निद्रा पक्षाघात(स्लीप पेरालीसिस)के समय खुली आंखों से भान होना

SSRF द्वारा प्रकाशित प्रकरण-अध्ययनों (केस स्टडीस) का मूल उद्देश्य है , उन शारीरिक अथवा मानसिक समस्याओं के विषय में पाठकों का दिशादर्शन करना , जिनका मूल कारण आध्यात्मिक हो सकता है । यदि समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक हो , तो यह ध्यान में आया है कि सामान्यतः आध्यात्मिक उपचारों का समावेश करने से सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं । SSRF शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं के लिए इन आध्यात्मिक उपचारों के साथ ही अन्य परंपरागत उपचारों को जारी रखने का परामर्श देता है । पाठकों के लिए सुझाव है कि वे स्वविवेक से किसी भी आध्यात्मिक उपचारी पद्धति का पालन करें ।

सूचना : निद्रा पक्षाघात (स्लीप पेरालीसिस) क्यों होता है, इसके संदर्भ में विस्तृत वर्णन हमारे लेख निद्रा पक्षाघात पर आध्यात्मिक शोध में किया गया है ।

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निद्रा पक्षाघात (स्लीप पेरालीसिस) मेरे पूरे जीवन में मुझे एक ही बार १० वर्ष पहले हुआ था । मुझे आज भी इसका स्पष्टता से स्मरण है क्योंकि वह मेरे जीवन में होनेवाले अनुभवों से सर्वाधिक भयावह था । मैं उस समय २५ वर्ष का था । मुझे याद है कि मैं रात को नींद से जागा और स्वयं को हिला भी नहीं पा रहा था । पहले मुझे लगा कि यह एक बुरा सपना है । तत्पश्चात भान हुआ कि यह स्वप्न नहीं है ,क्योंकि मेरी आंखें खुली थीं । उस समय अत्यधिक प्रयास करने पर भी मैं अपने शरीर को नहीं हिला पा रहा था । मुझे भय लगा क्योंकि मुझे पता ही नहीं था कि क्या हो रहा था । मैं छत तथा कक्ष के सर्व ओर ३० मिनटों तक देखता रहा यह जानने के लिए क्या हो रहा है । मैं सहायता के लिए आवाज भी नहीं लगा सकता था । अंततः मैंने निर्णय लिया कि मुझे पुनः सोने का प्रयत्न करना चाहिए ।

जब मैं सुबह उठा, मुझे पहला विचार आया कि क्या मैं अपना शरीर हिला सकता हूं । सौभाग्य से, मैं कर सकता था । आज भी यह पूरा अनुभव मेरे लिए सजीव है । SSRF से जुडने के उपरांत मुझे इस घटना के कारणों का तथा इसके लिए आध्यात्मिक उपचारों का ज्ञान होना प्रारंभ हुआ, जिससे यदि ऐसी घटना पुनः होती है तो उससे मुक्ति पाने के लिए मैं उन उपचारों को कर सकता हूं ।.