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इस लेख को उचित प्रकार से समझने हेतु हम आपको निम्न लेखों से परिचित होने का सुझाव देते हैं :

१. सत्व, रज, तम – ब्रह्मांड के ३ सूक्ष्म मूलभूत तत्व  

२. सात्विक जीवन की संकल्पना की प्रस्तावना (दैनिक जीवन में अध्यात्म)

३. वेशभूषा कैसे करें ? – हमारे द्वारा धारण किए जानेवाले वस्त्रों का आध्यात्मिक प्रभाव

. नाइलोन के कपडे के आध्यात्मिक पहलुओं का परिचय

नाइलोन के कपडे से निर्मित वस्त्र आधुनिक परिधानों का आवश्यक अंग बन चुके हैं । इसके उपयोग की सूची अत्यधिक भिन्न रही है एवं इसमें महिलाओं के मोजे (स्टॉकिंग्स), ट्रैक पेंट, खेलकूद के वस्त्र, छोटी पतलून, मोजे एवं वायुरोधी कोट (विंडब्रेकर) सम्मिलित है । तथापि प्रत्येक कपडा केवल भौतिक स्तर पर ही नहीं अपितु आध्यात्मिक स्तर पर भी अपनी विशेषताओं एवं गुणों के समूह के साथ आता है । पहनने के उपरांत, कपडे के प्रधान सूक्ष्म आध्यात्मिक स्पंदन हमें आध्यात्मिक स्तर पर प्रभावित करेंगे ।

यदि कपडा सत्व प्रधान है तो आध्यात्मिक स्तर पर हमारी सहायता करेगा । यदि कपडा तम प्रधान है तो आध्यात्मिक स्तर पर हमारे लिए हानिकारक होगा । आध्यात्मिक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव होने से प्रायः मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक स्तर पर भी इसका प्रभाव पडता है ।  उदाहरणार्थ किसी को व्याकुल मन, अर्धशीर्षी (माइग्रेन) अथवा धूमिल सोच (clouded thinking) का अनुभव हो सकता है ।

इस लेख में हम नाइलोन कपडे के आध्यात्मिक गुणों एवं इससे हम पर होनेवाले प्रभावों का पता लगाते हैं ।

. नाइलोन के कपडे से निर्मित वस्त्रों पर आध्यात्मिक शोध

नाइलोन का कपडा मानव निर्मित एवं रसायन युक्त होता है । फलस्वरूप  दिव्य गुणों को आकर्षित एवं धारण करने की इसकी क्षमता सीमित होती है । इस कारण नाइलोन के कपडे से निर्मित वस्त्र रज-तम प्रधान बन जाते हैं । आध्यात्मिक विश्व की अनिष्ट शक्तियां जैसे भूत आदि किसी भी रज-तम प्रधान वस्तु की ओर आकर्षित होते हैं I वास्तव में इस प्रकार के कपडे का प्रयोग करनेवाले लोगों पर अनिष्ट शक्तियों (भूतों, राक्षसों, दानवों, आदि.) द्वारा सूक्ष्म आक्रमण करने की तीव्रता उच्च होती है I

सकारात्मक स्पंदनों से आवेशित होने की इसकी क्षमता सीमित रहती है । यह एक अन्य पहलू है, जिसके कारण नाइलोन का कपडा अनिष्ट शक्तियों के लिए लोगों को प्रभावित करने का माध्यम बन जाता है । उदाहरणार्थ, यदि कोई स्त्री नाइलोन के मोजे पहनती है, तो वह अनिष्ट शक्तियों द्वारा सरलता से प्रभावित हो सकती है ।

३. आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से नाइलोन के कपडे के गुणों पर आध्यात्मिक शोध

इस खंड में हम, पू. श्रीमती योया वाले जिनकी छठवीं इंद्रिय विकसित है, उनके द्वारा सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र साझा करते है । ईश्वर की कृपा एवं अनेक वर्षों की नियमित साधना से, जैसे हम स्थूल जगत को देखते हैं, ठीक उसी प्रकार पू. योया में सूक्ष्म जगत को देखने की क्षमता है I सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्रों को बनाने के द्वारा, पू. योया हमारे साथ सूक्ष्म विश्व को देख पाने की अपनी अद्वितीय क्षमता साझा करती हैं I

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पू. योया ने जो अनुभव किया उसके साथ सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र का विवरण निम्नलिखित है  :

  • नाइलोन का कपडा सात्त्विक प्रकृति का नहीं होता । नाइलोन के कपडे की बनावट अच्छी नहीं होती । नाइलोन का कपडा संश्लिष्‍ट तंतुओं (सिंथेटिक फायबर) से निर्मित होता है । इसलिए इसमें सूक्ष्म कष्टदायक शक्ति के कण निर्मित होते हैं एवं ये कपडे के सर्व ओर सक्रिय रूप से संरक्षित भी हो जाते हैं ।
  • परिणामस्वरूप वातावरण में विद्यमान कष्टदायक शक्ति कपडे की ओर आकर्षित होने लगती है ।
  • कष्टदायक शक्तियों के अतिरिक्त, नाइलोन के कपडे में अनेक प्रकार के नकारात्मक स्पंदन होते हैं । वे आपस में मिश्रित हो जाते हैं एवं तीव्र गति से सक्रिय हो जाते हैं एवं निरंतर सक्रिय रूप में ही रहते हैं । परिणामस्वरुप, नाइलोन वस्त्र धारण किया हुआ व्यक्ति व्याकुल एवं शंकाग्रस्त हो जाता है ।
  • जब नाइलोन के कपडे को विभिन्न रंग देने एवं उस पर डिजाइन छापने के लिए रासायनिक प्रक्रिया की जाती है, तब उसमें विद्यमान कष्टदायक शक्ति का अनुपात १.५ प्रतिशत तक बढ जाता है ।

नाइलोन के कपडे का सूक्ष्म-परीक्षण करते समय योया ने अपने मनोभाव इस प्रकार व्यक्त किए I

‘‘मुझे लगा की नाइलोन का कपडा सात्त्विक नहीं है । जैसे ही मैंने वस्त्र को हाथ में लिया मुझे सिरदर्द होने लगा और यह रज-तम प्रधान लगा । मैं कांपने लगी एवं मुझे अपने हाथ में एक चुभनेवाली संवेदना का अनुभव हुई ।’’

४. नाइलोन पहनने के विषय में प्रमुख बिंदु

उपर्युक्त अनुसार सबसे उत्तम यह है कि, मानव निर्मित वस्त्रों जैसे नाइलोन को पहनने से यथासंभव दूर रहा जाए । कपास, रेशम एवं ऊन जैसे रेशे प्राकृतिक होते हैं एवं इसलिए सत्त्व प्रधान होते हैं । नियमित साधना जैसे नामजप हमें आध्यात्मिक सुरक्षाकवच प्राप्त करने में सहायता करता है, जो हमारी सूक्ष्म जगत के हानिकारक तत्त्वों से रक्षा करता है । नियमित साधना से सात्त्विक और तामसिक में अंतर कर पाने में भी सहायता मिलती है । यह ज्ञान प्राप्ति होने के पश्चात, अधिक सात्त्विक जीवन व्यतीत करने के लिए परिवर्तन करना सरल हो जाता है; क्योंकि व्यक्ति इसका महत्व आतंरिक रूप से समझ लेता है ।