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. स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन के विषय में

.१ स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन का कार्य/उद्देश्य क्या है ?

स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन का कार्य है :

१. समाज को आध्यात्मिक आयाम तथा यह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है, इसके संदर्भ में शिक्षित करना तथा

२. लोगों को निम्नलिखित के लिए साधन उपलब्ध कराना :

  • आध्यात्मिक आयाम को समझने तथा अनुभव करने हेतु
  • आध्यात्मिक कारणोंवाली समस्याओं को समझने तथा उस पर विजय प्राप्त करने हेतु
  • चिरकालीन सुख प्राप्त करने हेतु

. अध्यात्मशास्त्र तथा विज्ञान

.१ आपने अध्यात्मशास्त्र को एक विज्ञान की संज्ञा क्यों दी ?

हम अध्यात्म विज्ञान (अर्थात अध्यात्मशास्त्र) को एक ‘विज्ञान’ आगे दिए कारणों से कहते हैं :

  • आध्यात्मिक आयाम का अध्ययन भौतिक जगत के समान क्रमबद्ध तथा तर्कसंगत है ।
  • भौतिक अथवा स्थूल जगत के समान आध्यात्मिक अथवा सूक्ष्म आयाम में जो भी कुछ घटित होता है, उसका कारण समझा जा सकता है ।
  • आध्यात्मिक आयाम से संबंधित सिद्धांतों का परीक्षण आवश्यक साधनों के माध्यम से पुनः-पुनः किया जा सकता है । जैसे भौतिक विज्ञान तथा कला के शोध के उपकरण अलग-अलग होते हैं, वैसे ही अध्यात्म विज्ञान के संदर्भ में है । इसके लिए आवश्यक मुख्य उपकरण है, विकसित सूक्ष्म-संवेदी क्षमता अथवा विकसित छठवीं इंद्रिय ।

. आध्यात्मिक शोध के विषय में

.१ आध्यात्मिक शोध क्या है ?

आध्यात्मिक आयाम में किए जानेवाले शोध आध्यात्मिक शोध कहलाते हैं । इसमें आध्यात्मिक आयाम की घटनाओं तथा वृतांत का अध्ययन सम्मिलित है । आध्यात्मिक आयाम हमारे पंचज्ञानेंद्रियों, मन तथा बुद्धि की समझ से परे है । आध्यात्मिक आयाम में होनेवाली घटनाओं का वास्तविक आध्यात्मिक शोध केवल हमारी छठवीं इंद्रिय की सहायता से संपादित किया जा सकता है । यह शोध विविध घटनाओं के आध्यात्मिक कारण तथा उस पर आध्यात्मिक उपचार के संदर्भ में होता है ।

.२ आपको यह ज्ञान कहां से प्राप्त हुआ है ? जालस्थल पर उपलब्ध जानकारी का स्रोत कौन हैं ?

ज्ञान का स्रोत र्इश्वर का ही एक रूप वैश्विक मन तथा बुद्धि है । SSRF के कुछ साधक अपने विकसित छठवीं इंद्रिय के द्वारा वैश्विक मन तथा बुद्धि से संपर्क करने में सक्षम हैं । उनसे प्राप्त सर्व ज्ञान परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी द्वारा उनकी अति विकसित छठवीं इंद्रिय द्वारा जांचा जाता है ।

.३ आध्यात्मिक शोध मुख्यतः कहां किए जाते हैं ?

मूलतः, आध्यात्मिक शोध का अर्थ है र्इश्वर से ज्ञान प्राप्त करना । यह विकसित छठवीं इंद्रिय की सहायता से किए जाते हैं । इसलिए आधुनिक वैज्ञानिक शोधों से विपरीत, आध्यात्मिक शोध ध्यान की उच्च अवस्था में आध्यात्मिक आयाम में किए जाते हैं । यह स्वयं से बाहर नहीं होता – न ही किसी प्रयोगशाला में न ही समाज के किसी क्षेत्र परिक्षण में I       ।

.४ आप आध्यात्मिक घटनाओं / विशेषताओं को प्रतिशतता में कैसे व्यक्त कर सकते हैं ?

आध्यात्मिक आयाम का अध्ययन भौतिक जगत के समान क्रमबद्ध तथा तर्कसंगत है । इसलिए इसे प्रतिशतता इत्यादि में परिमाणित किया जा सकता है । ये प्रतिशत वैश्विक मन तथा बुद्धि से बने-बनाए प्रारूप में ध्यान की उच्च अवस्था में छठवीं इंद्रिय द्वारा प्राप्त होते हैं । वे पारंपरिक शोध की कार्यप्रणालियों से प्राप्त नहीं होते ।

.५ आप अपने शोध को प्रमाणित कैसे करते हैं ?

किसी भी विषय के संदर्भ में छठवीं इंद्रिय की सहायता से अनेक साधकों द्वारा स्वतंत्र रूप से प्राप्त ज्ञान समान होता हैं । उदाहरण के लिए, ‘जब एक आविष्ट व्यक्ति पर आध्यात्मिक उपचार किए जा रहे थे, तब आध्यात्मिक आयाम में वास्तव में क्या हो रहा था’ इस घटना में अलग-अलग साधकों को प्राप्त ज्ञान समान था । इसके अतिरिक्त सभी साधकों के निष्कर्ष परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी द्वारा जांचे जाते हैं ।

.६ अन्य शोध अध्ययन समान निष्कर्ष पर क्यों नहीं पहुंचते ?

अधिकतर शोध अध्ययन आध्यात्मिक आयाम तथा मनुष्य पर इसके प्रभाव की खोज शोध के पारंपरिक उपकरणों से करते हैं जबकि SSRF सक्रिय छठवीं इंद्रिय के माध्यम का प्रयोग करती है । पारंपरिक शोध कार्यप्रणालियों का प्रयोग कर आध्यात्मिक आयाम को ढूंढना बुद्धिमतता को फुट स्केल से मापने का प्रयास करने समान है । अधिक से अधिक इस प्रकार का शोध आध्यात्मिक आयाम की घटना के हेतुविज्ञान का प्रत्यक्ष शोध न कर केवल उसकी पुष्टि कर सकता है । जो मन अथवा बुद्धि को ज्ञात नहीं, वह उसकी पुष्टि कैसे करेगा । चूंकि SSRF द्वारा संपादित सभी आध्यात्मिक शोध प्रगत छठवीं इंद्रिय के माध्यम से किए जाते हैं, इसलिए पारंपरिक शोध कार्यप्रणालियों के कोर्इ भी बंधन इसके मार्ग में नहीं आते । इसलिए शोध के निष्कर्ष में विविधता आनी ही है ।

. अध्यात्म विज्ञान तथा पंथ

.१ क्या SSRF किसी पंथ से संबंधित है ?

SSRF किसी पंथ से संबंधित नहीं है । यह अध्यात्म विज्ञान के वैश्विक सिद्धांतों पर आधारित है, जो संपूर्ण मानवता से जुडा है, जिसका व्यक्ति के सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अथवा जन्म के पंथ से कोर्इ संबंध नहीं । यह किसी भी पंथ से संबंधित खरे साधक पर लागू किया जा सकता है ।

.२ क्या SSRF अन्य नई आध्यात्मिक विचारधारा है

SSRF अध्यात्म विज्ञान अथवा अध्यात्मशास्त्र के सभी पहलुओं को सिखाता है । यह विज्ञान अनंतकाल से अस्तित्त्व में है और यह पूर्ण है, अटल है तथा पंथ, जाति अथवा संस्कृतियों से ऊपर है । नई आध्यात्मिक विचारधारा हाल ही में आरंभ हुई हैं और इसने सर्व व्यापक अध्यात्म विज्ञान के कुछ सिद्धांतों जैसे कर्म का सिद्धांत, प्रभामंडलों, पुर्नजन्म इत्यादि को अपनाया है । विडंबना यह है कि इन सिद्धांतों में ‘नए’ जैसा कुछ भी नहीं है, क्योंकि आध्यात्मिक सिद्धांत तथा घटनाओं का अस्तित्त्व अनंतकाल से है ।

.३ क्या अध्यात्म विज्ञान सांइटोलोजी के समान है ?

अध्यात्म विज्ञान तथा सांइटोलोजी, दोनों सत्य का अध्ययन ही है; किंतु इनके अनेक पहलुओं में अंतर है । उदाहरण के लिए, सांइटोलोजी कहती है कि जीवन का लक्ष्य जीवित रहना है जबकि अध्यात्म विज्ञान कहता है कि जीवन का लक्ष्य र्इश्वर से एकरूप होना है ।

. व्याख्यान

.१ आपके द्वारा दिए जानेवाले व्याख्यान में हम कहां सम्मिलित हो सकते हैं ?

हमारे द्वारा लिए जानेवाले सत्संगों की जानकारी हमारे ऑनलार्इन सत्संग पृष्ठ पर उपलब्ध है । देखने के लिए यहां क्लिक करें ।

. प्रारंभ करनेवालों के लिए

.१ इस विषय के संदर्भ में मुझे आधारभूत जानकारी भी नहीं है, मैं कहां से आरंभ करूं ?

खंड यात्रा करें – यह आपको आपकी प्राथमिक रूचि के आधार पर हमारे जालस्थल के मुख्य खंडों की जानकारी देगा ।

.२ मेरा जीवन वास्तव में बहुत अच्छा है; क्या मुझे इस जालस्थल से अभी भी कुछ लाभ मिल सकता है ?

जी हां, आप अभी भी इस जालस्थल से लाभान्वित हो सकते हैं ।

  • हमारे जीवन के संदर्भ में गहन ज्ञान : यह जालस्थल हमारे जीवन तथा इसे प्रभावित करनेवाले घटकों के संदर्भ में गहन परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है । इसमें जीवन का मूलभूत उद्देश्य, कर्इ बार हम अपने स्वभाव के विपरीत कृत्य क्यों करते हैं, जीवन में समस्याओं का मूल कारण तथा उनका सामना कैसे करें इत्यादि सम्मिलित हैं ।
  • परिवर्तन ही केवल अटल है : हमारे आसपास की सर्व वस्तुओं में परिवर्तन होता है । हमारे जीवन में भविष्य की भी कोर्इ निश्चितता नहीं है । हमारे जीवन की ३५ प्रतिशत घटनाएं क्रियमाण कर्म द्वारा निश्चित होती हैं और शेष ६५ प्रतिशत प्रारब्धानुसार । साधना करके व्यक्ति सौम्य से लेकर मध्यम प्रारब्ध पर विजय प्राप्त कर सकता है । यदि प्रारब्ध तीव्र हो तो उससे बचा नहीं जा सकता; किंतु साधना करने से प्रारब्ध सहने की क्षमता अवश्य प्राप्त हो सकती है ।

.३ साधक कौन है ?

वह व्यक्ति जो आध्यात्मिक प्रगति करने के लिए नियमित रूप से र्इमानदारी पूर्वक तथा निष्ठापूर्ण प्रयास करे, साधक है । साधक की साधना स्वतः ही साधना के मूलभूत छः सिद्धातों के अनुसार होती है । साधक में आध्यात्मिक प्रगति करने की तीव्र इच्छा होती है । अपनी साधना में संख्यात्मक तथा गुणात्मक सुधार लाने के लिए वह निरंतर प्रयास करता रहता है ।

.४ मैं नास्तिक हूं; मुझे इस जालस्थल से लाभ कैसे मिल सकता है ?

  • जीवन का मूलभूत उद्देश्य, अध्यात्म विज्ञान के वैश्विक सिद्धांत, कर्इ बार हम अपने स्वभाव के विपरीत कृत्य क्यों करते हैं, जीवन में समस्याओं का मूल कारण इत्यादि खंडों से आप लाभान्वित हो सकते हैं ।
  • आप अनिष्ट शक्तियों, देवदूतों, स्वर्ग, नरक इत्यादि के विशाल अदृश्य सूक्ष्म-जगत को देखने में सक्षम व्यक्ति से सीख सकते हैं तथा यह भी समझ सकते हैं कि ये हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं ।

.५ मैं धार्मिक व्यक्ति हूं; मुझे इस जालस्थल से लाभ कैसे मिल सकता है ?

SSRF वैश्विक आध्यात्मिक सिद्धांतों का वर्णन करता है, जो पंथ, जाति अथवा राष्ट्रीयता इत्यादि से ऊपर है । आप विविध सिद्धातों का पालन कर अपनी साधना को बढा सकते हैं । आप अपनी आध्यात्मिक प्रगति को यहां दिए गए लक्षणों द्वारा जांच सकते हैं ।

. इस जालस्थल पर उपलब्ध जानकारियों पर विश्वास करना कठिन है ।

हम आपकी भावआओं को समझते हैं । इस जालस्थल पर आध्यात्मिक आयाम के संदर्भ में उपलब्ध अधिकांश जानकारी पहले कभी प्रकाशित नहीं हुर्इ; इसलिए प्रथम वाचन में उसे समझ पाना कठिन है । आध्यात्मिक आयाम की सही समझ केवल साधना से ही आ सकती है । अविश्वास को हटाने का एक मार्ग है, स्वयं ही प्रथम अनुभव करना । नियमित साधना से हम इस आयाम को समझने में सक्षम हो जाते हैं और हमारी शंका घटती है ।

.७ साधना प्रारंभ करने के लिए SSRF का मेरे लिए क्या सुझाव है ?

आप जिस किसी भी आध्यात्मिक मार्ग अथवा संस्कृति से आते हैं, आपकी साधना को आरंभ करने अथवा बढाने हेतु स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन आपको तीन सुझाव देगा

१. अपने जन्म के पंथानुसार भगवान का नामजप करें ।

२. पूर्वजों के कष्टों (पितृदोष) से मुक्ति पाने हेतु सुरक्षात्मक जप करें ।

३. अपने आध्यात्मिक ज्ञान को बढाएं ।

अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारा ‘‘अपनी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ करें’’ – खंड देखें ।

.८ साधना करना आरंभ करने के लिए क्या मुझे मेरा सांसारिक जीवन का त्याग करना होगा ?

आप जैसे हैं वैसे ही साधना का आरंभ कर सकते हैं तथा अपने खाली समय में कर सकते हैं । साधना केवल सांसारिक जीवन की पूरक ही नहीं है अपितु उसे और समृद्ध भी करती है ।