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१. फैशन प्रचलन के रूप में खोपडी समान आकृतियां – प्रस्तावना

आजकल खोपडी के चित्र बने परिधानों की लोकप्रियता में वृद्धि हुर्इ है । प्रति-संस्कृति के एक अमंगल प्रतीक के रूप में देखे जाने पर भी खोपडी समान आकृति के प्रिंट मुख्यधारा के एक फैशन चलन बन गए हैं और बच्चों के कपडे से लेकर अंर्तवस्त्रों तक में प्रयोग किए जा रहे हैं । लोग पूर्णरूप से असभ्य दिखनेवाले वस्त्रों से लेकर पारंपरिक वस्त्रों को थोडा अलग दिखाने हेतु बनाए गए विभिन्न प्रकार से खोपडी समान आकृति बने वस्त्रों को पहनने के लिए चयन करते हैं । लोकप्रिय फैशन डिजाइनर भी अपने वस्त्रों तथा सहायक साधनों पर खोपडी समान आकृति समाविष्ट करते हैं । प्रसिद्ध हस्तियों ने जिन्हें ट्रेंड लानेवाला माना जाता हैं, इन खोपडी की आकृति बने दुपट्टे, चोलियों तथा स्कर्ट्स को पहनकर इस भयावह फैशन का समर्थन किया है । जब यह प्रसिद्ध हस्तियां किसी फैशन चलन का समर्थन करती हैं तो समाज प्रायः इन्हें अपनाने के लिए आतुर रहता है । यह प्रायः देखा गया है कि खोपडी की आकृति बने परिधान अन्य फैशन परिधानों की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से बिकते हैं । लोग किस प्रकार अपनी अलमारी में अपने बच्चों के वस्त्रों तथा बच्चे के पालने में खोपडी समान आकृति की डिजाईन को सम्मिलित करते हैं उनके कुछ चित्रों को हमने नीचे साझा किया है ।

२. खोपडी समान आकृतिवाले फैशन का आध्यात्मिक दृष्टिकोण

लोग किसी फैशन के चलन को प्रायः तब अपनाते हैं जब अन्य सभी लोग ऐसा करते हुए दिखते हैं । वे इस विचार से चलन को अपनाते हैं कि दैनिक जीवन में प्रयोग में आनेवाले विविध वस्तुओं पर खोपडी समान आकृति का रहना ‘अति सुंदर’, ‘सर्जनात्मक’ अथवा ‘मौलिक’ है । लोग अपने परिधानों के आध्यात्मिक प्रभाव के संदर्भ में अत्यल्प विचार करते हैं । तथापि स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन (SSRF) में आध्यात्मिक शोधों द्वारा यह देखा गया है कि व्यक्ति जो पहनता है, वह उससे बडी मात्रा में प्रभावित हो सकता है ।

अध्यात्मशास्त्र के अनुसार, समस्त ब्रह्मांड तीन आधारभूत सूक्ष्म तत्वों सत्त्व, रज तथा तम से मिलकर बना है । सत्वगुण आध्यात्मिक शुद्धता तथा ज्ञान का प्रतीक है, रजोगुण क्रियाशीलता तथा आवेग का प्रतीक है तथा तमोगुण अज्ञानता तथा जडता का प्रतीक है किसी भी तथा सभी वस्तुओं से प्रक्षेपित होनेवाली सूक्ष्म स्पंदन जिस मूल तत्वसे निर्मित हुर्इ हैं, उस पर निर्भर करता है ।

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खोपडी मृत्यु का प्रतीक है तथा अत्यधिक मात्रा में नकारात्मक अथवा तम स्पंदनों से युक्त है । आध्यात्मिक शोधों के द्वारा हमें ज्ञात हुआ है कि खोपडी की आकृति स्वयं ही नकारात्मक स्पंदन उत्सर्जित करती है तथा अनिष्ट शक्तियों को आकर्षित करती है । अध्यात्मशास्त्र के अनुसार, जिसकी भी निर्मिति हुर्इ है, उसके साथ रूप, रस, गंध, शब्द तथा शक्ति जुडी हुर्इ होती है । अनेक बार SSRF के सूक्ष्म-कलाकारों ने अपनी विकसित छठवीं इंद्रिय से राक्षसी शक्तियों को खोपडी धारण किए हुए देखा है । (कृपया दिया गया चित्र देखें) राक्षसी शक्तियां खोपडी धारण करती हैं, क्योंकि इससे उनमें अनिष्ट शक्ति की मात्रा में वृद्धि होती है । जब हम खोपडी समान आकृतिवाली वस्तुओं का प्रयोग दैनिक जीवन में करते हैं, तब हम स्वयं में तमोगुण बढाते हैं । परिणामस्वरूप, हमसे निकलनेवाले स्पंदन भी नकारात्मक होते हैं और इससे राक्षसी शक्तियां हमारी ओर आकर्षित होती हैं ।

अनिष्ट शक्तियों के कारण ही समाज में खोपडी समान आकृति के फैशन का चलन आरंभ हुआ । जो व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों से आविष्ट हैं, उनके ही इस प्रकार के फैशन को अपनाने की संभावना अधिक है । उन्हें आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति उनके विचारों को प्रभावित कर उनमें नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित करनेवाली वस्तुओं के प्रति रूचि बढाती हैं । जब आविष्ट व्यक्ति खोपडी समान आकृतिवाले वस्त्र पहनता है, तब वह उसे आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति को स्वयं पर उसकी पकड को और दृढ करने में सहायता करता है । इसके साथ ही, इस प्रकार के फैशन के चलन समाज की कुल नकारात्मक स्पंदनों को बढाते हैं ।

खोपडी समान अथवा राक्षस समान आकृतिवाले कपडे तथा सहायक साधन को धारण करनेवाले औसत व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से असुरक्षित बना देते हैं । ये असुरक्षा औसत व्यक्ति के अनिष्ट शक्ति द्वारा प्रभावित करने की संभावना को ७० प्रतिशत बढा देती है । जिन लोगों के आविष्ट होने की संभावना पहले से ही हैं (जैसे मांसाहारी तथा मद्यपान में रूचि रखनेवाले, मानसिक रूप से विक्षुब्ध अथवा निराशाग्रस्त व्यक्ति), उनके खोपडी समान कलाकृतिवाले कपडे इत्यादि पहनने से उनके आविष्ट होने की संभावना ३० प्रतिशत बढ जाती है । यहां प्रस्तुत आंकडे अनुमान हैं तथा व्यक्ति द्वारा इस प्रकार की वेशभूषा धारण करने से होनेवाले गंभीर तथा नकारात्मक प्रभाव को दर्शाने के लिए दिए गए हैं । भिन्न-भिन्न लोगों में प्रतिशत की इस मात्रा में परिवर्तन हो सकता है । एक बार यदि व्यक्ति आविष्ट हो जाता है, तब उसे आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति उस व्यक्ति को केवल इसी जन्म में नहीं अपितु मृत्योपरांत के जीवन में तथा आनेवाले जन्मों में भी नियंत्रित कर सकती है । सूक्ष्म-शक्तियों से पीछा छुडाना अत्यंत कठिन है ।

३. खोपडी समान आकृतिवाले फैशन के नकारात्मक प्रभाव से बचाव हेतु सुझाव

  • यदि किसी के पास खोपडी समान आकृति छपे कपडे तथा अन्य सहायक साधन हैं, तो उनका त्याग कर देना चाहिए ।
  • यदि व्यक्ति वैसी वेशभूषा करनेवाले व्यक्ति से संबंधित है तो जन्म के धर्मानुसार उसे भगवान का नामजप करना चाहिए, इससे उसे र्इश्वरीय सुरक्षा कवच की प्राप्ति होगी जो उस व्यक्ति से निकलनेवाले नकारात्मक स्पंदनों से उसकी रक्षा करेगी ।
  • साधना आरंभ करना तथा नित्य करते रहने से व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से नकारात्मक तथा सकारात्मक में अंतर करने की क्षमता आएगी ।
  • अंतर करने की सूक्ष्म-क्षमता प्राप्त होने पर नित्य लिए जानेवाले निर्णय जैसे क्या पहनूं, को एक पूर्णतः नया आयाम मिलेगा । किसी निर्णय के आध्यात्मिक प्रभाव को ध्यान में न लेने से व्यक्ति स्वयं अपनी हानि अधिक कर सकता है ।