कु. शिल्पा देशमुख द्वारा प्राप्त र्इश्वरीय ज्ञान का एक उदाहरण

अध्यात्मशास्त्र के अनुसार, नृत्य कला का एक रूप है, जिसका उपयोग र्इश्वरप्राप्ति के लिए किया जा सकता है । इस अनुसार नृत्य दैवी तत्त्व को प्राप्त करने का एक माध्यम है । आगे दी गर्इ सारणीस्वरूप जानकारी शिल्पाजी को सीधे र्इश्वर से प्राप्त हुर्इ है । इसमें शरीर के निम्नलिखित अवयवों से ग्रहण होनेवाले र्इश्वरीय तत्व की प्रतिशत मात्रा की जानकारी दी गर्इ है, जब उनका उचित प्रकार से नृत्य में प्रयोग किया जाए ।

शरीर के अवयव प्रतिशत महत्त्व
सिर
दृष्टि १०
भौंहे
आंख की पुतलियां
गर्दन
नाक
गाल
होंठ १०
पेट
कमर
हाथ २०
पैर १८
अन्य

सारणी को समझने का एक उदाहरण : सिर अधिकतम ५ प्रतिशत र्इश्वरीय तत्त्व ग्रहण कर सकता है ।