मांस तथा मद्य से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का बायो-फीडबैक उपकरण द्वारा किया गया शोध

सारांश

हमें हमारे दैनिक जीवन में जीवन शैली से संबंधित कई विकल्पों जैसे खान-पान, वेशभूषा इत्यादि में चयन करने होते हैं । व्यक्ति जब जीवन शैली के आध्यात्मिक रूप से सही विकल्पों का चयन करता है तो उससे उत्पन्न हुई सात्विकता से वह लाभान्वित होता है । उस पर से रज तथा तम सूक्ष्म गुणों (अत्यधिक क्रियाशीलता एवं अज्ञानता) का प्रभाव भी अल्प हो जाता है । कलियुग में एsसे लोगों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से सात्विक जीवन शैली अपनाते हैं । हमारा भोजन तथा पेय पदार्थों का चयन भी इससे अछूता नहीं है । इस लेख में हम मांस तथा मद्य से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का अध्ययन करेंगे । तथा तुलनात्मक विश्लेषण से हमें आध्यात्मिक लाभ पहुंचानेवाले अन्नपदार्थों का महत्त्व ज्ञात होगा ।

१. मांसाहार के आध्यात्मिक प्रभाव

शारीरिक प्रमाण सिद्ध करते हैं कि मनुष्य के लिए शाकाहार निर्धारित हैI । मांसाहारी पशुओं के रदनक (केनार्इन दांत) मानवों के रदनकों की तुलना में लंबे, नुकीले तथा वक्र होते हैं, जबकि मानवों के रदनक छोटे तथा बिना धारवाले होते हैं, अतः मनुष्यों के दांत मांस खाने के लिए नहीं बने होतेI । हमारे पाचन तंत्र की बनावट भी मांसाहारी भोजन हेतु उपयुक्त नहीं हैI । साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने यह स्पष्ट किया है कि मांस खाने से विभिन्न रोग जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रोल तथा कुछ प्रकार के कैंसर हो सकते हैंI । अब कई चिकित्सकों द्वारा शाकाहार को अनुशंसित किया जाता है तथा वे दावा करते हैं कि यह आहार सर्वोत्कृष्ट पोषण प्रदान करता है तथा मांसाहारी भोजन से होनेवाले कई रोगों से बचाता हैI ।

आध्यात्मिक शोध से ज्ञात हुआ है कि मांसाहार की तुलना में शाकाहार अधिक लाभदायी है । मांसाहार की तुलना में शाकाहार अधिक सात्त्विक है और उसमें रज-तम भी अल्प होता है । सात्त्विक शाकाहार का सेवन करने से आध्यात्मिक प्रगति के लिए अनुकूल सत्त्व प्रधान स्पंदन ग्रहण होते हैं ।

चूंकि मांसाहार में रज-तम गुण अधिक मात्रा में होता है; इसलिए ऐसे भोजन को ग्रहण करनेवाला व्यक्ति मांस में विद्यमान तमोगुण को ग्रहण करता है, अतः इसका त्याग करना ही उत्तम हैI । तम प्रधान आहार तम प्रधान विचारों की निर्मिति करता है तथा दुर्गुणों जैसे भय, चिंता, क्रोध तथा उग्रता को उत्पन्न करता हैI । इससे मन तथा बुद्धि का संतुलन बिगड जाता है तथा मानव पथभ्रष्ट हो जाता हैI ।

२. मद्य पान के आध्यात्मिक प्रभाव

जिस विश्व में हम रहते है वहां मद्य का प्रयोग इतना व्यापक तथा स्वीकार्य हो गया है कि इस तथ्य ने उस तथ्य को कि मद्य कई चिकित्सीय, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, तथा पारिवारिक समस्याओं को आमंत्रित करनेवाला एक पदार्थ है, निष्प्रभ कर दिया हैI । लोगों के मद्य पान करने के कुछ मनोवैज्ञानिक कारण है जिसमें भय, अपराधी भाव, उत्तरदायित्वों से भागना, संबंधों का टूट जाना, प्रतिष्ठा खो देना, आर्थिक हानि तथा प्रियजन की मृत्यु सम्मिलित हैI । आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मद्य में अनिष्ट शक्ति को आकर्षित करने की क्षमता होती हैI । मद्य तम-रज प्रधान पेय हैI फलस्वरूप, मद्य पान उस व्यक्ति में सात्विकता को घटा कर उसी समय उसमें तमोगुण को बढा देता हैI । इसके परिणामस्वरूप आध्यात्मिक रूप से उसकी दुर्बलता में वृद्धि होती है तथा व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों द्वारा आक्रमण हेतु अनावृत्त हो जाता है एवं कर्इ बार आविष्ट भी हो जाता हैI ।

३. बायोफीडबैक उपकरण द्वारा किया विश्लेषण

यदि किसी के पास औसत से अधिक क्षमतायुक्त छठवीं ज्ञानेंद्रिय है, तो वह व्यक्ति आध्यात्मिक स्पंदन ग्रहण कर सकता है । इससे वह कोई पदार्थ आध्यात्मिक दृष्टि से उपयुक्त है अथवा नहीं इसका निर्णय कर जीवन में आध्यात्मिक दृष्टि से उचित चुनाव कर सकता है । आरएफआई (रेजोनेंट फील्ड इमेजिंग) और पीआईपी (पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी – बायो इमेंजिंग समान उपकरण) जैसे कुछ बायोफीडबैक उपकरण वस्तु के चारोंओर के स्पंदन ग्रहण कर उन्हें दृश्य स्वरूप में दिखा सकते हैं । इससे सामान्य व्यक्ति भी अपनी आंखों से वस्तु के सर्व ओर का प्रभामंडल (ऑरा) अथवा ऊर्जाक्षेत्र देख पाता है ।

पी.आर्इ.पी. एवं इसके प्रयोगों से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें ।

इस प्रयोग से हमने वैज्ञानिक बायोफीडबैक उपकरण द्वारा मांस तथा मद्य (मदिरा) से प्रक्षेपित प्रक्षेपित स्पंदनों पर प्रकाश डाला है एवं आध्यात्मिक शोध द्वारा प्राप्त जांच परिणामों से उनकी तुलना की ।

इस परीक्षण में हम पदार्थ के कारण वातावरण में होनेवाले परिवर्तन की प्रविष्टि करते हैं । वातावरण में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं, इसलिए हम पदार्थ का परीक्षण करने से पूर्व के वातावरण की मूलभूत पाठ्यांक लिख लेते हैं । अत: मांस तथा मद्य का प्रयोग करते समय, प्रथम उन्हें बिना रखे वातावरण का पाठ्यांक (रीडिंग) प्रविष्ट किया गया तथा उसके पश्चात प्रयोगवाली वस्तु को वहां रखकर पुनः पाठ्यांक (रीडिंग) प्रविष्ट किए गए ।

३.१ आरएफआई (रेजोनेंट फील्ड इमेजिंग) द्वारा प्राप्त परिणाम

‘आरएफआर्इ पाठ्यांक और उसका विश्लेषण

परीक्षण किया पदार्थ

प्रविष्टि (मेगाहर्ट्स)

विश्लेषण
१. मांसाहार (मीट) का प्रयोग

१ अ. पूर्व में

६६९.४

तरंगें गहरी नीली हैं अर्थात यह सकारात्मकता को दर्शाती है

१ आ. प्रयोग के समय

६०३.८

मांस का पात्र रखने के पश्चात, काली नकारात्मकता दिखीI
२. मद्य का प्रयोग

२ अ. पहले

६८७.२२

तरंग का रंग गहरा नीला है जो सकारात्मकता को दर्शाता है, लेकिन नीले से कम सकारात्मक हैI

२ आ. प्रयोग की कालावधि में

६३९.८६

मद्य को प्रयोग के लिए रखे जाने के पश्चात, तरंग नीली थी जो वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन दर्शाता है (टिप्पणी १)

टिप्पणी १ : अपनी जागृत छठवीं ज्ञानेंद्रिय से इस आर.एफ.आई. पठन का विश्लेषण करने पर, हमारे शोध दल ने पाया कि यह सही सकारात्मक परिवर्तन नहीं है अपितु मायावी तरंगों के आकर्षण से अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित भ्रम हैI । मायावी तरंगें अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित की जाती हैं तथा उसे झूठमूठ का सुखद दर्शाती हैं ।I

३.२ पीआईपी (पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी)से प्राप्त परिणाम

पूर्व: प्रथम चित्र जो हमने लिया वह वातावरण का प्रभामंडल (ऑरा) थाI । यहां केसरिया रंग तनाव के स्पंदनों को दर्शाता है, हरा सकारात्मक शक्ति को दर्शाता है तथा हल्की सुनहरी छटा लिए पीला रंग उच्च स्तरीय ब्रह्मांडीय स्पंदनों को दर्शाता हैI ।

01-HIN-PIP_no-meat

वातावरण के प्रभामंडल में, यहां पीला रंग केंद्र में उच्च आध्यात्मिक तत्त्व को दर्शाते हुए, इसके पास नारंगी रंग तनाव को दर्शाते हुए तथा हरा रंग सकारात्मकता को दर्शाते हुए तथा गति दिखती हैI ।

02-HIN-PIP_meat

मांस को थाली में रखे जाने के पश्चात, पूरा वातावरण परिवर्तित हो गयाI । सकारात्मकता दर्शानेवाला हरा रंग अल्प हो गया तथा नकारात्मक नारंगी रंग बढ गया तथा वह मांस की ओर आकर्षित हुआ । Iसकारात्मक पीला रंग भी न्यून हो गयाI ।

03-HIN-PIP_no-alcohol

वातावरण के प्रभामंडल में, यहां केंद्र में पीला रंग उच्च आध्यात्मिक तत्त्व को दर्शाते हुए, इसके पास नारंगी रंग तनाव को दर्शाते हुए तथा हरा रंग सकारात्मकता को दर्शाती है तथा गति दिखती हैI ।

04-HIN-PIP_alcohol

मद्य को प्रयोग के लिए रखे जाने के पश्चात, नकारात्मक नारंगी रंग बढ गया तथा इसके वलयों ने मद्य के गिलास को घेर लियाI । अतः, सकारात्मक हरा वलय दूर हट गयाI । मद्य के कारण, उच्च आध्यात्मिक तत्त्व को दर्शानेवाला पीला रंग घट गयाI ।

४. निष्कर्ष s

  • मांसाहार तथा मद्य दोनों ही तम प्रधान होते हैं ।

  • मांस अनिष्ट शक्ति को आकर्षित करता है ।

  • मद्य मायावी शक्ति को आकर्षित करने में सक्षम है I। इसी कारण, मद्य ने झूठा सकारात्मक आर.एफ.आई. पाठ्यांक प्रदर्शित किया ।

  • उपर्युक्त अवलोकनों से यह स्पष्ट है कि मांस तथा मद्य सेवन के कारण, मानव मांस तथा मद्य से आकर्षित होनेवाले कष्टदायक स्पंदनों को ग्रहण करता है तथा उसका स्वभाव तामसिक (तम-प्रधान) बन जाता है ।

उपर्युक्त स्कैन और उसका विश्लेषण श्री.संतोष जोशी की सहायता से किया गया, जो कि भारत के मुंबई स्थित वैश्विक ऊर्जा शोधकर्ता हैं ।

उपर्युक्त निष्कर्ष हमारे द्वारा विविध प्रकार के खाद्यान्नों तथा पेयों पर किए आध्यात्मिक शोध से मेल खाते हैं ।

SSRF इस प्रकार के विषयों के संदर्भ में वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से इस क्षेत्र के शोधकर्ता और विशेषज्ञों से सहायता करने का अनुरोध करता है ।