प्रकरण अध्ययन – स्वयं घटित मानव दहन/दाह

टिप्पणी : इस व्यक्ति अध्ययन की पृष्ठभूमि समझने के लिए और ऐसी घटनाएं विशेष रुप से SSRF के संबंध में क्यों हो रही हैं, कृपया पढें – असाधारण भयभीत करनेवाली घटनाओं का परिचय

यह विवरण सिंधुदुर्ग, भारत के श्री विलास कृष्ण नायक का है (जो प.पू. डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधना कर रहे हैं) वे अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रयासित स्वत: घटित मानव दहन के ग्रास (शिकार) बने ।

१ अप्रैल २००४ को मैं रात १ बजे के लगभग बिस्तर पर गया। मैं बहुत थका हुआ था और शीघ्र ही सो गया । प्रात: ३.३० के लगभग मैं अचानक खांसते हुए उठा और मैं अपने शरीर में बहुत गर्मी अनुभव कर रहा था । मेरी (अर्ध) निद्रित अवस्था में मुझे यह भान हुआ कि जो चादर मैंने ओढी थी उसमें आग लगी थी और मैं भी आग की लपटों में घिर चुका था । मैं जल्दी से उठा और मैंने (ओढने वाली) चादर अपने शरीर से उतारकर फेंक दी और उस चादर पर पानी डालकर आग की लपटों को बुझाने का प्रयास किया ।

मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि चादर में आग कैसे लगी क्योंकि आसपास ऐसा कुछ नहीं था जिसके कारण आग लगे । यह एक चमत्कार ही है कि मुझे चोट नहीं आई, यहां तक की थोडा सा भी नहीं जला ।

आध्यात्मिक शोध दल : निम्न स्लाइड-शो विभिन्न साधकों (के बिस्तर) की चादरों को दिखाता है । यदि समय पर पकड में न आया होता तो यह स्वत: घटित मानव दहन का प्रकरण बन जाता ।