क्या बिना श्रद्धा के साथ किए गए नामजप से हमें लाभ होता है ?

हां, भले ही हम बिना श्रद्धा के  ईश्वर का नामजप करें, तब भी हमें उसका लाभ प्राप्त होता है; तथापि यह सांसारिक लाभ तक ही सीमित रहता है ।

विटामिन की गोली का उदाहरण : ईश्वर का प्रत्येक नाम एक विशेष तत्त्व को प्रदर्शित करता है । ईश्वर के किसी विशेष नाम का जप, हमें उस विशेष तत्त्व के माध्यम से लाभ प्रदान करता है । इसे विटामिन की गोली के उदाहरण से समझते हैं । जैसे जब हम कोई विटामिन की गोली लेते हैं, तब हमें उसी विटामिन का लाभ मिलता है अर्थात हमारे शरीर में उस विटामिन का स्तर बढता है । ये परिणाम मात्र उस गोली को निगलने से होती है चाहे हमने वह गोली उस पर विश्वास रखे बिना खाई हो ।  उसी प्रकार यदि हम ईश्वर का नामजप करेंगे तो हममें उस तत्त्व की वृद्धि होगी ही; भले ही वह हमारे संस्कृति तथा धर्म के अनुरूप हो अथवा न हो, अथवा चाहे हम श्रद्धा सहित अथवा बिना श्रद्धा के नाम जप कर रहे हों ।

श्रद्धा सहित नामजप तथा बिना श्रद्धा के नामजप करना : वास्तव में अधिकांश लोगों का आध्यात्मिक स्तर ३० प्रतिशत से अल्प होता है, ईश्वर पर उनकी श्रद्धा ०-२ प्रतिशत होती है (नीचे दिए गए ग्राफ का संदर्भ लें)। उनके प्रकरण में नामजप अत्यल्प अथवा बिना श्रद्धा के प्रारंभ होता है । इस नामजप से उन्हें सांसारिक लाभ के साथ विविध अनुभूतियां भी होती हैं जिसके परिणामस्वरूप उनमें अगले स्तर की श्रद्धा जागृत होता है । यद्यपि यदि कोई श्रद्धा के साथ नामजप करे तो उसे अनन्य लाभ होता है । एक कहावत है, सांसारिक जीवन में पैसा ही सबकुछ है तथा आध्यात्मिक जीवन में श्रद्धा ही सबकुछ है । जब हम श्रद्धा के साथ नाम जप करते हैं :

१. जिस देवता तत्त्व(ईश्वर का तत्त्व) का हम नामजप करते हैं, उनकी शक्ति त्वरित सक्रिय हो जाती है ।

२. इसका प्रभाव दीर्घकालीन होता है ।

३. सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि, श्रद्धा के साथ किए जानेवाले नामजप से हमारी आध्यात्मिक प्रगति ईश्वरप्राप्ति की दिशा में होने लगती है ।

ये सब होने का कारण यह है कि, जब हम श्रद्धा के साथ नाम जप करते है, तब हमें ईश्वर की उपस्थिति अधिकाधिक अनुभव होने लगती है । इसका तात्पर्य है कि हमारे अंर्तमन में भाव की वृद्धि हो रही है, भाव अपने सर्व ओर ईश्वर की उपस्थिति को अनुभव कर पाने की क्षमता है । उनकी उपस्थिति के अनुभव से हमारा ध्यान स्वयं से घटता है, इससे हमारा अहं क्षीण होता  है । अल्प अहं के कारण हम जिनका नामजप कर रहे होते हैं उस देवता की शक्ति को प्राप्त करने हेतु हम अधिक सक्षम हो जाते हैं ।

क्रिया के नियम के अनुसार, हमारे प्रत्येक कृत्य का परिणाम होता ही है ।  यदि हम किसी निश्चित हेतु से सांसारिक लाभ पाने के लिए नामजप करते हैं, तो एक सीमित मात्रा में पूर्वनिश्चित नामजप पूर्ण करने पर हमारी सांसारिक इच्छाएं पूरी होती हैं । यदि हम ईश्वरप्राप्ति के उद्देश्य से नामजप करते हैं तो इससे हमारी आध्यात्मिक प्रगति होती है ।

श्रद्धा एवं बिना श्रद्धा के  नामजप करने का प्रभाव

निम्न आलेख (ग्राफ) दर्शाता है कि हमारा नामजप आध्यात्मिक स्तर के अनुसार किस प्रकार बढता है ।

 

faith-and-sp-level

निम्नलिखित सारणी दो व्यक्तियों में उत्पन्न हुई आध्यात्मिक शक्तियों के मध्य अंतर दर्शाती है, जिसमें से एक व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर ३० प्रतिशत तथा दूसरे का ७० प्रतिशत है । दोनों अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार नामजप कर रहे हैं ।

आध्यात्मिक स्तर के अनुसार श्रद्धासहित किए गए नामजप का प्रभाव
आध्यात्मिक स्तर ३०% ७०%
निर्मित आध्यात्मिक शक्ति का प्रभाव १००,०००

टिप्पणी : मंत्रजप से लाभ प्राप्त करने हेतु उच्चारण महत्त्व रखता है । मंत्रजप श्रद्धासहित किया है अथवा नहीं, यह महत्त्वपूर्ण नहीं है।