मृत व्यक्ति की वस्तुओं का क्या करें ?

अपने प्रियजन की मृत्यु के पश्‍चात उनकी वस्तुओं का क्या करना है, इसके विषय में अधिकतर लोगों को संभ्रम होता है । यह लेख इस विषय पर प्रकाश डालता है कि मृत व्यक्ति के परिवारवालों को उन वस्तुओं का क्या करना चाहिए ।

तत्त्व के स्तर पर हम कुछ बातें ध्यान में रख सकते हैं । हम मृत व्यक्ति की वस्तुओं का कुछ भी करें, उससे उनकी उस वस्तु के प्रति आसक्ति घटनी चाहिए और मृत्यु के पश्‍चात आगे के जीवन में गति पाने के लिए लाभदायी होनी चाहिए ।

मृत्यु के पश्‍चात जो वस्तुएं पीछे रह जाती है, उनमें उस व्यक्ति के स्पंदन होते हैं । मृत्यु के कारण वातावरण में मूलभूत सूक्ष्म तम घटक बढ जाता है । यदि उस व्यक्ति को कोई बीमारी रही हो तो तमोगुण और भी तीव्र हो जाता है और यदि उस व्यक्ति को मृत्यु के पूर्व अनिष्ट शक्ति (भूत, राक्षस, नकारात्मक शक्ति इत्यादि) के कारण कष्ट हो, तो उस व्यक्ति के वस्तुओं का उपयोग करनेवाले व्यक्ति को भी उस प्रकार के कष्ट हो सकते हैं ।

मृत्यु के पश्‍चात मृत व्यक्ति की उसके वस्तुओं से आसक्ति छूटने के लिए और उन वस्तुओं से प्रक्षेपित कष्टप्रद तामसिक स्पंदनों को नष्ट करने के लिए उसके परिवार वाले निम्नलिखित बातों पर ध्यान दे सकते हैं । इससे कष्टप्रद स्पंदनों से स्वयं की रक्षा कर सकते हैं ।

  1. मृत्यु के पश्‍चात जब मृत व्यक्ति को अग्नि दी जाती है अथवा उसे दफनाया जाता है, तो यह उत्तम होगा कि उसके कपडे उसके साथ अग्नि में जला दिए जाएं अथवा दफनाए जाएं; क्योंकि कपडों पर तामसिक स्पंदनों का सबसे अधिक प्रभाव होता है । उस राख को समुद्र में विसर्जित कर सकते हैं ।

  2. मृत व्यक्ति के कक्ष में विभूति मिश्रित तीर्थ छिडकें । इससे मृत्यु के समय उत्पन्न हुआ तमोगुण अल्प होने में सहायता मिलती है।

  3. परिवार के सभी लोग ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप का जप कर सकते हैं । यंत्र पर इस नामजप को धीमे स्वर में मृत व्यक्ति के कक्ष में लगाए रख सकते हैं । नियमित रूप से एक वर्ष यह नामजप लगाए रखने से पूरे परिसर की शुद्धि होती है और मृत व्यक्ति की सूक्ष्म देह को मृत्यु के पश्‍चात के जीवन के लिए गति प्राप्त होती है ।

  4. जिन वस्तुओं से मृत व्यक्ति को अधिक आसक्ति थी, उन वस्तुओं को किसी सत्पात्र आध्यात्मिक संस्था को दान करें । सत्पात्र आध्यात्मिक संस्था को दान करने से ईश्‍वर का संकल्प कार्यरत होता है । उन वस्तुओं में मृत व्यक्ति के जो स्पंदन होते हैं, वे नष्ट हो जाते हैं और इससे उस व्यक्ति की सूक्ष्म देह को मृत्यु के पश्‍चात के जीवन के लिए गति प्राप्त होती है । सत्पात्र को दान करने से पुण्य का संचय होता है, जिसका लाभ मृत व्यक्ति की सूक्ष्म देह को होता है । यहां पर सत्पात्र अर्थात ऐसी संस्थाएं जो लोगों को जीवन के आध्यात्मिक ध्येय को प्राप्त करने के लिए उचित मार्गदर्शन करती हैं ।

  5. जिन वस्तुओं से मृत व्यक्ति को अधिक आसक्ति नहीं थी, उन वस्तुओं का उपयोग परिवार के लोग छ: माह के पश्‍चात कर सकते हैं । छ: माह के पश्‍चात नियमित नामजप से उन वस्तुओं की शुद्धि हो जाती है ।

  6. घर में मृत व्यक्ति के छायाचित्र न रखें । छायाचित्र घर में रखने से उनकी पिछले भूलोक के जीवन से और पिछले जन्म के परिजनों से आसक्ति बढती है । इससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा में बाधा आती है । कुछ उदाहरणों में मृत व्यक्ति भूलोक में उनके घर में अटक जाते हैं ।

  7. यदि मृत व्यक्ति ने मृत्यु के पूर्व कोई इच्छा प्रकट की हो, तो उसका सम्मान करते हुए उसे अधूरा नहीं छोडना चाहिए ।

ऊपर दिए गए तत्त्वों का पालन करना महत्वपूर्ण है; क्योंकि इन तत्त्वों के पालन से यह निश्‍चित होता है कि, मृत व्यक्ति को गति प्राप्त होगी अन्यथा वह भूलोक में अटक जाएगा । हमारी अपनी संपूर्ण सुरक्षा के लिए नियमित रूप से अध्यात्म के छ: मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार साधना करना लाभदायी होगा ।