वैकल्पिक चिकित्साएं – प्रक्रिया का स्तर

2702-alternative-therapies

१. प्रक्रिया के स्तर पर वैकल्पिक चिकित्साओं के तुलनात्मक अध्ययन का परिचय

यहां हम प्रत्येक चिकित्सा पद्धति की तुलना वह कितनी अधिकतम गहनता से कार्य कर सकती है, इस स्तर पर कर रहे हैं I चिकित्सा पद्धतियों को उनकी प्रक्रिया की गहनता के अनुसार बढते क्रम में रखा गया है I प्रत्येक आगामी चिकित्सा पद्धति उस चिकित्सा पद्धति में वर्णित नए उपचारों के साथ साथ पूर्व चिकित्सा पद्धति की सभी प्रक्रियाओं के स्तर पर भी कार्य करती है I इसका अर्थ है कि, एलोपैथी मात्र भौतिक शरीर पर कार्य करती है, यूनानी औषधि स्थूल भौतिक शरीर के साथ-साथ शरीर के ऊर्जा प्रवाह के स्तरपर कार्य करती है और इसी प्रकार आगे भी होता है I आयुर्वेद स्थूल देह, सूक्ष्म देह के साथ-साथ और भी सूक्ष्म स्तर जैसे अंगों और कोशिकाओं के मध्य की रिक्ति के स्तर पर कार्य करता है I प्रक्रिया का स्तर जितना गहन होता है, उपचार उतना ही व्यापक और प्रभावशाली होता है I नीचे दिए हुए रेखाचित्र (diagrammatic representation) में हममें कौनसे घटक समाविष्ट हैं तथा स्थूल देह एवं सूक्ष्म देह के मध्य के संबंध को दर्शाया गया है I

2-HIN_ego-sub

२. एलोपैथी

HIN_M_Alternative_Therapies_Functionsयह चिकित्सा पद्धति भौतिक देह के स्तर पर कार्य करती है I इसका अर्थ है :

  • एक निवारक और उपचारात्मक स्तर पर, एलोपैथी को भौतिक देह के सीमित रोगों के कारणोंतक ही निर्देशित किया गया है I इसलिए मनोदैहिक रोग, जो रोग के भौतिक देह से भी अधिक गहन कारण मन से संबंधित होते हैं, जैसे ह्रदय रोग अथवा पेट का अल्सर एलोपैथी द्वारा व्यापक और पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो पाते I
  • चूंकि यह चिकित्सा पद्धति भौतिक देह तक निर्देशित है तथा यह हमारी अन्य सभी देहों से अधिक स्थूल है, इसलिए यह सूक्ष्म देहों जैसे मन के रोग से होनेवाले प्रभाव का उपचार नहीं करती; क्योंकि स्थूल देह पर निर्देशित प्रक्रिया उन देहों में विद्यमान रोगों का उपचार नहीं कर सकती जो उनसे अधिक सूक्ष्म है I

३. यूनानी औषधि

2-HIN-Yunaniयह चिकित्सा पद्धति भौतिक देह के साथ-साथ उसके ऊर्जा प्रवाह पर भी कार्य करती है I यहां ऊर्जा का तात्पर्य, देह की भौतिक अथवा स्थूल उपापचयी ऊर्जा (metabolic energy) से है I

 

 

 

४. सूचीदाब (एक्यूप्रेशर)

3-HIN-Acupressureयह चिकित्सा पद्धति भौतिक देह में प्रवाहित ऊर्जा में विद्यमान चेतना को निर्देशित करती है I चेतना चैतन्य की वह अवस्था है, जो देह और मन की कार्यप्रणाली को संचालित करती है I जैसा कि एक्यूप्रेशर स्थूल ऊर्जा के आगे के स्तर पर कार्य करती है, इसलिए इसकी प्रक्रिया भी यूनानी औषधि से अधिक गहन होती है I चेतना के स्तर तक उपचार पहुंचाने की क्षमता होने पर भी चिकित्सक को आवश्यक है कि, वह अत्यधिक कुशल, अनुभवी तथा पूर्ण एकाग्रता से पद्धति करनेवाला हो I

 

 

५. मुद्रा

4-HIN-Mudraयह चिकित्सा पद्धति स्थान के आधार पर शरीर के विशिष्ट भाग अथवा अंगों के समूह पर ऊर्जा प्रवाह को सक्रिय करने कार्य करती है । उदाहरण के लिए यदि किसी को पेट में वेदना है और मुद्रा को वेदना के बिंदु की दिशा में निर्देशित किया जाए, तो पेट में विद्यमान ऊर्जा का प्रवाह सक्रिय हो जाएगा I यद्यपि मुद्रा को नाभि चक्र (मणिपुर चक्र) की दिशा में निर्देशित किया जाए, तो इस चक्र से संबंधित अंगों अर्थात् संपूर्ण पाचन तंत्र (भोजन नलिका, उदर, छोटी और बडी आंत) साथ ही साथ उत्सर्जन तंत्र (गुर्दा, मूत्रवाहिनी एवं मूत्राशय) का ऊर्जा प्रवाह सक्रिय हो जाता है I यूनानी औषधि भी शरीर में ऊर्जा प्रवाह को सक्रिय करती है, फिर भी मुद्रा चिकित्सा पद्धति को उच्च रखा गया है, क्योंकि इसमें वही परिणाम बिना औषधि के प्राप्त होते हैं I

 

६. होमियोपैथी

5-HIN-Homeopathyयह चिकित्सा पद्धति, ऊर्जा प्रवाह सहित भौतिक देह के साथ-साथ सूक्ष्म देह पर भी कार्य करती है I

 

 

 

 

७. आयुर्वेद

6-HIN-Ayurvedaयह प्राचीन चिकित्सा पद्धति उपरोक्त सभी स्तरों के साथ ही अधिक गहन एवं सूक्ष्मतर स्तर अर्थात् अंगों और कोशिकाओं के मध्य की रिक्ति के स्तर पर भी कार्य करती है I