किसी न किसी समय पर हम सभी की मृत्यु होगी ही और यह हमारे प्रारब्ध के अनुसार निश्चित है । हमारे जीवन में कुछ पूर्वनिश्चित समयकाल होते हैं जिसमंं हमारे प्रारब्धानुसार मृत्यु हो सकती है । आगे दी गर्इ सारणी में व्यक्ति के जीवन के इन समयकालों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है ।
समयानुसार मृत्यु का प्रकार | संस्कृत शब्द | मृत्यु को रोकने की संभावना | व्यक्ति के जीवन में साधारणतया ऐसा होने के अवसर | क्या अनिष्ट शक्ति/व्यक्ति इसे प्रभावित कर सकते हंर ? | इसे कैसे टाला जा सकता है ? |
---|---|---|---|---|---|
संभावित मृत्यु | अपमृत्युयोग | ७०-१०० प्रतिशत | एक बार और यह दो सप्ताह तक रहता है | हां | शास्त्रों में बतार्इ गर्इ कुछ विशेष धार्मिक विधियां करके |
मृत्यु | मृत्युयोग | ३०–७० प्रतिशत | एक बार और यह एक सप्ताह तक रहता है | हां | छः मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार साधना करके |
निश्चित मृत्यु | महामृत्युयोग | टलने की कोर्इ संभावना नहीं | एक बार और यह अवसर अंतिम क्षण तक बना रहता है | नहीं | कुछ भी नहीं |
पूर्वनिश्चित ‘अपमृत्युयोग’ अथवा ‘मृत्युयोग’ में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने की संभावना को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं ।
- लेन-देन लेखा : पृथ्वीलोक के अन्य व्यक्तियों के साथ लंबित (बकाया) लेन-देन को व्यक्ति की मृत्यु के पूर्व तक ही निपटाया जा सकता है । व्यक्ति के वर्तमान जन्म के प्रारब्ध में लेन-देन की शेष मात्रा भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है जो कि यह निश्चित करता है कि उसकी मृत्यु ‘महामृत्युयोग’ के पहले होगी अथवा नहीं ।
- मृत पूर्वज तथा अनिष्ट शक्ति : कभी-कभी मृत पूर्वजों तथा अनिष्ट शक्तियों के कारण भी मृत्यु समयकाल से पूर्व हो सकती है । पढें – क्यों हमारे पूर्वज हमारे जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं ?
- साधना : साधना का प्रकार एवं तीव्रता व्यक्ति की समयपूर्व मृत्यु अर्थात निश्चित मृत्यु की स्थिति से पहले आनेवाली मृत्यु को टालने में सहायता करते हैं ।
निश्चित मृत्यु की अवस्था कब आती है, अर्थात् यह तब आती है जब व्यक्ति भूलोक पर अपने वर्तमान जीवन का प्रारब्ध पूर्ण कर चुका होता है ।
यह भी पढें – अस्तित्व के अन्य लोक कौन-से हैं ?