१. प्रस्तावना
क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है कि आपके वस्त्र धुले हुए होने के पश्चात भी उनसे दुर्गंध आ रही है ? क्या आपने कभी यह अनुभव किया है कि आपकी व्यक्तिगत सामग्री अपने स्वाभाविक भार से भी अधिक भारी है ? इसका कारण आध्यात्मिक स्वरूप का भी हो सकता है ।
हमारे वस्त्र और व्यक्तिगत साहित्य हमारे शरीर के सर्वाधिक निकट होते हैं । जिस कारण वे हमारे शरीर से प्रक्षेपित होने वाले सूक्ष्म-स्पंदनों को ग्रहण करते हैं । धुले हुए वस्त्रों से अच्छी सुगंध आने के हम आदी हो गए हैं और साधारणत: हम उन्हें स्वच्छ रखने का प्रयास करते हैं; तथापि कभी-कभी हमें अनुभव होता है कि धुले हुए वस्त्रों से भी दुर्गंध आती है अथवा उन्हें पहनने से हमें थकावट लगती है ।
दूसरी ओर SSRF में, हम कुछ ऐसे प्रसंगों के साक्षी हैं, जिनमें संतों द्वारा अथवा ६०% से अधिक आध्यात्मिक स्तर के साधकों द्वारा उपयोग किए गए वस्त्रों अथवा वस्तुओं में सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं ।
इस घटना के कारण वस्त्र सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों से कैसे प्रभावित हो सकते हैं, इस विषय पर शोध करने की प्रेरणा मिली । इस लेख में हम कुछ प्रसंग देखेंगे, जिनमें इस प्रकार के परिवर्तन हुए हैं और उसके पीछे जो आध्यात्मिक कारण है, वह भी स्पष्ट करेंगे ।
२. वस्त्रों में हुए परिवर्तन के आध्यात्मिक अनुभव
२.१ स्थूल से दिखाई देने वाले परिवर्तन
संपादकीय टिप्पणा : आगे पढने के पूर्व, कृपया नीचे दिए गए चित्रों का निरीक्षण करें और आपको क्या अनुभव होता है, यह देखें ।
सकारात्मक | नकारात्मक |
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संतों के वस्त्र : यह कुर्ता प.पू. डॉ. आठवलेजी का है जिस पर अपने-आप गुलाबी रंग की छटा उभरी है । इसके पीछे क्या कारण है यह जानने के लिए जब आध्यात्मिक शोध किया गया तो निष्कर्ष में यह पाया कि गुलाबी रंग प.पू. डॉ. आठवलेजी के प्रीति अर्थात निरपेक्ष प्रेम के दैवी गुण का प्रकटीकरण है । अनिष्ट शक्ति से पीडित व्यक्तियों पर इस कुर्ते के माध्यम से आध्यात्मिक उपचार होते हैं । | साधकों के वस्त्र : २००३ में SSRF के साधक श्री. नागनाथ मुल्जे को एक विचित्र अनुभव आया कि जिसमें उनकी बनियान पर अपनेआप रक्त के धब्बे दिखाई दिए । आध्यात्मिक विश्लेषण करने पर स्पष्ट हुआ कि अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण के कारण ये रक्त के धब्बे अपनेआप उभरे । अनिष्ट शक्तियों द्वारा लक्ष्य बनाए जाने के उपरांत श्री. नागनाथ को निराशा आई थी । उन्हें मानसिक रूप से अस्वस्थ कर उनकी साधना में बाधाएं उत्पन्न करना ही अनिष्ट शक्तियों का उद्देश्य था । |
अनुभूतियां : जब SSRF के पाठकों को, वस्त्र को देखने पर क्या प्रतीत होता है, यह बताने को कहा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें भीतर से हल्कापन लगा, उनका अपनेआप ही नामजप आरंभ हुआ, और उन्हें वस्त्र को देखने पर अच्छा लगा । नीचे उन्हीं के शब्दों में उनके कुछ अनुभव दिए हैं ।
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नागनाथ उनका अनुभव स्पष्ट करते हैं – मैंने अन्य साधकों से कहा कि मेरी पीठ बहुत जल रही है, मानो आग पर है, ऐसा लग रहा है । जब उन्होंने मेरी पीठ देखी तो उन्हें वहां कपडों पर कुछ रक्त के समान दिखने वाले धब्बे दिखाई दिए । उन्होंने मेरा कुर्ता ऊपर उठाकर देखा परंतु वहां उन्हें कोई चोट अथवा घाव नहीं दिखाई दिया । तदुपरांत उन्होंने ऊपर उठाया हुआ मेरा कुर्ता नीचे किया तो उन्हें वहां कुछ और रक्त के धब्बे दिखाई दिए । तत्पश्चात सबसे विचित्र घटना घटी । वह यह थी कि रक्त के धब्बे दिखाई देने के १५ मिनट की कालावधि में ही वे काले रंग में परिवर्तित होने आरंभ हुए । |
२.२ वस्त्र और गंध – वस्त्रों में सूक्ष्म स्तर पर होनेवाले परिवर्तन
सकारात्मक | नकारात्मक |
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साधक के वस्त्र : वर्ष २०१० में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिस्बेन की श्रीमती अवंतिका दिघे को, एक सूक्ष्म-परीक्षण के समय प्रतीत हुआ कि उनके पति श्री. अतुल दिघे के कपडों से सात्विक स्पंदन प्रक्षेपित हो रहे हैं; उस समय उनका आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत था । (पू. अतुल दिघे ने तबसे अबतक ७० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर अर्थात संतपद प्राप्त किया है ।) | साधक के वस्त्र : वर्ष २०१० में एक साधिका की अनिष्ट शक्ति से आवेशित पीली साडी पर सूक्ष्म -परीक्षण किया गया । आध्यात्मिक शोध से पता चला कि उस वस्त्र पर अनेक बार सूक्ष्म मांत्रिक द्वारा आक्रमण किया गया था । नीचे साधिका ने साडी का सूक्ष्म परीक्षण बताया है । |
अनुभूति : ‘‘मुझे उन वस्त्रों में शुद्ध आध्यात्मिक स्पंदन प्रतीत हुए । उन्हें सूंघने पर मुझे प्रसन्नता का अनुभव हुआ और मन में सकारात्मक विचार आने लगे । मेरे कपडों के विपरीत जिन्हें मैंने कुछ समय पूर्व ही सूंघा था, इन वस्त्रों को सूंघने पर मुझे कुछ तो बहुत आनंदायी लगा ।’’ | अनुभूति : ‘‘जब मैं उन्हें स्पर्श करती तो मुझे अत्यधिक गर्म लगता और कष्ट होता था । अति जाग्रत छठवीं ज्ञानेंद्रिय के अनेक साधकों को उसमें से दुर्गंध आती थी । वस्त्र से कुछ पग दूर खडे होने पर भी अन्य साधकों को सिर में दबाव अनुभव होता था तथा आंखो और हाथ-पैरों में भी भारीपन लगता था ।’’ |
३. सकारात्मक और नकारात्मक शक्ति के कारण वस्त्रों के गंध में होने वाले परिवर्तन का अध्यात्मशास्त्रीय आधार
नियम के अनुसार, शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध और उससे संबंधित शक्ति एक साथ रहती है । उसी प्रकार वस्त्र भी हमारे सूक्ष्म-गुण-दोषों को अपनाते हैं । संतों में जो चैतन्य होता है, उसके कारण उनके वस्त्रों से अथवा उनकी वस्तुओं से कभी-कभी दिव्य सुगंध प्रक्षेपित होती है । ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के साधक, जिनमें ईश्वर के प्रति अधिक भाव है, ऐसा उनके साथ भी हो सकता है ।
संतों से सुगंध का प्रक्षेपण आवश्यकता के अनुसार होता है । उदाहरणार्थ – सूक्ष्म गंध प्रक्षेपित होना अथवा न होना अथवा आवश्यकता के अनुसार विभिन्न प्रकार के गंध (उदाहरणार्थ चमेली, चंदन आदि ) प्रक्षेपित होते हैं । ईश्वर उस समय के लिए आवश्यक गंध प्रदान करते है । यह दिव्य सुगंध रक्षा करनेवाली (तारक) अथवा विनाश करनेवाली (मारक) हो सकती है । साधारणत: गंध तारक अथवा मारक हो सकता है, मारक गंध उसकी तीव्रता और उग्रता से परखी जा सकती है ।
वर्तमान युग में अधिकांश व्यक्तियों के वस्त्रों से और वस्तुओं से दुर्गंध आने की संभावना अधिक है ।
इन कुछ वर्षों में, विश्वभर में अनिष्ट शक्तियों का कार्य बढ गया है । इन शक्तियों के दुष्परिणामों से कोई बच नहीं सकता है । इसके साथ ही अनिष्ट शक्तियां समाज को कष्ट देने के लिए और नए मार्ग ढूंढने का प्रयास करती हैं । जो संत और साधक, समाज की प्रगति के लिए कार्यरत हैं, उन पर अनिष्ट शक्तियां सर्वप्रथम आक्रमण करती हैं । परंतु आज नहीं तो कल सभी लोगों को इन अनिष्ट शक्तियों का सामना करना पडेगा ।
काली शक्ति फैलाने के अनेक मार्गों में से एक मार्ग है कि जो कपडे हम पहनते हैं तथा व्यक्तिगत वस्तुएं, जिनका हम उपयोग करते हैं उन पर आक्रमण करना । इससे वे वस्तु काली शक्ति से घिर जाती है तथा उन वस्तुओं में काली शक्ति पूर्णरूप से अवशोषित हो जाती हैं । जो काली शक्ति वस्त्रों में अथवा वस्तुओं में संग्रहित होती हैं, उसका हम पर विपरीत परिणाम होता है । उदाहरणार्थ, इससे शारीरिक भारीपन का अनुभव होना, प्राण शक्ति न्यून होना; जिससे हमें थकावट लगती है, हम स्पष्टता से विचार नहीं कर पाते और साधना में बाधाएं उत्पन्न होती हैं ।
६. सारांश
आध्यात्मिक आयाम का प्रभाव हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू पर होता है । इस लेख से हमें यह सीखने को मिला है कि हम जो वस्त्र पहनते हैं, वे हमें आध्यात्मिक स्तर पर किस प्रकार प्रभावित करते हैं । हमारे अगले लेख में हम यह देखेंगे कि प्रायोगिक स्तर पर आध्यात्मिक उपायों द्वारा हम वस्त्रों की शुद्धि और अनिष्ट शक्तियों से वस्त्रों की रक्षा कैसे कर सकते हैं ।