सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के घनीकरण के कारण अपनेआप हो रहे परिवर्तन

१. सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के प्रकटीकरण तथा घनीकरण का परिचय

वर्ष २००० से SSRF ऐसे अनेक प्रकरणों की जांच-पडताल कर रहा है, जिसमें किसी आध्यात्मिक घटना के कारण वस्तुओं में परिवर्तन आ गया है अथवा जिनमें नकारात्मक शक्ति का घनीकरण अपनेआप हो गया है । वर्ष २००९ से, हमने भिन्न प्रकृतिवाले, विशेषकर उनके द्वारा उत्सर्जित सूक्ष्म स्पंदनों के संदर्भ में, सजीव तथा निर्जीव दोनों वस्तुओं में होनेवाले इन परिवर्तनों के हम साक्षी रहे हैं । हमारे आध्यात्मिक शोध बताते हैं कि वस्तुओं में हो रहे परिवर्तन सकारात्मक शक्तियों के कारण हुए है । इन परिवर्तनों में से रंगों में हुए अपनेआप परिवर्तन  सर्वाधिक स्पष्ट थे क्योंकि उनका प्रलेखीकरण सहजता से किया गया । यह हमारे द्वारा पहले प्रलेखित किए गए अनिष्ट शक्तियों द्वारा हुए अपनेआप परिवर्तन के पूर्णतः विपरीत है जिसे हमने हमारे खंड भयभीत कर देनेवाली असाधारण घटनाओं तथा वैसे प्रकरणों की छायाचित्र दीर्घा (फोटो गैलरी) में प्रस्तुत किया है ।

इस लेख में, हमने सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के कारण होनेवाले अपनेआप प्रकटीकरण की घटना के संदर्भ में सामान्य जानकारी दी है । हमने इन वस्तुओं की छायाचित्र दीर्घा (फोटो गैलरी) भी यह दर्शाने के लिए प्रकाशित की  है तांकि लोग यह जान सके कि ये घटनाएं किन विविध पद्धतियों से हो सकती हैं तथा उनके आसपास कौनसी घटनाएं घटित हो रही हैं ।

२. अपनेआप होनेवाले परिवर्तन अथवा दैवी घनीकरण के अध्ययन का महत्व

सभी धर्मों में, संतों के अस्थि अवशेष अथवा देवताओं के प्रतीक के रूप में वस्तुओं की पूजा की जाती है । इन वस्तुओं में किसी अज्ञात कारण से हुए परिवर्तन सदैव ही अत्यधिक जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं तथा प्रायः पूरे विश्व में चर्चा का कारण बन जाता है । वैसी आध्यात्मिक घटना का अध्ययन विकसित छठवीं इंद्रिय द्वारा किए जाने से हम इन परिवर्तनों का कारण अधिक अच्छे से समझ सकेंगे । फलतः हम प्रकट अथवा घनीकरण होनेवाले र्इश्वरीय गुणों के प्रकार को समझ सकेंगे । वैसी वस्तुएं सकारात्मक शक्तियों के अस्तित्व को मान्य करने में सहायता करने के अतिरिक्त हमें इसकी भी निश्चिति कराती है कि अनिष्ट शक्तियां जीवन में विविध प्रकार की समस्याएं निर्मित करती हैं तथा सूक्ष्म सकारात्मक शक्तियां होती हैं जो हमारी सहायता भी करती हैं ।

३. अनिष्ट शक्तियों के कारण हुए परिवर्तन के कर्इ वर्ष उपरांत स्वतः सकारात्मक परिवर्तन क्यों हुए ?

हमने बताया कि अनिष्ट शक्तियों के कारण हुए स्वतः परिवर्तन के प्रकरण वर्ष २००० के आसपास प्रारंभ हुए । किंतु सकारात्मक शक्ति के कारण हुए प्रकरण वर्ष २००९ के आसपास प्रारंभ हुए । ऐसा क्यों हुआ ?

हमारे लेख ‘अच्छार्इ तथा बुरार्इ के मध्य युद्ध’ तथा ‘तृतीय विश्वयुद्ध की भविष्यवाणियां तथा धर्मयुद्ध’ में हमने वर्ष १९९९ से वर्ष २०२२ तक होनेवाले भयंकर सूक्ष्म-युद्ध के संदर्भ में जानकारी साझा की है । इस कालखंड के पहले भाग में, अनिष्ट शक्तियों के कष्ट में निरंतर वृद्धि होती रही । जब सूक्ष्म-कष्ट एक निश्चित सीमा के परे चला गया, तब साधकों की सहायता हेतु सकारात्मक सूक्ष्म-शक्तियों का प्रवेश हुआ । इसके परिणामस्वरूप सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के कारण होनेवाले अपनेआप परिवर्तन तथा घनीकरण की घटनाओं से संबंधित प्रकरणों में वृद्धि हुर्इ ।

४. सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति का प्रकटीकरण अथवा घनीकरण क्यों होता है ?

सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति का प्रकटीकरण अथवा घनीकरण अनेक पद्धतियों से हो सकता है, इसमें दैवी सुगंध तथा दैवी नाद सम्मिलित हैं । तब भी रंग एक ऐसी पद्धति है, जिसे सबसे सरलता से पहचाना जा सकता है । सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति का प्रकटीकरण अथवा घनीकरण प्रायः उन वस्तुओं में होता है जो आध्यात्मिक रूप से शुद्ध प्रकृतिवाली होती हैं ।

संत एक पावन व्यक्ति होते हैं, जो आध्यात्मिक रूप से शुद्ध (सात्विक) होते हैं । इसलिए उनकी आध्यात्मिक शुद्धता के कारण उनकी स्थूल देह सकारात्मक शक्ति के घनीकरण हेतु आदर्श माध्यम बन जाती है । संतों द्वारा प्रयुक्त वस्तुएं अधिक सत्त्व प्रधान होती हैं क्योंकि संत की सात्त्विकता उस वस्तु में संचारित होती हैं ।

छायाचित्र दीर्घा ( गैलेरी) में प्रस्तुत वस्तुओं के छायाचित्रों में से, कुछ संतों के शरीर से हैं, जैसे परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी के केश तथा नाखून हैं । अन्य वस्तुएं वे हैं जो संतोंद्वारा प्रयुक्त हुई हों, उदाहरण के लिए उनकी पादुकाएं । अन्य प्रकार की वस्तुएं जो अध्यात्मप्रसार के लिए प्रयुक्त हुर्इ हों, जैसे भक्तों को प्रसाद बांटने के लिए प्रयुक्त छोटी प्लास्टिक की थैलियां ।

देवताओं तथा संतों के छायाचित्रों के प्रकरण में, कभी-कभी उनकी पूजा करनेवाले साधक के भाव के कारण सकारात्मक शक्ति का प्रकटीकरण होता है ।

५. वस्तुओं के रंग में अपनेआप होनेवाले परिवर्तन तथा उनका महत्त्व

सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के कारण रंग में अपनेआप होनेवाले परिवर्तन के प्रकरण में, हमें ज्ञात हुआ कि रंगों में होनेवाला परिवर्तन एक विशेष वर्ण-क्रम तक मर्यादित है । निरीक्षित रंग थे गुलाबी, लाल, पीला, श्वेत अथवा नीला । हमने इस घटना का अध्ययन विकसित छठवीं इंद्रिय  की सहायता से किया और उनके निष्कर्ष परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी द्वारा जांचे गए है । हमें पता चला कि प्रत्येक रंग एक विशिष्ट दैवी गुणों का प्रतिनिधित्व तथा प्रकटीकरण है । आगे दी गर्इ सारणी में हमने आध्यात्मिक शोध के माध्यम से ज्ञात हुए रंगों तथा उससे संबंधित दैवी गुणों को सूचीबद्ध किया है ।

रंग दैवी गुण
pink गुलाबी प्रीति
red लाल क्षात्रतेज
yellow पीला चैतन्य
blue नीला भाव
white श्वेत निर्गुण

अध्यात्मशास्त्र का एक मूलभूत सिद्धांत कहता है कि ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध तथा इसकी शक्ति एक साथ होती है ।’ र्इश्वरीय गुण सकारात्मक शक्ति का एक प्रकार है । इसलिए यहां परिवर्तित रंग सकारात्मक शक्ति के एक विशिष्ट प्रकार का प्रकटीकरण है, जो र्इश्वरीय गुण के अनुरूप है ।

६. सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के प्रकटीकरण की वस्तुओं से  होनेवाले लाभ

ये वस्तुएं (अथवा उनके छायाचित्र भी) सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के बडे स्रोत के रूप में  कार्य करती हैं । सामान्य व्यक्ति के लिए सूक्ष्म-स्तर पर सकारात्मक शक्ति का लाभ लेना कठिन है, जबकि स्थूल रूप से घनीकृत हुई सूक्ष्म-शक्ति से लाभान्वित होना तुलनात्मक रूप से सरल है । इन वस्तुओं तथा उनके छायाचित्रों से साधकों को सकारात्मक शक्ति प्राप्त होती है, जिससे उनकी साधना में सहायता होती है । इन वस्तुओं से अनिष्ट शक्तियों के कारण होनेवाले आध्यात्मिक कष्ट से पीडित व्यक्तियों पर आध्यात्मिक उपचार भी होते हैं ।

७. सकारात्मक शक्ति का अनुभव स्वयं करना

कहावत है कि अध्यात्म अनुभूति का शास्त्र है । इसके लिए आप सकारात्मक शक्ति के कारण वस्तुओं में हुए परिवर्तन की छायाचित्र दीर्घा (फोटो गैलरी) देखकर स्वयं उन वस्तुओं को अनुभव कर सकते हैं । सूक्ष्म-आयाम को स्वयं से अनुभव करने हेतु समझने के लिए हमारा सुझाव है कि आप ‘अपनी छठवीं इंद्रिय को कैसे जांचे’ लेख पढें और अधिक जानकारी प्राप्त करें । आप अपने अनुभव भी हमें ‘अपना मत दें’ के माध्यम से भेज सकते हैं ।

८. गैलरी देखें

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