कोरोना विषाणु (COVID-19) से सुरक्षा हेतु उपचारक नामजप

SSRF का सुझाव है कि, भौतिक एवं मानसिक व्याधियों के उपचार में परंपरागत औषधोपचार के साथ-साथ आध्यात्मिक उपचार का प्रयोग करना चाहिए ।

पाठकों को हमारा परामर्श है कि आध्यात्मिक उपचारों का प्रयोग वे अपने विवेकानुसार करें ।

यदि किसी को नामजप करते समय शारीरिक तापमान में वृद्धि अथवा किसी प्रकार का कष्ट अनुभव हो तो वह नाम के आगे लगे “ॐ” को छोडकर शेष नामजप कर सकता है । “ॐ” में निर्गुण शक्ति व्याप्त होती है जिससे कुछ लोगों  को किसी प्रकार का कष्ट अनुभव हो सकता है । जिन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट अनुभव न हो वे “ॐ” के साथ नामजप कर सकते हैं  ।

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कोरोना विषाणु (COVID-19) से सुरक्षा हेतु उपचारिक नामजप

जब हम ईश्वर के नाम को जपते हैं (दोहराते हैं) तब ईश्वर के उस विशिष्ट नाम से जुडी उनकी दिव्य शक्ति तथा आध्यात्मिक शक्ति का सुरक्षा कवच हमारे सर्व ओर निर्माण होता है । कोरोना विषाणु से आध्यात्मिक सुरक्षा हेतु एक विशिष्ट जप आगे दिया गया है । इस नामजप में देवता के नाम संस्कृत में हैं । इस नामजप में आए देवताओं के नाम एक विशेष क्रम में है, जो आध्यात्मिक शोध से ज्ञात हुआ है । इस नाम जप से तीनों देवताओं की आध्यात्मिक शक्ति का आह्वान किया जाता है । दुर्गा देवी असुरों के नाश का कार्य करने वाली देवता हैं, भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मांड में दिवंगत पूर्वजों और अनिष्ट शक्तियों के सूक्ष्म शरीर से होने वाले कष्टों से रक्षा करने वाले देवता है और शिवजी विनाश के देवता हैं । नामजप को आगे दिए गए इस क्रम में उच्चारण करना है ।

  • श्री दुर्गादेव्यै नम:
  • श्री दुर्गादेव्यै नम:
  • श्री दुर्गादेव्यै नम:
  • श्री गुरुदेव दत्त
  • श्री दुर्गादेव्यै नम:
  • श्री दुर्गादेव्यै नम:
  • श्री दुर्गादेव्यै नम:
  • ॐ नम: शिवाय

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इस जप को मुझे कितने समय तक करना चाहिए ?

  • मैं कोरोना विषाणु से प्रभावित नहीं हूं : यदि आपको स्वयं में कोरोना विषाणु संक्रमण से संबंधित कोई लक्षण नहीं दिख रहा है, तो आप प्रतिदिन यह नामजप मन ही मन १०८ बार करें । इसे करने में एक घंटे से थोडा अधिक समय लगता है (अर्थात सभी ८ नामजप क्रम से १०८ बार ) ।
  • मैं कोरोना विषाणु से प्रभावित हूं अथवा इस रोग के लक्षण मुझमें हैं : यदि आपमें इस रोग के लक्षण दिखते हैं अथवा आप कोरोना विषाणु से प्रभावित हैं तो कोरोना विषाणु से लडने हेतु अपनी आध्यात्मिक शक्ति बढाने के लिए आप प्रतिदिन यह नामजप मन ही मन ६४८ बार करें । इसे करने में लगभग .५ घंटे का समय लगता है ।

क्या यह जप मेरी सुरक्षा के लिए पर्याप्त है ?

  • यह जप आध्यात्मिक स्तर पर व्यक्ति की रक्षा करता है : यह इसलिए क्योंकि इस विषाणु के निर्माण और प्रसार का मूल कारण आध्यात्मिक स्वरूप का है।
  • चूंकि लक्षण शारीरिक स्वरूप के हैं, इसलिए हमें भौतिक स्तर पर भी डॉक्टरों द्वारा दिए गए परामर्श के अनुसार सभी उपायों का पालन करना चाहिए (जैसे अपने हाथों को धोना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, अपने चेहरे को छूने से बचना, कोहनी रखकर खांसना आदि) । साथ ही स्वयं को इससे बचाने के लिए उनके द्वारा बताया गया चिकित्सकीय उपचार भी करवाना चाहिए ।

कृपया ध्यान दें कि डॉक्टरों द्वारा शारीरिक अथवा मनोवैज्ञानिक उपचार के लिए दिए गए परामर्श पर केवल जप ही एकमात्र विकल्प नहीं है ।

अधिक जानकारी के लिए कोरोना विषाणु पर हमारा मुख्य लेख पढें ।

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

 मैं कैसे जान सकता हूं कि मेरे रोग का कारण शारीरिक न होकर उसका मूल कारण आध्यात्मिक स्वरुप का है ?

उत्तर : हमारे द्वारा किए गए आध्यात्मिक शोध से, हमें यह ज्ञात हुआ कि लगभग सभी प्रकरणों में, जिस रोग से हम पीडित हैं उसमें आध्यात्मिक तत्त्व कारणीभूत होता है । अतः, यह सर्वोत्तम होगा कि आप अपने नियमित उपचार के साथ आध्यात्मिक उपचार भी किया करें ।  इस लेख का संदर्भ लें  – इस बात के क्या संकेत है कि मेरे रोगग्रस्त होने  में अनिष्ट शक्तियां अथवा मृत पूर्वजों का प्रभाव हो सकता है ?

क्या मुझे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (एलोपैथी) के अनुसार अपना उपचार जारी रखना चाहिए ?

उत्तर – हां, SSRF का सुझाव है कि, भौतिक एवं मानसिक व्याधियों के उपचार में परंपरागत औषधोपचार के साथ-साथ आध्यात्मिक उपचार का प्रयोग करना चाहिए । कृपया आपके चिकित्सकीय उपचार के साथ इन मंत्रजप को भी सम्मिलित करें, यह उपचार को अधिक प्रभावी बनाता है ।

आध्यात्मिक उपचारात्मक मंत्रजप कितने समय तक करना चाहिए ?

उत्तर : समस्या समाप्त होने तक जप करते रहना चाहिए । आध्यात्मिक उपचार प्रतिदिन, लक्षणों की तीव्रता के अनुसार विशिष्ट कालावधि के लिए करना चाहिए ।

  • कष्ट यदि मंद हो तो जप प्रतिदिन १-२ घंटे एक सत्र में अथवा एक से अधिक सत्रों में कर सकते हैं ।
  • कष्ट यदि मध्यम हो तो जप प्रतिदिन 3-4 घंटे अथवा उससे अधिक करना चाहिए ।
  • कष्ट तीव्र हो तो जप प्रतिदिन जितना संभव हो उतना अधिक से अधिक करें । (न्यूनतम 8 – 10 घंटे प्रतिदिन)

उपरोक्त अनुसार नामजप इस प्रकार कर सकते हैं :

  • निर्धारित अवधि के आधे समय चिकित्सकीय समस्या के लिए विशिष्ट देवता का नामजप करना चाहिए ।
  • शेष आधे समय में भगवान श्रीकृष्ण का नामजप ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।। यह नामजप करना चाहिए ।

क्या मुझे अपने जन्म के धर्म के अनुसार ईश्वर का नामजप करना चाहिए अथवा इस लेख में दिया गया नामजप करना चाहिए ?

उत्तर : आध्यात्मिक उपचारात्मक जप को ही प्रधानता देनी चाहिए ।  ऊपर बताए गई आवश्यक कालावधि के अनुसार जप करने के उपरांत, व्यक्ति अपने जन्म के धर्म के अनुसार ईश्वर का नामजप कर सकता है ।

मुझे स्वस्थ होने में कितना समय लगेगा ?

उत्तर : आध्यात्मिक कारणों से हुई समस्याओं के समाधान में  कुछ सेकंड से कई महिने से कई वर्ष तक का समय लग सकता है । उदाहरण के लिए पूर्वज कष्टों के कारण हुए त्वचा के चकते के कारण होनेवाली खुजली पर तीर्थ तथा गोमूत्र लगाने से त्वरित आराम मिल सकता है । किंतु, यदि किसी के सिगरेट पीने (धूम्रपान) के व्यसन का आंशिक कारण उसे धूम्रपान करना अच्छा लगता है (अर्थात मानसिक कारण) यह हो तथा आंशिक रूप से यह भूतावेश (आध्यात्मिक कारण) के कारण हो तो इस व्यसन से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को एक वर्ष साधना करनी होगी ।

ठीक होने के लिए लगने वाली कालावधि अनेक कारकों पर निर्भर करती है :

  • रोगी के प्रारब्ध की तीव्रता
  • आध्यात्मिक उपचार करने की नियमितता
  • साधना की तडप
  • व्यक्ति को आवेशित करनेवाली अथवा व्यक्ति पर आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्तियों की शक्ति

व्यक्ति में विद्यमान स्वभाव दोष की संख्या और तीव्रता उसके उपचार को प्रभावित कर रोगी के (उसके) ठीक होने की कालावधि को बढा सकता है । क्योंकि अनिष्ट शक्तियां क्रोध, भय तथा अन्य भावनाओं से संबंधी स्वभावदोषों का उपयोग रोगी व्यक्ति के मन में काली शक्ति के केंद्र बनाने में करती है, जिससे उन्हें रोगी को भूतावेशित करने तथा उसमें प्रवेश करने में सहजता होती है ।

संदर्भ हेतु पढें – आध्यात्मिक उपचार की प्रभावकारिता को प्रभावित करनेवाले कारक

नामजप साधना को और अधिक प्रभावी कैसे बना सकता हूं ?

उत्तर : एकाग्रता, नामजप पर श्रद्धा बढाना, भाव तथा निरंतर प्रार्थना से नामजप की प्रभावकारिता को बढाया जा सकता है । संदर्भ हेतु पढें –  अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईश्वर का नामजप

उस व्यक्ति का क्या, जो रोगी है, जो बेसुध अवस्था (कोमा) में है अथवा जो स्वयं नामजप नहीं कर सकता है ?

उत्तर : ऐसे प्रसंग में बेसुध अवस्था (कोमा) में गए रोगी का संबंधी उसके लिए नामजप कर सकता है । नामजप आरंभ करने से पूर्व उसे ये प्रार्थना करनी चाहिए कि ‘‘हे ईश्वर यह नामजप मैं अमुक व्यक्ति के लिए कर रहा हूं, जिससे उसके रोग में कारणीभूत आध्यात्मिक कारण दूर हो सके ।’’

यदि उपर्युक्त सूची में मुझे हुआ रोग सम्मिलित नहीं हो तब क्या करना चाहिए ?

उत्तर : यदि आपकी विशिष्ट बीमारी  चरण 2 के ड्रॉप डाउन बॉक्स में सूचीबद्ध न हो, तो आप उसे” अन्य सभी … ” श्रेणी से चुन सकते हैं, जो उस शारीरिक प्रणाली से संबंधित है ।  

आगामी काल में आध्यात्मिक उपचार पद्धतियों का महत्त्व क्या है ?

उत्तर : वर्तमान में दुनिया उथल-पुथल की स्थिति में है । कई संतों ने अगले कुछ वर्षों में तीसरे विश्व युद्ध और अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदाओं की संभावना का अनुमान लगाया है । इस युद्ध के परिणामस्वरूप कई बुनियादी वस्तुओं की कमी होगी । फैक्ट्रियां बंद हो जाएंगी और दवाएं उपलब्ध नहीं होंगी । उस समय आध्यात्मिक उपचार के उपायों और रोगों के निदान के लिए उपलब्ध वैकल्पिक उपचारों पर निर्भर रहना होगा । अतः अभी से ही आध्यात्मिक उपचार के उपायों को सीखना और उनका अभ्यास करना महत्वपूर्ण है ।