आध्यात्मिक आयाम को समझ पाने हेतु व्यक्ति की क्षमता के चरण

आध्यात्मिक आयाम को अनुभव कर पाने की व्यक्ति की क्षमता के चरण

साधना के द्वारा हमारी छठवीं इंद्रिय जागृत होने लगती है । इस छठवीं इंद्रिय की सहायता से हम आध्यात्मिक आयाम में झांकने में सक्षम हो जाते हैं ।

जब हमारी छठवीं इंद्रिय जागृत होने लगती है, तब हम किन बातों को जान पाने में सक्षम हो जाते हैं ?

आध्यात्मिक आयाम की तरगों/स्पंदनों को समझने की क्षमता का क्रम इस प्रकार होता है :

  • आरंभ में हम आध्यात्मिक आयाम की जिन स्पंदनों तथा तरंगों को समझने में सक्षम होते हैं, वे हैं नकारात्मक स्पंदन । इसका कारण यह है कि निम्न स्तर की अनिष्ट शक्तियों के स्पंदन सर्वाधिक स्थूल होते हैं, इसलिए अपनी छठवीं इंद्रिय द्वारा उन्हें समझ पाना सबसे सरल होता है । उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियों की तरंगें को समझने हेतु हमें अति विकसित छठवीं इंद्रिय की आवश्यकता होगी ।
  • अगले स्तर की तरंगें सकारात्मक पहलू की होती हैं :
    • सकारात्मक पहलू में वे तरंगें जिन्हें हम प्राथिमक स्तर पर समझ सकते हैं, वे हैं शक्ति की तरंगें ।
    • शक्ति की तरंगों को समझने में सक्षम होने के उपरांत भाव की तरंगें समझना संभव होता है ।’
    • इस पदक्रम की अगली तरंगें होती हैं, चैतन्य की तरंगें ।
    • चौथी सूक्ष्म तरंगें आनंद की होती हैं ।
    • आध्यात्मिक आयाम की सर्वाधिक सूक्ष्म तरंगें शांति की होती हैं, जो परमेश्वर का एक गुण है ।

संतों के संदर्भ में; अपने आध्यात्मिक स्तर के अनुसार वे सकारात्मक तरंगों का प्रक्षेपण करते हैं । उनके द्वारा प्रक्षेपित की जानेवाली तरंगें निम्नानुसार होंगी ।

  • ७० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के संत : शक्ति
  • ८० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के संत : आनंद
  • ९० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के संत : शांति

द्रष्टा (३०-३५ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तरवाले) केवल निम्न स्तर की अनिष्ट शक्तियां जैसे भूत द्वारा प्रक्षेपित स्पंदनों को समझ सकते हैं । वे अधिकांशतया सकारात्मक आयाम के किसी भी अंश को नहीं समझ पाते । अधिकतर प्रकरणों में उन्हें जो सकरात्मक शक्ति अनुभव होती है, वह वास्तव में अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) होती है, जो सकारात्मक शक्ति होने का ढोंग करती है । औसत आध्यात्मिक स्तर के द्रष्टा का संतों के स्पंदनों को समझ पाना असंभव है ।