में होता कुछ और है । इस विषय पर सात वर्षों के गहन अध्ययन के फलस्वरूप SSRF ने अनेक प्रकार के भूतावेश देखे हैं, े आविष्ट लोगों पर इनके विविध प्रकार के लक्षण तथा प्रभाव होते हैं । भूतावेश के स्तरों को समझाने की कोई सरल विधि नहीं है; क्योंकि किसी भी प्रकार के भूतावेश की अनेक विधियां तथा भेद होते हैं । इस लेख में हम भूतावेश पर इन दृष्टिकोणों तथा इसके विविध भेदों को साझा करने का सर्वाधिक प्रयास करेंगे ।

यह जानकारी सूक्ष्म-दृष्टि (छठवीं इंद्रिय) के माध्यम से शोध किए गए सहस्रों शोधों के उपरांत एकत्रित की गई है । हमारे कुछ सदस्य व्यक्ति को अनिष्ट शक्ति से आविष्ट होते हुए देख सकते हैं । इसके अतिरिक्त कुछ सदस्य जो विश्‍व मन तथा विश्‍वबुद्धि से संपर्क कर सकते हैं, वे भूतावेश के गहन कारणों तथा अनिष्ट शक्ति के उद्देश्य को समझ सकते हैं ।

इसका अर्थ है कि इस लेख को पढनेवाले तीन में से तीन लोग अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित होंगे तथा तीन में से एक व्यक्ति, अनिष्ट शक्ति से आविष्ट होगा, यह उसे पता हो सकता है और नहीं भी हो सकता है ।

एक सामान्य व्यक्ति के दृष्टिकोण से समझने हेतु महत्वपूर्ण सूत्र यह है कि लगभग पूर्ण मानवजाति किसी न किसी प्रकार से अनिष्ट शक्तियों (राक्षस, शैतान, दैत्य इत्यादि) से प्रभावित है । परंतु आध्यात्मिक शोध से एक अधिक गंभीर सत्य यह ध्यान में आया है कि वर्तमान युग में वर्ष २०२५ तक विश्‍व की ३० प्रतिशत जनसंख्या अनिष्ट शक्तियों (राक्षस, शैतान, दैत्य इत्यादि) से आविष्ट हो जाएगी । इसका अर्थ है कि इस लेख को पढनेवाले प्रत्येक दस (१०) पाठकों में से तीन (३) अनिष्ट शक्तियों से आविष्ट हैं, पांच (५) उनसे प्रभावित हैं तथा केवल दो (२) उनसे अप्रभावित रहेंगे । संदर्भ हेतु पढें लेख : विश्‍व की कितनी जनसंख्या अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित है ?

भूतावेश को सौम्य, मध्यम तथा तीव्र वर्ग में विभाजित किया गया है । आगे दिए गए खंड में भूतावेश को सौम्य, मध्यम तथा तीव्र वर्ग में विभाजित करने हेतु विशिष्ट कारकों को ध्यान में रखा गया है । इन खंडों को अच्छे से समझने हेतु हमारा सुझाव है कि आप निम्नलिखित लेख पढ लें :

२. अनिष्ट शक्तियों के प्रकटीकरण को समझ पानेवालों के आधार पर भूतावेश का स्तर

भूतावेश को पहचानने हेतु आवश्यक छठवीं इंद्रिय अथवा सूक्ष्म-ज्ञान ग्रहण करने की क्षमता के स्तर के आधार पर यहां हम भूतावेश की तीव्रता को वर्गीकृत कर रहे हैं ।

  • सौम्य भूतावेश : यहां एक सामान्य व्यक्ति भी अपनी बुद्धि तथा भूतावेश के आधारभूत ज्ञान के माध्यम से किसी व्यक्ति के असामान्य व्यवहार का निरीक्षण कर समझ सकता है कि आविष्ट व्यक्ति में कुछ तो अनुचित है । आविष्ट व्यक्ति असामान्य रूप से व्यवहार करता है तथा उसके भीतर विद्यमान अनिष्ट शक्ति ही अधिक प्रकट रहती है । व्यक्ति के सामान्य व्यवहार में विविधता पाई जा सकती है जैसे एक शांत व्यक्तित्ववाले व्यक्ति का अति उग्र व्यवहार करना, भयानक रूप से हंसना, अनावश्यक बोलना इत्यादि । यदि वह आध्यात्मिक उपचार करने पर शांत हो जाता है, तो बौद्धिक रूप से यह समझा जा सकता है कि व्यक्ति के लक्षण भूतावेश के कारण हैं, उदाहरणार्थ, यदि व्यक्ति का असामान्य व्यवहार मंदिर अथवा प्रार्थनास्थल के परिसर में अथवा पवित्र जल पीने अथवा छिडकने इत्यादि से शांत हो जाता है ।
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  • एक मनोविज्ञानी इस घटना को देखकर इसे सायकोसिस अथवा अन्य मानसिक विकार कहेगा । संदर्भ हेतु यह भी देखें : उपरोक्त चित्र के चारों ओर सुरक्षात्मक किनारा क्यों है ?
  • मध्यम भूतावेश : यहां व्यक्ति आविष्ट है अथवा नहीं यह पहचानने के लिए उच्च स्तरीय छठवीं इंद्रिय अथवा अतिरिक्त संवेदी क्षमता की आवश्यकता है । निदान करनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर सामान्यतः ५० से ७० प्रतिशत होता है । लक्षण तथा स्पष्ट संकेत और अधिक सूक्ष्म होते हैं । इस प्रकार के भूतावेश साधारणतः अप्रकट होते हैं । सर्व प्रसंग सदैव ऐसे नहीं होते । व्यक्ति पूर्ण रूप से प्रकट हो कर भी बहुत शांत तथा सामान्य रह सकता है तथा अपने आविष्ट होने का कोई भी लक्षण प्रकट नहीं होने देता ।
  • तीव्र भूतावेश : इसे पहचानने में केवल संत सक्षम होते हैं कि व्यक्ति आविष्ट है अथवा नहीं । उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्ति से आविष्ट व्यक्ति को वास्तव में सर्वोच्च स्तर के संत ही उसके आविष्ट होने की पहचान कर सकते हैं ।

३. आविष्ट व्यक्ति से बात कर उसके प्रकटीकरण पर नियंत्रण करने की सीमा के आधार पर भूतावेश के स्तर

इस दृष्टिकोण से, साधारण आध्यात्मिक स्तरवाले व्यक्ति का उस व्यक्ति से, जिसमें अनिष्ट शक्ति (राक्षस, शैतान, दैत्य इत्यादि) प्रकट हुई है, बात कर उसे शांत कर पाने की क्षमता पर भूतावेश का वर्गीकरण किया गया है ।

  • सौम्य भूतावेश के प्रसंग में, साधारण आध्यात्मिक स्तरवाला व्यक्ति भी प्रकट व्यक्ति (अर्थात आविष्ट व्यक्ति में विद्यमान अनिष्ट शक्ति से) से बात कर सकता है तथा उसे पूर्णतः शांत कर सकता है ।
  • मध्यम भूतावेश के प्रसंग में, जब अनिष्ट शक्ति का प्रकटीकरण हो रहा हो तो साधारण आध्यात्मिक स्तर का व्यक्ति उस व्यक्ति से बात कर उसे शांत करने में सीमित मात्रा में ही सफल हो सकता है ।
  • जब भूतावेश तीव्र हो, तब साधारण आध्यात्मिक स्तरवाला व्यक्ति प्रकट व्यक्ति को शांत करने में सक्षम नहीं होता ।

४. अनिष्ट शक्ति को भगाने के लिए आध्यात्मिक उपचारक के आवश्यक आध्यात्मिक स्तर के आधार पर भूतावेश के स्तर

यहां भूतावेश के स्तर की तीव्रता आविष्ट व्यक्ति को ठीक करने हेतु आध्यात्मिक उपचारक के न्यूनतम आध्यात्मिक स्तर पर आधारित है ।

  • सौम्य भूतावेश के प्रसंग में, ५० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर का आध्यात्मिक उपचारक आविष्ट व्यक्ति को ठीक कर सकता है ।
  • मध्यम भूतावेश के प्रसंग में, आविष्ट व्यक्ति को ठीक करने के लिए ७० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के आध्यात्मिक उपचारक की आवश्यकता होती है ।
  • तीव्र भूतावेश के प्रसंग में, अनिष्ट शक्ति से आविष्ट व्यक्ति को ठीक करने के लिए ७० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के आध्यात्मिक उपचारक की आवश्यकता होती है ।

५. आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति के नियंत्रण की मात्रा के आधार पर भूतावेश के स्तर

यहां भूतावेश के स्तर की तीव्रता अनिष्ट शक्तियों (राक्षस, शैतान, दैत्य इत्यादि) द्वारा आविष्ट व्यक्ति के मन तथा बुद्धि पर किए गए नियंत्रण की मात्रा पर निर्भर करती है । संक्षेप में, अनिष्ट शक्ति व्यक्ति की चेतना से कितनी मात्रा में एकरूप हो पाई है, इस पर निर्भर करती है ।

  • सौम्य भूतावेश तब होता है, जब आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति आविष्ट व्यक्ति पर २५ प्रतिशत नियंत्रण कर लेती है ।
  • मध्यम भूतावेश तब होता है, जब आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति आविष्ट व्यक्ति पर ५० प्रतिशत नियंत्रण कर लेती है ।
  • तीव्र भूतावेश तब होता है, जब आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति आविष्ट व्यक्ति पर ७५ प्रतिशत तक नियंत्रण कर लेती है ।

६. आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति की आध्यात्मिक शक्ति के आधार पर भूतावेश के स्तर

यहां भूतावेश के स्तर की तीव्रता आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति (राक्षस, शैतान, दैत्य इत्यादि) की आध्यात्मिक शक्ति पर निर्भर करती है ।

  • सौम्य भूतावेश तब होता है जब आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति सामान्य हो अथवा निम्नस्तरीय राक्षस हो । इस स्तर पर भूतावेश का उद्देश्य आविष्ट व्यक्ति को हानि पहुंचाने तक सीमित होता है । इस अनिष्ट शक्ति की संबंधित शक्ति १-१०० होती है ।
  • मध्यम भूतावेश तब होता है जब आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति चुडैल, स्त्री बेताल अथवा मध्यम स्तर की अनिष्ट शक्ति हो । इस स्तर पर भूतावेश का उद्देश्य आविष्ट व्यक्ति को तथा कुछ मात्रा में समाज को प्रभावित करना होता है । इस अनिष्ट शक्ति की संबंधित शक्ति १, ०००-१०, ००० होती है ।
  • तीव्र भूतावेश तब होता है जब आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति सूक्ष्म-मांत्रिक हो । इस स्तर पर भूतावेश का उद्देश्य देशभर में विनाश करना अथवा पूरे विश्व को हानिकारक दृष्टि से प्रभावित करना होता है । इस अनिष्ट शक्ति की संबंधित शक्ति १००, ००० से असीमित होती है । इसका एक उदाहरण हिटलर है, जो पाताल के निचले लोकों के सूक्ष्म-मांत्रिक से आविष्ट था ।