किसी माध्यम अथवा Ouija बोर्ड की सहायता से अपने किसी मृत संबंधी से संपर्क करने का आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य क्या है ?

निम्नलिखित कारणों से किसी दिवंगत संबंधी को किसी माध्यम अथवा Ouija बोर्ड (परिभाषा –  मृतकों की आत्माओं से संपर्क करने हेतु प्रयोग किये जानेवाला बोर्ड) द्वारा संपर्क करना हानिकारक  है :

१. अधिकांश माध्यम प्रगत छठवीं इंद्रिय क्षमतावाले अथवा उच्च आध्यात्मिक स्तरवाले नहीं होते जिससे वे संपर्क की गई आत्मा की सही पहचान कर पाएं । अधिकांशतः हमारे पूर्वजों के स्थान पर कोई अन्य अनिष्ट शक्ति (पिशाच, असुर, काली शक्तियां आदि) वार्तालाप करती हैं । ये अनिष्ट शक्तियां (पिशाच, असुर, काली शक्तियां आदि) हमारे दिवंगत परिजनों को अपने नियंत्रण में लेकर उनसे व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर हमें धोखा दे सकती हैं जिससे हमें लगे कि हमारा संपर्क हमारे अपने पूर्वजों से ही हो रहा है । यह तब भी हो सकता है जब हमारे पूर्वज उन्हें कुछ बताना न चाहें, अनिष्ट शक्तियों (भूत, पिशाच, काली शक्तियों आदि) में हमारे पूर्वजों के मानस को भेदकर उनसे इच्छित जानकारी प्राप्त करने की भी क्षमता होती है । बहुधा ये अनिष्ट शक्तियां (भूत, पिशाच, काली शक्तियां आदि) हमारे पूर्वजों को जानबूझकर आने देती हैं और भूलोक में रह रहे उनके वंशज को गलत जानकारी देकर भ्रमित करने के लिए बाध्य करती हैं ।

२. प्राय: सभी घटनाओं में मध्यस्थों का (माध्यम बनने वाले जिन व्यक्तियों  का)अपेक्षाकृत आध्यात्मिक स्तर कम होता है वे अनिष्ट शक्तियों (भूत, पिशाच, काली शक्ति आदि) से प्रभावित हो जाते हैं, जिसका उन्हें तनिक भी बोध नहीं होता । अधिकांश मध्यस्थ यह कार्य धन एवं ख्याति प्राप्त करने हेतु करते हैं । अनिष्ट शक्तियां (भूत, पिशाच, काली शक्ति आदि) उन पर नियंत्रण पाने के लिए उनकी इस इच्छा का प्रयोग करती हैं । (पढें : भूतों के वश में जाने की संभावना किनकी अधिक है ?) बडा और गहरा प्रभाव डालने के लिए, यदा-कदा वे मध्यस्थ की क्षमता का विस्तार करती हैं, और भ्रांतिवश मध्यस्थ अपनी इस क्षमता को अपनी उपलब्धि मान बैठता है, जो यथार्थ से अत्यंत दूर है । अंतत: अनिष्ट शक्ति(भूत, पिशाच, काली शक्ति आदि) इस मध्यस्थ के द्वारा लोगों को दिग्भ्रमित करते हैं ।

३. इसके विपरीत, अपेक्षाकृत उच्चतर आध्यात्मिक स्तर के मध्यस्थ कुछ अनिष्ट शक्तियों (भूत, पिशाच, काली शक्ति आदि) को अपने नियंत्रण में रखते हैं । वे इन अनिष्ट शक्तियों का उपयोग दिवंगत आत्माओं से संपर्क स्थापित करने वाले लोगों के विषय में सूचना प्राप्त करने हेतु करते हैं ।

४. कई बार हम प्रेतसे संपर्क कर पानेवाले ”ghost whisperers” के विषय में सुनते हैं जो हमारे अपने पूर्वजों को आगे के लोकों में ले जाने में सहायता करते हैं । यह भी मध्यस्थ का एक पर्यायी शब्द है जो मृतात्माओं से संपर्क कर सकते हैं ।  तथापि जबतक ऐसे माध्यमों का आध्यात्मिक स्तर ७०% से अधिक (अर्थात संत स्तर का) नहीं हो, उनके द्वारा सूक्ष्म शरीर को भूलोक क्षेत्र से उच्च लोकोंतक ले जाने में सहायता करना लगभग असंभव है ।

५. पितरों से संपर्क करने का हमारा प्रयास केवल पूर्वज एवं भूलोक के संबंधियों के बीच मोह-माया की वृद्धि करता है । दिवंगत पूर्वज अपने रिश्तेदारों की पीडा एवं कष्ट को अनुभव करते हैं, इस कारण वे वापस भूलोक में खिंच जाते हैं और इससे उनकी पारलौकिक यात्रा बाधित होती है ।

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६. जो व्यक्ति संत है अर्थात ७०% से अधिक आध्यात्मिक स्तर का व्यक्ति ही दिवंगत पितरों से संबंधित सूचनाओं का आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सही आकलन कर सकता है । वैसे ही व्यक्ति यह बता सकते हैं कि संपर्क की गई आत्मा संबंधित पूर्वज की है अथवा किसी अन्य अनिष्ट शक्ति (भूत, पिशाच, काली शक्ति आदि) की । वर्तमान में पृथ्वी पर १०००० (दस सहस्र) से भी कम लोग ऐसी क्षमता से संपन्न हैं, और वे कभी भी आत्माओं से संपर्क साधने में लोगों की सहायता नहीं करते ।

७. Ouija बोर्ड के उपयोग से किसी के मृत पूर्वज से संपर्क करने की संभावना मात्र १०% है । प्राय: ९०% आशंका इस बात की होती है कि कोई भी अनिष्ट शक्ति उस पूर्वज का झूठा रूप लेकर आ सकती है और भयंकर बात यह है कि इस Ouija बोर्ड के द्वारा अनिष्ट शक्ति मध्यस्थ बने व्यक्ति को ही आवेशित कर सकती है  ।

अपने प्रियजन से बिछुडना एक दुखद अनुभव है, और किसी में भी उनसे संपर्क कर उनका कुशल-क्षेम जानने की इच्छा हो सकती है । अपने पूर्वजों के प्रति हमारी सर्वोत्तम सेवा यही है कि हम उनकी मुक्ति के लिए हर संभव प्रयास करें । जिससे कि वह अपनी मृत्योपरांत की आगे की यात्रा निर्विघ्न कर सकें । दिवंगतों से संपर्क साधने का कोई आध्यात्मिक महत्त्व नहीं है, ऐसा करना केवल पारस्परिक बाधाएं उत्पन्न करता है । महत्त्वपूर्ण यही है कि परिजन की मृत्यु के कारण उत्पन्न शोक को साधना की ओर उन्मुख कर श्री गुरुदेव दत्त का आध्यात्मिक सुरक्षात्मक जप किया जाए । इससे ना केवल दु:ख और पीडा का शमन होगा अपितु मृतात्मा को उनकी जीवनोत्तर यात्रा में सहायता मिलेगी ।