अध्यात्म के मूलभूत सिद्धांत
जितने व्यक्ति हैं, उतने ही ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग हैं । अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के लिए ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग भिन्न होता है ।
जब हम साधना करते हैं, तब यह बात ध्यान में रखना महत्त्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति भिन्न होता है । इसीलिए आवश्यक नहीं है कि जो एक व्यक्ति पर लागू हो, वह दूसरे के लिए भी लागू होगा ही । पर्वत चढते समय हर पर्वतारोही यही सोचता है कि उसके द्वारा चुना मार्ग ही एकमात्र मार्ग है; परंतु जब वह शिखर पर पहुंचता है, तब उसे बोध होता है कि शिखर तक पहुंचने के अनेक मार्ग हैं । उसी प्रकार जितने व्यक्ति हैं, उतने ही ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग हैं ।
यदि किसी चिकित्सक के पास पांच भिन्न रोगों से ग्रस्त लोग आएं, तो पांचों को एक ही औषधि देने से वे स्वस्थ नहीं होंगे । इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति भिन्न है और इसीलिए सभी को एक ही प्रकार की साधना नहीं सुझाई जा सकती । आध्यात्मिक दृष्टि से निम्नलिखित मापदंडों के अनुसार हममें से प्रत्येक व्यक्ति भिन्न है ।
- ३ प्रमुख सूक्ष्म घटकों का (त्रिगुणों का) संयोजन उदा. व्यक्ति सात्त्विक, राजसिक अथवा तामसिक हो सकता है ।
- ५ सार्वभौमिक तत्त्व (पंचमहाभूत) अर्थात पृथ्वी, आप (जल), तेज (अग्नि), वायु, आकाश
- पूर्वजन्मों में साधना के विभिन्न चरणों को कहां तक पूर्ण किया गया है ।
- प्रत्येक व्यक्ति का भिन्न संचित, प्रारब्ध एवं क्रियमाण
अपने स्वभाव के अनुसार एक व्यक्ति किसी विशिष्ट मार्ग को भी अपना सकता है ।