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१. आध्यात्मिक शोध के माध्यम से SSRF का अद्वितीय ज्ञान

'सूक्ष्म जगत' अथवा 'सूक्ष्म आयाम' शब्द की व्याख्या SSRF उस विश्व के रूप में करता है जो पंच-ज्ञानेन्द्रियों, मन एवं बुद्धि के परे है । यह 'सूक्ष्म-विश्व', देवदूतों, अनिष्ट शक्तियों एवं स्वर्ग आदि के अनदेखे संसार से संबंधित है जिसे केवल छठी इंद्रिय द्वारा ही समझा जा सकता है ।

ऊपर दर्शाया गया चित्र भारत के गोवा प्रांत के फोंडा नगर के निकट हरी-भरी घाटी में स्थित SSRF के मुख्य आध्यात्मिक शोध केंद्र का है । यह केंद्र अत्यधिक अद्वितीय है । अध्यात्म के क्षेत्र में अनेक संगठन हैं; किंतु सूक्ष्म-स्तर पर आध्यात्मिक शोध में संलग्न संगठन दुर्लभ हैं । आश्रम में रहनेवाले साधक विविध आध्यात्मिक घटनाओं के संपर्क में हैं । ये घटनाएं आध्यात्मिक आयाम के सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों पक्षों को तथा मनुष्य पर होनेवाले उनके प्रभाव को दर्शाती हैं । SSRF के शोध केंद्रों में प्राप्त होनेवाले ज्ञान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग यह है कि सूक्ष्म प्रयोगों की श्रृंखला द्वारा प्राप्त व्यावहारिक ज्ञान तथा वैश्विक मन तथा बुद्धि के द्वारा प्राप्त सैद्धांतिक ज्ञान, दोनों ही सहस्रों वर्ष तक मानवजाति के उपयोग में आएंगे । निरंतर अत्यधिक ज्ञान प्राप्त हो रहा है और SSRF इस ज्ञान को वस्तुओं, लिखित सामग्री, चित्रों, ऑडियो तथा वीडियो के रूप में संग्रहित करने हेतु एक अद्यतन ज्ञान प्रबंधन प्रणाली तैयार करने पर कार्य कर रहा है ।

१.१ अक्टूबर २००८ तक SSRF ने निम्नलिखित वस्तुएं एकत्रित की हैं :

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१.२ एकत्रित की गईं सकारात्मक वस्तुओं के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं

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यह छोटी थैली (पाऊच) पूर्व में परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी द्वारा उपयोग की गर्इ थी । यह तीन वर्षों से दिव्य सुगंध प्रक्षेपित कर रही है । इससे निरंतर प्रक्षेपित होनेवाली सुगंध में आध्यात्मिक उपचार के गुण हैं । इसका अर्थ है कि अनिष्ट शक्ति (राक्षस, भूत, प्रेत इत्यादि) से प्रभावित अथवा आविष्ट व्यक्ति जब इस थैली के संपर्क में आता है अथवा इसे भली-भांति सूंघता है तब उसे कष्ट न्यून होने का अनुभव होता है । जो व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित नहीं हैं, वे जब इस थैली को सूंघते हैं, तब उससे प्रक्षेपित होनेवाले चैतन्य को ग्रहण करने के कारण वे अपनी सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि का अनुभव करते हैं । साथ ही अल्प प्राणशक्ति वाले व्यक्तियों द्वारा इस सुगंध को सूंघने से उनकी प्राणशक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होती है । सूंघनेवाले व्यक्ति की आवश्यकतानुसार थैली की सुगंध में परिवर्तन होता है ।

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इस बोतल के भीतर एक कटोरी है (जो बोतल की तली पर दिखाई दे रही है) । यह कटोरी जब परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी के कक्ष की अलमारी में रखी थी, तब इससे अनायास तथा स्वतः ही दैवी सुगंध निकलने लगी । उपरांत उस कटोरी में इस सुगंध का घनीकरण द्रवरूपी इत्र के रूप में हो गया ।

इस बोतल की सुगंध वास्तव में अद्वितीय तथा संसार की किसी भी सुगंध से भिन्न है । आध्यात्मिक उपचारों के प्रयोगों में इसका उपयोग किया जाता है । प्रयोज्यों (व्यक्ति) में प्रकट होनेवाली अनिष्ट शक्तियों को इस सुगंध से कष्ट होता है, यह उनकी विविध शारीरिक गतिविधियों जैसे शरीर का ऐंठना, तडपना, बोतल पर आक्रमण करने का प्रयास करना अथवा वहां से भाग जाना इत्यादि से स्पष्ट होता है । कुछ समय पश्चात् अनिष्ट शक्तियां प्रयोज्यों (व्यक्तियों) को प्रभावित करने की अपनी क्षमता खो देती हैं ।

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परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी के इस कुर्ते ने स्वतः ही गुलाबी छटा ले ली है । जब इसका कारण जानने के लिए आध्यात्मिक शोध किया गया, तब यह ज्ञात हुआ कि यह गुलाबीपन परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी के दिव्य स्नेह (प्रीति) का प्रकटीकरण था ।

जब इस कुर्ते को अनिष्ट शक्तिओं से पीड़ित व्यक्ति के समक्ष लाया गया तब उस व्यक्ति का आध्यात्मिक उपचार हुआ ।

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यह मग परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी द्वारा अनेक वर्षों से उपयोग किया जा रहा था । पिछले वर्ष से इसका श्वेत होना आरंभ हुआ । इसका कारण यह है कि परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी अब और अधिक निर्गुण की ओर जा रहे हैं तथा वैसा ही उनके द्वारा स्पर्श की गर्इ वस्तुओं के साथ भी हो रहा है ।

अनिष्ट शक्तियों से पीडित साधक जब इस मग को सूंघते हैं अथवा अपना कान इसमें लगाते हैं, तब उन्हें अपने ऊपर आध्यात्मिक उपचार होने की अनुभूति होती है ।

 

 

 

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प्रायः इसी गाडी में परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी यात्रा करते थे । यह देखा गया कि जब साधक इसके समीप गए, उन्हें इससे सकारात्मक स्पंदनों की अनुभूति हुर्इ । पश्चात् साधकों को ज्ञात हुआ कि इसकी प्रदक्षिणा करने अथवा मात्र इसमें बैठने पर भी आध्यात्मिक उपचार होते हैं ।

SSRF ने अनिष्ट शक्ति से आविष्ट ऐसे अनेक साधकों का चित्रीकरण (वीडियो रिकॉर्डिंग) किया है, जिन्होंने मात्र कार की अनन्य सकारात्मकता से अपने कष्टों में अल्पता अनुभव की ।

 

 

१.३ संग्रह की गईं नकारात्मक वस्तुओं के कुछ उदाहरण

SSRF के शोध केंद्रों में किए जानेवाले आध्यात्मिक शोधों को कुछ मूल्य चुकाना पडता है । SSRF के शोध केंद्रों पर निरंतर उच्चस्तरीय अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) का आक्रमण होता रहता है । भयभीत करने तथा आगे के शोध-कार्यों को रोकने के लिए अनिष्ट शक्तियां केंद्र पर आक्रमण करती हैं । इसका कारण यह है कि आध्यात्मिक आयाम, इसके प्रतिकूल प्रभावों तथा आध्यात्मिक आयाम के नकारात्मक पक्ष से व्यक्ति अपनी रक्षा कैसे कर सकता है, इत्यादि से विश्व को अवगत कराने में इन शोधों का महत्त्वपूर्ण योगदान होगा ।

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यह अनिष्ट शक्तियों का सूक्ष्म-माध्यमों द्वारा संत के छायाचित्र पर आक्रमण करने का एक उदाहरण है । सूक्ष्म आक्रमण की शक्ति से बिना किसी बाहरी उद्दीपन (कारण) के छायाचित्र जल गया तथा कुतरा गया (नष्ट हो गया) ।

 

 

 

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यह एक साधिका का वस्त्र है, जो बिना किसी बाहरी उद्दीपन (कारण) के उसकी अलमारी में फटा हुआ पाया गया । आध्यात्मिक शोध दर्शाते हैं कि यह वस्त्र उच्चस्तरीय अनिष्ट शक्तियों द्वारा फाडी गर्इ थी ।

 

 

 

 

 

 

 

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यह चित्र एक साधक की टोपी का है, जिसमें बिना किसी बाह्य कारण के अनायास ही चारों ओर रक्त के धब्बे उभर आए । फर्श पर अथवा किसी के कपडे पर ताजे रक्त के धब्बे उभरना SSRF के आध्यात्मिक केंद्रों में होनेवाली एक सामान्य घटना है । आध्यात्मिक शोध तथा साधना करने से रोकने के लिए उच्चस्तरीय अनिष्ट शक्तियां साधकों को इस प्रकार भयभीत करने का प्रयास करती हैं ।

 

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इस चित्र में एक साडी दर्शायी गर्इ है, जो अलमारी से निकालने पर जली हुर्इ पायी गर्इ । आध्यात्मिक शोध दर्शाते हैं कि ऐसा उच्चस्तरीय अनिष्ट शक्तियों द्वारा किया गया ।

 

 

 

२. आध्यात्मिक आयाम के इस अद्वितीय ज्ञान को संरक्षित करने में आप कैसे सहभागी हो सकते हैं

२.१ वस्तुओं का संरक्षण

उपरोक्त वस्तुएं पिछले अनेक वर्षों में एकत्रित की गर्इ हैं । कुछ समय पूर्व यह ध्यान में आया कि कुछ वस्तुओं का नष्ट होना प्रारंभ हो गया है । अतः त्वरित आवश्यकता है कि हम इन वस्तुओं का संरक्षण करें और किसी भी आगामी क्षति से इन्हें बचाएं, जिससे भविष्य की पीढियों द्वारा इसका अध्ययन कर सकना एवं इस आध्यात्मिक शोध का एक हिस्सा बन सकना सुनिश्चित हो सके । संरक्षण की प्रक्रिया अति विशिष्ट है तथा यह संरक्षित किए जानेवाली वस्तुओं के आधार पर भिन्न-भिन्न है । इस कार्य के लिए आप निम्नलिखित रूप से सहभागी हो सकते हैं ।

संरक्षण कैसे करें, इसके संदर्भ में जानकारी देकर

  • इन वस्तुओं के संरक्षण हेतु आवश्यक पदार्थों का अर्पण करके
  • इन वस्तुओं के संरक्षण हेतु प्रक्रिया में गति लाने के लिए आर्थिक सहायता करके
  • संग्रहालय तथा संरक्षण के क्षेत्र के विशेषज्ञों को संपर्क कर उन्हें सहायता के लिए विनती करके
  • यदि आप इस क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं, तो संरक्षण की प्रक्रिया के संदर्भ में मार्गदर्शन करके
यदि आप इस महान कार्य में सहभागी होना चाहते हैं तो कृपया हमें [email protected] पर मेल करें अथवा +91 94224 37125 पर संपर्क करें । संपर्क हेतु व्यक्ति : श्री भानु पुराणिक

२.२ वीडियो फुटेज का संपादन तथा सूचीबद्ध करना

आध्यात्मिक घटनाओं के गत १० वर्षों में लिए गए अमूल्य वीडियो फुटेज को सूचीबद्ध तथा वर्गीकृत करने की आवश्यकता है । इन वीडियो अभिलेखों से आगे आनेवाली पीढियों को विविध आध्यात्मिक घटनाओं को समझने में सहायता मिलेगी । इस पूर्ण प्रक्रिया में कुशल मनुष्यबल, समय तथा तकनीकी यंत्रों की आवश्यकता होगी । इस कार्य में निम्नलिखित सहायता कर आप सहभागी हो सकते हैं :

  • फुटेज के संपादन तथा सूचीबद्ध करने तथा न्यूनतम ५० टेरा बार्इट्स वीडियो फुटेज के संचयन हेतु सहायक यंत्रों का अर्पण करना
  • वीडियो फुटेज को सूचीबद्ध करने में सहायता करना । विशेषकर यदि आपके पास इसका कोई पूर्व अनुभव हो ।
  • वीडियो फुटेज का संकलन Adobe Premiere Pro तथा Apple’s Final Cut Pro जैसे सॉफ्टवेयर में करना तथा हार्ड डिस्क में संरक्षित करने हेतु अनकम्प्रेस्ड .avi फॉर्मेट्स को अन्य कम्प्रेस्ड वीडियो फॉर्मेट में परिवर्तित करना
यदि आप यह सत्सेवा करना चाहते हैं तो कृपया हमें [email protected] पर मेल करें । संपर्क हेतु व्यक्ति : कु. सोनल जोशी