तृतीय विश्वयुद्ध के काल में बिजली और जल संकट का सामना करने के लिए आवश्यक तैयारी

आगामी तृतीय विश्वयुद्ध एवं भीषण प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए, अपनी तैयारी बढाना आवश्यक हो गया है ।

तृतीय विश्वयुद्ध के काल में बिजली और जल संकट का सामना करने के लिए आवश्यक तैयारी

विषय सूची

. तृतीय विश्वयुद्ध का सामना करने हेतु अपने घर की तैयारी : प्रस्तावना

आध्यात्मिक शोध से, हमें यह पता चला है कि वर्ष २०२०-२०२५ का समय विश्व के लिए संकटमय होता जाएगा । कोरोना महामारी तो इस आपातकाल का मात्र आरंभ है । विश्वभर में अशांति के साथ-साथ विवादों में वृद्धि होगी । इसकी परिणती तृतीय विश्वयुद्ध में होगी, जिसके अंत में बडे स्तर पर विनाश करनेवाले परमाणु हथियारों का उपयोग होगा । इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में भी बढोतरी होगी ।

ऐसा क्यों हो रहा है, इसका कारण सहित समझाते हुए हमारे लेखों में इसका विस्तृत विवरण दिया है :

यह बताने की आवश्यकता नहीं कि इस भीषण विनाश के साथ ही आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ प्रत्येक वस्तु की कमी हो जाएगी तथा ऐसा न केवल आने वाले वर्षों तक होगा; अपितु तृतीय विश्वयुद्ध के उपरांत भी अनेक वर्षों तक ऐसी ही स्थिति रहेगी । इस लेख में, (जो कि आगामी काल की तैयारी करने संबंधी लेखमाला का एक भाग है) हम आपको बिजली एवं जल के परिप्रेक्ष्य में इस आपतकाल के लिए अपने घर की तैयारी कैसे करें, इस विषय पर कुछ मार्गदर्शक सूत्र बताएंगे ।

. युद्ध एवं प्राकृतिक आपदाओं के लिए अपने घर की तैयारी करने हेतु सामान्य बिंदु

तृतीय विश्वयुद्ध के काल में बिजली और जल संकट का सामना करने के लिए आवश्यक तैयारी

वर्ष २०२०-२०२५ की अवधि में तथा उसके कुछ वर्ष उपरांत हमें जिस आपातकाल का सामना करना पड सकता है, उसकी तैयारी करने हेतु समय अब सीमित है । आपके घर अथवा निवास-स्थान के संबंध में कुछ ध्यान रखने योग्य बिंदु आगे दिए गए हैं । हमारा सुझाव है कि आप अपने सामर्थ्य के अनुसार आवश्यक परिवर्तन करा लें ।

  • यह बेहतर होगा कि कोई नया निर्माण कार्य आरंभ न करें अथवा नई सम्पति न खरीदें । इसका कारण यह है कि आपातकाल में भूकंप, भूस्खलन आदि के कारण घर को हानि पहुंच सकती है । अतः नए घर को बनाने के लिए निवेश किया गया धन व्यर्थ हो सकता है । इसलिए अच्छा होगा कि आप उसी घर में रहें, जिसमें अभी आप रह रहे हैं अथवा किराए के घर का विकल्प चुनें । कुछ अनिवार्य कारणों से घर खरीदने की आवश्यकता हो, तो यह सोचें कि कौनसा भाग अथवा प्रदेश आपके देश के वतर्मान स्थिति की दृष्टि से सुरक्षित है ?
  • घर खरीदना हो, तो उसे यथासंभव तीसरी मंजिल से ऊपर का न खरीदें; क्योंकि भूकंप की स्थिति में निचली मंजिल के घर से बाहर निकलना सरल होता है । इसके अतिरिक्त, परमाणु विस्फोट की स्थिति में, निचली मंजिल से भवन के तलघर में शरण लेना सरल होता है । किसी का वर्तमान घर चौथी मंजिल से भी ऊपर का हो, तो उसके स्थान पर अन्य कहीं निचली मंजिल पर घर उपलब्ध हो, तो उसे खरीदने का विचार करें । इसके अतिरिक्त, बिजली संकट की आशंका के कारण लिफ्ट की सुविधा  उपलब्ध नहीं होगी ।
  • परमाणु विकिरण के प्रभाव से स्वयं को बचाने का सबसे उत्तम स्थान भूमि के नीचे (अंडरग्राउंड) अथवा बडी इमारतों के मध्य होता है । जितनी अधिक संख्या में काॅन्क्रीट की मोटी-मोटी दीवारें होंगी, विस्फोट की स्थिति में पर्यावरण में फैलनेवाले विकिरण से हम स्वयं को उतने ही अधिक बचा सकते हैं ।
  • यदि जिस घर में आप रह रहे हैं, उसकी कुछ महत्वपूर्ण मरम्मत कराना आवश्यक है, तब इसे शीघ्र ही प्राथमिकता देकर कराएं । इसका कारण यह है कि बाढ अथवा भारी तूफान की स्थिति में, घर को और क्षति पहुंच सकती है । अत्यधिक प्रतिकूल मौसम के दौरान, जो घर संरचनात्मक रूप से कमजोर होते हैं, वे टिक नहीं पाते और ढह सकते हैं । इसके साथ, प्रतिकूल समय में घर की मरम्मत कराना कठिन हो सकता है ।
  • घर को आकर्षक बनाने में, उसका सौंदर्यवर्धन करने हेतु निवेश न करें, अपितु इसे आपके क्षेत्र के अपेक्षित प्रतिकूल मौसम की स्थितियों के अनुसार तैयार करने की दृष्टि से अधिक निवेश करें । आपके क्षेत्र में युद्ध छिडने अथवा प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, घर के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं । फलस्वरूप, यदि आप केवल घर का सौंदर्यीकरण करने की दृष्टि से निवेश कर रहे हैं, तो कदाचित आपका धन व्यर्थ हो सकता है ।
  • यदि किसी का घर गांव अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में हो, तो उसे व्यवस्थित करके रहने योग्य स्थिति में तैयार रखें, जिससे कभी भी रहने जा सकें । युद्ध की स्थिति में, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में नगरों पर आक्रमण होने की अधिक संभावना होगी । साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों और ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरों में दंगे एवं अपराध होने की अधिक संभावना होगी । आनेवाले समय में, कभी भी तुरंत आपको गांव में जाकर रहना पड सकता है । तब किसी का गांव में घर हो, तो अभी से उसे रहनेयोग्य स्थिति में रखना उचित होगा ।
  • यदि आपके परिजन नौकरी-व्यवसाय अथवा अध्ययन इत्यादि के कारण अस्थायी रूप से विदेश में रह रहे हैं, तो विश्व की अनिश्चितता की स्थिति देखते हुए यथासंभव उन्हें वापस बुला लें । जैसा कि हम यह जानते हैं कि मानव-जीवन बहुत बडे संकट में पडने की संभावना है  तथा ऐसे में अन्तराष्ट्रीय यात्रा करना भी संभव नहीं होगा । वर्तमान में, केवल कोविड-19 (कोरोना महामारी) के कारण ही, अन्तर्राष्ट्रीय यात्रा कठिन हो गई है । इसलिए जो भी यात्रा के साधन उपलब्ध हैं, अपने परिवार के सदस्यों को उसमें आने की सलाह दें, जिससे आगामी अभूतपूर्व संकटकाल के समय, परिजन एक दूसरे का सहयोग करने के लिए एक साथ रह सकें ।
  • कोरोना महामारी के संबंध में, हमने देखा कि किस प्रकार परिजनों को अलग करके रखा गया था तथा रोग के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण उन्हें मिलने भी नहीं दिया गया । अनेक प्रकरणों में तो, प्रियजनों को अंतिम नमस्कार कहने की भी कोई संभावना नहीं थी । आगामी अत्यधिक भीषणकाल में, परिवार के वयोवृद्ध व्यक्ति घटते शारीरिक बल, स्वास्थ्य समस्याओं तथा भावनात्मक अतिसंवेदनशीलता के कारण सर्वाधिक प्रभावित  होंगे । उनकी मृत्यु होने की अधिक संभावना होगी । इसलिए अच्छा होगा कि कठिन समय आने से पूर्व ही वे अपने सभी आवश्यक कार्य निपटा लें । अर्थात, आप यह सुनिश्चित कर लें कि उनके महत्वपूर्ण दस्तावेज कहां रखे हैं । प्राथमिकता से उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखें तथा उनके जीवन की कोई अधूरी योजनाएं, उनकी आय तथा उनकी इच्छाओं को पूर्ण करने हेतु व्यवस्था (वसीयत) करें । इसके अंतर्गत किसी दूसरे व्यक्ति को भी नियुक्त किया जा सकता है जो उनके द्वारा निर्णय न ले पाने की स्थिति में उनकी सहायता कर सके ।

. आगामी युद्ध काल के दौरान बिजली संकट से बचने हेतु वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों का उपयोग कर तैयारी करना

प्रतिकूल मौसम अथवा युद्ध के कारण उत्पन्न आपातस्थिति में बिजली की कटौती होना अथवा बिजली ना होना सामान्य बात होगी । सरकार से मिलनेवाली बिजली कट जाएगी । यह भी संभावना है कि हमें महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं के लिए भी कई दिनों तक अथवा कई माह तक बिना बिजली के रहना पड सकता है ।

अतः बिजली उत्पादन के वैकल्पिक स्त्रोत हमारे पास उपलब्ध हो, इस हेतु तैयारी करना महत्वपूर्ण है ।

३.१ बेहतर तैयारी के लिए घर पर सौर प्रणाली का उपयोग करना

तृतीय विश्वयुद्ध के काल में बिजली और जल संकट का सामना करने के लिए आवश्यक तैयारी

  • सौर ऊर्जा प्रचुर धूप वाले स्थानों के लिए सर्वोत्तम है।
  • छत पर सौर पैनल लगाते समय यह सुनिश्चित कर लें कि यह वृक्षों, अन्य इमारतों, इत्यादि की छाया में न हो ।
  • अपने सौर तंत्र को लगाने की योजना बनाते समय यह सुनिश्चित करें कि इसका उपयोग हाइब्रिड अथवा ऑफ ग्रिड प्रणाली के रूप में किया जा सके । अर्थात बिजली के तारों में बिजली न होनेकी स्थिति में आपके घर को सौर ऊर्जा के उपयोग से भारित की गई बैटरी से बिजली प्राप्त हो सके  ।
  • आपको कितनी बिजली की आवश्यकता होगी इसकी योजना बनाएं तथा उसके अनुसार अपने घर में सौर ऊर्जा प्रणाली लगवाएं । सर्दियों एवं बादलों से ढके आकाश के समय सौर ऊर्जा प्रणाली कम प्रभावी होती है, इस बात को ध्यान में रखें  ।
  • इलेक्ट्रिक वाहन रखने पर विचार करें । अपनी सौर ऊर्जा प्रणाली से ऐसे वाहनों को चार्ज करने की व्यवस्था रखें । ऐसा इसलिए क्योंकि आगामी आपातकाल में पेट्रोल की आपूर्ति सीमित होगी अथवा ईंधन उपलब्ध ही नहीं होगा ।
  • यदि आप सदनिका (फ्लैट) में रहते हैं, तो उसमें रहनेवाले सभी निवासी आपस में मिलकर सौर पैनल खरीद सकते हैं और उसे ईमारत की शीर्ष छत अथवा किसी सार्वजनिक छत पर लगा सकते हैं ।
  • ऐसा उपकरण खरीदें जिसकी ऊर्जा की गुणवत्ता अच्छी हो । अच्छी गुणवत्ता के उपकरणों को साथ रखने से वे युद्ध के समय कीमती संग्रहित ऊर्जा को बचाने में आपकी सहायता करेंगे ।
  • अपने राष्ट्र एवं राज्य में सौर ऊर्जा प्रणालियों के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध सहायता राशि (सब्सिडी) एवं छूट के विषय में भी जानकारी लें ।
  • अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं एवं क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त प्रणाली की व्यवस्था करने में  किसी सौर विशेषज्ञ की सहायता लें ।
  • कहीं भी ले जाने योग्य सौर ऊर्जा उपकरणों को खरीदें जैसे :
    • बिना बिजली के चल सकने योग्य सौर ऊर्जा चालित बत्तियां
    • सौर ऊर्जा चालित पॉवर बैंक
    • कहीं भी ले जानेयोग्य सौर पैनल

३.२ बिजली का अभाव होने की स्थिति में अन्य घरेलू विकल्प

आकाश बादलों से ढंका होने पर सौर ऊर्जा बाधित हो सकती है । आपातकाल के समय, ईंधन की कमी हो सकती है, इससे जनरेटर भी निष्क्रिय हो सकते हैं । इस समय में, हम बिजली तथा ऊर्जा की दूसरी आवश्यकताओं के लिए आगे दिए गए साधनों का विचार कर सकते हैं ।

  • लकडी
  • इलेक्ट्रिक टॉर्च/लालटेन (बैटरी चलनेवाले तथा फिर से भारित (चार्ज) हो सकनेवाले)
  • मोमबत्ती
  • टॉर्च
  • मिटटी के दीपक
  • केरोसिन लालटेन (इस प्रकार का ईंधन उपलब्ध हो तो)
  • जनरेटर (ईंधन उपलब्ध अथवा संग्रहित हो तो)
  • ऐसी बैटरियां जो यदि राज्य में बिजली रुक-रुक कर आती हो, तो उसमें उन्हें भारित (चार्ज) किया जा सके

३.३ पवन ऊर्जा और ऊर्जा के अन्य अक्षय स्रोत

Nenad Kajić / Veneko.hr / CC BY-SA

विश्व पवन ऊर्जा संघ (डब्ल्यूडब्ल्यूईए) द्वारा प्रस्तुत आंकडों के अनुसार,  वर्ष २०१९ के अंत तक विश्वभर में स्थापित सभी पवन चक्कियों की समग्र क्षमता ६५०.८ गीगावाट तक हो गई । यह महत्वपूर्ण है कि सरकारें आने वाले समय में ऊर्जा के अक्षय स्रोतों का अत्यधिक महत्त्व होने के कारण इन्हें अपनाना जारी रखें ।

कहीं भी ले जाने योग्य (वहनीय) गृह पवन चक्कियां तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं । पवन चक्की को जब सौर ऊर्जा के साथ जोडा जाता है तो यह बहुत अच्छा काम करती है; क्योंकि यह ऊर्जा पैदा करने की इसकी क्षमता को अधिकतम कर देता है । दिन के समय, सौर पैनल सूर्य किरणों को ग्रहण कर सकते हैं, जबकि आपकी पवन चक्की संध्या में हवा के झोंकों से ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है ।

३.४ परमाणु आक्रमणों के समय वैकल्पिक बिजली प्रणालियों की व्यवहार्यता

कुछ लोग परमाणु आक्रमणों की  स्थिति  में  सौर  ऊर्जा  की  व्यवहार्यता  (प्रभावकारिता)  पर  प्रश्न  उठा  सकते हैं । इसका कारण इसके दो पहलू हैं :

  • धरती तक पहुंचनेवाली सूर्य की किरणों में कमी होना – एक सीमित पैमाने के परमाणु आक्रमण से भी इतनी तीव्र मात्रा में कालिख निकलेगी, जो पृथ्वी को ढक देगी । फलस्वरूप धरती पर आने वाली सौर किरणों का कुछ अनुपात सामान्य स्तर की तुलना में घट जाएगा। यह निश्चित रूप से किसी भी सौर ऊर्जा प्रणाली की दक्षता को प्रभावित करेगा।
  • परमाणु विद्युत चुम्बकीय कंपन (ईएमपी) – यदि किसी पर्याप्त आकार के परमाणु हथियार का वायुमंडल में विस्फोट होता है, तो यह ईएमपी, बिजली के सर्किट का उपयोग करने वाले सभी उपकरणों को बाधित कर सकता है, फलस्वरूप कारों, हवाई जहाजों तथा किसी के घर के सौर प्रणाली के साथ लगे इलेक्ट्रिक ग्रिड के आण्विकों (विद्युत उपकरण/इलेक्ट्रॉनिक्स) को अपरिवर्तनशील क्षति पहुंच सकती है । सौर पैनल बिजली गिरने की स्थिति में भी टिके रहने के अनुरूप बनाए जाने के कारण स्वयं यदि ईएमपी से कम भी प्रभावित हुए हो, किंतु सौर ऊर्जा प्रणाली के विद्युत सर्किट के प्रभावित होने की संभावना अधिक होगी ।

उत्तर :

  • किसी सीमित पैमाने के परमाणु विस्फोट का भी समाज पर भयानक परिणाम होगा । यदि कोई विस्फोट की परिधि के निकट रह रहा है, तो उनके लिए बिजली होना न होना कोई चिंता का विषय नहीं होगा क्योंकि उस विस्फोट की परिधि में रहनेवाले सभी लोग तुरंत मर जाएंगे ।
  • यद्यपि हमने सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा जैसे समाधान बताए हो, किंतु हम इसकी आश्वासन नहीं दे सकते कि नाभिकीय हमले के समय यह उपाय कारगर रहेंगे ही ।
  • ऐसी परिस्थिति में, भौतिक स्तर पर खतरे को घटाने के बारे में किसी भी बौद्धिक चर्चा के परिणामस्वरूप जो भी निष्कर्ष निकलेगा वह बहुत ही धूमिल और बिना किसी आशा का प्रतीत होगा ।
  • यद्यपि, आगामी काल का सामना करने की व्यवस्था करने के बारे में सोचते समय आध्यात्मिक पहलू को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है; क्योंकि सभी बातों का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि क्या हम उस काल में जीवित रह पाएंगे । इसके संबंध में, आगे दिए गए बिंदुओं पर विचार किया जाना चाहिए ।
    • व्यक्ति के जीवन में सुख और दुःख, उनके प्रारब्ध एवं वे अपने क्रियमाण कर्म का उपयोग कैसे करते हैं, इसके द्वारा निर्धारित होते हैं । सुख एवं दुख प्रारब्ध के प्रभाव को दूर नहीं किया जा सकता तथा इसे भोगना ही पडता है । वर्ष २०१९-२०२५ की अवधि में, मानवजाति के समष्टि प्रारब्ध के कारण भी व्यक्ति के जीवन पर भारी प्रभाव पडेगा । वर्तमान में समष्टि प्रारब्ध बहुत तीव्र है और इसलिए कई लोग पीडित होंगे ।
    • प्रतिकूल प्रारब्ध पर केवल साधना से ही विजय प्राप्त की जा सकती है । किंतु, वर्तमान युग में अधिकांश लोगों द्वारा साधना न किए जाने के कारण, विश्व की जनसंख्या का एक बडा भाग नष्ट हो जाएगा ।
    • जो लोग साधना (अर्थात वैश्विक सिद्धांतों के अनुसार) के दृढ प्रयास करेंगे, वे आगामी काल में बच जाएंगे । व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर ही उसके जीवित रहने की एक महत्वपूर्ण कसौटी होगा ।
    • जिन लोगों का आध्यात्मिक स्तर ५० प्रतिशत से अधिक होगा, वे ईश्वर की कृपा के कारण आगामी भीषण काल में जीवित रह पाएंगे । इसलिए, जिन लोगों में साधना करने की क्षमता है, उन्हें साधना बताना महत्वपूर्ण है । जिससे वें ५० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर तक पहुंच सकें ।
    • व्यक्ति के उच्च आध्यात्मिक स्तर के आधार पर, ईश्वर के द्वारा उसके चारों ओर का क्षेत्र नाभिकीय हमलों की स्थिति में विकिरण के प्रभाव इत्यादि से सुरक्षित रहेगा । इस कारण उस क्षेत्र के केवल साधक ही नहीं अपितु पौधे, जानवर इत्यादि भी  सुरक्षित रहेंगे ।

. युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के समय जल संकट दूर करने के उपाय

जल पृथ्वी पर सबसे प्रचुर यौगिक पदार्थ है तथा जीवन के लिए आवश्यक है । यह तरल, ठोस और गैस की अवस्था में उपलब्ध है । यद्यपि पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पूर्ण जल का केवल एक छोटा सा भाग ही पीने योग्य है । यद्यपि विश्व का लगभग ७० प्रतिशत भाग जल से ढका है, किंतु इसका केवल २.५ प्रतिशत ही ताजा जल है । बाकी जल खारा और सागर का जल है । पूरे मीठे पाने में से, इसका केवल १ प्रतिशत सहजता से उपलब्ध है, जिसमें से भी अधिकतर हिमनदियों (ग्लेशियरों) तथा हिमक्षेत्रों में जमा हुआ है । वास्तविकता यह है कि पृथ्वी का केवल ०.००७ प्रतिशत जल ही इसके ७.४ अरब मानवों के साथ साथ पशु, पक्षी तथा वनस्पतियों को जीवित रखने हेतु उपलब्ध है । संक्षेप में, जल एक बहुत ही मूल्यवान वस्तु है, जिसे पीने की आवश्यकताओं के अतिरिक्त कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों जैसे धुलाई, सफाई, स्वच्छता, खेतीबाडी, इत्यादि के लिए उपयोग किया जाता है।

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग और मेडिसिन ने निर्धारित किया है कि पर्याप्त दैनिक तरल पदार्थों के सेवन की मात्रा इस प्रकार है :

  • पुरुषों के लिए लगभग ३.७ लीटर तरल पदार्थ
  • महिलाओं के लिए लगभग २.७ लीटर तरल पदार्थ

विश्वभर में जल की गुणवत्ता, पोषक तत्व और उपलब्धता में भिन्नता है;  इसकी यह विविधता जलवायु, स्थान और उस राष्ट्र की आर्थिक स्थिति सहित कई बातों पर निर्भर करती है ।

युद्ध एवं प्राकृतिक आपदाओं जैसी अचानक उत्पन्न स्थितियों में,  जल की उपलब्धता और गुणवत्ता में भारी परिवर्तन हो सकता है । युद्धकाल अथवा अन्य संघर्षों के समय, जल आपूर्ति की प्रणाली विनाश के कारण बहुत ही अस्त व्यस्त हो जाएगी । शत्रु पक्ष व्यवस्था को अस्थिर करने एवं नागरिकों को हानि पहुंचाने के लिए जल आपूर्ति आधारित संरचनाओं (जैसे, जल साधन और जल शोधन सुविधाएं) का विनाश, जल ठिकानों से बिजली स्टेशनों और बिजली लाइनों को जानबूझकर हटाना, और जल आपूर्ति प्रणालियों के संचालन और रखरखाव में व्यवधान इत्यादि जैसी कुछ रणनीतियों का उपयोग कर सकता है । जैसा कि हमने इराक और सीरिया के संघर्षों में देखा है कि नागरिकों को सैन्य अभियानों से उत्पन्न क्षति का आघात प्रायः भुगतना पडता है । परमाणु युद्ध की स्थिति में, हमें रेडियोधर्मी प्रदूषण से भी संघर्ष करना होगा, जो कि हमारे जल स्रोतों को दूषित करेगा ।

यह सब समाज के बडे भाग को खतरे में डाल सकता है, जहां पीने का जल न्यूनतम आवश्यक मात्रा में भी उपलब्ध नहीं होगा । इसके अतिरिक्त, यदि जल कुछ मात्रा में उपलब्ध भी होगा, तो वह विभिन्न जलजनित रोगों से दूषित हो सकता है । स्वच्छता की खराब व्यवस्था, स्वच्छ जल तक सीमित पहुंच तथा सामान्य कुपोषण से संक्रामक रोगों की आशंका बढ जाती है । स्वच्छता और जल से संबंधित मूलभूत ढांचा ढहने से हैजा, पेचिश और टाइफाइड जैसे रोगों की वृद्धि हो सकती है । स्थानीय अधिकारी यदि नागरिकों की सहायता के लिए जल के टैंकर भेजना भी चाहेंगे, तब भी ईंधन की कमी के कारण यह विकल्प नहीं बचेगा ।

इस पृष्ठभूमि के साथ, हमने अपने पाठकों के लिए आनेवाले समय के बारे में सोचने हेतु कुछ बिंदुओं को एकत्रित किया है ।

जल स्रोत और संग्रह

अधिकांश सार्वजनिक जल प्रणालियों की आपूर्ति भूजल और सतही जल द्वारा की जाती है । सतही जल के अंतर्गत जलधाराएं, झरने, नदियां, नहरें एवं झीलें आती हैं। बुनियादी ढांचों के ढहने के कारण जल संकट की स्थिति में, हमें नीचे दिए गए वैकल्पिक जल स्रोतों पर विचार करना होगा ।

१. छतों पर बरसाती पानी जमा करना

सौजन्य: SuSanA Secretariat / CC BY

२. निजी जल के कुएं खुदवाना : कुआं खुदवाने के लिए स्थानीय सरकार की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है तथा विशेषज्ञ की सहायता की आवश्यकता पड सकती है ।

३. घर की रसोईघर, धुलाईघर आदि के जल (ग्रेवाटर) को स्वच्छ करने की प्रणाली का उपयोग करना : शौचालय को छोडकर दूसरी पाइपलाइन जैसे हैंड बेसिन, वाशिंग मशीन, बारिश अथवा नहाने के व्यर्थ जल को ग्रेवाटर कहते है । इसकी उचित संभाल करने से इसका पुनः उपयोग बगीचे के लिए सुरक्षित रूप से किया जा सकता है ।

४. संघनन संग्रहित करना: जब हवा में व्याप्त जल वाष्प (प्रायः आर्द्रता के रूप में वर्णित) किसी ठंडी सतह के संपर्क में आती है, तो जल का स्वरुप गैस से परिवर्तित होकर तरल में हो जाता है और वह ठंडी सतह पर इकट्ठा हो जाता है। हवा में व्याप्त यह वाष्प जब तरल बन जाती है, तो उसे संघनन कहते हैं ।

जल शोधन करना

मानक जल शोधन के लिए विशुद्धीकरण (प्रसुप्त (रुका हुआ) ठोस और ठोस कणों को हटाना), छानना, शुद्धीकरण और विलवणीकरण के साथ-साथ नियमित रखरखाव और पोषक मूल्य हेतु उसके परीक्षण तथा आवश्यकत पडने पर अनुपूरण की आवश्यकता होती है ।

जलजनित रोग की रोकथाम का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है घर पर ही जल शोधन करना । पॉइंट ऑफ यूज (उपयोग की स्थिति) जल शोधन प्रणाली जल को साफ करने के सरल घरेलू तरीकों पर आधारित है, जैसे कि उबलना, ब्लीचिंग (विरंजन करना), कपडे से छानना, तलछट (रेत एवं बजरी) छानना, और पराबैंगनी प्रकाश से कीटाणुशोधन करना ।

यह कहा जाता है कि दूषित जल से मरने वाले लोगों की तुलना में जलजनित बीमारियां संभवतः परमाणु आक्रमण से बचे हुए लोगों को अधिक मार देगी । हमारा सुझाव है कि आप अपने क्षेत्र में युद्ध होने की स्थिति में, जहां जल की शुद्धता से समझौता करना पड सकता है, उस समय जल को पीने योग्य कैसे बना सकते हैं, इस पर अपना शोध अभी से आरंभ करें ।

यदि संकटकाल में आपके पास सुरक्षित जल अथवा इसे कीटाणुरहित करने हेतु कोई रसायन इन में से दोनों ही उपलब्ध न हो, तो अपने पास सबसे अच्छे जल को संग्रहित करें, भले ही वह कीचडयुक्त नदी का जल ही क्यों न हो । अधिकांश मिट्टी कुछ दिनों में तल में चली जाती है; यहां तक कि किसी भीड भरे आश्रयस्थल में भी जल उबालने के कुछ साधन उपलब्ध हो सकते हैं । जल को एक मिनट उबालने पर उसमें से सभी प्रकार के रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया मर जाते हैं । कुछ दुर्लभ संक्रामक जीवों को मारने के लिए जल को १० से २०  मिनट तक उबालना आवश्यक है । (विग्नेर, १९७९)

जल संचयन

यदि जल का शोधन करने के उपरांत उसे कीटाणुरहित कंटेनरों में संग्रहीत नहीं किया गया हो, तो वह शीघ्र ही फिर से दूषित हो सकता है। दीर्घकालीन संचयन हेतु, संपूर्ण जल को ही कीटाणुरहित करना अच्छा होगा, क्योंकि कुछ जीवाणु तेजी से संख्यावृद्धि कर सकते हैं और संग्रहीत जल में खराब स्वाद अथवा दुर्गंध निर्माण कर सकते हैं । उचित रूप से कीटाणुरहित किए गए जल को यदि हवाबंद मोटे प्लास्टिक अथवा कांच के कंटेनरों में संग्रहीत किया जाए,   तो वह कई वर्षों तक सुरक्षित रहता है । अधिक वर्षों के संचयन हेतु, पतले प्लास्टिक कंटेनरों का प्रयोग न करें, क्योंकि इनसे कुछ समय पश्चात प्रायः रिसाव होने लग जाता है (विंगर, १९७९) ।

जल का संयम (मितव्यय) से उपयोग करना

अभी यह सीखने का समय है कि कैसे जल का संयम (मितव्ययता) से उपयोग किया जाए, इस अनमोल संसाधन को बर्बाद न किया जाए तथा जहां भी संभव हो, इसका पुन: उपयोग किया जाए । सामान्य काल में इसका जितना अधिक प्रयास करेंगे उतना ही अधिक आप युद्ध काल के समय स्वयं को जीवित रखने हेतु सुसज्जित हो पाएंगे ।

युद्ध के काल में जल के अभाव के प्रबंधन के विषय में अन्य विविध बिंदु

आगामी भीषण काल में जल के संरक्षण को सुविधाजनक बनाने और इसके सर्वोत्तम उपयोग हेतु आगे यादृच्छिक क्रम में कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं ।

  • कुएं से जल खींचने में बिजली और अन्य विकल्प असफल रहने की स्थिति में, एक ऐसी लंबी मोटी रस्सी, बाल्टी इत्यादि खरीदें जो कुएं से पानी निकालने में सक्षम हो ।
  • यदि संभव हो, तो सौर ऊर्जा से चलने वाला पंप रखें ।
  • यदि आपके पास ऐसा कुआं है जिसे कुछ वर्ष पहले खोदा गया था तथा उसमें तब तक पर्याप्त जल नहीं रहता है, जब तक प्रति वर्ष वर्षा नहीं होती, तब उसे और गहरा खुदवाने का विचार करें ।
  • यदि आपके पास जल के लिए बोरवेल है, तो उसमें देखें कि क्या उसमें बिजली की आपूर्ति के लिए अनेक विकल्प हो सकते हैं – सौर ऊर्जा, हाथ द्वारा तथा बिजली से चलने वाला एक पंप । जिससे कोई एक विकल्प असफल हो जाने पर आप दूसरा विकल्प चुन सकें ।
  • यह सुनिश्चित करें कि लापरवाही अथवा देखभाल के अभाव के कारण कुएं का जल दूषित न हो ।
  • पर्याप्त बडे आकार के जल के टैंक (क्षमता – अपने परिवार की आवश्यकता के अनुसार) रखें जिससे जल १०-१५ दिनों तक चले ।
  • विद्युत के अभाव के कारण, मानक जल शोधक (वाटर प्योरीफायर) निष्क्रिय हो सकता है, इसके लिए कैंडल फिल्टर (candle filter) एक विकल्प है ।
  • यदि आपको पीने अथवा भोजन बनाने के लिए कीचड के जल का उपयोग करना पडे, तो इस विकल्प को आजमाएं । एक बडा बर्तन लें और उसमें कीचड का जल डालें । जल को २४ घंटों तक हिलाए बिना स्थिर रहने दें । तत्पश्चात, साफ जल को दूसरे बर्तन में डाल दें, और आप जल को छानने के लिए एक मोटे मलमल के वस्त्र का प्रयोग कर सकते हैं । सुनिश्चित करें की मलमल का वस्त्र स्वच्छ हो तथा केवल इसी कार्य के लिए इसका प्रयोग हो ।
  • कुछ ऐसी बोतलें उपलब्ध हैं जो जल को स्वतः स्वच्छ कर सकती है । ऐसी बोतलें ऑनलाइन भी खरीदी जा सकती है ।
  • बिजली का उपयोग किए बिना ही, बडे मिट्टी के मटके, जो जल को ठंडा रखते हैं, उनके उपयोग से जल को शीतल करने के भी विकल्प हैं । जल के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग और रखरखाव करने की तकनीकें हैं । देखें मिट्टी का नया बर्तन खरीदने, साफ करने और ठीक करने का सही तरीका | मटके से ठंडा जल पाने के २ तरीकें
  • सभी कार्यों के लिए जल का उपयोग मितव्ययता से करें ।
  • बगीचों अथवा खेतों के लिए ड्रिप (टपकाव) अथवा स्प्रे (फुहार) सिंचाई का उपयोग करें। गर्मियों में, पौधों को पतले गीले कपडे से ढक दें जिससे जल बहुत तेजी से वाष्पित (भाप बनकर उडना) न हो।
  • वर्षा के जल को एकत्रित करने के लिए छत अथवा भूमि पर बैरल (पीपा) रखें । इस जल का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
  • सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीक का उपयोग करते हुए कुशलतापूर्वक अधिक नवीन तरीकों से जल का उपयोग करने के विविध प्रयासों को अपनाएं जिससे कम पानी में अधिक काम हो जाए ।

५.ग्रंथसूची

विग्नर, ई. पी. (१९७९, मई), परमाणु युद्ध जीवन रक्षा कौशल अध्याय ८ : जल https://www.oism.org/: https://www.oism.org/nwss/s73p919.htm से लिया गया ।