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१. प्रस्तावना

फैशन शो एक ऐसा कार्यक्रम है, जहां फैशन डिजाइनर अपने आगामी वस्त्र अथवा संबंधित उपसाधनों (एसेसरीज) का प्रदर्शन आयोजित करते हैं । फैशन शो प्रत्येक ऋतु में आयोजित किया जाता है । विशेषरूप से ग्रीष्म तथा शीतकाल में । इसमें फैशन का नवीनतम प्रचलन प्रस्थापित किया जाता है । सर्वाधिक प्रभावशाली, ऐसे दो फैशन सप्ताह विख्यात हैं – पैरिस फैशन वीक और न्यूयार्क फैशन वीक । इनका आयोजन वर्ष में दो बार किया जाता है । मिलान, लंदन और बर्लिन के फैशन वीक भी विश्वविख्यात हैं । प्रातिनिधिक फैशन वीक में मॉडल्स फैशन डिजाइनरों द्वारा निर्मित वस्त्र परिधान कर कैटवॉक करते हैं । कभी-कभी फैशन शो संस्थापन के रूप में होते हैं, जहां मॉडल्स विशिष्ट वातावरण में स्थिर खडे अथवा बैठे रहते हैं । आधुनिक युग के फैशन निर्माताओं में फैशन शो किसी थिएटर में आयोजित करने में रुचि दिखा रहे हैं, जहां वे मंच पर विविध रचनाओं, संगीत अथवा अन्य तांत्रिक प्रणालियों का उपयोग कर प्रदर्शन करते हैं । (स्रोत : विकीपीडिया)

फैशन शो का सबसे पहला उल्लेख १९ वीं शताब्दी में पाया जाता है, जो पैरिस में हुआ था और पश्चात यूएसए तथा अन्य देशों में फैला । वर्ष १९७० और १९८० के दशकों में फैशन शो विश्वभर के अनेक शहरों में बडी संख्या में आयोजित होने लगे । वर्ष २००० से आजतक फैशन शो का चित्रीकरण कर उन्हें विशिष्ट टीवी चैनलों पर अथवा वृत्तचित्रों में प्रदर्शित किया जाने लगा । फैशन शो घर-घर में टीवी पर प्रसारित किए जाते हैं तथा उनका आयोजन जलपानगृहों, मद्यालयों, हवाईअड्डों पर भी किया जाता है । फैशन शो का प्रक्षेपण किए जाने से लोग उन्हें देखते हैं । कभी-कभी समय निकालकर भी देखते हैं । पिछले कुछ वर्षों में फैशन शो लगातार अति तामसिक होते जा रहे हैं । इससे लाखों दर्शकों पर स्थूल एवं सूक्ष्म से अनिष्ट प्रभाव पडता है । फैशन शो तथा प्रसार माध्यमों के कारण कुछ मॉडल्स को सुपर मॉडल्स की श्रेणी प्राप्त हुई है और पूरे विश्व में उन्हें चलचित्र कलाकार एवं गायकों समान सेलिब्रिटी का सम्मान मिलने लगा है । किंतु मॉडलिंग व्यवसाय में काम करनेवाले सहस्रों युवाओं में सुपर मॉडल्स अत्यंत अल्प संख्या में हैं ।

फैशन शो का विश्वव्यापी बोलबाला होने से हमने आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से इनका शोध करने का निश्चय किया ।

२. फैशन शो का स्थूल प्रभाव

फैशन के निर्माताओं ने पिछले कुछ वर्षों में रूढि प्रस्थापित की है कि फैशन शो में वस्त्र परिधान करनेवाली लडकियों को बहुत पतला होना चाहिए । इनमें से कुछ लडकियां स्वास्थ्य की दृष्टि से दुर्बल तथा शक्तिहीन दिखती हैं ।

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लाखों लोग फैशन शो देखते हैं । परिणामस्वरूप युवतियों में ऐसी विचारधारा प्रचलित हो रही है कि बहुत पतला होना सुंदरता का लक्षण है । वे फैशन शो के मॉडलों की भांति वेशभूषा करने का प्रयत्न करती हैं । पतले रहने के प्रयास में इनमें से कुछ क्षुधानाश अथवा क्षुधातिशयता से पीडित हो गई हैं ।

फैशन निर्माताओं तथा मॉडलिंग एजेंसियों की अपेक्षानुसार सांचाबद्ध शरीर के लिएकुछ मॉडल्स भूखे रहने लगे हैं । विश्वभर में होनेवाले फैशन वीक की भाग-दौड भरी जीवनशैली के कारण मॉडल्स अत्यल्प खाते एवं सोते हैं । कुछ समय पश्चात कुछ व्याधिग्रस्त हो जाते हैं और उन्हें व्यवसाय छोडना पडता है । अपेक्षित सुडौलता नष्ट होने पर उनका मॉडलिंग व्यवसाय समाप्त हो जाता है ।

३. फैशन शो का मानसिक स्तर पर प्रभाव

३.१ दर्शकों पर

जो लोग फैशन शो देखते हैं, अपनी तुलना मॉडल्स के साथ करने लगते हैं और उनकी भांति जीवनशैली की इच्छा रखने लगते हैं । अधिकतर प्रसंगों में यह संभव नहीं होता और वे निराशा में चले जाते हैं । लोग यह नहीं समझते हैं कि मॉडलिंग का व्यवसाय अत्यंत कठिन है । कीर्ति और महिमा के पीछे जो जीवनशैली होती है, वह किसी के भी लिए अच्छी नहीं होती ।

‘‘लोग सुख चाहते हैं, परंतु आनंद सर्वोच्च स्तर का सुख होता है । हम क्या चाहते हैं, इस पर यह निर्भर होता है – स्थायी सुख और आनंद अथवा सुख और सुखोपरांत दुःख ? ईश्वर आनंदस्वरूप होते हैं – वहां दुःख होता ही नहीं ।’’ – परम पूजनीय डॉ.आठवले


३.२ मॉडल्स पर

सामान्यतः मॉडल्स सुंदर युवक एवं युवतियां होते हैं, इसलिए कुछ अनैतिक और धनवान लोग उनकी ओर आकर्षित होते हैं । कुछ मॉडल्स पार्टियां, स्वच्छंद संभोग, नशीले पदार्थों का उपयोग और स्वैराचार के प्रलोभन में पड जाते हैं ।

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एक मॉडल की मां ने हमें बताया :

नैतिक दृष्टि से अत्यंत घातक ऐसे व्यवसाय में अपनी बेटी के साथ रह सकूं, इसलिएमैं अपनी मॉडल बेटी के साथ यात्रा कर रही थी । एक रात मिलान, इटली के एक क्लब के बाहर वह खडी हो गई । वह उस क्लब को भीतर से देखना चाहती थी । वह १७ वर्ष की थी और उसका मन बहुत शुद्ध था । उसके साथ रहने के लिए और ऐसा न लगे कि मैं उसकी मां हूं, मैंने भी युवती समान वेशभूषा की । जैसे ही हमने क्लब में प्रवेश किया मुझे मितली सी आने लगी । क्लब मॉडलों से खचाखच भरा था । वयस्क लोग उन्हें अपना भक्ष्य करने के प्रयास में थे । इससे मुझे बहुत घृणा होने लगी । मॉडल्स मद्यपान कर रहे थे, मारिजुआना (नशीला पदार्थ) की गंध पूरे वातावरण में फैली थी । कुछ मॉडल्स क्लब के दूरस्थ भाग में सार्वजनिक संभोग में लगे थे । ५ ही मिनटों में मेरी बेटी ने मुझे बाहर ले जाने के लिए कहा और पुनः न आने के निश्चय कर हम वहां से निकल पडे ।

मॉडलिंग एजेंसीज के गुप्तचर होते हैं, जो विश्व में सर्वत्र मॉडल्स की खोज में रहते हैं । कभी-कभी वे बेलारूस, रूस, युक्रेन, ब्राजिल, अर्जेंटिना जैसे दूरस्थ देशों में आगामी फैशन वीक के लिए नए चेहरे खोजने के प्रयास में रहते हैं । कुछ प्रसंगों में उन्हें मिली लडकियां केवल १३-१४ वर्ष की होती हैं । इन लडकियों तथा उनके अभिभावकों को आश्वस्त किया जाता है कि मॉडलिंग एजेंसियों में लडकियों को सुरक्षित रखा जाएगा । कुछ लडकियां इतनी निरीह होती हैं कि वे इस व्यवसाय में उतरने से होनेवाले दुष्परिणामों से अनभिज्ञ होने के कारण अपने घर एवं देश को छोडकर मॉडल का जीवन व्यतीत करने चली जाती हैं ।

एक बार एजेंसियों के नियंत्रण में जाने पर लडकियां एक प्रकार से उनकी दास्यता में तबतक चली जाती हैं, जबतक छायाचित्र, मॉडलिंग बुकनिवासस्थान, परिधान आदि पर एजेंसियों का किया व्यय एजेंसी को वापस नहीं किया जाता । कभी-कभी एजेंसियों द्वारा किए निवेश की राशि लौटाने में लडकियों को कई वर्ष लगते हैं । यदि मॉडल्स को अच्छा काम नहीं मिलता, तो उनमें एजेंसियों की रुचि अल्प हो जाती है और उनको उनके हाल पर छोड दिया जाता है । कई लडकियां अपने घरवालों के स्मरण में रात भर रोती रहती हैं । अपनेआप को मॉडलिंग के इस प्रतिकूल विश्व में खो जाने का अनुभव करती हैं । इससे उनका मन स्थायी रूप से आहत हो जाता है । कुछ कलंकित, दुःखी और निर्धन होकर घर चली जाती हैं । छोटी आयु में ही कई लडकियां मॉडलिंग आरंभ करती हैं । इसलिए उनकी विद्यालयीन शिक्षा भी पूरी नहीं होती । इससे उन्हें नया व्यवसाय ढूंढने अथवा समाज के साथ मेल खाने के लिए अपनेआप को खो देना पडता है ।

समय के साथ तथा वृद्धावस्था की ओर झुकने से कई मॉडल इस व्यवसाय के पात्र नहीं रह जाते । परिणामस्वरूप सौंदर्य के अपने तथा मॉडलिंग विश्व के मापदंडों को पूरा नहीं कर पाते और अत्यधिक दुःखी होते जाते हैं ।

४. फैशन शो का आध्यात्मिक प्रभाव

फैशन शो आगामी सीजन की नवीनतम प्रचलन प्रस्थापित करते हैं । अनिष्ट शक्तियां फैशन निर्माताओं के मन को प्रभावित करती हैं । परिणामस्वरूप वस्त्रों के साथ फैशन शो भी आजकल अत्यंत तामसिक (नकारात्मक) होते जा रहे हैं ।

‘‘दृश्य को देखने वाला (द्रष्टा) दृश्य में बद्ध (प्रभावित) हो जाता है ।’’ - परम पूजनीय डॉ.आठवले

अनिष्ट शक्तियां उनकी काली और मावायी शक्ति का उपयोग कर लोगों को तामसिक वस्त्र परिधान करने हेतु प्रलोभित करती हैं । ऐसे वस्त्र परिधान किए लोग सहजता से अनिष्ट शक्तियों के भक्ष्य बन जाते हैं । कुछ आविष्ट भी हो जाते हैं । फैशन शो और उनके प्रभाव के कारण यौन इच्छाएं भी बढती हैं ।

इनका अन्य प्रभाव ऐसा होता है कि मॉडल्स, फैशन के निर्माता तथा लोग जो इसका अनुसरण करते हैं; इन सभी का अहंकार बढता है । इसीलिए मॉडलिंग विश्व को दांभिक विश्व कहा जाता है । अहंभाव बढने के साथ दुःख भी बढने लगता है और व्यक्ति आनंद से अर्थात चिरकालीन सुख, जिसकी हम सभी कामना करते हैं, और भी वंचित हो जाता है ।

कौन प्रभावित होता है

अनिष्ट शक्ति का प्रभाव (प्रतिशत में)

अहंकार बढना
(प्रतिशत में)

फैशन डिजाइनर

मॉडल्स

फैशन शो के आयोजन में अंतर्भूत लोग

दर्शक

०.७५

*उपर्युक्त आंकडे एक कार्यक्रम के लिए ही लागू हैं ।

‘‘भुवर्लोक मॉडल्स से भरा रहता है ।’’ – परम पूजनीय डॉ. आठवले

कई बार फैशन शो में टेक्नो अथवा हेवी मेटल जैसा तामसिक (नकारात्मक) संगीत लगाया जाता है । साथ ही प्रकाश एवं धुएं का उपयोग कर उसे और भयानक बनाया जाता है । इससे फैशन शो का वातावरण नरक समान हो जाता है । इससे स्पष्ट होता है कि कितनी सारी अनिष्ट शक्तियां लोगों के मन को प्रभावित करती होंगी । फैशन के निर्माता और मॉडल्स को कई बार अनिष्ट शक्तियों के कष्ट होते हैं ।

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५. फैशन शो द्वारा प्रस्थापित प्रचलन का अनुसरण करने की वृत्ति को पराजित कैसे करें

योग्य-अयोग्य का चयन, व्यक्ति अथवा वस्तु द्वारा प्रक्षेपित स्पंदन अच्छे हैं अथवा बुरे, आदि समझने के लिए साधना आवश्यक है । अध्यात्म के छः मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार साधना करने से अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित जीवनशैली से बचकर सात्त्विक (आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध, सकारात्मक) जीवनशैली अपनाना संभव होता है ।

SSRF में दो साधक ऐसे हैं, जो मॉडल्स रह चुके हैं और उनकी आध्यात्मिक उन्नति हुई हैं । उनमें से एक का आध्यात्मिक स्तर ८० % से अधिक है तथा वे सद्गुरु हैं, जबकि दूसरे का आध्यामिक स्तर ६० % से अधिक है ।

SSRF के संत सद्गुरु सिरियाक वालेजी और श्रीमती योया वालेजी का हमारे पाठकों को संदेश

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सद्गुरु सिरियाक वालेजी : फैशन विश्व हमारी कल्पना से भी अधिक हानिकारक होता है । यह एक मायावी स्वप्न है,  जो हमें मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर प्रभावित करता है । इस स्वप्न से जीवन की वास्तविकता में वापस आने में कई वर्ष लगते हैं, एक मॉडल के रूप में मैंने यह अनुभव किया है । इस विश्व में लोग आपके केवल बाह्यांग को देखते हैं । मॉडल के अंतर्मन की स्थिति का कोई महत्त्व नहीं होता । मॉडलिंग एजेंसियों को इससे कोई लेना-देना नहीं होता ।

लोग भी मुझसे कहा करते थे,  वाह ! आप तो मॉडल हैं, यह बहुत ही अच्छा होगा.. प्रत्यक्ष में प्रसारमाध्यम इससे एक परीकथा बनाते हैं, जो कभी सत्य नहीं होती ।

मॉडल को लगता है कि मैं महत्त्वपूर्ण हूं, लोग मेरी ओर देखें और वह अपनी ओर अधिक ध्यान देने लगता है कि मैं कैसा दिख रहा हूं, लोग मेरे विषय में क्या सोचेंगे, भीतर की ओर देखेने की अपेक्षा मॉडल बाह्यविश्व में खो जाता है । मॉडलिंग छोडकर मैं जब सामान्य नौकरी कर सामान्य जीवन व्यतीत करने लगा, तब मुझे अधिक अच्छा लगा । मॉडलिंग करते-करते मैंने १९९९ में साधना आरंभ की । जैसे ही मेरी साधना बढने लगी, मुझे अधिक सुख एवं आनंद का अनुभव होने लगा ।

आध्यात्मिक विश्व मॉडलिंग से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है । साधना ही हमें भीतर से आनंद का अनुभव करने तथा अधिक अच्छा जीवन व्यतीत करने में सहायक होती है ।

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श्रीमती योया वालेजी : एक बार जब मैं पैरिस में फैशन शो कर रही थी, मुझे काले वस्त्र पहनने पडे । यह बहुत नकारात्मक दिख रहा था और मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था । शो के उपरांत मुझे लगने लगा कि मैं एक अलग व्यक्ति हूं । पश्चात मुझे ज्ञात हुआ कि मैं कितनी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई थी । सामान्य स्थिति में आने में मुझे बहुत समय लगा ।

साधना आरंभ करने से पहले मैं बहुत लोकप्रिय होना चाहती थी और मेरी वैसी महत्त्वाकांक्षा भी थी । (मॉडलिंग करते-करते मैंने १९९८ में साधना आरंभ की ।) मॉडलिंग बंद करने के उपरांत मुझे इस नकारात्मक अनुभव से मुक्त होने में कुछ समय लगा । तब मेरी समझ में आया कि मॉडलिंग से मुझे अच्छा नहीं लग रहा था । साधना से मुझे आनंद मिलने लगा, जो सुख से भी अधिक ऊंचे स्तर का था ।

यदि हम कोई परामर्श देना भी चाहते हैं, तो यह है कि मॉडलिंग बाहर से कितना भी आकर्षक लगता हो, वह सुख की अपेक्षा दुख ही उत्पन्न करता है । मॉडलिंग व्यक्ति का अहंकार बढाता है और इससे बाहर आने के लिए कई वर्ष लगते हैं । लोगों की सोच की तुलना में आध्यात्मिक दृष्टि से यह बहुत हानिकारक है ।


६. सारांश

  • फैशन शो एक तामसिक (नकारात्मक) कार्यक्रम है, जो लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है ।
  • फैशन शो देखने तथा फैशन के प्रचलन का अंधानुकरण करने से बचना चाहिए ।
  • फैशन शो से मिलनेवाले मायावी सुख की अपेक्षा नियमित साधना करने से हमें आनंद की प्राप्ति होगी ।