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१. पवित्र तुलसी के आध्यात्मिक लाभ के संदर्भ में अध्ययन – प्रस्तावना

सभी पौधों में से तुलसी (वैज्ञानिक नाम – Ocimum tenuiflorum) सर्वाधिक सात्त्विक पौधा है । इसे धार्मिक एवं औषधीय कारणों एवं इसके तेल के लिए उगाया जाता है । दक्षिण एशिया में यह वनस्पति सर्वत्र औषधीय वनस्पति के रूप में जानी जाती है और सामान्यतः इसका उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है । आयुर्वेद, भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है । यह एक वैकल्पिक उपचार पद्धति भी है ।

स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन SSRF ने तुलसी के पौधे का वातावरण पर होनेवाला प्रभाव देखने के लिए अध्ययन किया । तुलसी के पौधे का वातावरण पर होनेवाला परिणाम पौधे को कौन सींचता है, इस पर निर्भर करता है अथवा नहीं, इसका भी अध्ययन किया गया । इस प्रयोग हेतु तुलसी के दो पौधे लिए गए ।

  • तुलसी का पौधा अ : तुलसी के इस पौधे को एक सामान्य व्यक्ति ने सींचा ।
  • तुलसी का पौधा आ : तुलसी के इस पौधे को प.पू. डॉ. आठवलेजी ने सींचा, जो कि एक संत हैं और उनका आध्यात्मिक स्तर ९०% से अधिक है ।

अति जाग्रत छठवीं इंद्रिय (सूक्ष्म दृष्टि) द्वारा ही व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर निश्‍चित किया जा सकता है । वातावरण पर तुलसी के पौधे का प्रभाव जांचने के लिए SSRF ने दो बायोफील्ड इमेजिंग विधाओं – रेजोनंट फील्ड इमेजिंग (आरआइएफ) और पॉलीकांट्रास्ट इंटरफेरन्स फोटोग्राफी (पीआईपी) का उपयोग किया।

२. संत एवं तुलसी के पौधे के संबंध में जानकारी

आज के युग (कलियुग) में साधना न करनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर लगभग २०% से २५% के मध्य होता है । साधना आरंभ करने पर तथा प्रतिदिन नियमित प्रयत्न करने पर व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर धीर-धीरे बढने लगता है । ७०% आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करने पर व्यक्ति संतपद पर विराजमान होता है । १००% आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करने पर व्यक्ति ईश्‍वरीय तत्त्व से पूर्णतः एकरूप हो जाता है ।

आध्यात्मिक स्तर तीन मूलभूत सूक्ष्म घटक (त्रिगुण) जिनसे मनुष्य बना है, के अनुपात से भी संबंधित है । व्यक्ति की आध्यात्मिक शुद्धता दर्शानेवाला सत्त्वगुण जितना अधिक, उतना ही व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर अधिक होता है । संतों में सात्त्विकता का स्तर अधिक होने के कारण उनके मात्र अस्तित्व अर्थात उपस्थिति से भी सभी व्यक्ति एवं वस्तुओं पर अच्छा प्रभाव पडता है । प.पू. डॉ. आठवलेजी उच्चतम स्तर के संत हैं, इसलिए देखा गया है कि उनसे प्रक्षेपित ईश्‍वरीय चैतन्य के कारण उनके द्वारा प्रयुक्त अनेक वस्तुओं में दर्शनीय परिवर्तन हो रहे हैं । अधिक (सकारात्मक) आध्यात्मिक शक्ति के कारण वस्तुओं में होनेवाले प्रगतिशील (प्रोग्रेसिव) परिवर्तन की बढती घटनाएं – इसके संदर्भ में अधिक पढें ।

SSRF द्वारा किए आध्यात्मिक शोध से यह पाया गया कि सभी वनस्पतियों में तुलसी के पौधे में सर्वाधिक सत्त्वगुण होता है । अक्टूबर २०१३ में बरामदे में रखे प.पू. डॉ. आठवलेजी द्वारा प्रतिदिन सींचे जानेवाले तुलसी के पौधे की पत्तियों पर अनेक दिनों तक ईश्‍वरीय कण दिखाई दिए । इसका कारण था पौधे का प.पू. डॉ. आठवलेजी द्वारा प्रक्षेपित ईश्‍वरीय चैतन्य के निरंतर संपर्क में रहना ।

३. बायोफील्ड इमेजिंग उपकरण से प्राप्त विश्‍लेषण

जिसके पास सामान्य से अधिक कार्यरत छठवी इंद्रिय है, वह प.पू. डॉ. आठवलेजी द्वारा सींचे तुलसी के पौधे की आध्यात्मिक शुद्धता तथा उससे प्रक्षेपित अच्छे स्पंदनों को समझ सकता है । आरएफआर्इ (रेजोनंट फील्ड इमेजिंग) और पीआर्इपी (पाॅलीकांट्रास्ट इंटरफेरन्स फोटोग्राफी) जैसे कुछ बायोफीडबैक उपकरण वस्तु के आसपास के स्पंदन ग्रहण कर उन्हें दृश्य स्वरूप में दिखा सकते हैं । इससे सामान्य व्यक्ति वस्तु तथा उसके आसपास का आभावलय (aura) अथवा ऊर्जाक्षेत्र (energy field) देख सकता है ।

३.१ आर.एफ.आई.के निरीक्षण

किसका मापन किया गया

निरीक्षण

निरीक्षण का अर्थ

सामान्य मनुष्य द्वारा सींचे गए तुलसी के पौधे को रखने से पहले रिक्त स्थान

१२१.२ मेगाहर्टज (MHz)

आरएफआई के अनुसार इन स्पंदनों का रंग नारंगी है, जो तम-प्रधानता अथवा आध्यात्मिक अशुद्धि दर्शाता है । तमोगुण आध्यात्मिक अशुद्धि दर्शाता है और अज्ञानता एवं जडता का प्रतीक है ।

सामान्य मनुष्य द्वारा सींचा गया तुलसी का पौधा रखने के उपरांत उसके आसपास का क्षेत्र

१२१.२ मेगाहर्टज (MHz)

आरएफआई की सारणी के अनुसार इससे संबंधित रंग नारंगी है और यह वातावरण में दबाव तथा नकारात्मकता दर्शाता है ।

प.पू. डॉ. आठवलेजी द्वारा सींचा गया तुलसी का पौधा रखने के उपरांत उसके आसपास का क्षेत्र

१२५.० मेगाहर्टज (MHz)

इसका रंग सुनहरा है और यह उच्च स्तर के अच्छे (सकारात्मक) स्पंदनों का सूचक है ।

३.२ पी.आई.पी. के निरीक्षण

पीआईपी बायोफील्ड इमेजिंग उपकरण से हमने निम्नांकित प्रकार के तीन निरीक्षण लिए;

१. बिना तुलसी के पौधे का वातावरण

२. सामान्य मनुष्य द्वारा सींचे गए तुलसी के पौधे के आसपास का वातावरण

३. प.पू. डॉक्टरजी द्वारा सींचे गए तुलसी के पौधे के आसपास का वातावरण

अब देखते हैं पीआईपी बायोफील्ड इमेजिंग उपकरण द्वारा दर्शाया गया प्रत्येक आभावलय ।

३.२.१ बिना तुलसी के पौधे का वातावरण

यह आभावलय रिक्त वातावरण का है, जब यहां तुलसी का पौधा नहीं रखा गया था । निम्नांकित चित्र से समझ में आता है कि यहां मुख्य रंग नारंगी और जामुनी हैं, जो नकारात्मकता दर्शाते हैं । हरा रंग, जो सकारात्मकता दर्शाता है; उसे नारंगी रंग ने पीछे की ओर धकेल दिया है । तुलसी का पौधा ‘अ’ रखने से पहले का यह मूलभूत पाठ्यांक था ।

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३.२.२ सामान्य व्यक्ति द्वारा सींचे गए तुलसी के पौधे के आसपास का वातावरण – तुलसी का पौधा ‘अ’

परीक्षण के अगले चरण में सामान्य व्यक्ति द्वारा सींचा गया तुलसी का पौधा वहां रखा गया । निम्न चित्र से समझ में आता है कि पांच मिनट में ही प्रभामंडल में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं । नकारात्मकता से संबंधित रंग दूर हट गए और सकारात्मकता से संबंधित हरे और हल्के नीले जैसे रंग प्रधानता से दिखने लगे हैं । इससे ज्ञात होता है कि तुलसी के पौधे का वायुमंडल पर सकारात्मक (अच्छा) प्रभाव पडता है ।

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सामान्य व्यक्ति द्वारा सींचे गए तुलसी के पौधे को हटाने के उपरांत और प.पू.डॉक्टरजी द्वारा सींचे गए तुलसी के पौधे को रखने के पहले का वातावरण

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३.२.३ प.पू. डॉक्टरजीद्वारा सींचा गया तुलसी का पौधा – तुलसी का पौधा ‘आ’

अंत में तुलसी का सामान्य पौधा हटाकर प.पू. डॉक्टरजी द्वारा सींचा गया तुलसी का पौधा रखा गया । प्रभामंडल का निम्नांकित चित्र देखने से पता चलता है कि मुख्य रूप से हल्के नीले रंग की मात्रा में वृद्धि हुई है । पीआईपी बायोफील्ड इमेजिंग उपकरण के अनुसार हल्का नीला रंग, हरे रंग की तुलना में अधिक सकारात्मक होता है । इससे ज्ञात होता है कि प.पू. डॉक्टरजी द्वारा सींचा गया तुलसी का पौधा सामान्य व्यक्ति द्वारा सींचे गए तुलसी के पौधे की तुलना में अनेक गुना सकारात्मक है ।

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३.२.४ निष्कर्षों का सारांश और महत्त्व

इस प्रयोग में बायोफिल्ड इमेजिंग उपकरण द्वारा प्राप्त निष्कर्ष छठवीं इंद्रिय से (सूक्ष्म दृष्टि से) प्राप्त तुलसी के पौधे की आध्यात्मिक शुद्धता और संत के अस्तित्व के लाभ के अत्यधिक महत्त्व की पुष्टि करते हैं ।

इस प्रयोग से निम्न महत्त्वपूर्ण सूत्र सामने आते हैं ।

  • तुलसी का पौधा अत्यधिक सकारात्मक होता है और वातावरण पर उसका अल्पकाल में सकारात्मक प्रभाव पडता है ।
  • घर अथवा बगीचे में तुलसी का पौधा लगाने से वातावरण पर आध्यात्मिक उपचारी प्रभाव पडता है, जो परिसर के अन्य निवासियों के लिए भी लाभदायक होता है ।
  • साधना करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर बढता है और फलस्वरूप वायुमंडल भी सकारात्मक दृष्टि से प्रभावित होता है ।
  • जब कोई व्यक्ति संतपद पर विराजमान होता है, तब उसके मात्र अस्तित्व से ही उसके निकट के लोग तथा वस्तुएं आध्यात्मिक सकारात्मकता से प्रभावित हो जाती हैं ।

उपर्युक्त स्कैन तथा विश्‍लेषण श्री. संतोष जोशी की सहायता से किए गए हैं । (यूनिवर्सल एनर्जी रिसर्चर, मुंबई, भारत.)

SSRF, इस क्षेत्र के वैज्ञानिकों तथा विशेषज्ञों को भारत स्थित गोवा के स्पिरिच्युअल साइंस रिसर्च सेंटर में हो रही विविध अनाकलनीय घटनाओं के अध्ययन में सम्मिलित होने का आवाहन करता है ।