बनियान पर सहज उभरे रक्त के धब्बे – प्रकरण अध्ययन

1-HIN-Nagnath-Muljeयह प्रकरण अध्ययन सभी भौतिक सिद्धांतों के परे उन अद्भुत घटनाओं में से एक है जिनके हम साक्षी रह चुके हैं | यह एक काल्पनिक डरावनी फिल्म के किसी दृश्य के समान नाटकीय है, परंतु यह एक वास्तविक घटना है जो हमारे साधक, श्री नागनाथ मुळजे, के साथ कई अन्य साक्षियों की उपस्थिति में घटित हुई | नागनाथ, महाराष्ट्र के एक छोटे शहर, कराड में आयुर्वेदिक औषधियों के विपणन कार्यकारी हैं | वर्ष २०१० तक उनके साधना करते हुए १० वर्ष हो गए हैं और साधना के रूप में, वह SSRF के लिए सत्संग का आयोजन कर अध्यात्म के प्रसार में सहयोग करते है | जब वे गोवा स्थित SSRF के शोध केंद्र में आए, हमें उनसे उनके विचित्र अनुभव के विषय में साक्षात्कार करने का अवसर प्राप्त हुआ | उन्होंने अपने शब्दों में उस घटना का वर्णन इस प्रकार किया |

 

अनिष्ट शक्तियां : SSRF में हम ‘अनिष्ट शक्तियां (बुरी शक्तियां)’ शब्द का प्रयोग सामूहिक रूप से सूक्ष्म विश्व में विद्यमान उन सभी घटकों के लिए करते हैं, जो मानवजाति को हानि पहुंचाना चाहते हैं । इनमें भूत, प्रेत, पिशाच, चुडैल, मांत्रिक आदि का समावेश है । मांत्रिक सर्वाधिक शक्तिमान अनिष्ट शक्ति है । यदि सामान्य भूत की शक्ति को १ - १० इकाई के बीच मानें, तो मांत्रिक की शक्ति अरब से लगभग अनगिनत तक हो सकती है ।

यह घटना वास्तव में मेरे साथ हुई कुछ अलौकिक घटनाओं में से एक है । यह घटना कराड आश्रम, महाराष्ट्र, भारत में २००३ में घटित हुई । मुझे स्मरण है, उस सुबह उठने के उपरांत मुझे चक्कर जैसा अनुभव हुआ और सब कुछ धुंधला दिख रहा था । मुझे अनुभव हुआ कि यह कष्ट, मुझे कष्ट देनेवाली अनिष्ट शक्ति के कारण है । मैं सवेरे आरती के लिए जाना चाहता था; परंतु कपडे बदलने के लिए भी मुझे अत्यंत दुर्बल अनुभव हो रहा था ।

अतः मैं बनियान और पायजामा में ही आरती में पहुंच गया । आरती के अंत में, मुझे अपनी पीठ पर मानो आग लगी हो वैसी अत्यधिक उष्णता अनुभव होने लगी । मुझे पहले से ही चक्कर जैसा लग रहा था और इस उष्णता ने मेरी अस्वस्थता और बढा दी और मुझे स्मरण है कि मैं भूमि पर अपनी पीठ के बल गिर गया ।

मैंने अन्य साधकों से अपनी पीठ की जलन के बारे में बताया । जब उन्होंने मुझे पलटाया, तब देखा कि मेरी बनियान पर रक्त जैसे कुछ धब्बे है । उन्होंने मेरी बनियान उठाकर देखा परंतु उन्हें किसी भी प्रकार का घाव अथवा आघात, जिससे रक्त के धब्बे आ सकते हैं, नहीं दिखें । तत्पश्चात उन्होंने बनियान नीचे कर दी और देखते ही देखते वहां और कुछ रक्त के धब्बे उभर आए । इसके उपरांत और भी विचित्र घटना घटित हुर्इ । १५ मिनट में ही रक्त के धब्बे काले रंग में परिवर्तित होने लगे ।

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SSRF के सूक्ष्म-ज्ञान विभाग में ऐसे साधक हैं, जो सूक्ष्म आयाम में देख सकते हैं, सूक्ष्म जगत के चित्र (सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र) बनाते हैं तथा आध्यात्मिक उपचार बता सकते हैं । इस विभाग के कुछ साधकों को ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त होता है तथा कुछ साधक ईश्वरीय कला का अनुसरण कर रहे हैं । SSRF के शोधकार्य प्रधानता से इसी विभाग द्वारा किए जाते हैं ।

उस समय मैं चिकित्सक के पास नहीं गया । हमने त्वरित SSRF के सूक्ष्म विभाग के साधक को बुलाया और उसने हमारी इस शंका की पुष्टि की कि वास्तव में यह आक्रमण उच्चतर स्तर की अनिष्ट शक्तियों द्वारा ही किया गया था । वहां उपस्थित सभी के लिए यह पूर्णतया स्पष्ट था कि यह घटना असामान्य है और यह सारे भौतिक सिद्धांतों के परे है ।

चिकित्सकीय दृष्टिकोण

SSRF के शोध दल ने हमारे चिकित्सकों की सलाह अनुसार नागनाथ से रक्त परीक्षण करवाने के लिए कहा । कोई चिकित्सकीय संकेत जो इस घटना को स्पष्ट कर सके यह समझने हेतु हमने हमारे निवासी चिकित्सकों के साथ एक बाहर के चिकित्सक से नागनाथ की जांच करने के लिए कहा । वे सभी नागनाथ में ऐसी कोई भी चिकित्सकीय समस्या नहीं ढूंढ सके जो यह घटना को स्पष्ट कर पाए ।

फॉरेंसिक विश्लेषण

जब बनियान पर लगे रक्त का फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने परीक्षण किया तब यह पाया गया कि वह रक्त मनुष्य का ही था और वह रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) और नागनाथ का रक्त गुट समान ही था जो कि AB +ve था । तथापि वे यह नहीं बता सके कि रक्त नागनाथ का ही है क्याेंकि उसके लिए डीएनए परीक्षण की आवश्यकता होती ।

सूक्ष्म विश्लेषण

आध्यात्मिक शोध द्वारा हमें निम्नलिखित तथ्यों का पता चला :

काली शक्ति : अनिष्ट शक्तियों द्वारा मुख्य रूप से प्रयोग किया जाने वाला प्रमुख शस्त्र है काली शक्ति जो एक आध्यात्मिक शक्ति है और भूलोक की किसी भी क्रिया में हेरफेर करने में सक्षम है । इस हेरफेर की मात्रा आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति के बल पर निर्भर करती है ।

नागनाथ ने बताया कि घटना के उपरांत उसका मन अस्थिर अनुभव कर रहा था और उसे ही क्यों लक्ष्य बनाया इस विचार में वह कुछ समय के लिए निराशा की स्थिति में चला गया था । ऐसा करनेवाली अनिष्ट शक्तियों का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को डराना-धमकाना तथा उसकी साधना में अस्थिरता लाना होता है । नागनाथ के विषय में यह लगता है कि अनिष्ट शक्तियां कुछ मात्रा में ऐसा करने में सफल रहीं ।