१. ॐ का रहस्य क्या है ?
ॐ को सभी मंत्रों का राजा माना जाता है । सभी बीजमंत्र तथा मंत्र इसीसे उत्पन्न हुए हैं । इसे कुछ मंत्रों के पहले लगाया जाता है । यह परब्रह्म का परिचायक है ।
२. ॐ का रहस्य- निरंतर जप का प्रभाव
ॐ र्इश्वर के निर्गुण तत्त्व से संबंधित है । र्इश्वर के निर्गुण तत्त्व से ही पूरे सगुण ब्रह्मांड की निर्मित हुई है । इस कारण जब कोई ॐ का जप करता है, तब अत्यधिक शक्ति निर्मित होती है । यह ॐ का रहस्य है।
यदि व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर कनिष्ठ हो, तो केवल ॐ का जप करने से दुष्प्रभाव हो सकता है; क्योंकि उसमें इस जप से निर्मित आध्यात्मिक शक्ति को सहन करने की क्षमता नहीं होती ।
निम्नलिखित सारणी ॐ का रहस्य दर्शाती है कि केवल ॐ का जप, कौन कर सकता है ।
व्यक्ति | ॐ का जप करने हेतु आध्यात्मिक स्तर १ |
---|---|
पुरुष२ | ५० % |
शिशु को जन्म देनेवाली आयु से परे की स्त्री २ | ५० % |
शिशु को जन्म देनेवाली आयु की स्त्री २ | ६० % |
टिप्पणी :
१. यह जानकारी ध्यानपूर्वक और भावपूर्वक चार घंटे की तक ॐ का जप करनेवाले व्यक्ति से संबंधित है । भगवान के नाम के आगे ॐ लगानेवालों के लिए जैसे ॐ नमः शिवाय का जप करनेवालों पर यह लागू नहीं होता । एक सामान्य व्यक्ति (पुरुष अथवा स्त्री) ॐ नमः शिवाय का मंत्र जप, ॐ से बिना प्रभावित हुए कर सकता है ।
२. नियमित ॐ का जप करनेवाले कनिष्ठ आध्यात्मिक स्तर के व्यक्ति पर, ॐ से निर्मित आध्यात्मिक शक्ति का विपरीत प्रभाव हो सकता है । कनिष्ठ आध्यात्मिक स्तर के व्यक्ति को शारीरिक कष्ट जैसे अति अम्लता, शरीर के तापमान में वृद्धि इत्यादि अथवा मानसिक स्तर पर व्याकुलता हो सकती है । स्त्रियों के लिए हम विशेष रूप से सुझाना चाहेंगे कि उन्हें केवल ॐका जप नहीं करना चाहिए । ॐ से उत्सर्जित तरंगों से अत्यधिक शक्ति उत्पन्न होती है, जिससे भौतिक एवं सूक्ष्म उष्णता निर्मित होती है । इससे पुरुषों की जननेन्द्रियों पर कोई प्रभाव नहीं पडता, क्योंकि वे देह रिक्ति से बाहर होती हैं; परंतु स्त्रियों के प्रसंग में, ये उष्णता उनके जननांगों को प्रभावित कर सकती है क्योंकि स्त्रियों की जननेन्द्रियां पेट की रिक्ति के भीतर होती हैं । इसलिए उन्हें अत्यधिक मासिक स्राव (menstrual flow), मासिक स्राव न होना (amenorrhoea अर्थात absence of a menstrual period), मासिक स्राव के समय अत्यधिक वेदना होना (dysmenorrhoea अर्थात severe uterine pain during menstruation), गर्भधारण न होना (infertility) इत्यादि कष्ट हो सकते हैं । इसलिए जबतक कि गुरु अथवा संत विशेष रूप से करने के लिए नहीं कहते, स्त्रियों को केवल ॐ का जप नहीं करना चाहिए ।यह ॐ का रहस्य है।
३. ॐ का रहस्य है- विभिन्न स्थानों पर ॐ छापना
अध्यात्मशास्त्र का आधारभूत नियम कहता है कि, शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध तथा उससे संबंधित शक्ति एकसाथ होती है । इसका अर्थ है कि जहां पर भी र्इश्वर का सांकेतिक रूप उपस्थित होता है, वहां उनकी शक्ति भी रहेगी । टी-शर्ट अथवा टेटू पर ॐ का चिन्ह होने से निम्नलिखित कष्टदायक अनुभव हो सकते हैं :
- कष्ट जैसे, अतिअम्लता, शारीरिक तापमान में वृद्धि आदि ।
- कष्ट जैसे व्याकुलता ।
ॐ का महत्वपूर्ण रहस्य यह है कि ॐ के चिन्ह का कहीं भी चित्रण करना, र्इश्वर से संबंधित सांकेतिक चिन्हों के साथ खिलवाड करना है और इससे पाप लगता है ।