वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा कैसे करें ?

इस लेख को समझने के लिए हमारा सुझाव है कि आप निम्नांकित लेखों से परिचित हो जाएं :

  • वस्त्र और गंध – वस्त्र अच्छी तथा अनिष्ट शक्तियों से किस प्रकार प्रभावित होते हैं ?

१. प्रस्तावना (विषयप्रवेश)

वस्त्र तथा अपनी वस्तुएं अपने शरीर के अत्यंत निकट होते हैं । हमारे पूर्व के लेख में हमने देखा कि अनिष्ट शक्तियों द्वारा गंध के स्तर पर वस्त्र किस प्रकार से प्रभावित होते हैं । वर्तमान समय में अनिष्ट शक्तियां अधिक मात्रा में कार्यरत हैं । वस्त्रों में दुर्गंध लाकर और काली शक्ति का सूक्ष्म आवरण निर्मित कर वे हमें प्रभावित करती हैं ।

हममें से अधिकतर लोगों को इस सूक्ष्म गंध अथवा काले आवरण का भान नहीं होता, परंतु इनके कारण हमारे दैनिक जीवन में और हमारी साधना में बाधाएं आती हैं । साधना द्वारा प्राप्त आध्यात्मिक ऊर्जा (शक्ति) से ७०% ऊर्जा वस्त्र और अपनी वस्तुओं पर होनेवाले इन प्रभावों को निष्प्रभ करने के लिए व्यय करनी पडती है ।

हमारे वस्त्र अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित हुए हैं अथवा नहीं यह पहचानने के लिए हम इस लेख द्वारा आपकी सहायता करेंगे । अपनी वस्तुएं आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध करने के लिए तथा अनिष्ट शक्तियों के आक्रमणों से सुरक्षित रहने के लिए क्या करना आवश्यक है, इस संदर्भ में हम आपका मार्गदर्शन भी करेंगे ।

जो वस्त्र अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित नहीं हुए हैं, उनके लिए आध्यात्मिक उपचार की पद्धतियां प्रतिबंधक उपाय के रूप में उपयुक्त हो सकती हैं ।

२. अपने वस्त्र अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित हुए हैं अथवा नहीं, यह कैसे पहचानें ?

२.१ स्थूल दृष्टि से पहचानने योग्य सूत्र

अनिष्ट शक्तियां स्थूल नेत्रों से पहचानने योग्य विविध प्रकार की विकृतियां वस्तुओं में कैसे उत्पन्न करती हैं, इसका विस्तृत विवरण हमारे निर्जीव वस्तुओं पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा होनेवाले आक्रमण इस भाग में दिया है ।

वस्त्रों का परीक्षण करते समय सतर्कता रखें और बुद्धि से निम्न स्थूल कारणों की संभावना को टटोलकर देखें :

  • क्या मैंने वस्त्रों पर / वस्तुओं पर कुछ गिराया था ?
  • क्या अज्ञानवश मुझे कहीं चोट लगी है, जिसके कारण रक्त के धब्बे आए हैं ?
  • क्या मैंने फैब्रिक सॉफ्टनर, परफ्युम (इत्र इत्यादि) अथवा किसी अन्य डिटर्जंट (साबुन) का प्रयोग किया था ?

२.२ सूक्ष्म ज्ञानेन्द्रियों द्वारा पहचानने योग्य

अनिष्ट शक्तियों द्वारा सूक्ष्म-स्तर पर प्रभावित वस्त्र पहचानाने के लिए, वस्त्रों से क्या अनुभव होता है, यह देखने के लिए हमें कुछ क्षण देने होंगे ।

आरंभ करने से पूर्व प्रार्थना करें :

“हे ईश्वर, आध्यात्मिक विश्व से सम्बन्धित अनुभव होने में आनेवाली सभी बाधाओं को आप कृपया दूर कीजिए । इस अनुभव में किसी अनिष्ट शक्ति द्वारा हस्तक्षेप न हो । ये वस्त्र काली शक्ति से प्रभावित हुए हैं अथवा नहीं, यह निश्चित करने में मेरी सहायता कीजिए ।”

शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्तर पर होनेवाले परिवर्तनों पर ध्यान दे सकते हैं । अनिष्ट शक्तियों के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं :

  • किसी का जी मितलाता है अथवा उलटी होती है ।
  • वस्त्र पकडा हुआ हाथ अथवा सिर भारी होता है ।
  • मन में अनावश्यक विचार आने लगते हैं अथवा मन और बुद्धि सुन्न होने लगते हैं ।
  • नामजप अथवा ईश्वरसम्बन्धी विचार बन्द हो जाते हैं ।

वस्त्रों में काली शक्ति के अस्तित्व का अनुभव गंध, दृष्टि अथवा स्पर्श से संबंधित सूक्ष्म-ज्ञानेंद्रिय से कैसे करना है, इसके कुछ निम्न उदाहरण हैं ।

सूक्ष्म-संवेदना ब्रह्मांड का संबंधित  मूलतत्त्व अनुभव
सूक्ष्मगंध पृथ्वीतत्त्व वस्तु की गंध ५-६ बार लें और देखें कि दुर्गंध आ रही है अथवा नहीं । वस्त्र की किनार और दोनों छोर की जांच करें, क्योंकि काली शक्ति का प्रक्षेपण यहीं से अधिक मात्रा में होता है । कुर्ते के लिए, दोनों बाहियों की और कांख की गंध लें । कभी-कभी कुर्ते के मध्य भाग में भी दुर्गंध आ सकती है ।

काली शक्ति की तीव्रता का स्तर (सौम्य, मध्यम अथवा तीव्र) दुर्गंध में तीव्रता से निश्चित किया जा सकता है ।

  • नाक के सामने वस्त्र पकडने पर पूरी श्वास ले पाना (वायु फेफडोंतक पूर्णतः पहुंच पाना), सौम्य कष्ट का लक्षण है ।
  • नाक के सामने वस्त्र पकडने पर आधी ही श्वास ले पाना संभव होने पर समझ लें कि वस्त्र मध्यम स्तर के कष्ट से प्रभारित है ।
  • नाक के सामने वस्त्र पकडने पर श्वास लेना संभव ही न होना, श्वास फूलना अथवा खांसी आना, तीव्र कष्ट का लक्षण है ।
सूक्ष्म-दृष्टि तेजतत्त्व सूक्ष्म जानने की अतिजाग्रत क्षमता होने पर वस्त्र की ओर देखकर पहचानना संभव हो पाता है कि वस्त्र पर काली शक्ति का आवरण है । यह ज्ञान तेजतत्त्व के स्तर पर होता है ।
सूक्ष्म-स्पर्श वायुतत्त्व वस्त्र को स्पर्श करने पर काली शक्ति द्वारा आवेशित हुए एवं न हुए वस्त्र में अंतर पहचानना संभव होता है । उदा. रेशम का वस्त्र रेशम का होने पर भी खुरदरा लगता है ।

इसी प्रकार वस्त्र को हाथ में पकडने पर हम देख सकते हैं कि वह उसके वास्तविक भार की तुलना में अधिक भारयुक्त लगता है अथवा नहीं । यदि वस्त्र उसके वास्तविक भार से अधिक भारी लगता है, तो यह उसमें काली शक्ति संग्रहित होने के कारण होता है । यह ज्ञान वायुतत्त्व के स्तर पर प्राप्त होता है ।

३. वस्त्रों की शुद्धि आध्यात्मिक स्तर पर कैसे करें ?

३.१ वस्त्र धोना

वस्त्र धोने पर दुर्गंध की तीव्रता न्यून होती है । वस्त्र में विद्यमान पृथ्वीतत्त्व पर आपतत्त्व के उपाय होने से काली शक्ति नष्ट होती है ।

पहला चरण दूसरा चरण तीसरा चरण
वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा कैसे करें ? वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा कैसे करें ? वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा कैसे करें ?
वस्त्र जिस पानी में भिगोते अथवा धोते हैं, उसमें सेंधा नमक अथवा एसएसआरएफ  की अगरबत्ती से प्राप्त विभूति मिलाएं । यदि सेंधा नमक न हो, तो सामान्य समुद्री नमक अथवा खाने के नमक का भी उपयोग कर सकते हैं, किंतु इससे उपाय की प्रभावकारिता ३०% सेंधा नमक की तुलना में न्यून हो सकती है । ईश्वर से और जिस पानी में वस्त्र भिगोए अथवा धोए जाते हैं, उसमें विद्यमान आपतत्त्व से प्रार्थना करें कि वस्त्रों की काली शक्ति नष्ट होकर प्रत्येक वस्त्र शुद्ध होने दीजिए । धुलाई यंत्र पर छोटे आकार के दो बक्से रखें (एक बक्से का खुला भाग वस्त्रों की दिशा में और दूसरे बक्से का खुला भागऊपर की दिशा में) धुलाई यंत्र और वस्त्रों से काली शक्ति बक्सों में खींची जाने के लिए प्रार्थना करें ।

अन्य कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र

  • कपडे धोने की पाउडर / डिटर्जेंट और वस्त्रों को मुलायम बनानेवाले पदार्थों को (फैब्रिक सॉफ्टनर) तीव्र गंध नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उनमें रसायनों की मात्रा अधिक होने से वे कष्टप्रद शक्तियों को आकर्षित कर सकते हैं । यथासंभव वस्त्र को मुलायम बनानेवाले रसायन का उपयोग न करें, क्योंकि वे वस्त्रों को मायावी सुगंध प्रदान कर उन पर अनिष्ट परिणाम करते हैं ।
  • तीव्र कष्ट से युक्त वस्त्र सौम्य अथवा मध्यम प्रकार के कष्टोंवाले वस्त्रों के साथ कभी नहीं रखने चाहिए । तीव्र कष्ट से युक्त वस्त्रों की काली शक्ति अन्य वस्त्रों को प्रभावित कर सकती है ।

३.२ वस्त्र सुखाना

धूप में सुखाने से वस्त्रों में विद्यमान काली शक्ति तेजतत्त्व के कारण शीघ्रता से नष्ट होती है ।

पहला चरण दूसरा चरण
वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा करें कैसे? वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा करें कैसे?
वस्त्रों को धूप में सुखाने लिए अधिकतम समय तक लटकाए रखें । वस्त्रों में विद्यमान काली शक्ति नष्ट होकर चैतन्य से उनकी शुद्धि होने के लिए सूर्य में विद्यमान ईश्वरीय तत्त्व से हम प्रार्थना कर सकते हैं । सूर्यास्त के उपरांत अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण से बचने के लिए सूर्यास्त से पहले वस्त्र भीतर ले आंए ।

अन्य कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र

  • धोने के उपरांत वस्त्र पानी में दीर्घकाल तक रहने से उनमें सडने जैसी दुर्गंध आती है । इसलिए धोने के उपरांत वस्त्र तुरंत सूखने के लिए डालने चाहिए और अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण से बचने के लिए प्रार्थना करनी चहिए ।
  • धूप में सुखाने की सुविधा न हो fkतो वायुतत्त्व के माध्यम से उन पर आध्यात्मिक उपाय होने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं । तार पर लटकाए वस्त्रों के नीचे SSRF की जलती अगरबत्ती रखने से उसका धुआं वस्त्रों को आच्छादित करता है ।

३.३ धोने के उपरांत

पहला चरण : कष्ट की तीव्रता के अनुसार वस्त्रों का वर्गीकरण करें दूसरा चरण : आध्यात्मिक उपाय करें
वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा कैसे करें ? वस्त्रों की गंध कैसे हटाए और अपने वस्तुओं की सुरक्षा कैसे करें ?

सौम्य कष्ट से प्रभावित वस्त्र एक साथ रख सकते है, मध्यम कष्ट से प्रभावित वस्त्र अन्यत्र रख सकते है और तीव्र कष्ट से प्रभावित वस्त्र अलग से रख सकते हैं ।

> SSRF की अगरबत्ती से प्राप्त विभूति वस्त्रों में लगा सकते हैं ।

> वस्त्रों के चारों ओर रिक्त बक्से रखें । बंद रिक्ति में विद्यमान आकाशतत्त्व के कारण वस्त्रों में विद्यमान काली शक्ति नष्ट होती है (इस उदाहरण में बक्सों के भीतर की रिक्ति) ।

> वस्त्रों के चारों ओर तथा उनके भीतर भी देवताओं के चित्र अथवा नामजप की पट्टियां रखें । देवताओं के चित्र वस्त्र के उस भाग में रखें, जहां अनिष्ट शक्तियों का आक्रमण अधिक होता है, उदा. चोली की कांख में । कोट, पंजाबी सूटस, जैसे वस्त्र प्रायः हैंगर पर लटकाए जाते हैं । ऐसे में प्रत्येक हैंगर में नामजप की पट्टियां लगा सकते हैं ।

> प्रसंगवश हम चैतन्य से संपूर्णतः प्रभारित स्थान पर वस्त्र रख सकते हैं । उदा. पवित्र वेदी

३.३.१ नामजप पट्टियों और देवताओं के चित्र का आध्यात्मिक उपाय के लिए उपयोग

क्या हैं नामजप पट्टियां ? क्या हैं देवताओं के चित्र ?

जिस कागज की पट्टियों पर ईश्वरीय तत्त्व का (देवता का) नाम लिखा अथवा छपा होता है, उन्हें नामजप की पट्टियां कहते हैं । ये पट्टियां उस विशिष्ट देवता के नामजप का स्मरण करवाती हैं । इनका उपयोग अनिष्ट शक्तियों से सुरक्षा पाने के लिए और आध्यात्मिक उपायों के लिए कर सकते हैं ।  नामजप पट्टियों की आध्यात्मिक उपाय करने की क्षमता उन पर देवताका नाम अध्यात्मशास्त्र के अनुसार अथवा किसी आध्यात्मिक उन्नत द्वारा लिखे जाने से बढती है ।

देवताओं के चित्र ईश्वर के अच्छे स्पंदन आकर्षित करते  हैं । ये भक्ति बढाने के लिए सहायक होते हैं और उनका उपयोग आध्यात्मिक उपायों के लिए भी होता है । जब चित्र अध्यात्मशास्त्र के अनुसार बनाए जाते हैं, वर्तमान समय में वे उस देवतातत्त्व के अधिकतर ३०% स्पंदन आकर्षित करते हैं । बाजार में मिलनेवाले देवताओं के अधिकतर चित्र १-२% ईश्वरीय तत्त्व आकर्षित करते हैं ।

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३.३.२ विविध आध्यात्मिक उपाय पद्धतियों की वस्त्रों और व्यक्तिगत वस्तुओं के लिए उपयुक्तता

निम्न सारणी हमारे द्वारा प्रयुक्त विविध आध्यात्मिक उपाय पद्धतियों की उपयुक्तता के संदर्भ में जानकारी देती है :

क्र.

आध्यात्मिक उपायपद्धति

आध्यात्मिक उपायों की प्रभावकारिता की कालावधि (दिनों में) अनिष्ट शक्ति कौन से पाताल से संबंधित है (जो कि इन उपायों से प्रभावित हो सकती है)
अपनी व्यक्तिगत वस्तुएं धूप में रखना १५
SSRF की अगरबत्ती से प्राप्त विभूति अपनी  व्यक्तिगत वस्तुओं में लगाना ३-४
अपनी व्यक्तिगत वस्तुएं जलती अगरबत्ती केसमीप रखना
अपनी व्यक्तिगत वस्तुएं देवताओं के चित्रों के मध्य में रखना
वस्त्रों के चारों ओर आध्यात्मिक उपायों के बक्से उनकी ओर मुख कर रखना
वस्त्रों के भीतर प.पू. डॉ आठवलेजी के हस्तलिखित के कागद का टुकडा रखना और वस्त्रों के चारों ओर नामजप पट्टियों का मंडल बनाना
‘शून्य’की नामजप पट्टियां वस्त्र में रखना और इन  नामजप पट्टियों का मंडल वस्त्रों के चारों ओर बनाना
‘महाशून्य’की नामजप पट्टियां वस्त्र में रखना और इन नामजप पट्टियों का मंडल वस्त्रों के चारों ओर बनाना

व्यक्तिगत वस्तुएं प.पू. भक्तराज महाराजजी के लगाए भजनों के समीप रखनाप.पू. भक्तराज महाराजजी के भजन*

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१०

व्यक्तिगत वस्तुएं प.पू. डॉ.आठवलेजी के मार्गदर्शन की लगाई कैसेट के समीप रखनाप.पू. डॉ. आठवलेजी का मार्गदर्शन

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११ ‘ॐ’ की नामजप पट्टियां वस्त्र में रखना और इन नामजप पट्टियों का मंडल वस्त्रों के चारों ओर बनाना
१२ ‘ॐ ॐ’की नामजप पट्टियां वस्त्र में रखना और इन नामजप पट्टियों का मंडल वस्त्रों के चारों ओर बनाना (इसके स्पंदन त्रिगुणातीत होते हैं)

* प.पू. भक्तराज महाराज निर्गुण स्तर के संत थे । निर्गुण से किसी की भी निर्मिति हो सकती है । इसलिए इनके द्वारा गाए भजन भावजागृति, चैतन्य और शांति की अनुभूति दे सकते हैं । आकाशतत्त्व के उपाय होने के लिए इनके भजन सुनने का सुझाव दिया जाता है ।

४. दैनिक जीवन में आचरण

उपर्युक्त सभी उपाय प्रतिदिन करने चाहिए । प्रतिदिन स्नान से पूर्व वस्त्रों की जांच करें और कष्टमुक्त वस्त्र ही पहनें । यदि ऐसे वस्त्र उपलब्ध न हों, तो आप सौम्य कष्ट से युक्त वस्त्र पहन सकते हैं । ईश्वरीय चैतन्य से प्रभारित होने पर भी वस्त्रों पर किसी भी समय आक्रमण हो सकता है । इसलिए दिन में विशिष्ट समय के उपरांत वस्त्रों की गंध लेते रहना महत्त्वपूर्ण है ।

वस्त्र के एक छोर की गंध लेने पर यदि दुर्गंध आए, तो कष्ट की तीव्रता न्यून करने के लिए हम उसे विभूति लगा सकते हैं ।

५. अन्य वस्तुओं की आध्यात्मिक शुद्धि

तौलिए, बिछावन, चादर इ. वस्त्रों के लिए भी हम इन्हीं सिद्धान्तों का उपयोग कर सकते हैं ।

प्रतिदिन प्रयुक्त की जानेवाली ऐनक, घडी, आभूषण, कंघी, जूते आदि जैसी वस्तुओं की भी आध्यात्मिक शुद्धि निम्न प्रकार से कर सकते हैं :

  • वस्तु को SSRF की अगरबत्ती का धुआं दिखाना
  • SSRF की अगरबत्ती से प्राप्त विभूति लगाना
  • वस्तु skका उपयोग न हो रहा हो तब उसे बक्से में रखना
  • वस्तु में नामजप की पट्टी लगाना
  • वस्तु का उपयोग न हो रहा हो तब उसे आध्यात्मिक ग्रंथ में रखना
  • नियमितरूप से उसे धूप में रखना

६. कृत्रिम सुगंधी रसायनों का उपयोग न करें

वस्त्रों में आल्हाददायी गंध आने के लिए सुगंधी रसायन का उपयोग न करें । पसीने की दुर्गंध न आए, इसलिए अधिकतर लोग डिओडोरेंट का (दुर्गंध हटानेवाले रसायन का) उपयोग करते हैं । किन्तु इनकी अपेक्षा कांख में लगाने के लिए हम रसायनमुक्त उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं ।

प्राचीन काल में मानव नियमितरूप से आध्यात्मिक साधना करता था । उन दिनों में संतों और विद्वानों की देह में उनकी आध्यात्मिक साधना के कारण सुखद सुगंध आती थी । कलियुग के इस वर्तमान समय में अधिकतर समाज की आध्यात्मिक साधना न होने sके कारण उन्हें कृत्रिम सुगंधी रसायनों की आवश्यकता पडती है । समाज की एकत्रित सात्त्विकता न्यून होने से हम सात्त्विक गंध के स्थान पर रज-तमप्रधान कृत्रिम सुगंधी रसायनों का उपयोग करने लगे हैं । इन रज-तमप्रधान सुगंधी रसायनों में अनिष्ट शक्तियों को आकर्षित करनेवाली मायावी अथवा अप्राकृतिक सुगंध होती है ।

७. निष्कर्ष

प्रतिदिन प्रयुक्त की जानेवाली वस्तुओं और वस्त्रों पर काला आवरण लाकर अनिष्ट शक्तियां हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती हैं । अपनी व्यक्तिगत वस्तुओं को आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध करने से और उपर्युक्त उपाय करने से हम इन हानिप्रद प्रभावों से बच सकते हैं और अपनी आध्यात्मिक साधना द्वारा प्राप्त चैतन्य ग्रहण करने की हमारी क्षमता वृद्धिंगत कर सकते हैं ।