भूत, राक्षस, तथा अन्य अनिष्ट शक्तियों के कारण कपडों में स्वतः छेद होना

टिप्पणी : इस प्रकरण अध्ययन की पृष्ठभूमि समझने के लिए और ऐसी घटनाएं विशेष रूप से SSRF के संबंध में क्यों हो रही हैं, कृपया पढें – असाधारण भयभीत करनेवाली घटनाओं का परिचय

यह प्रकरण अध्ययन अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) के आक्रमण के कारण कपडों पर स्वतः होनेवाले छिद्रों के संदर्भ में है । यह अनुभव परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले साधक पूजनीय श्री पृथ्वीराज हजारेजी का है । जुलाई २००३ में हुआ घटनाक्रम इस प्रकार रहा ।

1.-HIN-Hazare
भारत के मुंबई में अपनी यात्रा के समय मैंने एक धारीदार पायजामा खरीदा था । एक सप्ताह के उपरांत, जब मैं गोवा आया, तब सोते समय पहली बार वो पायजामा पहना । जब मैं सवेरे उठा, तो पायजामा के नीचे की ओर एक बडा छिद्र देखकर मैं आश्‍चर्यचकित रह गया । छिद्र (जिसका व्यास ४-५ सेंमी.होगा) का और निरीक्षण करते हुए मैंने देखा कि छिद्र के किनारे का मेरे हाथ में चूर्ण हो गया । उस आकार के टुकडे अथवा कोई चिन्ह ढूंढने पर कुछ भी नहीं मिला । मेरे बिछावन पर उस आकार के अंश का भी कोई अता-पता न था । मुझे यह बहुत विचित्र लगा । उस कक्ष में रहनेवाले अन्य ६-७ सहसाधकों को भी वह छिद्र देख विश्वास नहीं हुआ । ऐसा होने का कोई भी स्पष्ट कारण समझ में नहीं आ रहा था ।

2.-HIN-Pant-spontaneous-holes

SSRF के सूक्ष्म संवेदन विभाग में ऐसे साधक हैं, जिनमें सूक्ष्म विश्व को देख पाने की क्षमता है एवं वे सूक्ष्म विश्व के चित्र (सूक्ष्म चित्र) बना सकते हैं । साथ ही वे आध्यात्मिक उपचार भी बता सकते हैं । इस विभाग के कुछ साधकों को ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त होता है तथा कुछ साधक ईश्वरीय कला का मार्ग अपनाते हैं । SSRF का शोध कार्य अधिकतर इसी विभाग द्वारा किया जाता है ।

जब मैंने SSRF के सूक्ष्म विभाग को यह दिखाया, तब उन्होंने उसका सूक्ष्म परीक्षण किया तथा बताया कि यह अनिष्ट शक्तियों के कारण हुआ था ।

वर्ष २०१० में जब उस पायजामे का सूक्ष्म परीक्षण पुनः किया गया, तब पता चला उस पर आए छिद्र से कष्टदायक तरंगों की मात्रा बढ गई है । यह दो कारणों से हुआ :

  • पायजामे में अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित काली शक्ति के केंद्र इतने वर्षों में और अधिक शक्तिशाली हो गए थे ।
  • साथ ही, युग में परिवर्तन के कारण विश्व अभी संधि काल में है । अनिष्ट शक्तियों की गतिविधियां अत्यधिक बढ जाने के कारण वातावरण आध्यात्मिक रूप से प्रतिकूल बन गया है । इस कारण पूर्व से ही अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित विविध वस्तुओं में काली शक्ति और बढ गई है ।