Human Cloning Landing

१. मानव प्रतिरूपण के दुष्परिणामों पर आध्यात्मिक शोध की प्रस्तावना

मानव, मानव कोशिका, अथवा मानव ऊतक की आनुवंशिक रूप से समान अनुकृति के सृजन को मानव प्रतिरूपण कहते हैं । यह शब्द प्रायः कृत्रिम मानव प्रतिरूपण के संदर्भ में प्रयुक्त होता है । तथापि जुडवा बच्चों के रूप में मानव प्रतिरूप (क्लोन) एक सामान्य बात है तथा उनका प्रतिरूपण प्रजनन की प्राकृतिक प्रक्रिया का ही एक भाग है ।

अनेक वर्षों से मानव प्रतिरूपण से संबंधित विविध विषयों पर विश्वभर में बहस चलती आ रही है । यह बहस अधिकतर सामाजिक, नैतिक तथा नीतिपरक विषयों पर केंद्रित होती है । इस लेख में हम मानव प्रतिरूपण को आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से देखेंगे ।

SSRF के छठवीं इंद्रिय अथवा अतींद्रिय संवेदी क्षमता युक्त एक साधक ने मानव प्रतिरूपण के दुष्परिणामों पर आध्यात्मिक शोध किया । उन्हें प्रतिरूपण के विषय में एक एकल कोशिका से उत्पन्न मानव प्रतिरूप तथा एक शुक्राणु तथा अंडाणु के संयोजन से उत्पन्न मानव के बीच तुलनात्मक अध्ययन के स्वरूप में ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त हुआ है । यह तुलना कुछ प्रमुख मापदंडों पर आधारित थी । इस ज्ञान की अचूकता को परम पूजनीय डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा जांचा गया ।

२. मानव प्रतिरूप के दुष्परिणाम तथा गर्भधारण (शुक्राणु एवं अंडाणु के निषेचन से) से उत्पन्न मानव

प्रमुख निष्कर्षों का सारांश आगे दिया गया है । नीचे दिए गए स्लाइड शो में मापदंडों को विस्तृत रूप से बताया गया है ।

मापदंड एकल कोशिका से निर्मित मानव प्रतिरूप (प्रतिशत) निषेचित अंडाणु से उत्पन्न मानव (प्रतिशत)
१. वातावरण में ढलने हेतु व्यक्ति की शारीरिक क्षमता ३० ५०
२. प्रजनन करने की क्षमता ३० ५०
३. क्रियमाण कर्म/प्रारब्ध क्रियमाण कर्म प्रारब्ध
४. स्वेच्छा से/ ईश्वर इच्छा से स्वेच्छा से ईश्वर इच्छा से
५. मानव प्रतिरूप के प्रथम पीढी की गुणवत्ता ३० ७०
६. पांच पीढियों के उपरांत मानव प्रतिरूप की गुणवत्ता ७०
७. लेन देन पूर्ण करना ३० ७०
८. अनिष्ट शक्तियों द्वारा कष्ट होने की संभावना ५० ३०

पृष्ठभूमि के प्रमुख बिंदु:

  • वर्तमान काल में सम्पूर्ण वैश्विक समाज में एक सामान्य व्यक्ति का औसत आध्यात्मिक स्तर २० प्रतिशत है ।
  • इस लेख में वर्णित ‘सामान्य व्यक्ति’ अथवा ‘गर्भधारण से उत्पन्न मानव’ के सभी संदर्भों का संबंध एक आध्यात्मिक रूप से सामान्य व्यक्ति से है अर्थात २० प्रतिशत के निकट आध्यात्मिक स्तर वाले व्यक्ति से है । यह आध्यात्मिक रूप से सामान्य व्यक्ति एक अरबपति हो सकता है, किसी राज्य का प्रधान अथवा मनोरंजन व्यवसाय से कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति भी हो सकता है । स्लाइड में दिए गए आंकडे इस श्रेणी हेतु यथा संभव दर्शाते हैं ।

३. संक्षेप में

मानव प्रतिरूपण से शारीरिक तथा मानसिक स्तर पर जो कुछ भी लाभ मिलने की आशा हम रखते हों किंतु यह उचित होगा कि उसके आध्यात्मिक दुष्परिणामों (प्रतिप्रभावों) को सावधानीपूर्वक ध्यान में रखा जाए । जब तक हम ऐसा नहीं करते हैं, हम व्यापक रूप से मानवता को बडे पैमाने पर क्षति पहुंचाते रहेंगे ।