नामजप से निराशा सहित विभिन्न समस्याओं पर विजय प्राप्त करना

SSRF द्वारा प्रकाशित प्रकरण- अध्ययनों (केस स्टडीस) का मूल उद्देश्य है, उन शारीरिक अथवा मानसिक समस्याओं के विषय में पाठकों का दिशादर्शन करना, जिनका मूल कारण आध्यात्मिक हो सकता है । यदि समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक हो, तो यह ध्यान में आया है कि सामान्यतः आध्यात्मिक उपचारों का समावेश करने से सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं । SSRF शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं के लिए इन आध्यात्मिक उपचारों के साथ ही अन्य परंपरागत उपचारों को चालू जारी रखने का परामर्श देता है । पाठकों के लिए सुझाव है कि वे स्वविवेक से किसी भी आध्यात्मिक उपचारी पद्धति का पालन करें ।

सारांश:

इयान (आयु ३१ वर्ष) बचपन से ही अनेक समस्याओं से जूझ रहा था । यह तब तक चलता रहा, जब तक वह स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन (SSRF) के एक साधक से नहीं मिला । साधक ने उसे समझाया की किस तरह जीवन की इन समस्याओं पर साधना से विजय प्राप्त कर सकते हैं । इयान की समस्याएं और किस प्रकार साधना, उन पर विजय प्राप्त करने में उसकी सहायता कर रही है, इसका वर्णन उसके अपने शब्दों में इस प्रकार है ।

उसका वास्तविक नाम इयान नहीं है और गोपनीयता हेतु इस नाम का प्रयोग किया गया है ।

१. बचपन से विभिन्न कठिनाइयां

अपने बचपन (आयु ४ वर्ष) से ही मैंने विविध प्रकार के मानसिक कष्टों का अनुभव किया है । मैं ऐसी वस्तुओं को देख सकता था जो दूसरे नहीं देख पाते थे । एक संध्याकाल, मैंने दो व्यक्तियों को हमारे अपार्टमेंट के एक कक्ष में प्रवेश करते देखा । मैंने इसके संदर्भ में अपने माता-पिता को बताया, परंतु उन्होंने इसे मेरी कल्पना समझ कर अनसुना कर दिया क्योंकि उन्होंने किसी को नहीं देखा था । इस प्रकार की घटनाओं से मुझे अत्यंत पीडा होती ।

रात को सोना भी मेरी एक समस्या थी, मुझे सदैव यह लगता था कि कोई मेरे पीछे खडा है । जब मैं कौन है यह देखने के लिए मुडता तब वहां कोई नहीं होता था । मुझे पता था कि वहां कोई था क्योंकि उस समय मैं सरसराती हवा समान स्वर सुन सकता था । सवेरेउठने पर मैं कलाई और मांसपेशियों में वेदना अनुभव करता एवं मुझे अपने जीवन तथा परिवेश से द्वेष होता । मुझे सवेरे उठने में कष्ट होता और प्रकाश सहन न होने के कारण प्रायः मैं अपना धूप का चश्मा लगाकर अल्पाहार करता था ।

जब मैंने पाठशाला जाना प्रारंभ किया, तब मेरे लिए कक्षा में सचेत रहना बहुत कठिन होता । जब कक्षा आरंभ होती तब मैं मेज के नीचे अपने पैरों से नृत्य जैसी विचित्र गतिविधियां करता था । शीघ्र ही यह मेरी आदत बन गर्इ । कालांतर से मुझे ज्ञात हुआ कि यह भूतावेश का प्रकटीकरण था ।

किसी सूक्ष्म जीव अथवा अनिष्ट शक्ति द्वारा आविष्ट किए जाने के संदर्भ में SSRF की परिभाषा इस लेख को देखें ।

किशोरावस्था में निराशा

मुझे स्मरण है जब मैं बारह अथवा तेरह वर्ष का था, तब मैंने पहली बार आनंद अनुभव किया था । उस समय जब मैंने अपने जीवन पर दृष्टि डाली, तब यह स्मरण करने में असमर्थ रहा कि अंतिम बार मैं कब प्रसन्न हुआ था । तदुपरांत, निराशा का चक्र जारी रहा और अपनी संपूर्ण किशोरावस्था में मैं गंभीर निराशा के आक्रमणों से त्रस्त रहा । मेरे साथ क्या अनुचित था यह मैं पता नहीं कर पा रहा था । मैंने अपने दु:ख के कारण को ढूंढने प्रयास किया परंतु कोई स्पष्ट कारण नहीं ढूंढ पाया ।

२. युवावस्था में निराशा और अन्य समस्याएं

स्नातक होने के उपरांत मेरे समक्ष नौकरी ढूंढने की समस्या थी । जब भी मुझे नौकरी मिलती, मैं किसी कारण से उसे कायम नहीं रख पाता था । मैं धूम्रपान, गांजा सेवन (मारिजुआना) और मद्यपान के व्यसन का आदी हो गया था ।

अनेक बार, रास्ते पर चलते समय अथवा बस इत्यादि से यात्रा करते समय मुझे विध्वंसक विचार आते थे जैसे अपरिचितों को लात मारना अथवा पीटना । मेरे आस-पास के सभी लोगों से मुझे नफरत थी । जीवन के उस मोड पर, मुझे भान हो गया था कि मेरे जीवन पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है पर इन सब से उबरने के लिए क्या करना चाहिए यह मुझे ज्ञात नहीं था ।

इन वर्षो में, मुझे यह ज्ञात था कि मेरे व्यक्तित्व के दूसरे पहलू से कोर्इ भी अवगत नहीं है । मेरे साथ जो हो रहा था वह मैं अपने माता-पिता अथवा मित्रों को भी बताने की स्थिति में नहीं था । प्रत्येक बार, जब मैं अपनी समस्याओं को बताने का प्रयास करता उसका परिणाम होता गंभीर निराशा तथा दु:ख । स्वयं को सबसे छिपाने का प्रयास करते हुए मैं इस जीवन के समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रहा था । अनेक बार मेरे मन में आत्महत्या के विचार आए, परंतु कहीं हृदय की गहरार्इ में यह पता था कि ईश्वर ने मुझे यह जीवन दिया है एवं उसे समाप्त करने का मुझे अधिकार नहीं है ।

३. नामजप साधना से परिचय

वर्ष १९९९ में, जब मैं २४ वर्ष का था, तब मेरी भेंट SSRF की सदस्य, आना से, एक मित्र के माध्यम से हुई । आना, प्रथम व्यक्ति थी जिसने मेरे स्वभाव के आधार पर मेरे संबंध में अपना मत नहीं बनाया । अपितु उसने उपाय ढूंढने में सहायता करने का आश्वासन दिया । उसने मुझे परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के शोध के संबंध बताया और यह भी बताया कि आध्यात्मिक आयाम तथा उसका जीवन पर प्रभाव इस विषय में अमूल्य जानकारी प्रसिद्ध कर वे कैसे मानवजाति की सहायता कर रहे हैं, । उसने मुझे ईश्वर के नामजप की साधना के संबंध में जानकारी दी । मुझे वह दिन स्पष्ट रूप से याद है जब उसने साधना के बारे में बताया था । पूरे दिन वर्षा हो रही थी और हमारी भेंट दोपहर में हुर्इ थी, जब वर्षा थमी तब एक आकाश में सुंदर इंद्रधनुष दिखाई दे रहा था । मुझे ऐसा लगा जैसे ईश्वर मुझे बता रहे थे ‘अब तुम्हारे कष्ट एवं दु:ख समाप्त हो गए’ ।

४. भगवान के नामजप का प्रारंभ

आना ने मुझे मेरे जन्म के धर्मानुसार ईश्वर का नामजप करने के लिए कहा । इसके अतिरिक्त मुझे आध्यात्मिक उपचार के रूप में दो विशेष नामजप करने के निर्देश भी दिए :

प्रारंभ में, मेरे लिए नामजप करना वास्तव में कठिन था । मैं निरंतर जम्हाई लेता, सो जाता, लगता जैसे मेरे पूरे शरीर पर कोई चल रहा है, आदि । कभी कभी, मैं अपने हाथ अथवा पैरों को हिलाने में भी असमर्थ होता । नामजप को रोकने के लिए मैंने अपने मन में अत्यधिक क्रोध अनुभव किया । आना ने मुझे समझाया कि जो कष्ट मैं नामजप के उपरांत अनुभव कर रहा था वह कष्ट वास्तव में मुझे प्रभावित करनेवाले पूर्वजों के सूक्ष्म-देह द्वारा अनुभव किए जा रहे थे । मैं नामजप जारी रखने के लिए दृढ संकल्पित था । मैं पहले जिस प्रकार कष्ट से भरा जीवन व्यतीत कर रहा था उसप्रकार का जीवन अब और अधिक व्यतीत नहीं करना चाहता था । इसलिए प्रारंभ से ही मैंने अति सतर्कता से प्रतिदिन श्री गणेशाय नमः और श्री गुरुदेव दत्त, नामजप की ९ मालाएं (अर्थात ९७२ बार) की ।

नामजप करने के उपरांत, कुछ ही दिनों में मैं अच्छा अनुभव करने लगा था । मेरे पास अधिक उर्जा थी, प्रातः होनेवाली वेदना थम गर्इ थी और जीवन में पहली बार मैं अपने, जीवन का आनंद लेने के लिए तत्पर था । मैं वास्तव में अधिक अच्छा अनुभव कर रहा था । नामजप के एक अथवा दो महीने उपरांत, मैंने गांजा सेवन, धूम्रपान और मद्यपान का व्यसन छोड दिया । पहले, मैं सप्ताह में १-२ बार व्यसन करता था और अनेक बार गांजा सेवन करता था ।

५. सपनों में पूर्वजों द्वारा किए जानेवाले आक्रमणों पर नामजप से विजय प्राप्त करना

मैं उपरोक्त सभी नामजप एक वर्ष तक करता रहा । वर्ष २००२ के आरंभ में, एक रात्रि, मुझे स्वप्न आया कि मैं स्की सेंटर में ५-१० लोगों से बात कर रहा था । आश्चर्य की बात थी की यद्यपि मैं उन्हें इस जन्म में नहीं जानता था, तब भी वे परिचित लग रहे थे । अकस्मात, वे सभी मुझ पर कूद पडे । मैं उनके चंगुल से अपने आप को मुक्त करने के लिए संघर्ष कर रहा था । मुझे लगा कि वे मुझे मारने का और मुझे उनके साथ ले जाने का प्रयत्न कर रहे थे । मैं श्वास नहीं ले पा रहा था । इसी समय, मैं श्वास लेने के लिए हांफते हुए जाग उठा और जब मैं श्वास ले पाया, तब एक काला बादल मेरे चेहरे से टकराया और उसने मुझे पुनः निद्रिस्त कर दिया । अब मुझे निश्चित रूप से ज्ञात हो गया था कि यह मात्र मेरी कल्पना नहीं थी अपितु वास्तविकता थी । उसी समय, मेरा श्री गुरुदेव दत्त का नामजप अपने आप आरंभ हो गया । कुछ ही क्षणों में मेरी छाती पर अनुभव हो रहा दबाव अल्प हुआ और मैं सामान्य रूप से श्वास ले पाया । आक्रमण से अपनी रक्षा करने के लिए और नामजप जारी रखने में सहायता के लिए मैं प्रार्थना करने लगा । लगभग एक मिनट पश्चात संपूर्ण शरीर पर मैंने पुनः नियंत्रण प्राप्त किया ।

‘श्री गुरुदेव दत्त’ के नामजप से मुझे जो तात्कालिक सहायता मिली उसने मुझे अनुभव करवाया कि यह स्वप्न मेरे दिवंगत पूर्वजों के कारण था ।

मैंने अनुभव किया कि मुझ पर आक्रमण करनेवाले पूर्वजों के सूक्ष्म-देह मुझपर बहुत क्रोधित हो गए हैं । वे मेरा कक्ष छोडकर छत पर चले गए क्योंकि दत्त भगवान के नामजप के प्रभाव से वे मेरे कक्ष में प्रवेश कर पाने में असमर्थ थे । इस संपूर्ण घटना के समय मुझे कोर्इ भय नहीं लगा और जब यह सब समाप्त हुआ, मुझे विश्वास हो गया कि ईश्वर ने ही यह सब सहन करने का साहस दिया था ।

मेरे पूर्वज वर्ष में एक से दो बार मेरे सपने में आते थे, परंतु मेरे आस-पास श्री गुरुदेव दत्त संरक्षण कवच होने के कारण मुझ पर आक्रमण करने में असमर्थ थे । वे मुझे केवल धमका रहे थे । प्रत्येक स्वप्न के पश्चात, उनकी संख्या घटते जाती थी । इसप्रकार का स्वप्न मैंनें वर्ष २००५ के अंत में लगभग एक वर्ष पहले अंतिम बार देखा था ।

६. निर्णायक मोड

वर्ष २००५ में एक छोटीसी घटना ने, मेरे व्यक्तित्व की समस्याओं के एक और आध्यात्मिक कारण पर प्रकाश डाला । मैं SSRF के अपने एक साथी साधक, व्लादा जो मेरे साथ रहता भी है, के साथ बस से यात्रा कर रहा था । मैं उससे बता रहा था कि कैसे मेरे जीवन में सब कुछ व्यर्थ था, मेरे जीवन को कोई अर्थ ही नहीं था और कैसे सब कुछ नकारात्मक तथा असहनीय था । उस समय, जो कुछ मैं कह रहा था मैं स्वयं को अपने मन की गहरार्इ से पहचान रहा था एवं कुछ भी सकारात्मक देखने में असमर्थ था । जो कुछ मैं कह रहा था उसे वह एकाग्रचित्त होकर सुन रहा था, परंतु उसने तब कोई उत्तर नहीं दिया ।

जब हम घर पहुंचे, उसने मुझे अत्यंत सतर्कता से कहा कि जो कुछ मैं बस में कह रहा था वह किसी भी प्रकार से मेरा असली रूप प्रतीत नहीं हो रहा था । उसने कहा कि मेरा चेहरा भी अलग लग रहा था । उसने अनुभव किया कि कोई सूक्ष्मजीव अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए मेरा उपयोग कर रहा था । इसकी पुष्टि के लिए, हमने इस घटना के विषय में SSRF के साधक, जिनकी छठवीं इंद्रिय अत्यधिक सक्रिय है, से विचार-विमर्श किया । निदान के तौर पर उन्होंने इसे अनिष्ट शक्ति (दानव, राक्षस, भूत आदि) का एक प्रकार सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक द्वारा आविष्ट किए जाने का प्रकरण बताया जो अभी भी मेरे जीवन में समस्याओं का कारण था । यह आश्चर्यजनक तथ्य मेरे जीवन का निर्णायक मोड था क्योंकि मुझे भान हुआ कि मेरे कुछ व्यवहार वास्तव में सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक के कारण थे । इस समझ ने मुझे इस श्रद्धा के साथ संघर्ष करने की शक्ति दी कि र्इश्वर मुझे अंधकार से मार्ग दिखाएगें ।

७. एक नए जीवन का आरंभ

मैं अब पिछले पांच वर्षों से साधना कर रहा हूं । मैं अभी भी समय-समय पर थोडी निराशा का अनुभव करता हूं । उस समय ऐसा लगता है की इस दुख से बाहर निकलने का कोई मार्ग नहीं है । अंतर यह है कि अब इसकी कालावधि कुछ दिनों से अधिक नहीं रह पाती । SSRF द्वारा बतार्इ साधना करने के उपरांत मेरा जीवन पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया है । अब मैं विवाहित हूं और एक ५ माह के बेटे का पिता हूं ।

यह वास्तव में आश्चर्यजनक है, क्योंकि जो गुण मुझे लगता था केवल दूसरों के लिए ही है, वे अब मेरे जीवन में भी आ गए हैं । मेरा जीवन जो कुछ भी मेरे सामने रख रहा है वह सब सहन करने में अब मैं समर्थ हूं ।