एक संत के चित्र पर अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण के उपरांत हुए सूक्ष्म-युद्ध का अध्ययन

टिप्पणी : इस प्रकरण अध्ययन की पृष्ठभूमि समझने के लिए और ऐसी घटनाएं विशेष रुप से SSRF के संबंध में क्यों हो रही हैं,  कृपया पढें – भयभीत करनेवाली असाधारण घटनाओं का परिचय

१. परिचय

जब हमने देखा कि परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र पर स्वतः छिद्र हो रहे हैं, तब विकसित छठवीं इंद्रिय के माध्यम से ज्ञात हुआ कि यह सब अनिष्ट शक्तियों द्वारा किया जा रहा था । इसने हमें आक्रमण करनेवाले आध्यात्मिक आयाम के सूक्ष्म जीव तथा परम पूज्य डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक सकारात्मकता के मध्य हो रहे सूक्ष्म युद्ध का अध्ययन करने का अवसर दिया ।

जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण से बने छिद्र प्रायः अति बलशाली अनिष्ट शक्ति तथा सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक द्वारा निर्मित होते हैं । अधिकांश प्रकरणों में निम्न शक्तिवाली अनिष्ट शक्तियां ही बलशाली सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिकों के निर्देश पर छिद्र बनाने का काम करती हैं । इस प्रकरण में हमें ज्ञात हुआ कि सूक्ष्मस्तरीय युद्ध दो पृथक स्तरों पर हुआ

२. सूक्ष्मस्तरीय आक्रमण का स्तर तथा विवरण

२.१ आक्रमण का प्रथम स्तर

युद्ध के पहले स्तर में, हमने एक राक्षस को चित्र पर कंकाल सामन आकार के शस्त्र से आक्रमण करते देखा । SSRF की सूक्ष्म ज्ञान विभाग की साधिका पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी ने अपनी विकसित छठवीं इंद्रिय के माध्यम से जो कुछ देखा उसे चित्रित किया तथा वास्तव में उस गतिविधि के समय क्या हुआ उसकी एक झलक हमें दिखाई ।

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ऊपर दिया गया सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र पूजनीया योयाजी द्वारा अपनी विकसित छठवीं इंद्रिय के माध्यम से देखा गया है । एक चलचित्र के रूप में उन्होंने एक राक्षस के स्तर की एक अनिष्ट शक्ति को चाकू समान बरछा(अस्त्र) पकडे देखा । बरछे(अस्त्र) के ऊपर का भाग खोपडी के आकार का था जिसकी आंखें गड्ढे समान थीं । उस अस्त्र से लालिमा लिए काले रंग की सूक्ष्म शक्ति निकल रही थी । इस शक्ति का उपयोग चित्र में छिद्र करने के लिए हुआ । (तीसरे तीर का चिह्न देखें)

पूजनीया योयाजी ने राक्षस के पूर्ण स्वरूप को अत्यधिक विस्तार से देखा । सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र के संदर्भ में उन्होंने निम्लिखित सूत्र अंकित किए हैं :

राक्षस का विवरण

  • उसका मुख हड्डीयुक्त एक कंकाल के समान है तथा उसके दांत तीक्ष्ण हैं । उसकी आंखें क्रोध से धधक रही हैं ।
  • उसका रंग गोरा तथा सांवला है ।
  • उसकी आंखें श्‍वेत हैं तथा आंख की पुतलियां काली हैं जिनके चारों ओर हरा वलय है । क्रोध के कारण आंखों की पुतलियां तनकर लाल हो गई हैं । क्रोध के कारण वह चित्र पर बलपूर्वक प्रहार करता है ।
  • उसके दांत हैं पर होंठ नहीं । उसके दांत असमान, धूसर-सफेद तथा अति तीक्ष्ण हैं ।
  • उसके सिर पर अल्प बाल हैं । काली शक्ति से भरे उसके टूटे केश की कुछ लटें शेष हैं ।

उसकी बांह का विवरण

  • उसकी बांह की नसें देखी जा सकती हैं, जिससे सूक्ष्म तीक्ष्ण काली शक्ति के कण निकलते हैं ।
  • उसके सिर से कंपनयुक्त  तरंगों के रूप में काली शक्ति निकलती है । (सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र दूसरे तीर का चिह्न देखें)

उसके वस्त्रों का विवरण

  • उसने फटे रेशमी, अर्ध पारदर्शक वस्त्र पहने हैं, जिससे होकर अनिष्ट शक्ति हवा के समान बहती है ।
  • काली शक्ति का आवरण, जो उसके चारों ओर दृढता से है, उसे भिन्न-भिन्न रूप धारण करने तथा हवा के समान एक स्थान से दूसरे स्थान जाने हेतु शक्ति देता है । (सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र में तीसरे तीर का चिह्न देखें)

२.२ आक्रमण का द्वितीय स्तर

SSRF के सूक्ष्म संवेदन विभाग में ऐसे साधक हैं, जिनमें सूक्ष्म विश्व को देख पाने की क्षमता है एवं वे सूक्ष्म विश्व के चित्र (सूक्ष्म चित्र) बना सकते हैं । साथ ही वे आध्यात्मिक उपचार भी बता सकते हैं । इस विभाग के कुछ साधकों को ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त होता है तथा कुछ साधक ईश्वरीय कला का मार्ग अपनाते हैं । SSRF का शोध कार्य अधिकतर इसी विभाग द्वारा किया जाता है ।

SSRF के सूक्ष्म ज्ञान विभाग की अन्य साधिका पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को अपने सूक्ष्म-मन तथा सूक्ष्म-बुद्धि के माध्यम से उच्चतर स्तर के आक्रमण का बोध हुआ । आक्रमण करनेवाला वास्तविक जीव छठे पाताल का उच्चस्तरीय मांत्रिक था । उसी ने राक्षस को आक्रमण करने के लिए भेजा था ।

चित्र से प्रक्षेपित होनेवाली सात्त्विकता को सूक्ष्म-ध्वनि के माध्यम से अवरुद्ध करने के लिए सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक ने अस्त्र को पूरे बल से चित्र पर घोंपकर कष्टदायक ध्वनि उत्पन्न की । इस प्रकार चित्र से प्रक्षेपित हो रही सात्त्विकता को रोकने का प्रयास किया । आक्रमण का उद्देश्य परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के प्राण लेना था । इस प्रकार चित्र पर किया जानेवाला आक्रमण काला जादू अथवा वूडू के समान है, जिसमें चित्र में रहे व्यक्ति को हानि पहुंचाने की मंशा रहती है । चित्र के आसपास के वातावरण में सूक्ष्म-दबाव बढ गया ।

तत्पश्चात चित्र से प्रक्षेपित होनेवाली सात्त्विकता ने सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक के आक्रमण का विरोध कर सिद्धियों से प्राप्त उसके सूक्ष्म अस्त्र नष्ट कर दिए । सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की शक्ति शीघ्रता से घटने लगी ।

फलस्वरूप वातावरण में सूक्ष्म-दबाव घट गया ।

२.३ आक्रमण का द्वितीय स्तर

  • परम पूज्य डॉ.आठवलेजी पर प्रभाव : सूक्ष्मस्तरीय मांत्रिक का हेतु चित्र पर सूक्ष्म आक्रमण कर परम पूज्य डॉ.आठवलेजी के प्राण लेना था । मृत्यु की तुलना में, जिसमें सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक को १०० प्रतिशत सफलता मिलती, सूक्ष्म युद्ध आरंभ होने के कारण वह परम पूज्य डॉ.आठवलेजी पर ५ प्रतिशत ही कुप्रभाव डाल सका । यह परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के सिर पर अत्यधिक दबाव तथा पूरे शरीर में शिथिलता का अनुभव होने के रूप में प्रकट हुआ ।
  • वातावरण पर प्रभाव : सूक्ष्म-उष्मा तथा दबाव के रूप में वातावरण में रज-तम २० प्रतिशत बढ गया ।
  • चित्र देखनेवाले साधकों पर प्रभाव : परम पूज्य डॉ. आठवलेजी की तुलना में इस असाधारण घटना को देखनेवाले साधकों को १५ प्रतिशत कष्टदायक अनुभव हुआ । इनमें कान-दर्द, शरीर का शिथिल हो जाना, पैरों तथा हाथों में पिन तथा सूई चुभोने जैसी संवेदना होना, इस प्रकार के कष्ट सम्मिलित हैं ।