विकसित देशों में मानसिक रोग होना

१. प्रस्तावना

मानसिक रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है तथा वह उसे अंधकार की ओर धकेल देता है । मात्र इसलिए कि हम इसे देख नहीं सकते, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह होता ही नहीं है । वास्तविकता तो यह है कि मानसिक स्वास्थ्य के विकारों से कोई भी ग्रस्त हो सकता है, भले ही वह किसी भी आयु, जाति, राष्ट्रीयता, वित्तीय स्थिति अथवा समाज में प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति हो । आंकडे बताते हैं कि विकसित राष्ट्रों के लोग अधिक खतरें में हैं । इस जानकारी को उन लोगों से साझा कर उनकी सहायता की जा सकती है जो किसी भी प्रकार के मानसिक रोग से ग्रसित है, तथा उन्हें पुनः अच्छे स्वास्थ्य की ओर अग्रसर किया जा सकता हैं । वर्तमान में विश्वभर के दूषित वातावरण में, यह स्लाइड शो पहले से कहीं अधिक उपयोगी होगा ।

२. विकसित राष्ट्रों में यह समस्या कितनी व्यापक रूप से फैली हुई है ?

१. विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) के अनुसार, विकसित देशों राष्ट्रों में कैंसर तथा ह्रदय रोग सहित अन्य किसी भी रोग की तुलना में मानसिक रोग के आंकडे सर्वाधिक है ।

२. संयुक्तराष्ट्र में लगभग एक चौथाई वयस्क मानसिक रोग से ग्रसित हैं तथा लगभग आधी जनसंख्या अपने जीवनकाल में किसी न किसी मानसिक कष्ट से कम से कम एक बार तो ग्रसित हुए होंगे ।

संदर्भ : रोग नियंत्रण तथा रोकथाम केंद्र (CDC)

३. लोग प्रायः किस समस्या से ग्रसित हैं ?

वयस्कों में चिंता तथा मनोवस्था संबंधी विकार सबसे सामान्य मानसिक रोग है । इनसे व्यक्ति को तथा उससे जुडे लोगों को पीडा होती है । मानसिक रोग के प्रभाव व्यक्ति को दैनिक कार्यों के छोटे-छोटे व्यवधान से लेकर व्यक्तिगत, सामाजिक तथा व्यावसायिक हानि से अशक्त बना देते हैं तथा इसके साथ ही अकाल मृत्यु का कारण बनते हैं ।

केवल संयुक्तराष्ट्र अमरीका में ही मानसिक रोगों की लागत अनुमानानुसार प्रतिवर्ष ३०० करोड डॉलर होती है । (samhsa.gov)

मानसिक रोगों का मनोरोगों को बढाने में सीधा प्रभाव भी देखा गया है जिसके फलस्वरूप ह्रदय रोग, मधुमेह, मोटापा, दमा, मिर्गी तथा कैंसर सहित अनेक चिरकालिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं । (CDC)

४. मानसिक रोग के कारणों का समग्र मूल्यांकन

१. आध्यात्मिक शोध द्वारा हमें यह ज्ञात हुआ है कि विकसित देशों  की ८० प्रतिशत जनसंख्या अपने जीवन काल में किसी न किसी प्रकार के मानसिक रोग अथवा मनोरोग से ग्रसित होती ही है ।

२. इसका मुख्य कारण है उच्च भौतिकवादी दृष्टिकोण और उसके अनुरूप व्यवहार तथा उचित आध्यात्मिक मार्गदर्शन का अभाव तथा दृष्टिकोण ।

स्त्रोत: आध्यात्मिक शोध

इतनी अधिक संख्या में लोगों द्वारा मानसिक समस्या को अनुभव करने के उपरांत भी इससे सम्बंधित लक्षण प्रायः अनपेक्षित होते हैं । तथा इसलिए इससे ठीक होने के लिए एवं सहायता मांगने में व्यक्ति को संकोच नहीं करना चाहिए ।

मनोवैज्ञानिक रोगों के ऊपरी आवरण के पीछे, इन मानसिक रोगों का वास्तविक कारण प्रायः आध्यात्मिक समस्या होती है जो मुख्य रूप से आगे बताए अनुसार उत्पन्न होते हैं :

१. जिन कर्मों अथवा प्रारब्ध के साथ व्यक्ति का जन्म हुआ है

२. मृत्योपरांत बनने वाली अनिष्ट शक्तियां जो लोगों का अपलाभ उठाती हैं

३. विशेषकर उनका जिनमें क्रोध, अहंकार, भावनाएं, लोभ तथा ईर्ष्या जैसे स्वभाव दोष और अहं अधिक होता है ।

स्त्रोत: आध्यात्मिक शोध

स्वभावदोष मानसिक घावों के समान होते हैं तथा अनिष्ट शक्तियां आध्यात्मिक कीटाणुओं के समान जो इस प्रकार के मानसिक घावों का शिकार अपने लाभ के लिए लोगों को वश करने में करती हैं ।

५. मानसिक स्वास्थ्य के लिए समग्र समाधान

  • वास्तविक कारण को समझना तथा स्वीकार करना, स्थाई सकारात्मक परिवर्तन को प्राप्त करने का प्रथम चरण है ।
  • इस आधारभूत नियम को याद रखें – आध्यात्मिक समस्याएं केवल आध्यात्मिक उपायों से ही ठीक हो सकती हैं ।
  • प्रतिदिन नियमित रूप से वैश्विक सिद्धांतों पर आधारित साधना करना ही सबसे व्यापक आध्यात्मिक उपाय है ।
  • स्वयं किए जाने वाले सामान्य आध्यात्मिक उपचार से आध्यात्मिक संरक्षण बढाया जा सकता है ।
  • SSRF के जालस्थल पर साधना के रूप में बताई गयी स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया से इन मानसिक रोगों के प्रभाव को कम किया का सकता है ।
  • साधना करने से मानसिक रोगों से भी रक्षण होता है तथा जैसा कि हम सभी जानते हैं कि उपचार से बचाव अच्छा है ।