अनिष्ट शक्तियों का (भूत, प्रेत, पिशाच) अस्तित्व कहां होता है ?

अनिष्ट शक्तियों का (भूत, प्रेत, पिशाच) अस्तित्व कहां होता है ?

१. अनिष्ट शक्तियों का अस्तित्व कहां होता है ?

अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) मुख्यतः भुवर्लोक और नर्क में (पाताल) रहती हैं । वहां से पृथ्वी पर (भूलोक) भी उनका वास होता है, जहां वे मनुष्य को आवेशित करती हैं ।

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२. आध्यात्मिक शक्तिनुसार मूल लोक

अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) जहां वास करती हैं अथवा जहां से आती हैं, वह स्थान (लोक) उनकी आध्यात्मिक शक्ति, क्षमताओं आदि पर निर्भर होता है । कोई भी जीव (अर्थात मनुष्यमात्र अथवा सूक्ष्म-देह) उसके अपने लोक में सुविधा से रहता है; क्योंकि उसके स्पंदन संबंधित लोक के स्पंदनों से मेल खाते हैं । बढती आध्यात्मिक शक्ति के साथ, अनिष्ट शक्तियां अधिक सूक्ष्म होती जाती हैं और क्रमशः अधिकाधिक अनिष्ट लोकों में रहने लगती हैं । अतः जिन अनिष्ट शक्तियों की आध्यात्मिक शक्ति न्यूनतम होती है, वे भुवर्लोक में रहती हैं । जो अनिष्ट शक्तियां नर्क की (पाताल की) गहराइयों में रहती हैं, वे क्रमशः अधिक बलवान और दुष्ट होती हैं ।

३. अनिष्ट शक्तियों का (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) विविध लोकों में विचरण

  • अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) भूलोक में अतिदूर का अंतर कुछ ही सेकेंड में पार कर सकती हैं ।
  • वे भूलोक से सूक्ष्म लोकों में सहजता से कुछ ही सेकेंड में विचरण कर सकती हैं ।
  • ब्रह्मांड के अतिसूक्ष्म-लोकों की अनिष्ट शक्तियां भूलोक जैसे तुलनात्मक स्थूल लोकों में अपनी इच्छा के अनुसार विचरण कर सकती हैं । उदा. तीसरे पाताल की अनिष्ट शक्ति सहजता से भूलोक अथवा भुवर्लोक तक जा सकती है ।
  • सामान्य नियमनुसार, क्रमशः भूलोक और भुवर्लोक के व्यक्ति अथवा सूक्ष्म-देह उनसे सूक्ष्म-लोकों में, अर्थात स्वर्ग जैसे उच्च लोकों में अथवा पाताल जैसे निम्न स्तर के अनिष्ट लोको में नहीं जा सकते ।

४. पृथ्वी पर अनिष्ट शक्तियां कहां पायी जाती हैं ?

पृथ्वी पर अनिष्ट शक्तियों का अस्तित्व विभिन्न स्थानों पर होता है । जीवित और निर्जीव वस्तुओं में वे अपने लिए केंद्र बना सकती हैं । जहां वे अपनी काली शक्ति संग्रहित कर सकती हैं, उसे केंद्र कहते है । केंद्र उनके लिए प्रवेश करने का स्थान होता है तथा वे वहां से काली शक्ति ग्रहण अथवा प्रक्षेपित कर सकती हैं । अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) अपने लिए साधारणतः मनुष्य, वृक्ष, घर, बिजली के उपकरण आदि में केंद्र बनाती हैं । जब वे मनुष्य में अपने लिए केंद्र बनाती हैं, तब उनका उद्देश्य होता है – खाना-पीना, धूम्रपान करना तथा लैंगिक वासनाओं की पूर्ति करना अथवा लेन-देन खाता पूर्ण करना । मूलभूत वायुतत्त्व से बनने के कारण सूक्ष्म-दृष्टि के बिना उन्हें देख पाना संभव नहीं होता ।

अनिष्ट शक्तियां अधिकतर निम्न स्थानों में पायी जाती हैं ।

Where-do-ghosts-exist-human-beingsमनुष्यमात्र : प्रतिशोध लेने की अपनी इच्छा पूर्ण करने के लिए, उस व्यक्ति से विद्यमान लेन-देन को समाप्त करने के लिए अथवा इन लोगों को मानसिक कष्ट देकर सुख प्राप्त करने के लिए; अनिष्ट शक्तियों का अस्तित्व मनुष्य के सर्व ओर, उपर तथा भीतर होता है । अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) मनुष्य के देह, मन अथवा बुद्धि के किसी भी भाग को व्याप्त कर सकती हैं । सामन्यतः इसे आवेशित होना कहते हैं ।

अनिष्ट शक्तियों द्वारा आवेशित होना अनेक वर्षों से लेकर अनेक जन्मों तक चलता रहता है । अधिकतर प्रसंगों में अपने आवेशित होने के अथवा आवेशित शक्ति (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) अथवा शक्तियों की इच्छानुसार कृत्य किए जाने के संदर्भ में व्यक्ति अनभिज्ञ रहता है ।

कि अनिष्ट शक्ति आवेशित व्यक्ति के अथवा वस्तुके भीतर अथवा बाहर है, इसका महत्त्व केवल अध्ययन की दृष्टि से है; क्योंकि अनिष्ट शक्ति द्वारा मनुष्य पर प्राप्त नियंत्रण की व्याप्ति उसके बाहर अथवा भीतर होने पर निर्भर नहीं करती  ।

लेख क्र. ३ अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित होना (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) और अनिष्ट शक्तियों द्वारा आवेशित होना, इनमें क्या अंतर है ? का संदर्भ लें ।

Where-do-ghosts-exist-on-enimalsप्राणी : अनिष्ट शक्तियां साधारणतः प्राणियों पर पायी जाती हैं । प्राणियों के भीतर वे अभाव से ही पायी जाती हैं; किंतु यदाकदाचित पायी भी गई, तो उनका उद्देश्य प्राणियों के माध्यम से मनुष्य जाति को कष्ट पहुंचाने का होता है । आवेशित प्राणी क्रूर और हिंसक बनकर मनुष्यों पर आक्रमण कर उन्हें कष्ट देता है ।

कुत्ते, घोडे, उल्लू तथा कौए जैसे पक्षी तथा कुछ प्राणी अनिष्ट शक्तियों के अस्तित्व के संदर्भ में अधिक संवेदनशील होते हैं । रातमें जब कुत्तों का बिना किसी दृश्य कारण से अचानक भौंकना तथा रोना उनके द्वारा अनिष्ट शक्तियों के अस्तित्व को समझ पाने के कारण होता है ।

Where-do-ghosts-exist-vegetationवनस्पतिजगत : अनिष्ट शक्तियां साधारणतः वनस्पतियों पर विश्राम करती / रहती हैं । यहां भी जिन वृक्षों के स्पंदन उनके स्पंदनों से मेल खाते हैं, वहां रहना उन्हें प्रिय होता है । (ब्रह्मांड की किसी भी पदार्थ की विशिष्ट कंपनसंख्या / स्पंदन होते हैं । इन स्पंदनों के प्रकटरूप को आभावलय कहते हैं ।) चित्र में दिखाया इमली का वृक्ष, सर्वज्ञात और उल्लेखित उदाहरण है । अनिष्ट शक्तियां भारतीय गूलर के (Ficus Indica) वृक्ष पर तथा पवित्र गूलर के वृक्ष पर भी रहती हैं ।


क्या प्राणी और वनस्पतियां / वृक्ष आवेशित हो सकते हैं
? – इस लेख का संदर्भ लें ।

Where-do-ghosts-exist-in-objectsआवेशित वस्तुएं : पृथ्वी पर जीवन में व्यक्ति द्वारा प्रयुक्त उसकी प्रिय वस्तुओं में कई बार मृत्यु के उपरांत भी मानसिक दृष्टि से आसक्त रहने की आशंका होती है । उनकी सूक्ष्म-देह कुरसी, संपत्ति जैसी उनकी प्रिय वस्तुओं के पास मंडराती रहती है ।

उदा. अंत तक हीरे के आभूषणों में आसक्त रही किसी स्त्री की मृत्यु हो जाती है, तो उसका मन इन आभूषणों के पास मंडराता रहता है । ऐसी वस्तुओं को आवेशित वस्तुएं कहा जाता है । किसी कारणवश किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ये वस्तुएं धारण करने से सूक्ष्म-देह क्रोधित हो जाती है और उस धारण करने वाले व्यक्ति को अत्यधिक कष्ट का सामना करना पडता है । यदि कोई वस्तु अनिष्ट शक्ति द्वारा आवेशित होगी, तो उसके संपर्क में आने वाले अथवा उसे धारण करने वाले व्यक्ति को उसमें समाहित काली शक्ति के कारण कष्ट का अनुभव होता है ।

Where-do-ghosts-exist-haunted-houseआवेशित स्थान : किसी की भूमि को हिंसात्मक मार्ग से हथियाया जाते समय उस प्रक्रिया में संबंधित व्यक्ति मारे जाने पर; उनकी सूक्ष्म-देह उस स्थान को आवेशित करती हैं । वे किसी को भी इस क्षेत्र में नहीं आने देती । वहां से जाने वाले को भी वे यातना देती हैं । ऐसे स्थानों को आवेशित स्थान कहते हैं ।

 

Where-do-ghosts-exist-death-spotआवेशित वास्तु : उपर्युक्त उदाहरण में समय के साथ उसमें निवास करने वाले कुछ व्यक्तियों की मृत्यु हो जाने पर उनकी सूक्ष्म-देह भी उस वास्तु को आवेशित करती हैं । कुछ समय के उपरांत, बाहर के लोग भी पूर्णिमा / प्रतिपदा के दिन अथवा मध्यरात्रि में किसी ध्वनि, चीख के माध्यम से कष्ट अनुभव करते हैं । तब इसे आवेशित वास्तु कहा जाता है ।

 

Where-do-ghosts-exist-accident-placeवाहन : यदि किसी व्यक्ति की वाहन में हत्या अथवा दुर्घटना के कारण मृत्यु हुई हो, तो उसकी सूक्ष्म-देह वाहन को आवेशित करती है । सभी प्रसंगों में ऐसा ही होगा, यह आवश्यक नहीं है । व्यक्ति का प्रारब्ध, उसका आध्यात्मिक स्तर, नकारात्मक संस्कार, अहं और जीवन में उसके द्वारा किए गए दुष्कृत्य आदि घटकों पर भी यह निर्भर करता है ।

वाहन के आस-पास भयप्रद लगना, किसी का अस्तित्व अनुभव होना, वाहन पर नियंत्रण चला जाना आदि विविध प्रकार के अनाकलनीय कष्ट बार-बार अनुभव करनेसे, संभव है कि वाहन अनिष्ट शक्ति से आवेशित है ।

Where-do-ghosts-exist-road-side-burialमार्ग / सडकें : कई बार मार्ग पर होने वाली प्राणघातक दुर्घटनाओं में मृत हुए व्यक्तियों के सूक्ष्म-देह उस स्थान को आवेशित करती हैं । अपनी ही मृत्यु से क्रोधित, वे दूसरे वाहनों की दुर्घटनाएं करवाती हैं । इन भक्ष्यित लोगों की सूक्ष्म-देह मार्ग के उस भाग को बार-बार भेंट देती हैं । इन सूक्ष्म-देहों को इस स्थान की आसक्ति से मुक्ति देने के लिए यदि आध्यात्मिक स्तपर उपचार नहीं किए गए, तो स्थूल स्तर पर किए गए किसी भी उपचारों के पश्‍चात ये दुर्घटनाएं होती ही रहती हैं । इसीलिए संभावित दुर्घटनाओं के चिह्न तथा तुलनात्मक दृष्टि से सीधी सडक होने पर भी कुछ स्थान दुर्घटनाओं के लिए अनुकूल होते हैं ।

कुछ लोग ऐसे स्थानों पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों की स्मृति में छोटे स्मारक बनाते हैं । ऐसा करने से सूक्ष्म-देह दुर्घटना के स्थान पर बनाए इन स्मारकों में आसक्त हो जाती हैं । इससे प्रारब्धानुसार अगले लोक में जाकर प्रगति करने की सूक्ष्म-देह की आगे की यात्रा में बाधा आती है । परिणामस्वरूप उस सूक्ष्म-देह को कष्ट का सामना करना पडता है ।

Where-do-ghosts-exist-police-stationपुलिस थाने : पुलिस द्वारा दी गई यातनाओं के कारण मृत हुए लोगों की सूक्ष्म-देह भारी मात्रा में इन कक्षों को आवेशित करती हैं । जहां पर ऐसी मृत्यु हुई हैं, ऐसे पुलिस थानों में अच्छा प्रतीत न होने का यह एक कारण है ।

 

 

Where-do-ghosts-exist-jailकारागृह : जिन्हें अन्यायपूर्वक फांसी दी गई है, ऐसे लोगों के सूक्ष्म-देह कारागृह को आवेशित करते हैं ।

 

 

 

Where-do-ghosts-exist-hospitalचिकित्सालय : जीवन के लिए संघर्ष कर जिनकी मृत्यु चिकित्सालय में हुई है, ऐसे लोगों की सूक्ष्म-देह चिकित्सालय के परिसर को आवेशित करते हैं । इन सूक्ष्म-देहों द्वारा तथा जो भूत बन गए हैं, उनके द्वारा अनिष्ट वातावरण निर्मित किया जाता है । इसका प्रभाव व्याधिग्रस्त व्यक्ति के साथ उनके साथ रहने वाले अथवा उनसे मिलने के लिए जाने वाले आप्तजनों पर और मित्रों पर होता है । परिणामस्वरूप व्याधि से मुक्त होने के लिए अधिक कालवधि लग सकती है । कुछ संवेदनशील रोगी, उनसे मिलने के लिए आने वाले अथवा चिकित्सालय में रहने वाले उनके निवासकाल में बिना जाने ही इनसे प्रभावित अथवा आवेशित हो सकते हैं ।

Where-do-ghosts-exist-Cemeteriesदफनभूमियां और दहनभूमियां (स्मशान) : कई बार जिनके अग्निसंस्कार अच्छे ढंग से नहीं किए जाते, उनकी सूक्ष्म-देह इस परिसर में बार-बार भेंट देती हैं । ऐसे स्थानों पर जाने से अनेक लोगों को अस्वस्थ लगना, भारीपन, थकान आदि प्रतीत होने का यह एक कारण है । तथापि, कई बार यह मानसिक कारणों से भी हो सकता है ।

 

जब लोगों को किसी स्थान के, व्यक्ति के अथवा वस्तु के आस-पास विभिन्न प्रकार के अनाकलनीय कष्ट प्रतीत होते हैं, तब ऐसे स्थान, व्यक्ति अथवा वस्तुएं अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित अथवा आवेशित होने की संभावना होती है । कष्टप्रद अनुभव इस प्रकार के होते हैं :

  • भयप्रद लगना
  • अस्तित्व प्रतीत होना
  • संपूर्ण प्राणशक्ति ही अवशोषित की गई है, ऐसा प्रतीत होना अथवा
  • बिना किसी कारण विशिष्ट स्थान पर बार-बार दुर्घटनाएं होना

जिनकी छठी ज्ञानेंद्रिय जागृत हुई है, ऐसे लोगोंको ही अनिष्ट शक्ति का प्रत्यक्ष अस्तित्व प्रतीत होता है । यहां की अनिष्ट शक्तियां निकट आने वालों को कष्ट देती हैं अथवा अधिकतर जो लोग मानसिक दृष्टि से दुर्बल हैं (उदा. चिंतायुक्त, निराशाग्रस्त) अथवा आध्यात्मिक दृष्टि से दुर्बल हैं (उदा. अल्प आध्यात्मिक स्तर, पहले से ही अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित अथवा आवेशित), ऐसे लोगों को आवेशित करती हैं ।

५. अनिष्ट शक्तियों से अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?

नियमित आध्यात्मिक साधना आध्यात्मिक शक्ति विकसित करने में सहायक होती है । यही शक्ति अनिष्ट शक्तियों के आक्रमणों से बचने के लिए सुरक्षा-कवच बन जाती है । आवेशित परिसर में जाने से पहले सुरक्षा हेतु ईश्‍वर से प्रार्थना करने की आवश्यकता है । इसी के साथ जिस धर्म अथवा पंथ में हमारा जन्म हुआ है, उस धर्म अथवा पंथ के अनुसार देवता के नामका सतत नामजप करने से हमारे सर्व ओर ईश्‍वर का सुरक्षा-कवच निर्मित होता है ।

कुछ लोग सोचते हैं, अनिष्ट शक्तियों के संदर्भ में जानने के झंझट से दूर रहने से वे मुझे कष्ट नहीं पहुंचाएगी ।

ऐसे लोगों के लिए एसएसआरएफ आग्रहपूर्वक अनुरोध करता है कि अनिष्ट शक्तियों के अस्तित्व के संदर्भ में और उनके प्रभाव से अपने आप को सुरक्षित रखने के संदर्भ में ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक है । उनके अस्तित्व के बारे में अज्ञान में रहने से अथवा ऑस्ट्रीच (ostrich – bird) जैसा दृष्टिकोण रखने से हानिप्रद परिणामों से बचना संभव नहीं होगा । अपितु इससे अनिष्ट शक्तियों को (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) ऐसे लोगों को प्रभावित करना सुलभ हो जाता है; क्योंकि अज्ञान के कारण ये लोग अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए उचित सावधानी नहीं बरतते ।