वीडियो गेम का व्यसन – आध्यत्मिक परिप्रेक्ष्य एवं समाधान

वीडियो गेम का व्यसन – आध्यत्मिक परिप्रेक्ष्य एवं समाधान

सारांश

यद्यपि शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर वीडियो गेम्स के लाभ एवं हानि के विषय में अनेक अध्ययन किए गए है – किंतु उनके आध्यात्मिक प्रभाव पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है । आध्यात्मिक शोध (प्रभामंडल (आॅरा) एवं ऊर्जा स्कैनरों के साथ अतिजागृत छठवीं इंद्रिय के प्रयोग से किया गया) दर्शाता है कि अधिकांश वीडियो गेम्स का व्यक्ति के प्रभामंडल पर नकारात्मक प्रभाव पडता है चाहे उसे केवल एक ही घंटे क्यों न खेला गया हो । शोध यह भी दर्शाता है कि बच्चों अथवा बाल किशोरों के लिए बनाए गए हानिरहित दिखने वाले वीडियो गेम्स भी आध्यत्मिक रूप से हानिकारक होते हैं । यह नकारात्मक प्रभाव उस समय शीघ्रता से कई गुणा बढ जाता है जब व्यक्ति को इसका व्यसन लग जाती है । लंबे समय तक नकारात्मक आध्यात्मिक स्पंदनों के संपर्क में रहने के परिणामस्वरूप अंततः व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर नकारात्मक दुष्प्रभाव पडता है । यह तथ्य खेलने वाले (अथवा खेलने वाले के माता-पिता) को पता नहीं चलेगा क्योंकि यह प्रत्यक्ष नहीं दिखता । वीडियो गेम खेलने में व्यक्ति जितना अधिक लिप्त रहेगा, तब मनोरंजन के इस हानिकारक स्वरुप के चंगुल से स्वयं को आध्यात्मिक रूप से बाहर निकालने के लिए उसे ईश्वर का नामजप एवं स्वसूचना देने जैसे आध्यात्मिक उपचार अधिकाधिक करने होंगे ।

१. प्रस्तावना

नवंबर ९, २०१० को, ‘कॉल ऑफ ड्यूटी: ब्लैक ऑप्स’ नाम से जाना जाने वाला फर्स्ट-पर्सन  शूटर वीडियो गेम निकाला गया था ।

वीडियो गेम का व्यसन – आध्यत्मिक परिप्रेक्ष्य एवं समाधान

एक माह उपरांत, क्रिसमस के संध्या तक, इसे सामूहिक रूप से ६०० मिलियन घंटों से भी अधिक समय तक खेला जा चुका था जो कि मानव काल के ६८,००० वर्षों से भी अधिक समय के बराबर है ।

पिछले कुछ दशकों में वीडियो गेम की लोकप्रियता में व्यापक वृद्धि हुई है, और वे निश्चित रूप से मुख्यधारा की संस्कृति में चले गए हैं । अभिभावक के रूप में, आपने भी घर आकर  अपने बच्चों को हिंसक वीडियो गेम खेलते देखा होगा, उदाहरण के लिए जोंबी हंटर में जोम्बिस को मारना ।

आध्यत्मिक परिप्रेक्ष्य एवं समाधान

उस समय, आप कदाचित यही सोचते होंगे कि  – “क्या जोम्बिस को मारना ही मेरे बच्चे के समय का अच्छा उपयोग है – वें बाहर क्यों नहीं जाते, जैसे हम अपने बचपन में खेलते थे वैसे ये बच्चे क्यों नहीं कर सकते?” हममें से अधिकतर लोगों ने वीडियो गेम्स के खतरों के बारे  में सुना होगा तथा हमें अपने बच्चों की चिंता भी होती है ।

आज, दो बातें तो स्पष्ट है । वर्तमान समय में वीडियो गेम्स के बढते प्रचलन से ऐसा प्रतीत होता है कि वे अभी लंबे समय तक टिकेंगे । ये लोगों का बहुमूल्य समय अत्यधिक मात्रा में व्यर्थ कर देते हैं ।

अधिकांश अभिभावकों के मन में यह प्रश्न होता है – क्या मुझे अपने बच्चों को वीडियो गेम्स निरंतर खेलने देना चाहिए ? 

कुछ अध्ययनों ने बताया है कि वीडियो गेम्स खेलने से आंख-हाथ के समन्वय, समस्या सुलझाने के कौशल तथा सूचना को संसाधित करने की मस्तिष्क की क्षमता में वृद्धि होती है । किंतु कुछ भी हो, इसके अत्यधिक उपयोग के फलस्वरूप इसका व्यसन लगना तथा बाद में इसके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पडता है । हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी वीडियो गेम्स का व्यसन को मानसिक स्वास्थ्य के विकारों की श्रेणी में डाला है । किंतु आध्यात्मिक स्तर पर वीडियो गेम्स के आध्यात्मिक प्रभावों के बारे में कदाचित ही कभी कोई चर्चा हुई होगी     

 इस लेख में हमने आध्यात्मिक स्तर पर वीडियो गेम्स हमें कैसे प्राभावित करते हैं, इस विषय पर अपने शोध निष्कर्ष साझा किए हैं ।

२. वीडियो गेम का व्यसन का आध्यात्मिक प्रभाव

किसी के दुष्प्रभावों का अध्ययन करते समय, हम सामान्यतया केवल शारीरिक एवं मानसिक पहलुओं पर ही ध्यान देते हैं तथा उसके आध्यात्मिक प्रभाव के बारे में अनभिज्ञ होते हैं । किंतु, आध्यात्मिक शोध से पता चला है कि किसी भी गतिविधि के आध्यात्मिक प्रभाव का बहुत गहरा प्रभाव पडता है तथा अंततः उसका प्रभाव शारीरिक एवं मानसिक स्तरों पर भी दिखाई देता है ।

स्पिरिचुअल साइंस रिसर्च फाउंडेशन (SSRF) ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के सहयोग से जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अध्यात्मिक शोध किए हैं । विश्वविद्यालय (वर्ष २०२० तक) के आध्यात्मिक शोध दल के पास आध्यत्मिक शोध का ३९ वर्षों का अनुभव है । आध्यात्मिक शोध से पता चला है कि वीडियो गेम्स के आध्यात्मिक दुष्प्रभाव होते हैं । नीचे इसका प्रारंभिक अध्ययन दिया गया है । इसे अध्यात्मिक शोध दल द्वारा वीडियो गेम्स के आध्यात्मिक प्रभावों पर किया गया है ।

३. व्यक्ति के प्रभामंडल पर वीडियो गेम्स के प्रभाव का अध्ययन करने हेतु प्रयोग  

३.१ कार्यप्रणाली

अ. प्रयोग में भाग लेने वाले साधकों के बारे में

  • आध्यात्मिक शोध केंद्र एवं आश्रम से ५ साधकों ने प्रयोग में भाग लिया ।
  • सभी प्रतिभागी साधक नियमित रूप से साधना करते हैं तथा उनका आध्यात्मिक स्तर  वे औसत आध्यात्मिक स्तर से ऊपर है । इसके साथ ही, साधना के कारण, उनकी छठवीं इंद्रिय थोडी जागृत हो चुकी है तथा वे सूक्ष्म स्पंदनों को अनुभव कर सकते हैं । तदनुसार, वे वीडियो गेम्स खेलने के प्रभावों के बारे में सूक्ष्म स्तर पर प्रतिपुष्टि (फीडबैक) देने में समर्थ थे ।

आ. प्रयोग के लिए प्रयुक्त उपकरण 

प्रयोग में भाग लेने वाले साधकों पर वीडियो गेम्स के प्रभाव का विश्लेषण करने हेतु यूनिवर्सल ऑरा (प्रभामंडल) स्कैनर (यूएएस) का उपयोग किया गया । यूएएस स्कैनर की सहायता से प्रतिभागी साधकों के प्रयोग से पूर्व और पश्चात के पाठ्यांक लिए गए ।

यूएएस, डॉ. मन्नेम मूर्थी (भारत के एक पूर्व परमाणु वैज्ञानिक) द्वारा विकसित एक उपकरण है । इसका उपयोग किसी भी वस्तु (सजीव एवं निर्जीव) के चारों ओर व्याप्त सूक्ष्म ऊर्जा (सकारात्मक एवं नकारात्मक) तथा प्रभामंडल को नापने के लिए किया जाता है । यूएएस पाठ्यांक जिस वस्तु का माप करना है, उस वस्तु के चारों ओर व्याप्त नकारात्मक प्रभामंडल, सकारात्मक प्रभामंडल एवं मापित प्रभामंडल का विवरण देते हैं । यूएएस पाठ्यांक कैसे लिए जाते है तथा इनका क्या तात्पर्य है, इसकी अधिक जानकारी के लिए इस लेख का संदर्भ लें – यूएएस पाठ्यांक (रीडिंग)  की कार्यप्रणाली ।

३.२ यूएएस पाठ्यांक (रीडिंग)

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यूएएस पाठ्यांक (रीडिंग) के चार प्रकार है जिन्हें नीचे दी गई तालिका में वर्णित किया गया है: :

यूएएस पाठ्यांक का प्रकार विवरण
इंफ्रारेड एवं अल्ट्रावायलेट नकारात्मक ऊर्जा पाठ्यांक दो प्रकार के होते हैं और इन्हें इंफ्रारेड IR (infrared) एवं अल्ट्रावायलेट UV (ultraviolet) के रूप में दर्शाया जाता हैं । इंफ्रारेड (IR) तुलनात्मक रूप से नकारात्मक स्पंदनों के न्यून रूप को दर्शाता है तथा अल्ट्रावायलेट (UV) नकारात्मक स्पंदनों के अधिक तीव्र रूप को दर्शाता है ।
सकारात्मक प्रभामंडल (PA) यह सकारात्मक प्रभामंडल को दर्शाता है ।
मापित प्रभामंडल (MA) यह जिस वस्तु का नाप लिया जाना है, उस विशिष्ट वस्तु के ‘कुल मापित प्रभामंडल’ (total measured aura) को दर्शाता है ।

शोध दल ने इस उपकरण का उपयोग व्यापक रूप से किया है, अर्थात ५ वर्ष की अवधि में, वस्तुओं के लगभग १०,००० सूक्ष्म पाठ्यंकों (रीडिंग) लिए गए हैं । यह देखा गया है कि यूएएस के परिणाम बहुत सटीक होते हैं और छठवीं इंद्रिय से प्राप्त निष्कर्षों की पुष्टि करते हैं  ।

३.३. वास्तविक प्रयोग

हमने पांच लोगों को (जो कि शोध केंद्र के साधक थे) एक घंटे के लिए फर्स्ट-पर्सन शूटर (FPS) गेम खेलने के लिए कहा तथा वीडियो गेम खेलने से पूर्व तथा पश्चात प्रत्येक व्यक्ति के यूएएस पाठ्यांक लिए गए । साधकों के प्रभामंडल पर पडा वीडियो गेम्स खेलने का प्रभाव नीचे देखा जा सकता है ।

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प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार थे

  • सभी पांचों के प्रकरणों में, या तो साधकों में नकारात्मकता अत्यधिक बढ गई अथवा उनकी सकारात्मकता पूर्ण रूप से नष्ट हो गई ।
  • इस प्रयोग में सम्मिलित दो खिलाडियों का प्रभामंडल जो वास्तव में नकारात्मक नहीं था गेम खेलने के उपरांत उनमें से एक में वह निर्मित हो गया ।
  • प्रयोग में सहभागी साधकों में से एक साधक को अनिष्ट शक्ति का कष्ट था – उसकी नकारात्मक सूक्ष्म उर्जा ७२ प्रतिशत तक बढ गई (यह एक घंटे खेलने मात्र से हो गया) ।
  • इतने कम समय में किसी व्यक्ति के प्रभामंडल में इस प्रकार के नकारात्मक परिवर्तन आना विचारणीय है क्योंकि निश्चित ही इसके शारीरिक और मानसिक परिणाम भुगतने पडेंगे । यद्यपि इसके प्रभाव तुरंत न दिखते हों, किंतु आलस्य, कुछ न सूझना, अपने आवेगों को नियंत्रित करने में असमर्थ होना, निराशा इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं ।

३.४ वीडियो गेम्स और बच्चे

कोई यह भी कह सकता है कि फर्स्ट पर्सन शूटर गेम अत्यधिक हिंसक खेल है तथा स्वाभाविक रूप से इसके नकारात्मक प्रभाव तो होंगे ही ।

इसका आगे पता लगाने के लिए, शोध दल ने छोटे बच्चों द्वारा प्रायः प्रयोग किए जाने वाले दूसरे प्रकार के वीडियो गेम्स के प्रभाव का अध्ययन करने हेतु १० से १२ वर्ष की आयु के दो बच्चों पर प्रारंभिक अध्ययन किया ।

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एक ने ‘सुपर मारियो रन’ तथा दूसरे ने ‘मिनी मिलिशिया’ गेम खेला – यह वे वीडियो गेम्स हैं, जो प्रायः बच्चों द्वारा खेले जाते हैं । यद्यपि ये गेम्स बहुत सामान्य एवं हानिरहित दिखाई देते हैं, किंतु हमने देखा कि इन बच्चों वाले वीडियो गेम्स से भी बालक-प्रतिभागियों के सूक्ष्म ऊर्जा एवं प्रभामंडल पर वही नकारात्मक प्रभाव हुआ जो कि फर्स्ट पर्सन शूटर गेम में हुआ था ।

३.५ वीडियो गेम्स खेलते समय प्रतिभागियों के व्यक्तिगत अनुभव

प्रयोग के परिणामों ने दर्शाया है कि वें सभी साधक जिन्होंने वीडियो गेम खेला था, उन पर नकारात्मक प्रभाव पडा ।

किंतु, चूंकि सभी प्रतिभागी साधक कुछ वर्षों से साधना कर रहे हैं, इसलिए वे प्रयोग के समय खेल में सूक्ष्म स्पंदनों को अनुभव करने में (कुछ मात्रा में) समर्थ थे । उनके द्वारा अनुभव किए गए कुछ प्रभाव इस प्रकार है :

  • थकान एवं तनाव बढना
  • आक्रामकता में वृद्धि होना
  • अधीरता बढना
  • खेलने के उपरांत घबराहट, विचारों में अस्पष्टता, आलस्य अनुभव होना– मुझे पुनः सामान्य स्थिति में लौटने के लिए समय लगा।
  • ईश्वर अथवा किसी भी प्रकार की साधना के विचारों से दूर चले गए हं, ऐसे अनुभव हुआ

एक सामान्य व्यक्ति के प्रकरण में, इसका प्रभाव तुरंत नहीं भी दिख सकता है, किंतु नकारात्मक विचारों में वृद्धि होना, ऊर्जा स्तर न्यून होना इत्यादि के रूप में लंबी अवधि तक दिखाई देते हैं । कोई भी यह तर्क कर सकता है कि फर्स्ट पर्सन शूटर गेम अधिक हिंसक है इसलिए स्वाभाविक रूपसे व्यक्ति पर उसका नकारात्मक प्रभाव ही पडेगा किंतु बच्चों के गेम ने भी प्रतिभागियों के प्रभामंडल पर समान नकारात्मक प्रभाव दर्शाए । आधुनिक विज्ञान को आध्यात्मिक आयाम की समझ न होने के कारण वह इस प्रभाव का पता लगाने में असमर्थ है । किंतु, आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से, वीडियो गेम्स से मन तथा बुद्धि के चारो ओर काला आवरण निर्माण होता है तथा व्यक्ति को साधना करने के प्रयासों से विमुख करता है ।

४. वीडियो गेम्स खेलता हुआ व्यक्ति सूक्ष्म स्तर पर कैसा दिखाई देता है ?

सूक्ष्म स्पंदनों का सटीक आकलन और विश्लेषण केवल छठवीं इंद्रिय के माध्यम से हो सकता है । हमारे पास हमारे आध्यात्मिक शोध दल के ऐसे साधक है जो लोगों से प्रक्षेपित होने वाले स्पंदनों को वास्तव में देख सकते हैं । वें उन्हें चित्रित कर, आध्यात्मिक एक्स-रे के रूप में उसे प्रस्तुत करते हैं तथा इस प्रकार के माध्यम के वास्तविक स्वरुप के बारे में स्पष्टता प्रदान करते हैं ।

जब एक सामान्य व्यक्ति वीडियो गेम खेलता है तब सूक्ष्म में क्या घटित होता है, यह चित्र के माध्यम से दर्शाया गया है । घटना से संबंधित सभी सूक्ष्म स्पंदनों को दर्शाया गया है । इसे SSRF के एक संत पू. देजन ग्लेसिक द्वारा चित्रित किया गया था, जो पहले वीडियो गेम खेला करते थे । साधना के कारण, वीडियो गेम्स खेलते समय सूक्ष्म में क्या घटित हो रहा है, उसे देखने में वे समर्थ थे ।

वीडियो गेम का व्यसन – आध्यत्मिक परिप्रेक्ष्य एवं समाधान

उपर्युक्त सूक्ष्म चित्र दर्शाता है कि वीडियो गेम्स खेलने से व्यक्ति सूक्ष्म कष्टदायी शक्ति अत्यधिक मात्रा में  ग्रहण करता है । विशेषरूप से चिंता का विषय वह मायावी शक्ति है जिससे खेलने वाला प्रभावित हो जाता है, क्योंकि इस प्रकार की शक्ति व्यक्ति को यह झूठा अनुभव कराती है कि अमुक वस्तु अच्छी है जबकि वास्तव में वह अच्छी नहीं होती । सामान्य व्यक्ति इन स्पंदनों के सूक्ष्म नकारात्मक प्रभाव को त्वरित देखने में समर्थ नहीं होते, किंतु वे समय के साथ, नकारात्मक विचार आना, उत्साहहीनता तथा यहां तक की भूतावेश से आविष्ट होने की संभावना बढना जैसे लक्षणों के रूप में घातक रूप से प्रभावित हो जाएंगे ।

इस सूक्ष्म चित्र में दर्शाया गया वीडियो गेम्स खेलने का दूसरा नकारात्मक प्रभाव यह है कि वीडियो गेम्स खेलने से व्यक्ति जो काली शक्ति अवशोषित करता है, वह उसके अहं को बढा देती है, जो साधना के लक्ष्य से बिलकुल विपरीत है ।

वीडियो गेम का व्यसन के विषय में ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त होना

प. पू. देजन ग्लेसिक वीडियो गेम खेलने के विषयमें दैवीय ज्ञान प्राप्त करने के बारे में अपने अनुभव बताते हैं ।

“वर्ष २०१३, सितंबर में मेरा आध्यात्मिक कष्ट बढ गया, तथा वीडियो गेम खेलने की इच्छा पुनः जागृत हुई । यद्यपि मैंने यह लंबे समय से नहीं खेला था । मैंने कुछ दिन गेम्स खेले । उस समय, मैं वास्तव में उन्हें नहीं खेलना चाहता था, किंतु मुझे लगा कि स्वयं पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था । इस समस्या को अंततः दूर करने की मुझमें भीतर से इच्छा जागृत हुई । मैंने ईश्वर से प्रार्थना की कि हे ईश्वर, मुझे यह गहराई से समझने में सहायता करें कि कैसे वीडियो गेम का व्यसन ने मुझे प्रभावित किया है । कुछ मिनटों में ही, मुझे भीतर से बोध होने लगा तथा मैं देख सकता था कि गेम्स से किस प्रकार की शक्ति प्रक्षेपित होती है तथा शरीर और मन में अवशोषित हो जाती है ।

इसके साथ ही, यह भी लगा कि उस क्षण ईश्वर ने मेरे मन के रुचि एवं अरुचि केंद्र में गेम्स को पसंद करने के संस्कार को न्यून कर दिया है । उसी क्षण से, वीडियो गेम्स को पसंद करने के स्थान पर, मैं उन्हें नापसंद करने लगा ।”

५. वीडियो गेम का व्यसन को दूर करने हेतु उपाय 

हमें लगता है कि वीडियो गेम्स आराम पाने तथा तनाव दूर करने अथवा मन का ध्यान हटाने का एक तरीका है । हम पर उनके आकर्षण की तीव्रता इतना अधिक होता  है, जिसे रोक पाना बहुत कठिन है । यह अध्ययन दर्शाता है कि आप आप किसी भी आयुवर्ग के हों, वीडियो गेम्स खेलने से निश्चित रूप से नकारात्मक प्रभाव पडेगा । अतः यह महत्वपूर्ण होगा कि वीडियो गेम्स पर समय व्यर्थ गंवाना कम किया जाए । इससे अभिभावक भी अपने बच्चों के सर्वोत्तम हित में उन्हें वीडियो गेम्स पर समय व्यर्थ करना कम करने में सहायता करें।

वीडियो गेम्स खेलने की इच्छा को दूर करने हेतु आगे कुछ आध्यात्मिक समाधान दिए गए हैं ।

टिप्पणी : जब वीडियो गेम्स का व्यसन लगी हो तब आध्यात्मिक समाधानों को समाविष्ट करना अत्यंत आवश्यक है इसका कारण यह है कि अधिकांश व्यसनों के मूल में आध्यात्मिक घटक होता है जो केवल आध्यात्मिक उपायों से ही दूर हो सकता है।

१. नामजप

इनमें से कोई एक नामजप करें

|| ॐ ॐ श्री वायुदेवाय नमः ॐ ॐ ||

 ||ॐ ॐ श्री आकाश देवाय नमः ॐ ॐ ||

वीडियो गेम खेलने की इच्छा कितनी तीव्र है, उसके आधार पर प्रतिदिन ३ घंटे नामजप करना चाहिए । अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए नामजप को एक स्थान पर बैठ कर एकाग्रता के साथ करना श्रेयस्कर होगा । ३ घंटे की अवधि को अपने समयानुसार छोटे छोटे सत्रों में विभाजित भी किया जा सकता है ।

२. स्वसूचना देना

स्वसूचना अंतर्मन में संस्कारों को दूर करने में सहायता करती है । अतः, वीडियो गेम्स खेलने के विचार स्वसूचना देने से न्यून हो जाते हैं । नीचे दो स्वसूचनाएं दी गई है तथा इनमें से किसी एक प्रयोग किया जा सकता है । आपकी स्थिति के अनुसार आपको जो अधिक उपयुक्त लगे, आप उस स्वसूचना का चयन करें ।

स्वसूचना १: जब भी मुझे वीडियो गेम खेलने का मन करेगा, तब मुझे यह भान होगा कि मैं तनाव के कारण मैं मन को शांंत रखने का पर्याय की खोज कर रहा हूं । मैं इसे पहचानने के लिए सहायता लूंगा तथा परिपक्व और रचनात्मक तरीके से इसका समाधान निकालूंगा ।

स्वसूचना २ : जब भी मुझे वीडियो गेम खेलने का मन करेगा, तब मुझे यह भान होगा कि ऐसा करना मेरे मानसिक तथा आध्यामिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इसलिए मैं ईश्वर का नामजप करने/ घर साफ करने/ अगली परियोजना का नियोजन करने/ अपने बच्चों के साथ समय बिताने/ अपना अध्ययन पूर्ण करने पर ध्यान केंद्रित करूंगा ।

६. निष्कर्ष

वीडियो गेम्स भी मनोरजन के दूसरे साधनों के समान है – किंतु हम इसका उपयोग कैसे करते हैं तथा हम किस प्रकार के खेल खेलते हैं, इसके आधार पर यह निश्चित होगा कि हम पर इसके सकारात्मक प्रभाव पडेंगे अथवा नकारात्मक । दुर्भाग्यवश, आज, अधिकांश वीडियो गेम्स नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं । हम मनोरंजन के लिए वीडियो गेम्स खेलते हैं तथा इसलिए क्योंकि इससे हमें खुशी मिलती है । यद्यपि, हमें जिस खुशी की खोज है, वह चिरस्थाई होनी चाहिए, वीडियो गेम्स से यह नहीं मिल सकता । अनेक खिलाडी इस तथ्य को मानते होंगे कि कई घंटे वीडियो गेम्स खेलने के उपरांत उन्हें प्रायः एक खालीपन का अनुभव होता है । ईश्वर के नामजप से मन में सकारात्मकता एवं स्थिरता निर्माण होती है, जो व्यसनकारी उत्तेजनाओं के पीछे भागने की हमारी इच्छा को न्यून करती है ।