प्रकरण का अध्ययन (केस स्टडी) – संत के छायाचित्र से मुख की गंभीर सूजन घट जाना

SSRF द्वारा प्रकाशित प्रकरण-अध्ययनों (केस स्टडीस) का मूल उद्देश्य है, उन शारीरिक अथवा मानसिक समस्याओं के विषय में पाठकों का दिशादर्शन करना, जिनका मूल कारण आध्यात्मिक हो सकता है । यदि समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक हो, तो यह ध्यान में आया है कि सामान्यतः आध्यात्मिक उपचारों का समावेश करने से सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं । SSRF शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं के लिए इन आध्यात्मिक उपचारों के साथ ही अन्य परंपरागत उपचारों को जारी रखने का परामर्श देता है । पाठकों के लिए सुझाव है कि वे स्वविवेक से किसी भी आध्यात्मिक उपचारी पद्धति का पालन करें ।

1.HIN-Shayari-MaratheSSRF में आध्यात्मिक शोध का प्रमुख प्रयास विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक उपचारों की कार्य प्रणाली के विषय में पता लगाना हैI । ऐसी ही उपचार की एक पद्धति हमने देखी जिसमें संत के छायाचित्र को उस भाग पर लगाना जहां आध्यात्मिक कारण से कष्ट हो रहा है । अध्यात्म का एक नियम है ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध एवं इनसे संबंधित शक्ति एक साथ होती है ।’ इसका अर्थ है कि यदि हमारे पास संत का चित्र (अर्थात रूप) है, तो उस चित्र में उन संत की शक्ति भी समाहित होती हैI । संत का आध्यात्मिक स्तर जितना अधिक होता है, आध्यात्मिक उपचार के साधन के रूप में उनका चित्र उतना ही अधिक प्रभावशाली होता हैI । इस प्रकरण अध्ययन में हम संत के चित्र के प्रयोग से साधिका, कु. शायरी मराठे पर हुए उपचार की प्रक्रिया का वर्णन कर रहे हैं । शायरी एक छात्रा हैं एवं SSRF के शोध केंद्र में अपने माता-पिता के साथ रहती हैं । वे पूर्णकालिक साधिका हैं एवं उन्होंने अपना जीवन साधना हेतु अर्पण किया है । शायरी अपने ही शब्दों में अपना अनुभव बताती हैं ।

जितना अधिक होता है, आध्यात्मिक उपचार के साधन के रूप में उनका चित्र उतना ही अधिक प्रभावशाली होता हैI । इस प्रकरण अध्ययन में हम संत के चित्र के प्रयोग से साधिका, कु. शायरी मराठे पर हुए उपचार की प्रक्रिया का वर्णन कर रहे हैं । शायरी एक छात्रा हैं एवं SSRF के शोध केंद्र में अपने माता-पिता के साथ रहती हैं । वे पूर्णकालिक साधिका हैं एवं उन्होंने अपना जीवन साधना हेतु अर्पण किया है । शायरी अपने ही शब्दों में अपना अनुभव बताती हैं ।

SSRF ने शायरी की जांच की उसके साथ कुछ असामान्य तो नहीं हुआ, जैसे ऐसा कुछ खा लिया हो जिससे उसे एलर्जी थी अथवा किसी कीडे ने काटा होI । उसने बताया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है । इस एलर्जी की प्रतिक्रिया का कारण अभी तक अज्ञात थाI ।

2.HIN-Shayari-for-web‘‘“इस घटना का पता चलने के १० मिनटों में ही मेरी आंखे इतनी सूज गईं थी कि मैं कठिनार्इ से ही कुछ देख पा रही थीI । अगले दिन मेरी परीक्षा को देखते हुए एवं मुझे पूर्व में अनिष्ट शक्तियों का कष्ट रह चुका था, इसलिए मेरे माता-पिता ने मुझे इसे SSRF के सूक्ष्म विभाग को दिखाने के लिए कहाI । उस समय परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी कक्ष में आए एवं मेरी स्थिति देख अचंभित हुएI । मुझे लगभग एक मिनट देखने के पश्चात उन्होंने कहा कि यह पूर्णतया अनिष्ट शक्तियों के कारण था (अर्थात आध्यात्मिक कारण) एवं सूजन का कोई शारीरिक कारण नहीं था I। उन्होंने मुझे उपचार के रूप में परम पूज्य भक्तराज महाराजजी के तीन छायाचित्रों को अपने मुख पर लगाने का सुझाव दियाI । एक-एक छायाचित्र मेरी दोनों कनपटियों पर एवं एक छायाचित्र मेरे ललाट पर स्थित आज्ञा चक्र पर रखा गयाI उन्होंने यह भी बताया कि छायाचित्र का मुख बाहर की ओर होना चाहिएI ।’’

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परम पूज्य भक्तराज महाराज के सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र को देखें, जो उनमें से निकलनेवाले आध्यात्मिक स्पंदनों को दर्शाता हैI ।

SSRF की टिप्पणी:

  • जिसप्रकार चित्र को रखा गया है, अर्थात मुख बाहर अथवा भीतर की ओर, उससे चित्र की शक्ति में परिवतर्न होता हैI । चित्र के अग्र भाग से संबंधित प्रमुख शक्ति सगुण आध्यात्मिक शक्ति होती है तथा इसके पृष्ठ भाग से निर्गुण आध्यात्मिक शक्ति होती हैI । परम पूज्य भक्तराज महाराजजी के सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र को देखेंI ।
  • चूंकि उसकी परीक्षा अगले दिन थी, परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी ने सूजन को कम करने के लिए आश्रम के चिकित्सक से कुछ उपचार लेने का भी सुझाव दियाI । आध्यात्मिक उपचार के उपायों के साथ साथ स्टेरॉयड इंजेक्शन एवं एडविल दी गईI ।
  • अगली सुबह सूजन ९० प्रतिशत तकI घट गर्इ ।
  • महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके पश्चात इस प्रकार की सूजन पांच बार और हुईI । पांचों बार एक ही आध्यात्मिक उपचार किया गया था । कोई चिकित्सीय उपचार नहीं किया गया । प्रत्येक बार सूजन ६-७ घंटों में ही ९० प्रतिशत तक घट जाती थी । प्रथम बार औषधि देने की तुलना में वास्तव में यह अधिक शीघ्र थाI ।

आक्रमण का सूक्ष्म विश्लेषण

SSRF के साधकों ने विकसित छठवीं इंद्रिय का प्रयोग कर कु. शायरी मराठे पर हुए आक्रमण का विवरण दिया । आगे दिया गया सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र राक्षसी अनिष्ट शक्ति द्वारा हुए आक्रमण को दर्शाता हैI । सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित यह चित्र पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी ने चित्रित किया थाI । सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इस चित्र को परम पूजनीय डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा जांचा गया था और यह ८० प्रतिशत अचूक है |

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आक्रमण की प्रमुख विशेषताओं के संदर्भ में आध्यात्मिक शोध द्वारा प्राप्त ज्ञान निम्नलिखित है :

  • जिस अनिष्ट शक्ति ने आक्रमण किया वह एक एक राक्षस था । पांचवे पाताल का सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक इस राक्षस को नियंत्रित कर रहा थाI । साथ ही पांचवे पाताल का यह सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक छठवें पाताल के उच्च सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक से काली शक्ति प्राप्त कर रहा थाI ।
  • पूजनीया योयाजी ने शायरी के पीछे धुंए जैसी काली शक्ति के बादल में से प्रकट होनेवाले राक्षस को ऊपरोक्त सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र देखा । उसने अपने दोनों सूक्ष्म हाथों को साधक के मुख एवं मस्तक के सामने रखा एवं उसके मस्तक को दबायाI । इसके परिणामस्वरूप उसके मुख पर सूक्ष्म दबाव उत्पन्न हुआI । इसके पश्चात उसने शायरी के सामने अपने हाथों को लाकर उसके मुख पर काले कणों से युक्त काली शक्ति प्रक्षेपित की । जैसे ही काले कण शायरी की त्वचा में प्रवेश किए, उनका मुख सूज गया । आक्रमण के पश्चात अनिष्ट शक्ति त्वरित ही अपने काले आवरण के साथ अदृश्य हो गयी I ।