कुदृष्टि (बुरी नजर) उतारने की विधि का अर्थ

कुदृष्टि (बुरी नजर) उतारने का क्या अर्थ है और इससे हमें किस प्रकार लाभ होता है ?

परिभाषा : कुदृष्टि (बुरी नजर) उतारने की विधि एक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से प्रभावित व्यक्ति के प्राणमयकोष (प्राणदेह) तथा मनोमयकोष (मनोदेह – नीचे चित्र देखें) में विद्यमान कष्टदायक तरंगों अथवा काली शक्ति को इस विधि में प्रयुक्त वस्तुओं में खींच लिया जाता है । इसके उपरांत विधि में प्रयुक्त वस्तुओं को अग्नि में जलाकर काली शक्ति अथवा कष्टदायक तरंगों के प्रभाव को क्षीणकिया जाता है ।

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  • कुदृष्टि, काला जादू अथवा अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस, शैतान इत्यादि) द्वारा दी जा रही यातनाओं से प्रभावित व्यक्ति कुदृष्टि (बुरी नजर) उतारने की विधि से लाभान्वित होता है ।
  • कष्ट न्यून होने की मात्रा कष्ट कितनी मात्रा में है, इस पर निर्भर करती है । इस विधि से सामान्यतया ४० – ४५ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर की अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, राक्षस, शैतान इत्यादि) प्रभावित होती हैं । अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, राक्षस, शैतान इत्यादि) अपनी साधना से उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर सकती है; किंतु वे अपनी आध्यात्मिक शक्ति का उपयोग अन्यों को कष्ट पहुंचाने के लिए करती हैं ।

इस विधि में प्रार्थना अति महत्त्वपूर्ण अंग होना : प्रथम हनुमानजी से प्रार्थना कर उनसे शक्ति प्राप्त कर कुदृष्टि (बुरी नजर) उतारने की विधि करने से, विधि करनेवाले व्यक्ति को कोई कष्ट नहीं होता तथा प्रभावित व्यक्ति के कष्ट भी त्वरित अल्प हो जाते हैं ।