सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक

१. परिचय

अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) के पदक्रम में सूक्ष्मरूपी मांत्रिक सर्वोच्च शिखर पर हैं । सामान्य अनिष्ट शक्ति जिसकी शक्ति १ ईकाई होती है, उसकी तुलना में इनकी तुलनात्मक शक्ति १००, ००० ईकाई से लगभग अनंत तक होती है । संदर्भ हेतु देखें लेख ‘अनिष्ट शक्ति के प्रकार’

मांत्रिक अत्यधिक शक्तिशाली होते हैं । सर्वोच्च सूक्ष्मरूपी मांत्रिक की शक्ति र्इश्वर के निर्गुण रूप के समान होती है । वे अपनी सर्वोच्चता (अर्थात अधर्म) स्थापित करने के उद्देश्य से सभी सूक्ष्म-लोकों तथा पृथ्वी पर सदैव कार्यरत रहते हैं ।

इसे स्थापित करने हेतु वे सत्यलोक सहित सभी सकारात्मक लोकों के सर्वोच्च उन्नत लोगों से संघर्ष कर रहे हैं । वे अन्य प्रकार की अनिष्ट शक्तियों के माध्यम से कार्य करते हैं, जिन्हें वे दास के रूप में उपयोग करते हैं । उनके पास उत्कृष्ट सूक्ष्म स्तरीय आधारभूत संचार व्यवस्था होती है, जिससे सर्व प्रकार की अनिष्ट शक्तियां आंतरिक रूप से जुडी रहती हैं । जिस क्षण किसी अनिष्ट शक्ति को आध्यात्मिक काली शक्ति की आवश्यकता होती है, उसके आगे के पदक्रम की अनिष्ट शक्ति अपनेआप उसे उपलब्ध कराती है । अंत में जब सर्वोच्च स्तर की दास अनिष्ट शक्ति पराजित होनेवाली होती है, तब सूक्ष्म-मांत्रिक प्रत्यक्ष आता है, वह भी निम्न स्तरका और केवल अतिरिक्त काली शक्ति प्रदान करने के लिए ।

चूंकि सूक्ष्म-स्तरीय मांत्रिक अनिष्ट शक्तियों में संभ्रांत होते हैं, इसलिए वे पृथ्वी के सामान्य मनुष्यों को तंग करने के फेर में नहीं पडते । कभी कभी वे उन लोगों को आविष्ट करते हैं, जो पूर्व से ही युद्ध तथा नरसंहार के माध्यम से मानवता का पतन करने हेतु सक्रिय हैं । मानवजाति में अध्यात्म की पुर्नस्थापना हेतु सक्रिय रूप से समर्पित संत तथा साधक भी उनके लक्ष्य होते हैं । पंचतत्वों में हेर-फेर कर वे बाढ, त्सुनामी तथा भूकंप लाने में सक्षम हाेते हैं ।

अतः समाज का एक नगण्य भाग ही मांत्रिकों से प्रत्यक्ष रूप से आविष्ट अथवा प्रभावित होता है । यही कारण है कि हमने अपने लेख अनिष्ट शक्ति के प्रकार में उनके द्वारा प्रभावित समाज के लोगों की प्रतिशत मात्रा को शून्य दिखाया है । तथापि सामान्य रूप से ब्रह्मांड एवं विशेष रूप से मानवजाति पर उनके असीम प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, विशेषत:वर्तमान समय से वर्ष २०२५ तक को देखते हुए, हमने सूक्ष्म-मांत्रिकों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी है ।

२. सूक्ष्म-ज्ञान के आधार पर सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक का चित्र

HIN-Mantrik

कृपया ध्यान दीजिए, यह मात्र एक कच्चा दिशानिर्देश है, चूंकि अनिष्ट शक्तियां अपने हेतु के आधार पर कोई भी रूप ले सकती हैं ।

३. सूक्ष्म-मांत्रिक की मुख्य विशेषताएं

३.१ सूक्ष्म-मांत्रिकों का निवास स्थान

अनिष्ट शक्ति उस परिवेश में निवास करती है, जहां की तरंगें उनके उद्गम स्थल सूक्ष्म-पाताल की तरंगों के समान हों अथवा वहां के रज-तम उनसे मेल खाते हों । सूक्ष्म-मांत्रिक दूसरे पाताल से आगे के लोकों में निवास करते हैं ।

३.२ सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिकों की भौतिक विशेषताएं

  • सूक्ष्म-मांत्रिक के उद्देश्य पूर्ति के आधार पर तथा वे अपने आप को कितना प्रकट स्वरूप में दिखाना चाहते है, उसके आधार पर कोई भी रूप ले सकते हैं । वे भौतिक रूप में भी प्रकट हो सकते हैं तथा मानव अथवा जानवर का भी रूप ले सकते हैं ।
  • अपनी असीम आध्यात्मिक शक्ति के कारण वे अपने सर्व ओर संत के समान प्रभामंडल बना सकते हैं ।

३.३ सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिकों की मानसिक विशेषताएं

  •  सूक्ष्म-मांत्रिक बहुत चतुर तथा षडयंत्र रचने में अत्यधिक कुशल होते हैं ।
  •  वे अपने रहस्यों की रक्षा बहुत ध्यान से करते हैं ।
  •  वे अन्यों द्वारा की जानेवाली विधियों की सूक्ष्मतम जानकारी सीख लेते हैं;किंतु आध्यात्मिक शक्ति पाने हेतु स्वयं द्वारा की जानेवाली विधियों के संदर्भ में किसी को कोई जानकारी नहीं देते ।
  • ध्यान के समय किसी भी विचार पर ध्यान केंद्रित कर वे कोई भी कार्य कर सकते हैं ।
  • वे अपने उद्देश्यों को आगे बढाने के अनुकूल स्थान के लोगों पर पूर्ण नियंत्रण पाने का प्रयास करते हैं ।

३.४ सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिकों की आध्यात्मिक विशेषताएं

३.४.१ साधना

  • ध्यान में घटों बैठना : सूक्ष्म-मांत्रिक ध्यान के माध्यम से असीम नकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति निर्मित करता है ।
  • तेजतत्व का प्रयोग करना : वे विभिन्न मुद्राओं के माध्यम से काली शक्ति आत्मसात करने के लिए तेजतत्व का प्रयोग करते हैं । प्राप्त काली शक्ति को वे संबंधित मुद्राओं की सहायता से इच्छित दिशाओं में संक्रमित करते हैं ।
  •  तंत्र एवं मंत्रों में कुशल होना : वे मंद स्वर में मंत्रों का उच्चारण करते हैं तथा बोली के माध्यम से वे काली शक्ति के केंद्र को अपने शरीर में सक्रिय करते हैं । वे तांत्रिक विधियों में भी अति कुशल होते हैं । तंत्र विद्या सांसारिक उद्देश्यों के लिए आध्यात्मिक शक्ति को उपयोग में लाने का शास्त्र है ।
  • मायावी विद्या के जानकार : वे ध्यान के माध्यम से मायावी रूप धारण करते हैं ।

३.४.२ अन्य आध्यात्मिक विशेषताएं

  • ध्यान के समय किसी विचार पर ध्यान केंद्रित कर लोगों को प्रभावित करना : सूक्ष्म-मांत्रिक ध्यान के समय किसी व्यक्ति को प्रभावित करने के विचार पर ध्यान केंद्रित करते हैं तथा इस प्रकार उस व्यक्ति के माध्यम से अपनी इच्छानुसार कार्य करवा लेते हैं ।
  •  आसुरी आनंद लेना : सामाजिक व्यवस्था को बिगाडकर वे आसुरी आनंद लेते हैं ।

. सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक मनुष्यों को कैसे प्रभावित करते हैं ?

सूक्ष्म-मांत्रिक मनुष्य को निम्नांकित प्रकार से प्रभावित करते हैं :

४.१ वातावरण के माध्यम से

  • सूक्ष्म-मांत्रिक वायुमंडल के तापमान में असंतुलन निर्मित कर अत्यधिक आकुलता (बेचैनी) निर्मित करते हैं ।
  • वे वातावरण को रज-तम प्रधान बनाकर अपनी काली शक्ति से भर देते हैं एवं इस प्रकार वातावरण को विनाशकारी असामाजिक गतिविधियों के अनुकूल बना देते है ।

४.२ भौतिक स्तर पर

  • सूक्ष्म-मांत्रिक मानवजाति को किसी भी प्रकार का शारीरिक कष्ट दे सकते हैं ।
  • ये विषाणुओं के उत्परिवर्ती उपभेदों (म्यूटेंट स्ट्रेंस) को उत्पन्न कर सकते हैं, जो महामारी फैला सकते हैं ।

४.३ मानसिक स्तर पर

  • प्रभावित लोगों के मन में असामाजिक विचार डालना
  • कोई भी अस्तित्व नहीं है ऐसा अनुभव

४.४ आध्यात्मिक स्तर पर

  • समाज में अधर्म बिंबित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करना
  • ये समाज के मुख्य लोगों को आविष्ट करते हैं । ये लोग प्रायः दिनभर प्रकट रहते हैं तथा सूक्ष्म-मांत्रिक के दिशानिर्देशों के अनुसार समाज के लिए निर्णय लेते हैं ।

. उपचार

केवल ९५ प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के संत तथा सकारात्मक शक्तियां ही प्रभावी रूप से सूक्ष्म-मांत्रिकों से युद्ध कर सकती हैं ।

. सारांश

  • सूक्ष्म-मांत्रिक अनिष्ट शक्तियों के पदक्रम में सर्वोच्च स्तर पर होते हैं।
  • वे अत्यधिक शक्तिशाली होते हैं इसलिए साधारण लोगों को प्रभावित अथवा आविष्ट करने की इच्छा नही रखते । तथापि वे उन लोगों को प्रभावित अथवा आविष्ट करते हैं जो रज-तम से भरे हों तथा मानवता को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे आतंकवादी अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेता इत्यादि । वे सामूहिक विनाश हेतु अस्त्र के रूप में उनका उपयोग करने के दृष्टिकोण से ऐसा करते हैं अथवा इससे वे पूरे विश्व को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते है, जैसे विश्वयुद्ध के लिए उद्युक्त करना ।
  • उनका आवेशन अत्यधिक घातक तथा अन्य किसी की समझ से बहुत सूक्ष्म होता है । अति उच्च स्तरीय विकसित छठवीं इंद्रिय प्राप्त अथवा ९० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के साधक ही इसे समझ सकते हैं ।
  • प्राकृतिक आपदाएं; जैसे सुनामी, भूकंप से नरसंहार करने के लिए वे अत्यधिक सहायक होते हैं ।
  • वे सर्वोच्चता स्थापित करने के सूक्ष्म स्तरीय युद्ध में सदैव उलझे रहते हैं । यह युद्ध विभिन्न सकारात्मक लोकों में लडा जाता है । यह युद्ध कालचक्र के सबसे छोटे कालखंड में सर्वाधिक तीक्ष्ण होता है । वर्तमान में हम ऐसे ही एक कालखंड में हैं ।
  • ९५ प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के संत, जो ईश्वर के निर्गुण स्तर पर कार्यरत होते हैं, वही उन्हें पराजित अथवा नष्ट कर सकते हैं ।
  • पराजित होने पर वे पाताल की गहराइयों में स्थित गुप्त स्थानों में शरण लेते हैं । वहां जाकर वे अपनी आध्यात्मिक शक्ति पुनः प्राप्त करने हेतु गहन ध्यान साधना में लिप्त हो जाते हैं ।
  • यह सदियों तक चलता है, इच्छित शक्ति प्राप्त होने के उपरांत वे पुनः सकारात्मक लोकों पर आक्रमण करने के लिए पुर्नजीवित हो उठते हैं ।
  • अत्यधिक नकारात्मक व्यक्तित्व जैसे अत्यधिक द्वेष करनेवाले, विशेषकर समाज के प्रति अथवा धार्मिक कट्टरपंथी सूक्ष्म-मांत्रिकों के लक्ष्य बनने के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं । वे नरसंहार करने में सूक्ष्म-मांत्रिकों के हाथों की कठपुतली बन जाते हैं । पीडित को ज्ञात भी नहीं होता कि वह भूतावेश से युक्त है ।
  • अध्यात्म के छःह सिद्धांतों के अनुसा तीव्र साधना तथा स्वभाव दोष निर्मूलन एवं अहं निर्मूलन ही सूक्ष्म-मांत्रिकों से ईश्वर की सर्वोच्च स्तर की सुरक्षा पाने हेतु साधन है ।
  • ९० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के गुरु की कृपा प्राप्त करना ही सूक्ष्म-मांत्रिकों के कष्ट से बचने का रामबाण उपाय है ।