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१. अंग-छेदन – एक परिचय

आजकल लोगों के लिए विभिन्न अंग छिदवाकर वहां अलंकार धारण करना सामान्य सी बात है और स्त्री, पुरुष, बच्चे सभी में इसकी बढती प्रवृत्ति हम देख सकते हैं । अंग छिदवाने के विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक अथवा व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं । अंग छेदन अधिकतर सौंदर्य को निखारने की दृष्टि से किया जाता है; परंतु हमें इस बात का बोध नहीं है, कि यदि वह अयोग्य स्थान पर किया गया हो, तो इसका हानिकारक प्रभाव भी हो सकता है । जब उचित स्थान पर सूचीदाब बिंदु के अनुसार अंग छेदन किया जाता है, तो हमें इसके सकारात्मक आध्यात्मिक लाभ मिल सकते हैं ।

स्पिरिच्युअल साइंन्स रिसर्च फाऊंडेशन (SSRF) में हमने यह आध्यात्मिक   शोध किया कि नाक एवं कान छेदने की तुलना में देह के अन्य भागों को छिदवाने का व्यक्ति पर आध्यात्मिक दृष्टि से क्या प्रभाव पडता है ।

२. नाक एवं कान छेदने का आध्यात्मिक प्रभाव

हमारे आध्यात्मिक शोध से ज्ञात हुआ कि कान की पालि (निचला भगा) और नाक के बाएं भाग को छिदवाकर वहां अलंकार धारण करने से हमें आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है ।

कान एवं नाक के बिंदुओं पर दबाव पडने से सूचीदाब (एक्यूप्रेशर) उपचार पद्धति का लाभ होता है । इस उपचार से शरीर के उस भाग में विद्यमान कष्टदायक शक्ति घट जाती है ।

३. आध्यात्मिक रूप से हानिकारक अंग छेदन के स्थान

शरीर में जो भाग छेदन की दृष्टि से हानिकारक हैं, वे हैं – भौंह, मुंह, जीभ और चेहरे अथवा शरीर के अन्य भाग । नीचे दिया सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र ऐसे स्थानों पर छेदन के प्रभाव दर्शाता है ।

३.१ भौहों के छेदन का नीचे दिया सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र

सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित निम्न चित्र SSRF की साधिका पू. श्रीमती योया वाले ने अपनी विकसित छठवीं इंद्रिय द्वारा बनाया है ।

पू. श्रीमती योया वाले के पास सूक्ष्म आयाम को देखने की शक्ति है और वे अपनी साधना एवं सत्सेवा के रूप में सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र बनाती हैं ।

नीचे दिया सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र भौहों को छिदवाने का प्रभाव दर्शाता है ।

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सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र के माध्यम से हम निम्नलिखित बिंदु समझ सकते हैं –

  • भौंहों के छेदन से व्यक्ति का देहभान बढता है, जिससे उसका अहं बढता है । अहं के वलय सक्रिय होकर व्यक्ति से प्रक्षेपित होने लगते हैं ।
  • उस व्यक्ति से आकर्षक तथा मायावी शक्ति की तरंगें प्रक्षेपित होती हैं तथा जब अन्य लोग उसकी ओर देखते हैं, तो ये तरंगें उन्हें सकारात्मकता अनुभव कराती हैं ।
  • अंग छेदन से कष्टदायक शक्ति छेदन किए स्थान की ओर आकर्षित होकर व्यक्ति के सर्व ओर सूक्ष्म आवरण निर्माण करती है ।
  • यदि जीभ, मुंह अथवा शरीर के किसी अन्य भाग का छेदन किया जाता है तब भी यही प्रभाव होता है ।

४. सारांश – अंग छेदन का आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य

इस विषय का अध्ययन करने के उपरांत हम निम्नलिखित निष्कर्ष पर पहुंचते हैं –

  • योग्य स्थान जैसे कान की पालि अथवा नाक के बाएं भाग के छेदन से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी अनेक आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं तथा उसका अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत , पिशाच आदि) से रक्षण होता है ।
  • भौंहें, मुंह अथवा जीभ के छेदन से कोई आध्यात्मिक लाभ नहीं होता अपितु छेदन करवानेवाले व्यक्ति को कष्ट ही होता है ।

अपने दैनिक जीवन की विविध गतिविधियों का हम पर क्या प्रभाव पडता है, यह समझना महत्वपूर्ण है । सात्त्विक स्पंदन बढानेवाली विधियों का पालन सुनिश्‍चित करने से हमें आध्यात्मिक लाभ होता है । साथ ही वातावरण में विद्यमान कष्टदायक शक्तियों से हमारा रक्षण होता है ।