ऐसा कहा जाता है कि हमारे पूर्वज कभी-कभी हमारी सहायता करते हैं, क्या यह सत्य है ?

अनेक लोगों और संस्कृतियों द्वारा माना जाता है कि उनके पितर उनका ध्यान रखते हैं तथा उनके जीवन में सहायता भी करते हैं ।

SSRF द्वारा किया गया आध्यात्मिक शोध इस वास्तविकता की पुष्टि करता है कि हमारे पूर्वज हमारी सहायता कर सकते हैं । सहायता की मात्रा तथा गुणात्मकता भूलोक में वास्तव्य के समय की उनकी प्रवृत्ति एवं उनके आध्यात्मिक स्तर पर निर्भर करती है। पूर्वज जो निम्न आध्यात्मिक स्तर के हैं, वे अधिक आध्यात्मिक स्तर के पूर्वज की तुलना में अल्प सहायता कर सकते हैं । आध्यात्मिक स्तर जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक मात्रा में सकारात्मक सहायता संभव है।

लगभग सभी प्रकरणों में, जो सहायता, पूर्वज अपने वंशजों को प्रदान करना चाहते हैं, वह भौतिक स्तर की होती है ।

उदाहरण के लिए :

  • एक पूर्वज, साक्षात्कार लेनेवाले के मन में, अपने वंशज को नौकरी हेतु चुनने का सुझाव डालकर अपने वंशज की सहायता कर सकता है ।
  • किसी युवती को यदि कोई पुरुष पसंद है तो पूर्वज उस पुरुष के मन में उस युवती के विषय में विचार डाल कर उसका प्रेमी बनवा सकता है ।
  • पूर्वज पूर्वाभास की सहायता से संभावित दुर्घटना को जानकर, अपने वंशज को घर से प्रस्थान करने में विलंब करने का प्रयत्न कर, उसे दुर्घटना से बचाने का प्रयास कर सकते हैं ।

पूर्वज, अपने वंशजों की सहायता कर, वस्तुतः अपने वंशजों का मोह भौतिक सुख की ओर बढाते हैं तथा साथ ही साथ स्वयं को भी अटका लेते हैं । पूर्वज अपने वंशजों की एक ही उचित सहायता कर सकते हैं, और वह है उन्हें साधना करने की आवश्यकता से परिचित कराना । ५०% से अधिक मानवजाति का आध्यात्मिक स्तर ३०% से अल्प है । इसलिए उनका आध्यात्मिक बल भी अल्प है । इन पूर्व जों को अपने वंशजों की सहायता करने में अधिक कठिनाई होती है। कभी-कभी मांत्रिक और उच्च स्तर की अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) ) हमारे निम्न आध्यात्मिक स्तर के दिवंगत पूर्वज को अपने जाल में फंसाकर उन्हे कष्ट दे सकती हैं । ऐसे समय में उनके मन में केवल अपने अस्तित्व की रक्षा के और मांत्रिकों द्वारा दिए जा रहे कष्ट से छुटकारा पाने के विचार रहते हैं ।

पूर्वज यदि वास्तव में अपने वंशज की सहायता करने की मन:पूर्वक इच्छा रखते हैं, तो भी उनकी स्थिति कांच के पिंजरे में कैद होने समान होती है । वे अपने वंशजों की दुर्दशा देख सकते हैं किंतु उन्हें संकटों से सतर्क करने हेतु उचित समय पर सहायता नहीं कर पाते । यह निम्न दो कारणों में से किसी एक कारण से हो सकता है :

  • पूर्व जों द्वारा भेजे गए संकेतों को वंशज न ही प्राप्त कर पाते हैं अथवा न ही समझ पाते हैं एवं उनमें विश्वास नहीं करते ।
  • पूर्व जों की आध्यात्मिक शक्ति सहायता के आवश्यकता की तुलना में अल्प होती है।

उदा. एक दिवंगत पिता अपने पुत्र को स्वप्न द्वारा एक व्यापारिक कार्यवाही (business deal) में हस्ताक्षर करने की विपदा से सतर्क करता है । परंतु पुत्र स्वप्नों द्वारा मिले संकेतों को अपने कार्यवाही से जोड नहीं पाता और यदि कर पाए, तो वह उस संकेत को पर्याप्त महत्व न देते हुए संकेत की अनदेखी कर देगा।

अन्य प्रकरण में, एक दिवंगत माता अपने पुत्र को ड्रग्स की लत लगते हुए असहाय भाव से देखती है । वह लत का मूल कारण समझ पा रही है कि सूक्ष्म मांत्रिकों द्वारा यह आदत लगवाई जा रही है , परंतु उसका पुत्र एवं समाज इससे अनभिज्ञ है । उस माता की आध्यात्मिक शक्ति सूक्ष्म मांत्रिक से अल्प है इसलिए वह असहाय दर्शक की भांति देखने हेतु विवश रहती है ।