वर्ष १९९७ में मैं स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन (SSRF)से परिचित हुआ । तब से मैं SSRF के मार्गदर्शन में अध्यात्म का अभ्यास कर रहा हूं । व्यवसाय से मैं एक वकील हूं । फरवरी १९९८ में अध्यात्म की अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए मैंने अपना व्यवसाय त्याग कर अपना पूरा समय SSRF के माध्यम से र्इश्वर की सेवा में समर्पित किया । तबसे मैं SSRF के भारत स्थित आश्रम में रहता हूं और अपना समय तथा सेवा अध्यात्मप्रसार के लिए देता हूं ।
२ दिसंबर २००४ के दिन अन्य सहसाधकों के साथ मैं SSRF की इन्वर्टर-बैटरी का रखरखाव कर रहा था । जब मैं बैटरी ठीक कर रहा था, अचानक मेरे गले में रक्त का स्वाद आने लगा । रक्त का विचित्र स्वाद लगभग पांच मिनटों तक रहा, जिससे मुझे कष्टदायक तथा अस्वस्थ अनुभव होने लगा । उसी रात्रि ९.३० बजे मैं अपने कष्टदायक अनुभव लिखने बैठा, जिससे शोध करने हेतु SSRF के सूक्ष्म-विभाग को दे सकूं । जैसे ही मैंने टंकन आरंभ किया, मैंने अपने सिर पर अत्यधिक दबाव अनुभव किया जिससे सोचकर टंकन करना कठिन हो गया ।
– श्री.योगेश जलतारे
अनुभूति का अध्यात्मशास्त्र
SSRF के सूक्ष्म-विभाग की एक साधिका श्रीमती श्रद्धा पवार जिनकी छठवीं इंद्रिय अति विकसित हैं, ने उपरोक्त घटना का सूक्ष्म-परीक्षण किया । उन्हें पता चला कि छठवें पाताल का सूक्ष्म-मांत्रिक, एक प्रकार की अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस, इत्यादि) योगेश को कष्ट दे रहा था । योगेश को साधना करने से रोकने के लिए वह ऐसा कर रहा था । वह सूक्ष्मरूपी-मांत्रिक उसके मन तथा बुद्धि पर काला आवरण लाने के प्रयास में उसके गले में काली शक्ति फैला रहा था । उसका प्रकटीकरण रक्त के स्वाद के रूप में हो रहा था । अपने लक्ष्यों को कष्ट देने के लिए सूक्ष्म-मांत्रिक इस प्रकार का प्रकटीकरण करता है । प्रकटीकरण में दुर्गंध तथा विचित्र स्वाद सम्मिलित है । अनिष्ट शक्ति इन प्रकटीकरणों का प्रदर्शन पंचतत्वों के माध्यम से करती है । इस प्रसंग में, यह प्रकटीकरण अर्थात रक्त का स्वाद, आपतत्व के माध्यम से किया गया था ।
सूक्ष्मरूपी मांत्रिक अथवा अनिष्ट शक्तियोंद्वारा प्रयुक्त प्राथमिक अस्त्र है काली शक्ति । एक बार यदि साधक का मन तथा बुद्धि काली शक्ति के आवरण में जकड जाए, तो साधक को उसके सिर में बढा हुआ दबाव अनुभव होता है तथा यह उसकी विचार प्रक्रिया को भी धूमिल करता है । श्रद्धा ने यह भी निरीक्षण किया था कि, उस समय सूक्ष्म-मांत्रिक ने योगेश के आसपास के वायुमंडल में भी काली शक्ति फैला दी थी ।