आध्यात्मिक शोधपर आधारित फसल चक्रका (क्रॉप सर्कलका) विवरण

१. ‘ फसल चक्र (क्रॉप सर्कल) ‘ प्रक्रिया की प्रस्तावना

क्रॉप सर्कल अर्थात खेतों में दिखने वाली महाकाय कलाकृति (खेत के बीच में घेरा जहां जमीन चपटी हो जाती है) । यह कलाकृति फसल के रहस्मय प्रकार से रौंदे जाने से बनती है । जब सुबह लोग उठकर अपने खेतों में जाते हैं तो वहां उन्हें फसलों को विशिष्ट पद्धति से रौंदकर बनी विस्तृत आकृतियां दिखाई देती हैं । ये आकृतियां रातों-रात बन जाती हैं । इन्हें किसने बनाया, यह ज्ञात नहीं हो पाता । इस प्रक्रिया के मूल कारण के विषय में मत विभाजित हैं । इनमें निम्नलिखित सिद्धांतों का समावेश है :

१. कुछ प्रतिभाशाली व्यक्ति इस प्रकार की परिश्रम पूर्वक चेष्टा करते हैं

२.  अज्ञात उडन-वस्तु (यू.एफ.ओ, आकाशीय अद्भुत वस्तु, उडन तश्तरी, उडन खटोला) अथवा परग्रह जीव अपनी उपस्थिति का बोध कराने का प्रयत्न कर रहे हैं

३. यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है

वैज्ञानिकों ने और शोधकर्ताआें ने स्वीकारा है कि वे यह सिद्ध करने में वे असमर्थ हैं कि ऐसी विस्तृत कलाकृतियां इतनी सुस्पष्टता से रातों-रात कैसे बन जाती हैं ।

. आध्यात्मिक शोध पर आधारित क्रॉप सर्कल का विवरण 

आध्यात्मिक शोध के आधार पर हमने यह पाया है कि क्रॉप सर्कल (जो मानव-निर्मित नहीं हैं) आध्यात्मिक आयाम के सूक्ष्म घटकों द्वारा बनाए जाते हैं । ये क्रॉप सर्कल जिस विशिष्ट रूपरेखा में बनाए जाते हैं, उन्हें यंत्र कहते हैं जो सकारात्मक या नकारात्मक शक्ति प्रक्षेपित करते हैं ।

  • नकारात्मक शक्ति का प्रक्षेपण करने वाले क्रॉप सर्कल साधारणत: निचले स्तर के नकारात्मक सूक्ष्म घटकों द्वारा बनाए जाते हैं, जो नरक के दूसरे पाताल से होते हैं ।
  • सकारात्मक शक्ति का प्रक्षेपण करने वाले क्रॉप सर्कल, निचले स्वर्ग-लोक के, निम्न (आध्यात्मिक) स्तर के सकारात्मक सूक्ष्म घटकों द्वारा बनाए जाते हैं । उच्च (आध्यात्मिक) स्तर के घटक, जो उच्चतर सूक्ष्म लोकों से (उदा. महर्लोक, जनलोक (जोडा है) से होते हैं, वे इस प्रकार के कार्य में सहभागी नहीं होते । क्योंकि वे मात्र अपने विचारों के माध्यम से ही पृथ्वी पर सकारात्मक गतिविधियां बढा सकते हैं ।
  • क्रॉप सर्कल यू.एफ.ओ, परग्रही जीवों द्वारा अथवा किसी प्राकृतिक प्रक्रिया से नहीं बनाए जाते ।

नीचे दिया गया चित्र सकारात्मक स्पंदनों वाले क्रॉप सर्कल का उदाहरण है ।

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निम्नलिखित चित्र नकारात्मक स्पंदनों वाले क्रॉप सर्कल के उदाहरण हैं ।

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सन १९९० के उपरांत यह ध्यान में आया है कि पूरे विश्‍व में क्रॉप सर्कल की घटनाआें की बारंबारता बढ रही है । इसका मूल कारण है – वर्तमान काल । जैसे जैसे विश्‍व महायुद्ध की परिसीमा की ओर बढ रहा है, आध्यात्मिक आयाम के नकारात्मक घटक नकारात्मक स्पंदनों को पृथ्वी के स्तर पर प्रक्षेपित करने के लिए अपनी गतिविधियां बढा रही हैं । दूसरी ओर सकारात्मक घटक नकारात्मक क्रॉप सर्कल का प्रभाव घटाने के लिए सकारात्मक क्रॉप सर्कल निर्माण करते हैं । लगभग १० वर्ष पूर्व अधिकतर सारे क्रॉप सर्कल नकारात्मक स्वरूप के थे । २०१४ में सूक्ष्म घटकों द्वारा बनाए जा रहे क्रॉप सर्कल में से ६०% नकारात्मक स्वरूप के होंगे तथा ४०% सकारात्मक स्पंदनो का प्रक्षेपण करेंगे ।

साधारणत: अप्रैल से सितम्बर तक फसलों के उगने के समय क्रॉप सर्कल की घटना होती है । इसलिए कि आकृति की रचना में रौंदी गई फसल (अनाज) के सेवन से समाज में नकारात्मक अथवा सकारात्मक शक्ति फैल जाए ।

क्रॉप सर्कल का प्रभाव २ से १० कि. मि. के घेरे में रहता है । आकृति बनाने वाले घटक की शक्ति पर और यंत्र की रूपरेखा पर क्रॉप सर्कल का प्रभाव निर्भर होता है । सकारात्मक शक्ति का क्रॉप सर्कल जहां बनता है, वहां आस-पास के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पडता है । फलस्वरूप वे शांति और खुशहाली का अनुभव करते हैं । इसके विपरीत, नकारात्मक स्पंदन वाले क्रॉप सर्कलों के परिसर में निवासियों को कष्ट होते हैं, जैसे – चक्कर आना, मतिभ्रम होना तथा भावना प्रधानता और उदासीनता में वृद्धि ।

३. कोर्नाटी, दुगी ओटोक, प्रेमुडा और मोलाटा द्वीपों के आसपास क्रोएशिया के एड्रियाटिक समुद्री-तल पर विद्यमान चक्र

मई २०१४ में कोर्नाटी द्वीप के निकट एड्रियाटिक समुद्री-तल पर एक विचित्र घटना हुई । वहां सममित (सिमेट्रिकल) चक्र पाए गए । इन चक्रों का व्यास ५० मीटर है । इनकी रचना इस प्रकार है कि ये चक्र एक-दूसरे से तथा समुद्र-तट से भी समान अंतर पर स्थित हैं । कभी-कभी इस प्रकारके २५ चक्र भी द्वीप के सर्व ओर दिखाई देते हैं ।

इस घटना संबंधी आध्यात्मिक शोध करने पर स्पष्ट हुआ कि ये चक्र अनिष्ट शक्तियों के हस्तक्षेप से प्रकट हो रहे हैं । वातावरण में काली अनिष्ट शक्ति संचारित करने के लिए पाताल के द्वितीय लोक के मांत्रिक ये चक्र उत्पन्न कर रहे हैं । एक बार चक्र बन जाने पर वह अपने व्यास के १० गुना क्षेत्र में काली शक्ति संचारित कर सकता है । अर्थात एक चक्र सर्व दिशाआें में ५०० मीटर के अंतर तक काली शक्ति प्रक्षेपित कर सकता है ।

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४. एस.एस.आर.एफ. द्वारा सुझाए गए समाधान

जो लोग क्रॉप सर्कल के संपर्क में आते हैं, उनके लिए एस.एस.आर.एफ. के निम्नलिखित सुझाव हैं –

१. एक सामान्य व्यक्ति यह नहीं समझ पाता कि क्रॉप सर्कल से प्रक्षेपित स्पंदन, सकारात्मक हैं अथवा नकारात्मक । यदि व्यक्ति को कोई कष्ट हो, तो इस परिणाम के प्रतिकार के लिए उसे किसी प्रकार की आध्यात्मिक साधना करनी चाहिए ।

२. ‘देवता का नामजप‘ सरल स्वरूप की साधना है जो वातावरण के नकारात्मक स्पंदनों से व्यक्ति की रक्षा करती है ।

३. यदि आप जिज्ञासा वश ऊपर उल्लेखित घटनाआें से प्रभावित स्थान देखना चाहते हैं, तो देवता का निरंतर नामजप करने से आपकी आध्यात्मिक स्तर पर रक्षा होगी ।

४. आध्यात्मिक आयाम के नकारात्मक परिणामों से रक्षा के लिए व्यक्ति के सर्व ओर सुरक्षा-कवच के विस्तार हेतु नियमित साधना एकमात्र निश्‍चित मार्ग (उपाय) है ।