कृपया हैलोवीन पर हमारा वीडियो देखें:
विषय सूची
- १. हैलोवीन उत्सव का परिचय
- २. हैलोवीन को मनाने के आध्यात्मिक प्रभाव
- २.१ अनिष्ट शक्तियों की सक्रियता में वृद्धि
- २.२ भूतों द्वारा आविष्ट किए जाने की संभावना में वृद्धि होना
- २.३ अनिष्ट शक्ति का प्रकार जिसकी हैलोवीन उत्सवों का लाभ उठाने की सबसे अधिक संभावना होती है
- २.४ हैलोवीन पर काले तथा अन्य (अप्रिय) वेश धारण करना
- २.५ हैलोवीन के लिए सजावटें
- २.६ हैलोवीन के विशिष्ट व्यंजन
- २.७ ‘स्वांग अथवा भोज’ का उद्देश्य
- ३. आप हैलोवीन के आध्यात्मिक दुष्प्रभावों से स्वयं की रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं
१. हैलोवीन उत्सव का परिचय
हैलोवीन को अनेक देशों में मनाया जाता है विशेषकर अमरीका तथा यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में । इस उत्सव में बुराई की सभी प्रकार की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं । इस वार्षिक उत्सव के समय असामाजिक व्यवहार में संभावित तीव्र वृद्धि पर नियंत्रण हेतु पुलिस तथा अग्निशमन विभाग को पहले से ही सतर्क एवं तैयार रहना पडता है । यद्यपि अभिभावक अपने बच्चों को इस दिन अप्रिय अपरिचितों से मिलने में सावधानी रखने के लिए कहते हैं । तथापि वे इस बात से अनभिज्ञ होते हैं कि हैलोवीन उत्सव के मनोरंजन तथा उल्लास के स्वांग के पीछे उससे भी अधिक भयावह अदृश्य शक्ति कार्यरत रहती है ।
जिस प्रकार किसी आराधना स्थल पर भक्ति का वातावरण सकारात्मक दैवी शक्तियों के लिए अनुकूल होता है, उसी प्रकार इस परंपरा के कृत्य अनिष्ट शक्तियों जैसे भूतों की गतिविधि में वृद्धि होने में सक्रिय रूप से योगदान देते हैं ।
हैलोवीन की रात में बडे तथा बच्चे अधोलोक के जीवों (भूत, पिशाच, प्रेत, चुडैल, बेताल) की वेशभूषा धारण करते हैं, आग जलाते हैं एवं भव्य आतिशबाजी का आनंद लेते हैं । घरों को कद्दू अथवा शलजम को तराश कर बनाए गए डरावने मुखौटों से सजाया जाता है । उत्सव-स्थल की कुछ प्रचलित सजावटें हैं – डरावने रूप से हिलने वाला लालटेन (जैक ओ लालटेन), पक्षियों को डराने का पुतला, चुडैल, नारंगी तथा बैंगनी प्रकाश की लडियां; कंकाल, मकडियां, कद्दू, मृत शव, पिशाच तथा अन्य राक्षसी जीव । अन्य विकृत सजावटी अनुकृतियां हैं– कृत्रिम रूप से निर्मित कब्र की शिलाएं और जीव-जंतुओं की मुखाकृतियां ।
इस लेख में, आध्यात्मिक शोध से प्राप्त ज्ञान द्वारा हमने इस उत्सव के आध्यात्मिक दुष्प्रभावों को तथा लोगों पर पडने वाले इसके अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन प्रभावों को बताया है ।
२. हैलोवीन को मनाने के आध्यात्मिक प्रभाव
आरंभ करने से पहले हम अध्यात्मशास्त्र का मूलभूत नियम समझ लें जो कहता है कि ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध तथा इनसे संबंधित शक्ति सहवर्ती (एक साथ) होती हैं ।’ इसका अर्थ है जहां ‘ईश्वर’ शब्द विद्यमान है वहां ईश्वर से संबंधित शक्ति भी विद्यमान है । इसलिए हम ईश्वर के नामजप अथवा उनसे प्रार्थना करने के उपरांत अच्छा अनुभव करते हैं ।
इसी प्रकार जहां अनिष्ट शक्तियों (राक्षस, दानव, भूत, इत्यादि) के नाम तथा रूप विद्यमान रहते हैं जैसा कि हैलोवीन के दिन होता है, वहां उनकी कष्टदायक शक्ति भी विद्यमान रहती है । चूंकि हैलोवीन के समय धारण की जाने वाली वेशभूषाओं तथा सजावटों के रूप तथा रंग अनिष्ट शक्तियों के समान होते हैं इसलिए वे अत्यधिक नकारात्मक कष्टदायक शक्ति जैसे भूतों को आकर्षित करने में एक ऐन्टेना के रूप में कार्य करते हैं ।
वस्तुतः आध्यात्मिक शोध से यह ज्ञात हुआ है कि हैलोवीन एक ऐसा उत्सव है जिसका निर्माण अनिष्ट शक्तियों ने समाज में अपनी काली शक्ति को उत्पन्न करने तथा फैलाने के उद्देश्य से किया है । प्रायः अनिष्ट शक्तियां जैसे भूत, राक्षस, इत्यादि लोगों के मन में ऐसी परंपराओं को प्रारंभ करने के विचार उत्पन्न करती हैं जो रज-तम की ओर ले जानेवाले हों, जिससे कि वे उनके द्वारा लोगों को प्रभावित कर सकें ।
जहां हैलोवीन मनाया जाता है वहां इस उत्सव के प्रति अनिष्ट शक्तियों के आकर्षण के अतिरिक्त लोगों एवं उन स्थानों के वातावरण पर हो रहे दुष्प्रभावों को आगे बताया गया है ।
२.१ अनिष्ट शक्तियों की सक्रियता में वृद्धि
जहां हैलोवीन मनाया जाता है उन स्थानों पर अनिष्ट शक्तियों की सक्रियता में ३० प्रतिशत वृद्धि हो जाती है । अनिष्ट शक्तियों की बढी हुई सक्रियता तथा विविध वेशभूषाओं तथा सजावटों से उत्पन्न नकारात्मक स्पंदनों के कारण ३१ अक्टूबर की संध्या अर्थात जब हैलोवीन मनाया जाता है उस समय वातावरण में रज-तम की मात्रा ३० प्रतिशत तक बढ जाती है । यह एक उल्लेखनीय वृद्धि है, और अनिष्ट शक्तियों का यह बढा हुआ प्रभाव ४ सप्ताह तक रहता है । यह प्रभाव धीरे-धीरे लगभग छः महीनों में समाप्त होता है ।
प्राकृतिक घटनाओं जैसे ग्रहण, पूर्णिमा तथा अमावस्या में भी अनिष्ट शक्तियों की सक्रियता में वृद्धि होती है । किंतु यह प्राकृतिक घटना के कारण होता है । हैलोवीन के प्रकरण में अनिष्ट शक्तियों की सक्रियता में वृद्धि होना पूर्णतया मानव निर्मित कारण है ।
२.२ भूतों द्वारा आविष्ट किए जाने की संभावना में वृद्धि होना
‘अनिष्ट शक्तियों (भूतों, प्रेत, राक्षस, इत्यादि) द्वारा प्रभावित होने’ तथा अनिष्ट शक्तियों द्वारा आविष्ट (भूतावेश) हो जाने का क्या अर्थ है ? इस संदर्भ में यह लेख पढें ।
नीचे दी गई सारणी में ३ प्रकार के व्यक्तियों पर हैलोवीन के प्रभाव को समझाया गया है जिसमें उत्सव में सक्रिय रूप से सम्मिलित वयस्क प्रतिभागी, सक्रिय रूप से सम्मिलित बाल प्रतिभागी तथा जो सक्रिय रूप से सम्मिलित नहीं हुए वे लोग हैं ।
फरवरी २०१४ में हमने हैलोवीन के प्रभाव का एक अन्य सूक्ष्म परीक्षण किया और पाया कि वर्ष २००७ से सूक्ष्म स्तर पर हैलोवीन के घातक प्रभाव में अत्यधिक वृद्धि हुई है । नीचे दी गई सारणी में हमने इसके प्रभाव के संशोधित आंकडें दिए हैं ।
के संदर्भ में वर्ष २०१४ में हैलोवीन के प्रभाव | उत्सव में सक्रिय रूप से सम्मिलित व्यस्क प्रतिभागी | उत्सव में सक्रिय रूप से सम्मिलित बाल प्रतिभागी | सम्मिलित न होनेवाले लोग |
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रज-तम में वृद्धि | ३० प्रतिशत | ३० प्रतिशत | २० प्रतिशत |
भूतावेश की संभावना में वृद्धि | ५० प्रतिशत | ५० प्रतिशत | ३० प्रतिशत |
हानिकारक प्रभाव के रहने की अवधि | १० सप्ताह | १० सप्ताह | ४ सप्ताह |
स्त्रोत: फरवरी २०१४ में SSRF.org द्वारा किया गया आध्यात्मिक शोध
नकारात्मक प्रभाव में वृद्धि होने के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं:
१. वर्ष २००७ से वातावरण में रज-तम का स्तर व्यापक रूप में बढा है । ( इसका अर्थ है कि वर्ष २०१४ की तुलना में वर्ष २००७ अपेक्षाकृत अधिक सात्त्विक था ।)
२. समाज के लोगों में इस प्रकार के नकारात्मक उत्सवों में सम्मिलित होने की इच्छाओं में वृद्धि हुई है । यह समाज में रज-तम में हुई वृद्धि को दर्शाता है । परिणामस्वरूप अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित किए जाने की संभावना भी बढी है ।
‘विश्व की कितनी जनसंख्या अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित तथा आविष्ट है ?’ इसके संदर्भ में लेख देखें ।
ऐसा नियम है कि सदृश, सदृश को आकर्षित करता है अर्थात कोई भी गुण उसी के समान अन्य गुण को आकर्षित करता है; समानताएं परस्पर आकर्षित होती ही हैं । इसलिए जिन लोगों का इस प्रकार की दानवों समान वेशभूषा (जो तम प्रधान होती हैं) के प्रति आकर्षण होता है वे प्रायः स्वयं ही तम प्रधान लोग होते हैं । ऐसे लोगों को अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित अथवा आविष्ट किए जाने की संभावना अधिक होती है । उन्हें प्रभावित करनेवाली अनिष्ट शक्तियां ऐसे लोगों के विचारों को इस प्रकार की गतिविधियों में सहभागी होने के लिए प्रवृत्त करती हैं ।
SSRF में, हमारे ऐसे साधक हैं जो आध्यत्मिक आयाम को ठीक उसी प्रकार देख सकते हैं जैसा हम भौतिक आयाम को देखते हैं । पूज्य (श्रीमती) योया वालेजी ने राक्षसी मुखौटा तथा वेशभूषा धारण करने ले एक औसत व्यक्ति के चारों ओर निर्मित होनेवाले सूक्ष्म नकारात्मक स्पंदनों का सूक्ष्म चित्र बनाया ।
मुख्य बिंदु यह है कि हम कष्टदायक स्पंदनों को अत्यधिक मात्रा में आकर्षित करते हैं तथा उनसे प्रभावित हो जाते हैं । यदि कोई व्यक्ति राक्षसी जीव से आविष्ट है तो न केवल वह नकारात्मक शक्ति को आकर्षित करेगा अथवा करेगी अपितु वातावरण में भी नकारात्मक शक्ति प्रसारित करेगा ।
२.३ अनिष्ट शक्ति का प्रकार जिसकी हैलोवीन उत्सवों का लाभ उठाने की सबसे अधिक संभावना होती है
अनिष्ट शक्ति का वह प्रकार जिसकी उत्सव का लाभ उठाने की सबसे अधिक संभावना होती है वह है भूत।
२.४ हैलोवीन पर काले तथा अन्य (अप्रिय) वेश धारण करना
उत्सव के समय काला रंग प्रधान रूप से पहना तथा प्रयोग किया जाता है । काले रंग के तामसिक प्रवृति के होने के कारण यह वातावरण में विद्यमान नकारात्मक तथा कष्टदायक तरंगों को आकर्षित तथा प्रसारित करने की अधिकतम अर्थात ७० प्रतिशत तक की क्षमता रखता है । इसका अर्थ है कि वातावरण में विद्यमान समस्त संभावित नकारात्मक स्पंदनों (अनिष्ट शक्तियों सहित) में से ७० प्रतिशत तक को काला रंग आकर्षित कर सकता है ।
यह लेख भी देखें, ‘अंत्येष्टि के समय किस रंग का वस्त्र पहनना सबसे उपयुक्त है ?’ तथा रंग हमें आध्यत्मिक रूप से कैसे प्रभावित करते हैं ?
बच्चे भी जादूगर, पिशाच, चुडैल, भूत, कंकाल इत्यादि की वेशभूषाएं धारण कर लेते हैं, जो तम प्रधान होती हैं तथा उन वेशों से वे जिन्हें दर्शाते हैं वास्तव में उन्हीं अनिष्ट शक्तियों को वे आकर्षित कर रहे होते हैं ।
२.५ हैलोवीन के लिए सजावटें
सजावट | विवरण |
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प्रवेश द्वार | प्रवेश द्वार को ऐसी मालाओं से सजाया जाता है जो कि प्रायः काले रंग की अथवा अधोलोक के चिन्हों से अलंकृत होती हैं । |
घर | घरों को कृत्रिम मकडी के जालों, मकडियों, अनिष्ट शक्तियों, कब्र की शिलाओं, कंकाल इत्यादि तम प्रधान वस्तुओं से सजाया जाता है । |
हैलोवीन कण्डील | कद्दू की कण्डील प्रायः विचित्र (अप्रिय) मुखाकृतियों में तराशी हुई होती हैं जिनसे आसपास के क्षेत्र में तम-प्रधान तरंगें प्रसारित होती हैं । |
संपादकीय टिप्पणी: शरद ऋतु में पूर्णरूप से पके कद्दू तथा सूरजमुखी के फूलों के खेत, प्रकृति मां द्वारा दिए उपहार का अनुपम उदाहरण हैं । हैलोवीन के समय एक विचित्र एवं भयावह अनुष्ठान हेतु कद्दू को विसंगत आकारों में तराशना अनिष्ट शक्तियों को निर्बाध रूप से सहज ही आकर्षित करता है, अतएव यह कृत्य मानवजाति के लिए एक विचारणीय विषय है ।
२.६ हैलोवीन के विशिष्ट व्यंजन
हैलोवीन के दिन कब्र की शिलाओं, प्रेतबाधित घरों एवं कटे हुए हाथ इत्यादि आकार के केक तथा अन्य खाद्य पदार्थ खाना सामान्य बात है । उपर्युक्त बताए गए अध्यात्मशास्त्र के नियम के अनुसार वस्तु का रूप तथा उससे संबंधित शक्ति सहवर्ती (एक साथ) होती है (यह नियम स्थूल वस्तुओं पर अधिक लागू होता है) । अपनी (भयानक) आकृति के कारण एक और संवाहक के रूप में ये खाद्य-पदार्थ भूतों जैसी अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण को ३० प्रतिशत तक बढाते हैं ।
२.७ ‘स्वांग अथवा भोज’ का उद्देश्य
स्वांग की वस्तुओं (मुखाकृतियां आदि) अथवा असंगत (विचित्र) भोज्य-पदार्थों को मांगने के लिए बच्चे घर-घर जाते हैं और जो उन्हें मना करता है उनको डराने के लिए स्वांग खेलते हैं । जिसके फलस्वरूप,
अ. बच्चों के मन में तम प्रधान संस्कार निर्मित होते हैं ।
आ. मन की प्रवृत्ति बहिर्मुखी हो जाती है ।
३. आप हैलोवीन के आध्यात्मिक दुष्प्रभावों से स्वयं की रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं
- हैलोवीन उत्सव में सम्मिलित होकर हम अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित तथा आविष्ट होने की संभावना को स्पष्ट रूप से बढा देते हैं । इसलिए ऐसे उत्सवों से दूर रहना तथा अन्यों को इसके दुष्प्रभावों के विषय में शिक्षित करना सर्वोत्तम होगा । (इसके लिए हम अपने सभी मित्रों तथा परिचितों को यह लेख ईमेल भी कर सकते हैं ।)
- वृद्धिगत रज-तम के दुष्प्रभावों से तथा अनिष्ट शक्तियों की बढी हुई सक्रियता से स्वयं की रक्षा हेतु व्यक्ति को दृढतापूर्वक अपनी साधना पर ध्यान देना आवश्यक है । विशेषकर यह हैलोवीन से १-२ दिन पूर्व की अवधि में तथा इसके उपरांत न्यूनतम एक सप्ताह तक होता है । दुष्प्रभावों से रक्षा हेतु तथा साधना भलीभांति होने के लिए निरंतर प्रार्थनाएं (कृतज्ञता सहित) करना आवश्यक है ।
‘अपनी साधना आरंभ करें’ के संदर्भ में लेख देखें । साधना करने पर व्यक्ति हैलोवीन के आध्यात्मिक दुष्प्रभावों पर विजय प्राप्त करने में भली-भांति सक्षम हो जाता है ।